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चुनाव हो या पटना का पार्टी दफ्तर लालू हर जगह मौजूद, तेजस्वी यादव की शादी से क्यों थे नाराज? https://ift.tt/3EERvSZ
साल खत्म होते-होते आखिरकार बिहार के मोस्ट एलिजिबल बैचलर शादी के बंधन में बंध गए। तेजस्वी की शादी एलेक्सिस रसेल से हो गई। तस्वीरों में दोनों ही मंद-मंद मुस्कुरा रहे हैं। दोनों एक दूसरे को छह साल से जानते हैं।
पटना
बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और राष्ट्रीय जनता दल प्रमुख लालू प्रसाद के छोटे बेटे तेजस्वी प्रसाद यादव की शादी हो गई। तेजस्वी और उनकी दुल्हनिया की तस्वीर भी सामने आई। इसमें तेजस्वी ने गहरे रंग की शेरवानी पहन रखी है, जबकि उनकी दुल्हनिया ने गोल्डेन बॉर्डर वाला सुर्ख लाल जोड़ा पहन रखा है। मगर कहा जा रहा है कि इस शादी को लेकर पहले लालू यादव तैयार नहीं थे।
तेजस्वी की नई पारी की शुरुआत
बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव की नई पारी की शुरुआत है। सुनहरे रंग के जोड़े में अपनी जीवन संगिनी के साथ तेजस्वी खिल रहे थे। बिना ताम-झाम के निहायत ही निजी कार्यक्रम में तेजस्वी और उनकी पुरानी दोस्त एलेक्सिस रसेल हाथों में हाथ डाले थे। दिल्ली स्थित मीसा भारती के फार्म हाउस में शादी हुई। इसमें परिवार के काफी नजदीकी लोग शामिल हुए।
एलेक्सिस रसेल से तेजस्वी की शादी
वैसे इसकी तैयारी काफी दिनों से की जा रही थी मगर मीडिया को इसकी भनक दो दिन पहले मिली। इसके बाद सगाई और शादी को लेकर अनुमान लगाया जाने लगे। सबसे ज्यादा लड़की के नाम-पता को लेकर सस्पेंस था। मगर जैसे ही सगाई की तस्वीरें सामने आई, तेजस्वी की दुल्हनियां के बारे में लोगों को जानकारी मिली।
दिल्ली की रहनेवाली हैं एलेक्सिस रसेल
तेजस्वी की दुल्हनिया एलेक्सिस रसेल के बारे में जो जानकारी सामने आई उसके मुताबिक वो पहले बतौर एयर होस्टेस काम करती थीं। वो दिल्ली के वसंत विहार कॉलोनी में रहती हैं और उनके पिता चंडीगढ़ के एक स्कूल में प्रिंसिपल रह चुके हैं। सगाई से पहले एलेक्सिस और तेजस्वी के बीच लगातार मिलना जुलना रहा। तेजस्वी और एलेक्सिस की दोस्ती के 6 साल हो चुके हैं। उसके बाद दोनों ने शादी का फैसला लिया।
शादी के लिए तैयार नहीं थे लालू यादव
कहा जाता है तेजस्वी की शादी के फैसले से लालू यादव खुश नहीं थे क्यों कि एलेक्सिस का परिवार ईसाई धर्म को मानता है। लालू यादव को इस रिश्ते से ऐतराज था। परिवार के बहुत से सदस्य भी तेजस्वी के इस फैसले के साथ नहीं थे। मगर लंबी बातचीत के बाद लालू और परिवार को तेजस्वी की जिद के आगे झुकना पड़ा। अब परिवार नए सदस्य को स्वागत करने के लिए तैयार है। माना जा रहा है कि लालू के झुकने की बड़ी वजह ये है कि वे तेजस्वी को अपना राजनीतिक वारिस बता चुके हैं। उनको अच्छी तरह पता है कि आरजेडी को तेजस्वी ही ठीक तरह संभाल सकते हैं।
लालू परिवार में रसेल का स्वागत
बिहार में विपक्ष के नेता और राघोपुर सीट से विधायक तेजस्वी यादव साल 2015 से 2017 तक उपमुख्यमंत्री रहे हैं। लालू की गैरमौजूदगी में तेजस्वी ने ही पार्टी को संभाला। यही कारण है कि उन्हें लालू का राजनीतिक वारिस भी माना जाता है। इधर, साल 2018 में तेजस्वी के बड़े भाई तेज प्रताप की शादी भी एक राजनीतिक परिवार में हुई थी लेकिन कुछ महीने बाद ही उनका और उनकी पत्नी एश्वर्या राय में खटपट शुरू हो गई। तलाक तक बात पहुंच चुकी है। मगर लालू परिवार तमाम दुश्वारियों को पीछे छोड़ते हुए नए मेहमान एलेक्सिस रसेल की स्वागत में जुटा है।
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सीडीएस जनरल बिपिन रावत, उनकी पत्नी और 11 अन्य की हेलिकॉप्टर हादसे में मौत से पूरा देश सन्न है। सदमे में है। मंजिल से महज 10-15 किलोमीटर पहले उनका MI-17V हेलिकॉप्टर हादसे का शिकार हो गया।
सीडीएस जनरल बिपिन रावत को बुधवार को तमिलनाडु के वेलिंगटन स्थित डिफेंस सर्विस स्टाफ कॉलेज जाना था। वह सबसे पहले दिल्ली से सुलुर पहुंचे। वहां से हेलिकॉप्टर से रवाना हुए। लेकिन तब कहां पता था कि यह भारतीय इतिहास के कुछ सबसे मनहूस दिनों में से एक होने वाला है। यह जनरल की आखिरी उड़ान साबित होने वाली है।
सुबह दिल्ली से सुलुर के लिए भरी उड़ान
बुधवार, सुबह 8:47 का वक्त। जनरल बिपिन रावत, उनकी पत्नी और दूसरे अफसरों को लेकर इंडियन एयर फोर्स का एमब्रेयर एयरक्राफ्ट दिल्ली के पालम एयरपोर्ट से तमिलनाडु के सुलुर के लिए उड़ान भरता है।
11:34 am : सुलुर में एयरक्राफ्ट की लैंडिंग
दिल्ली से उड़ान भरने के करीब पौने 3 घंटे बाद 11 बजकर 34 मिनट पर सीडीएस रावत का विमान कोयंबटूर के नजदीक सुलुर एयरबेस पर लैंड करता है।
MI-17 हेलिकॉप्टर से वेलिंगटन के लिए हुए रवाना
सुलुर एयरबेस पर उतरने के बाद 11:47 am पर सीडीएस रावत, उनकी पत्नी और अन्य अफसरों समेत कुल 14 लोगों के साथ इंडियन एयर फोर्स का एक MI-17v5 हेलिकॉप्टर वेलिंगटन के लिए उड़ान भरता है। उड़ान से पहले तय प्रोटोकॉल के तहत हेलिकॉप्टर की पूरी सुरक्षा जांच भी हुई थी। उसे MI-17 के सबसे बेहतरीन पायलटों में से एक ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह उड़ा रहे थे। सुलुर से वेलिंगटन डिफेंस कॉलेज की हवाई दूरी महज 60 किलोमीटर है।
मंजिल से चंद मिनट पहले ATC से संपर्क टूटा
सुलुर से उड़ान भरने के 35 मिनट बाद दोपहर करीब 12 बजकर 22 मिनट पर एयर ट्रैफिक कंट्रोलर (ATC) का हेलिकॉप्टर से संपर्क टूट जाता है।
...और आग का गोला बन गया हेलिकॉप्टर
सीडीएस रावत को ले जा हेलिकॉप्टर मंजिल के काफी करीब था। जब ATC से हेलकॉप्टर का संपर्क टूटा तब वह वेलिंगटन डिफेंस कॉलेज से 20 से भी कम किलोमीटर दूर था। कुन्नूर के नजदीक खट्टेरी में हेलिकॉप्टर हादसे का शिकार हो गया। चश्मदीदों के मुताबिक, हेलिकॉप्टर तेजी से एक पेड़ से टकराया और देखते ही देखते आग के गोले में तब्दील हो गया। इस हादसे ने देश के पहले सीडीएस जनरल रावत, उनकी पत्नी और 11 अधिकारियों को छीन लिया। ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह का इलाज चल रहा है। उनकी हालत अभी भी नाजुक है।
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वकीलों के फर्जी क्लेम मामले में सुप्रीम कोर्ट सख्त, कहा- ये बर्दाश्त के काबिल नहीं https://ift.tt/31GhBGM
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केंद्र के नए प्रस्ताव पर किसान मोर्चा में सहमति, जल्द खत्म हो सकता है आंदोलन https://ift.tt/3IyQfn2
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'देश ने अपने एक बहादुर सपूत को खो दिया', राष्ट्रपति कोविंद, पीएम मोदी ने जनरल बिपिन रावत की मौत पर जताया दुख https://ift.tt/3IzIo8z
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दुआएं कर रहा था देश, 6 बजे मिली बुरी खबर.... क्रैश में CDS रावत और उनकी पत्नी का निधन https://ift.tt/31yFS1Y
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हेलिकॉप्टर क्रैश: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने PM मोदी को दी हादसे की जानकारी, गुरुवार को संसद में भी देंगे बयान https://ift.tt/3Iw8p8U
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ओमीक्रोन से संक्रमित होने वाले डॉक्टर ने पहले दी वायरस को मात, अब दोबारा हुआ कोरोना संक्रमित https://ift.tt/3pyOUDX
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बदल जाइए नहीं तो... PM मोदी ने आज BJP के सांसदों को जब पिलाई 'कड़वी घुट्टी' https://ift.tt/3EyN10r
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मोदी की काशी, योगी का बुल्डोजर... यूपी में BJP ने ढूंढ दिया चुनावी जीत का फॉर्म्युला! https://ift.tt/3pBT2D4
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लाल टोपी वाले यूपी के लिए रेड अलर्ट.... गोरखपुर से PM मोदी का अखिलेश पर तंज https://ift.tt/3IkAn7o
दशकों से सीएम योगी आदित्यनाथ की कर्मभूमि रहे गोरखपुर में आज एक खाद कारखाने सहित करीब 10 हजार करोड़ के प्रोजेक्ट की शुरुआत PM नरेंद्र मोदी ने की। पूर्वांचल के किसानों और अन्य लोगों को विकास की लहर का संदेश देने का मुकाबला आज वेस्टर्न यूपी की किसान आंदोलन प्रभावित जाटलैंड में महंगाई और अन्य मामलों से सरकार पर वार के साथ होने वाला है।
1990 में FCI का खाद कारखाना बंद हो गया था। इसे फिर से शुरू किया जा रहा है। सीएम योगी ने कहा कि 1990 में फर्टिलाइजर कारपोरेशन ऑफ इंडिया (FCI) का खाद कारखाना बंद हो गया था। अनेक सरकारें आईं, आश्वासन पर आश्वासन दिए गए, लेकिन काम नहीं हुआ। लिहाजा, रोजगार पर विराम लग गया। खाद कारखाना दोबारा चलेगा, यह सपना लगता था, लेकिन अब यह सपना साकार हो चुका है। इस खाद कारखाने से हर साल 12 लाख मीट्रिक टन से अधिक यूरिया का उत्पादन होगा। सीएम योगी ने कहा कि तीनों परियोजनाओं से पूर्वी उत्तर प्रदेश के साथ ही बिहार और नेपाल की बड़ी आबादी भी लाभान्वित होगी।
माफिया जेल में और निवेशक यूपी में
पीएम मोदी ने कहा कि 2017 से पहले यूपी के कुछ जिले वीआईपी थे। अब यूपी के सारे जिले वीआईपी हो गए हैं। माफियाओं ने प्रदेश का नाम बदनाम कर दिया था। आज माफिया जेल में हैं और निवेशक यूपी आ रहे हैं।
लाल टोपी वाले, यूपी के लिए रेड अलर्ट
लाल टोपी वालों को लाल बत्ती से मतलब रहा है। आपके दुख से कोई मतलब नहीं है। सिर्फ सत्ता चाहिए, अपनी तिजोरी भरने के लिए, माफियाओं को खुली छूट देने के लिए, अवैध कब्जे करने के लिए, आतंकियों पर मेहरबानी करने के लिए, आतंकियों को जेल से छुड़ाने के लिए। लाल टोपी वाले यूपी वालों के लिए रेड अलर्ट हैं। मतलब खतरे की घंटी हैं।
खाद के लिए खानी पड़ती थी लाठी-गोली
मोदी ने कहा कि आज गोरखपुर में हो रहा आयोजन इस बात का गवाह है कि जब नया भारत कुछ ठान लेता है तो कुछ भी असंभव नहीं होता। एक बड़ी दिक्कत यह भी थी कि जो खाद उपलब्ध थी उसे चोरी छिपे खेती के अलावा अन्य कामों में लगाया जाता था। किसानों को खाद के लिए लाठी-गोली तक खानी पड़ती थी। हमने यूरिया का गलत इस्तेमाल रोका और उसकी नीम कोटिंग की ताकी कालाबाजारी रोकी जा सके।
भोजपुरी में भाषण, पढ़ें क्या बोले पीएम मोदी
धर्म, अध्यात्म अऊर क्रांति क नगरी गोरखपुर क देवतुल्य लोगन के हम प्रणाम करत बानी। आप सब लोग जउने खाद कारखाना अऊर एम्स क बहुत दिन से इंतजार करत रहिल, आज उ घड़ी आ गइल बा, आप सबके बहुत-बहुत बधाई:
भोजपुरी से मोदी ने की भाषण की शुरुआत
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गोरखपुर में रिमोट का बटन दबाकर खाद कारखाना एवं अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान व रीजनल मेडिकल रिसर्च सेंटर का लोकार्पण किया। उन्होंने अपने भाषण की शुरुआत भोजपुरी से की।
मोदी है तो मुमकिन है... गोरखपुर में योगी ने विपक्ष पर ऐसे साधा निशाना
5-5 सरकारों ने हामी भरने के बाद नामुमकिन बना दिया था। लेकिन मोदी है तो मुमकिन है। गोरखपुर का खाद कारखाना 10 जून 1990 को बंद हो गया था। 2014 तक 24 वर्षों तक किसी ने सुध नहीं ली। 2016 में पीएम ने शिलान्यास किया और अब उद्घाटन कर रहे हैं। पूर्वांचल में हजारों मौतें इलाज के अभाव में होती थीं। गोरखपुर को लगातार माना जाता था कि यहां बीमारी है। यहां दिमागी बुखार, मलेरिया आदि विषाणुजनित बीमारियों से मौतें होती थीं। तब 2016 में आदरणीय प्रधानमंत्री ने इसी एम्स का शिलान्यास किया था और आज उद्घाटन भी कर रहे हैं।
एम्स और खाद कारखाना क्यों है खास?
6803 करोड़ रुपये से बने खाद कारखाने से जहां प्रतिवर्ष 12.7 लाख मीट्रिक टन नीम कोटेड यूरिया का उत्पादन किसानों के जीवन में खुशहाली लाएगा वहीं इससे करीब बीस हजार रोजगार सृजन की भी संभावना परवान चढ़गी। 1011 करोड़ की लागत वाले एम्स से पूर्वी उत्तर प्रदेश के साथ ही बिहार, झारखंड व नेपाल तक की बड़ी आबादी को विश्व स्तरीय विशेषज्ञ चिकित्सा सुविधाओं का लाभ मिलेगा। गोरखपुर में ही वायरस जनित बीमारियों की विश्व स्तरीय जांच व अनुसंधान हो सके इसके लिए 36 करोड़ रुपये से आरएमआरसी तैयार किया गया है। यहां की हाईटेक लैब्स इस मामले में दूसरे बड़े शहरों के प्रति निर्भरता को कम करेगी।
गोरक्षपीठ की दो पीढ़ियों के संघर्ष का परिणाम
यह कारखाना 1990 में बंद हुआ था। गोरक्षपीठ की तरफ़ से संसद के हर सत्र में इस मुद्दे की आवाज़ उठती ही रही। अपने संसदीय कार्यकाल में ब्रह्मलीन महंत गोरक्षपीठाधीश्वर अवेद्यनाथ इसे लेकर सदन में निरंतर मुखर रहे। उनके उत्तराधिकारी और मौजूदा पीठाधीश्वर एवं संप्रत्ति उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 1998 में गोरखपुर से सांसद बनने के बाद खाद कारखाने के लिए पूर्वी उत्तर प्रदेश की आवाज़ बन गए। दो दशकों में गुरु-शिष्य ने इसे लेकर कई बार प्रधानमंत्री और केंद्रीय उर्वरक एवं रसायन मंत्री से मुलाकातें कीं। लगातार पत्र व्यवहार भी करते रहे। बतौर प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा ने तो इसे चालू कराने की बकायदा घोषणा भी की थी। 1998 में केंद्र में भाजपा की सरकार थी, स्मृतिशेष अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे। योगी आदित्यनाथ के प्रयास और अटल जी के निर्देश पर उस समय कृभको खाद कारखाने को फिर से चलाने को राजी हो गया था। इस बाबत सर्वे भी हो चुका था, लेकिन कर्मचारियों के समायोजन का पेंच फंसा और कृभको ने क़दम वापस खींच लिए। पर, बतौर सांसद योगी आदित्यनाथ के क़दम पीछे नहीं हटे, वह अविरत इसकी आवाज़ बुलंद करते रहे। अंततः 22 जुलाई 2016 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भूमि का शिलान्यास किया।
गोरखपुर एम्स बचाएगा बच्चों की जान
सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि कभी बाढ़ व बीमारी पूर्वी उत्तर प्रदेश की पहचान बन चुकी थी। इंसेफेलाइटिस के चलते मासूम दम तोड़ देते थे। सरकारों की संवेदना इन गरीबों व और असहायों के प्रति नहीं थी। 40 वर्षों में 50 हजार से अधिक बच्चे इंसेफेलाइटिस के चलते और समय काल कवलित हो गए। पूर्वी उत्तर प्रदेश को बीमारियों से मजबूती से लड़ने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2016 में एम्स भी दिया। 7 दिसंबर को ही प्रधानमंत्री एम्स का भी उद्घाटन करेंगे।
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खेत खोद रहा था किसान और अचानक मिली चमकीली सी चीज ने उसे बना दिया लखपति https://ift.tt/3xZWV8S
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भारतीय सेना की बड़ी तैयारी, रिमोट से चलने वाले हथियारों पर कर रही है फोकस https://ift.tt/3GmowEg
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इंदिरा गांधी का वो फैसला, जब यूपी के सीएम बनते-बनते रह गए संजय गांधी https://ift.tt/3rD7Y6J
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सरकार चलाने की मजबूरी, ममता के पाले में खड़े होकर कांग्रेस से बैर नहीं लेंगे शिवसेना और NCP https://ift.tt/3lFWw6D
महाराष्ट्र में शिवेसना और एनसीपी, कांग्रेस के साथ गठबंधन करके सरकार में हैं। अगर दोनों दल ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) के पाले में खड़े दिखते हैं तो यह सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) को स्वीकार नहीं होगा।
इन दिनों राष्ट्रीय राजनीति में मोदी के मुकाबले विपक्ष को गोलबंद करने के इरादे से निकलीं ममता बनर्जी को महाराष्ट्र से उस तरह का समर्थन नहीं मिला, जिसकी उन्होंने उम्मीद लगा रखी थी। वहां उनकी एनसीपी और शिवसेना के नेताओं से मुलाकात हुई। शिवसेना ने तो खुलकर कह दिया कि कांग्रेस के बगैर बीजेपी के खिलाफ कोई भी विपक्षी गठबंधन बीजेपी को ही फायदा पहुंचाने वाला होगा। कहा जा रहा है कि विपक्ष को गोलबंद करने कोशिश में ममता बनर्जी अगर कांग्रेस के खिलाफ मोर्चा नहीं खोले हुए होतीं, तो शायद उन्हें समर्थन मिल सकता था।
महाराष्ट्र में ममता को क्यों नहीं मिला साथ
कांग्रेस के खिलाफ इन दिनों ममता बनर्जी ने जिस तरह से हल्ला बोल रखा है, उसमें एनसीपी और शिवसेना किसी भी तरह टीएमसी के साथ खड़ी होते नहीं दिखना चाहेंगी। वजह यह है कि महाराष्ट्र की गठबंधन सरकार चलाए रखने के लिए कांग्रेस का समर्थन हर हाल में चाहिए। कांग्रेस की समर्थन वापसी की स्थिति में सरकार नहीं चल सकती।
शिवसेना हो या एनसीपी, कांग्रेस के साथ रिश्ते खराब कर राज्य में चल रही गठबंधन सरकार के लिए कोई परेशानी नहीं खड़ी करना चाहेगी। दोनों को मालूम है कि उनके टीएमसी पाले में खड़े होने को कांग्रेस किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं करेगी।
टीएमसी का महाराष्ट्र में ऐसा कोई वजूद भी नहीं है जिसके लिए कांग्रेस से रिश्ते बिगाड़ने का जोखिम लिया जाए। खासकर तब जब लोकसभा चुनावों में दो साल से ज्यादा का समय बाकी हो और यह भी तय न हो कि अन्य राज्यों के क्षेत्रीय दलों से ममता को कितना समर्थन मिलेगा।
प्रचार से दूर रहेंगे त्रिवेंद्र!
उत्तराखंड में धामी सरकार ने पिछले दिनों देवस्थानम बोर्ड को भंग करने का फैसला लेकर भले ही मंदिरों पर सरकारी नियंत्रण की वजह से पुरोहितों में पनपे गुस्से को खत्म करने की कोशिश की हो, लेकिन चुनाव से ठीक पहले पार्टी के अंदर खींचतान बढ़ गई है। एक-एक कर अपनी सरकार के कई फैसले बदले जाने से पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत की नाराजगी स्वाभाविक है। राजनीतिक गलियारों में तो यह भी कहा जा रहा है कि जिस तरह से त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार के फैसले बदले गए हैं, उससे यह लगता है कि पार्टी के अंदर उनके लिए स्पेस खत्म हो गया है।
बीजेपी लीडरशिप राज्य में नए नेतृत्व के साथ ही आगे बढ़ना चाहती है। वैसे इस तरह की भी चर्चा सुनने को मिल रही है कि त्रिवेंद्र सिंह रावत ने खुद को बीजेपी के चुनाव प्रचार से अलग कर लिया है। वह अपने कई नजदीकी लोगों से यह कहते सुने गए हैं कि जब नई सरकार हमारे सारे फैसलों को गलत साबित करने पर ही तुली है तो हमारे पास चुनाव के दौरान जनता को अपनी उपलब्धियां बताने के लिए होगा ही क्या?
यह देखना दिलचस्प होगा कि चुनाव तक उनकी नाराजगी खत्म होती है या नहीं, लेकिन पिछले दिनों हरीश रावत के साथ हुई उनकी मुलाकात भी कई तरह की संभावनाओं के द्वार खोले हुए हैं। हालांकि दोनों तरफ से कहा जा चुका है कि उस मुलाकात का राजनीति से कोई लेना-देना नहीं हैं लेकिन ऐसी मुलाकातें अक्सर बड़े राजनीतिक उलटफेर का सबब बनती हैं। कांग्रेस सत्तारूढ़ बीजेपी के अंदर खेमेबाजी का पूरा फायदा उठाना चाहती है। उसके कई नेताओं के बयान भी आ चुके हैं कि चुनाव तक बीजेपी के कई नेता कांग्रेस में आ सकते हैं।
क्या हैं हार्दिक के विकल्प
गुजरात कांग्रेस अध्यक्ष बनने की रेस में हार्दिक पटेल भी शामिल थे, लेकिन ऐन वक्त पर उन्हें पिछड़ना पड़ा। सोनिया गांधी ने जगदीश ठाकोर को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद पर नियुक्ति दे दी। वैसे तो गांधी परिवार को हार्दिक पटेल के नाम पर कोई एतराज नहीं था। लेकिन कहा जाता है कि राज्य इकाई में हार्दिक पटेल के नाम पर एका नहीं बन पा रहा था और उनके खिलाफ विरोध के स्वर सुनाई पड़ रहे थे। हार्दिक पटेल की तुलना में जगदीश ठाकोर के नाम पर आम सहमति दिखी। कांग्रेस लीडरशिप को इस बात का डर सताने लगा था कि हार्दिक की नियुक्ति पर कहीं नया मोर्चा न खुल जाए।
पंजाब में पहले से ही झंझावात झेल रहे नेतृत्व को एक अन्य राज्य से नई मुश्किल स्वीकार्य नहीं थी। लेकिन जगदीश ठाकोर को अध्यक्ष बना देने से सब कुछ दुरुस्त रहेगा, यह कहना भी मुश्किल है। हार्दिक पटेल को लेकर कहा जा रहा है कि वह पार्टी के अंदर अपने आपको सहज नहीं पा रहे हैं। पार्टी के पुराने नेताओं के साथ उनकी कतई नहीं बन रही है। कई बार वह इसका इजहार भी कर चुके हैं। फिर भी वह इस उम्मीद में एडजस्ट करके चल रहे थे कि उन्हें प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया जा सकता है।
अब जब उनकी यह उम्मीद भी खत्म हो गई है तो वह हर तरह का फैसला लेने के लिए स्वतंत्र हैं। इसी वजह से कहा जा रहा है कि आने वाले दिनों में हार्दिक पटेल राज्य में कांग्रेस की राजनीति गरमा सकते हैं। जगदीश ठाकोर के अध्यक्ष बन जाने के बाद राज्य स्तर पर हार्दिक पटेल के पास करने को कुछ बचा नहीं है।
ब्राह्मण चेहरे की लड़ाई
यूपी के कानून मंत्री बृजेश पाठक इस वक्त इसलिए चर्चा में हैं कि राज्य में चल रही ‘ब्राह्मण फेस’ की लड़ाई में उनका मुकाबला कभी उनके ‘गुरु’ कहे जाने वाले बीएसपी के सतीश मिश्रा से हो रहा है। दरअसल 2007 के विधानसभा चुनाव के मद्देनजर जब बीएसपी ब्राह्मण-दलित गठजोड़ के जरिए नई सोशल इंजीनियरिंग की परिभाषा गढ़ रही थी, तो उसने युवा चेहरे के रूप में बृजेश पाठक को आगे किया था। बृजेश पाठक दो बार बीएसपी से सांसद हुए थे। ‘ब्राह्मण शंख बजाएगा, हाथी बढ़ता जाएगा’ वाला नारा भी उन्हीं का गढ़ा हुआ था। लेकिन 2017 के चुनाव के वक्त उन्होंने वाया अमित शाह बीजेपी का साथ पकड़ लिया।
लखनऊ से विधायक हुए और योगी सरकार में उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया गया। अब 2022 के चुनाव के लिए यूपी में ब्राह्मण फैक्टर खासा अहम हो गया है। बीएसपी के लिए सतीश मिश्र और उनके पूरे परिवार ने मोर्चा संभाल रखा है तो बृजेश पाठक के सामने ब्राह्मणों को बीजेपी के पाले में बनाए रखने की चुनौती है। बीएसपी के अब तक जिन-जिन जिलों में ब्राह्मण सम्मेलन आयोजित हो चुके हैं, बृजेश पाठक की सभाएं उन जिलों में लग रही हैं। यूपी के लोगों का अटल बिहारी वाजपेयी के साथ भावनात्मक लगाव है। इसके मद्देनजर उन्होंने अटल फाउंडेशन का भी गठन किया है। अब इसके जरिए भी अलग-अलग जगहों पर कार्यक्रम आयोजित हो रहे हैं।
सतीश मिश्र की पत्नी ब्राह्मण महिलाओं के सम्मेलन आयोजित कर रही हैं तो बृजेश पाठक की पत्नी भी महिला सम्मेलन शुरू करने जा रही हैं। बृजेश पाठक उन ब्राह्मण परिवारों से व्यक्तिगत रूप से मुलाकात का सिलसिला भी शुरू कर चुके हैं, जिनके उत्पीड़न का मुद्दा विपक्ष उठाए हुए है। इन तमाम कोशिशों का बीजेपी को चुनाव में कितना फायदा होता है यह तो वक्त ही बताएगा, लेकिन बृजेश पाठक खुद को राज्य में बड़े ब्राह्मण नेता के रूप में स्थापित करने का मौका अपने हाथ से जाने नहीं देना चाहते।
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