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This Dubai restaurant is using tech to stop seafood fraud

December 30, 2021

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Top 10 beaches in Goa

December 19, 2021

Best beaches of Goa
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GOAN CULTURE - Beautiful State Of Goa Has Its Own Magnetic Charm

December 19, 2021

Goan Culture
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Top 10 foods to try in Goa

December 19, 2021

Foods to try in Goa
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12 Festivals Of Goa That You Need To Witness Live Atleast Once

December 19, 2021

Festival in Goa
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10 interesting facts about Goa

December 19, 2021

Fact of Goa
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भाई-भतीजे के हत्यारे की फांसी की सजा उम्रकैद में बदली, SC बोला- सुधार की गुंजाइश https://ift.tt/3EKlIjK

December 10, 2021
नई दिल्ली फांसी की सजा पाए शख्स की सजा को उम्रकैद में तब्दील करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि मौजूदा मामले में यह नहीं कहा जा सकता है कि दोषी के सुधार और पुनर्वास की गुंजाइश नहीं है। ऐसे में हत्या के मुजरिम की फांसी की सजा उम्रकैद में तब्दील की जाती है। यह देखना जरूरी कि क्रिमिनल का दिमाग किस स्थिति में था सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह हमारी ड्यूटी है कि आरोपी के रिफॉर्म (सुधार) और पुनर्वास की संभावनाओं पर विचार किया जाए। न सिर्फ क्राइम बल्कि क्रिमिनल की स्थिति पर विचार करना हमारी ड्यूटी है। यह देखना जरूरी है कि क्रिमिनल का दिमाग किस स्थिति में था और उसका सामाजिक और आर्थिक कंडीशन क्या है। मृतक और आरोपी दोनों गांव की पृष्ठभूमि के थे। दोनों के बीच प्रॉपर्टी का विवाद था। याची ने अपने दो भाई और एक भतीजे की हत्या की थी। ऐसा नहीं कहा जा सकता कि आरोपी के सुधार की गुंजाइश नहीं सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि उसने नृशंस अपराध किया है। लेकिन राज्य सरकार ने यह नहीं बताया कि आरोपी के सुधार की गुंजाइश नहीं है। याची ने अपराध किया है लेकिन वह दुर्दांत अपराधी नहीं है। उसका यह पहला अपराध था। उसकी जेल से आई रिपोर्ट में कहा गया है कि उसका कंडक्ट ठीक है और ऐसा नहीं कहा जा सकता है कि उसके सुधार और पुनर्वास की गुंजाइश नहीं है। ऐसे में हम वैकल्पिक सजा देते हैं। हम इस मामले में फांसी की सजा को उम्रकैद में तब्दील करते हैं। चूंकि आरोपी ने अपने दो भाई और भतीजे की हत्या की है ऐसे में इस मामले में उम्रकैद की सजा 30 साल कैद की होगी। ट्रायल कोर्ट और हाई कोर्ट ने अपराध देखा अपराधी की स्थिति पर विचार नहीं किया मौजूदा मामला मध्य प्रदेश का है। भागचंद्र ने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के जबलपुर बेंच के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। ट्रायल कोर्ट ने हत्या मामले में भागचंद्र को फांसी की सजा दी थी और 19 दिसंबर 2017 को हाई कोर्ट ने फांसी की सजा को कंफर्म किया था जिसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट के सामने आया था। पेश मामले के मुताबिक मृतक देवकी प्रसाद की पत्नी ने बयान दिया कि 11 अक्टूबर 2015 को जब वह शौच से वापस आई तो देखा कि घर में तेज धारदार हथियार से उनके पति के भाई ठाकुर दास की हत्या कर दी गई है। बाद में उसने अपने बेटे अखिलेश का भी शव देखा। अंदेशा होने पर वह खेत की तरफ भागी तो वहां उसने देखा कि आरोपी भागचंद्र ने उसके पति देवकी दास पर गड़ासे से वार किया है और उनकी भी मौत हो गई। इस मामले में देवकी की पत्नी पुलिस की पहली गवाह बनी। प्रॉपर्टी विवाद के कारण इस हत्याकांड को अंजाम दिया गया था। ट्रायल कोर्ट और हाई कोर्ट से फांसी की सजा के बाद मामला सुप्रीम कोर्ट में आया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ट्रायल कोर्ट ने जिस दिन दोषी करार दिया उसी दिन उसे फांसी की सजा सुनाई और सजा पर बहस का पर्याप्त मौका नहीं मिला। ट्रायल कोर्ट और हाई कोर्ट ने सिर्फ अपराध को देखा लेकिन अपराधी के दिमागी स्थिति और आर्थिक और सामाजिक पहलू पर विचार नहीं किया।


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भाई-भतीजे के हत्यारे की फांसी की सजा उम्रकैद में बदली, SC बोला- सुधार की गुंजाइश https://ift.tt/3EKlIjK भाई-भतीजे के हत्यारे की फांसी की सजा उम्रकैद में बदली, SC बोला- सुधार की गुंजाइश
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महात्मा गांधी के ब्रह्मचर्य प्रयोग पर किताब में नया दावा, नहाते वक्त सुशीला की साड़ी ओढ़ लेते थे https://ift.tt/3rNHpvx

December 09, 2021
नयी दिल्ली महात्मा गांधी ने ब्रह्मचर्य (mahatma gandhi brahmacharya prayog) को लेकर तमाम तरह के प्रयोग किए और काम वासना के प्रति राग विराग का यह अंतर्द्वंद्व आजीवन चलता रहा। महात्मा के जीवन के इसी विवादास्पद पहलू की गहराई से पड़ताल करती एक नई किताब में दावा किया गया है कि महात्मा के ब्रह्मचर्य के पीछे बहुत से कारण रहे थे और ये कारण इतने मजबूत थे कि महात्मा का पूरा जीवन वासनाओं के खिलाफ संघर्ष में बीत गया। गांधी जी स्त्री के साथ नहाते थे, किताब में दावा किताब में एक स्थान पर जिक्र किया गया है कि साबरमती आश्रम में अपने निजी सचिव प्यारेलाल की आकर्षक बहन, सुशीला नायर, जो कि उनकी निजी चिकित्सक भी थीं, के साथ नग्न स्नान को लेकर आश्रम में कानाफूसियों का दौर शुरू हो गया। आश्रमवासियों का अरोप था कि महात्मा मर्यादाएं तोड़ रहे हैं। उनका एतराज इस बात पर था कि सुशीला उन्हें स्नान कराते वक्त खुद भी स्नान करती है और तब गांधी उनकी साड़ी ओढ़ लेते हैं। महात्मा गांधी को इस मामले में सफाई देनी पड़ी थी। हिंदी युग्म द्वारा प्रकाशित किताब 'अधनंगा फ़क़ीर' दयाशंकर शुल्क द्वारा लिखी तथा हिंदी युग्म द्वारा प्रकाशित किताब 'अधनंगा फ़क़ीर' में आश्रमवासी मुन्नालाल शाह के हवाले से सवाल उठाया गया है कि महात्मा स्त्री सेवा न लेने के अपने पूर्व के निश्चय से कैसे बदल गए? उनके उस प्रण का क्या हुआ जिसमें स्त्री स्पर्श के त्याग की बात थी? महात्मा ने इस पर शाह को जवाब दिया- ‘अपने किए हुए निश्चयों के विषय में मैं शिथिल नहीं हूं। मेरी ख्याति तो इससे विपरीत है। किंतु जहां मुझे स्वयं शंका हो वहां भूतकाल में किए गए निर्णय निश्चयात्मक नहीं माने जा सकते। यहां मैंने जो कुछ किया वह तो प्रयोग था। और प्रयोग में तो परिवर्तनों की गुंजाइश है ही।’ मनोवैज्ञानिकों ने इसे ‘रेशनेलाइजेशन’ कहा किताब में इस प्रयोग के मनोवैज्ञानिक पहलुओं पर भी प्रकाश डाला गया है। शुक्ल का निष्कर्ष है कि दरअसल महात्मा खुद को सही साबित करने के लिए ‘युक्तिकरण’ का सहारा लेते रहे। मनोवैज्ञानिकों ने इसे ‘रेशनेलाइजेशन’ कहा है। यह खुद को सही साबित करने का ऐसा ढंग है जिसमें व्यक्ति यह नहीं जानता कि अचेतन रूप से झूठे कारण और तर्क पेश कर रहा है। यह खुद को धोखा देने का ऐसा ढंग है जिसमें व्यक्ति खुद को नैतिक और प्रतिष्ठित समझने लगता है। वे नहीं जानते थे कि सुशीला कैसे स्नान करती हैं- किताब वह कहते हैं कि महात्मा अगर निर्विकार थे तो उन्हें सुशीला के स्नान करने के समय आंखें बंद करने की कोई जरूरत नहीं पड़नी चाहिए थी। आंखें बंद करना उनके अंदर के डर को दर्शाता है। किताब के अनुसार- गांधीजी का दावा था कि वे नहीं जानते थे कि सुशीला कैसे स्नान करती है । लेकिन आंखें बंद करके भी यह रोचक कल्पना की जा सकती है कि समीप कोई स्त्री कैसे स्नान कर रही है। महात्मा ने आवाज से अनुमान लगाया कि वह नहाते वक्त साबुन का इस्तेमाल करती थी। यानी बंद आंखों में भी महात्मा का सारा ध्यान सुशीला की स्नान प्रक्रिया की ओर लगा रहता। फिर आंखें बंद करके भी काम भावना का आनंद लिया जा सकता है। मनोवैज्ञानिकों ने ‘डिनायल ऑफ रिएलिटी’ कहा किताब के अनुसार, मनोवैज्ञानिक मानते हैं कि युक्तिकरण एक ऐसा आवरण है जिसे हम अपनी कमियों और बुराइयों के ऊपर डाल देते हैं जिससे हमें उनका सामना न करना पड़े। यह शतुरमुर्ग की तरह रेत में सिर धंसा लेने जैसा है। मनोवैज्ञानिक सेमॉडस युक्तिकरण को ‘खुद का खुद के लिए वेष बदलना मानते हैं।’ यह निःसंदेह खतरनाक स्थिति है। मनोरचना की एक स्थिति ‘वास्तविकता अस्वीकरण’ की होती है जिसे मनोवैज्ञानिकों ने ‘डिनायल ऑफ रिएलिटी’ कहा। ऐसे में मनुष्य अपनी विफलताओं को अस्वीकार करने में जरा भी हिचक नहीं दिखाता। गांधीजी के ये प्रयोग सभी के लिए हमेशा चौंकाने गांधी ने ब्रह्मचर्य व्रत लेने के बाद अपने समाचार पत्र ‘इंडियन ओपिनियन’ के पाठकों से कहा, 'यह हर विचारशील भारतीय का कर्तव्य है कि वह विवाह न करे। यदि विवाह के संबंध में वह असहाय है, तो वो अपनी पत्नी के साथ संभोग न करे।' सेक्स को लेकर इतने कट्टर विचार रखने वाले गांधीजी के ये प्रयोग सभी के लिए हमेशा चौंकाने वाले रहे। कस्तूरबा खुद नहीं करती थीं बापू पर विश्वास महिलाओं के साथ महात्मा के संबंधों को उनकी पत्नी कस्तूरबा गांधी की दृष्टि से भी किताब में समझने की कोशिश की गई है। किताब के दूसरे अध्याय ‘एक छोटी सी प्रेम कहानी’ में लिखा गया है, ‘ आश्रम में बापू किसी नई युवती को लाते तो कस्तूरबा खीज उठती। वह सब लड़कियों को संदेह की नज़र से देखती थी। उम्र के इस पड़ाव पर भी वह गाँधी पर विश्वास नहीं कर पाई थी। हालांकि इसका कारण बापू ख़ुद थे।’ उतार-चढ़ाव के बावजूद पति-पत्नी में खूब झगड़े होते थे- किताब पति पत्नी के रूप में बापू और बा के संबंधों पर भी किताब कुछ महत्वपूर्ण आयामों से पाठक का परिचय कराती है। इसी अध्याय में कहा गया है कि मिलन और वियोग के तमाम उतार-चढ़ाव के बावजूद पति-पत्नी में खूब झगड़े होते थे। पति पर संकट के समय भारतीय नारी होने के कारण कस्तूरबा भले ‘देवदूत’ बन जाती हों लेकिन सामान्यतः दोनों एक-दूसरे को फूटी आँख नहीं सुहाते थे। महात्मा के जीवन में उनकी जगह सरला देवी चौधरानी ने ले ली एक समय दोनों के जीवन में ऐसा भी आया , जब बात केवल ‘सत्याग्रह’ आश्रम तक सिमट कर रह गईं और महात्मा के जीवन में उनकी जगह सरला देवी चौधरानी ने ले ली। अपने करीबी मित्र और जर्मन वास्तुकार हरमन कैलेन बैक को लिखे एक पत्र में महात्मा गांधी ने कहा था, ‘मैं उसे अपनी आध्यात्मिक पत्नी कहता हूं। एक मित्र ने हमारे संबंधों को ‘बौद्धिक विवाह’ कहा है। महात्मा गांधी के जीवन में काम और ब्रह्मचर्यलेकिन उनके क़रीबी दोस्त सी. राजगोपालाचारी ने तो सरला देवी और कस्तूरबा की तुलना ‘केरोसिन लैम्प और सुबह के सूरज’ से करते हुए महात्मा को लिखे पत्र में कहा - ‘आपने सबसे भयानक भ्रम को जन्म दिया है।’ सीआर ने आगे लिखा- ‘इस आध्यात्मिक प्रेम में अभी तक शरीर है, मसीह नहीं हैं।’ महात्मा गांधी के जीवन में काम और ब्रह्मचर्य को गहराई से पेश करती किताब ‘ अधनंगा फकीर’ उस व्यक्ति के जीवन के ऐसे विवादास्पद पहलू को समझने की दृष्टि प्रदान करती है जिसे महान फ्रांसीसी लेखक रोमां रोलां ने ‘दूसरा ईसा ’ कहा था।


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महात्मा गांधी के ब्रह्मचर्य प्रयोग पर किताब में नया दावा, नहाते वक्त सुशीला की साड़ी ओढ़ लेते थे https://ift.tt/3rNHpvx महात्मा गांधी के ब्रह्मचर्य प्रयोग पर किताब में नया दावा, नहाते वक्त सुशीला की साड़ी ओढ़ लेते थे
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अपने वीर जवानों को तिरंगे के कफन में लिपटा देख फूट-फूटकर रोए लोग, बहते आंसुओं के साथ लगे वंदे मातरम-जय हिंद के नारे https://ift.tt/3lQxKk3

December 09, 2021
नई दिल्ली मरते हैं इंसान मगर वीर कभी मरते नहीं...हां सच है उनकी गौरवगाथा हमेशा गूंजती हैं। हमेशा उनकी बहादुरी के किस्से सुनाए जाते हैं। उनके शौर्य की दास्तां दशकों-दशकों हमारे बीच में होती हैं। वो कभी नहीं बदलतीं। पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान और चीन को मुंहतोड़ जवाब देने वाले जनरल बिपिन रावत एक ऐसे ही वीर थे, एक ऐसे ही योद्धा थे। उम्र भी जिसके आगे घुटने टेक गई। कई बार मौत को भी मात दे दी। हेलिकॉप्टर क्रैश के बाद भी ये वीर सांसें ले रहा था और हिंदी में अपना नाम बता रहा था। आज पूरा देश इनको सलाम कर रहा है। साथ ही उन 11 शहीदों को सलाम कर रहा है जिन्होंने इस क्रैश में अपनी जान गंवा दी। लोगों ने अपने वीरों को किया सलामहेलिकॉप्टर दुर्घटना में जान गंवाने वाले सीडीएस बिपिन रावत सहित 13 लोगों के पार्थिव शरीर जैसे ही गुरुवार को सुलूर वायु सेना स्टेशन पहुंचे, लोगों ने ‘वंदे मातरम्’, ‘भारत माता की जय’ और ‘जय हिंद’ के नारे लगाना शुरू कर दिए। भारत के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत, उनकी पत्नी और 11 अन्य अधिकारियों का बुधवार को हुई हेलीकॉप्टर दुर्घटना में निधन हो गया था। महिलाओं के निकले आंसूसुलूर वायुसेना स्टेशन परिसर में दिवंगत जवानों को श्रद्धांजलि देने पहुंची आसपास के गांवों की महिलाएं भावुक नजर आईं। उन्होंने सीडीएस, उनकी पत्नी और अन्य सैन्य कर्मियों के सम्मान में ‘भारत माता की जय’ और ‘जय हिंद’ के नारे लगाए। जब शव सुलूर वायुसेना स्टेशन पहुंचे तो वहां मौजूद कुछ लोगों ने वंदे मातरम् के नारे भी लगाए। सुलूर में रहने वाले और एक निजी फर्म में काम करने वाले केरल के पुरुषोत्तम पिल्लई ने कहा, ‘‘यह वास्तव में दुखद क्षण था। जनरल बिपिन रावत एक ऐसे अधिकारी थे, जो भारतीय सेना का चेहरा थे और हमारे दुश्मन राष्ट्रों के खिलाफ मजबूत राय रखते थे। दिवंगत सैनिकों को श्रद्धांजलिआप देख सकते हैं बड़ी संख्या में लोग दिवंगत सैनिकों को श्रद्धांजलि दे रहे हैं।’ सशस्त्र बलों के जवानों ने भी सुलूर हवाई अड्डे पर दिवंगत लोगों को श्रद्धांजलि दी। सशस्त्र बलों के अनुसार, शवों को उनके रिश्तेदारों को सौंपे जाने से पहले नई दिल्ली में डीएनए परीक्षण किया जाएगा। सभी शवों को नई दिल्ली लाया जाएगा और डीएनए परीक्षण और पहचान के बाद उन्हें उनके परिजनों को सौंप दिया जाएगा। अपने नायक को श्रद्धांजलि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह और अन्य मंत्री, नौकरशाह और सशस्त्र बल के जवान गुरुवार शाम नई दिल्ली के पालम हवाई स्टेशन के तकनीकी क्षेत्र में शवों की अगवानी करेंगे। जनरल बिपिन रावत और उनकी पत्नी मधुलिका रावत के पार्थिव शरीर को उनके सरकारी आवास कामराज मार्ग, नई दिल्ली में शुक्रवार को दोपहर 12 बजे से दोपहर 2 बजे तक आम जनता के अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा। शुक्रवार शाम लोधी श्मशान घाट में उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।


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अपने वीर जवानों को तिरंगे के कफन में लिपटा देख फूट-फूटकर रोए लोग, बहते आंसुओं के साथ लगे वंदे मातरम-जय हिंद के नारे https://ift.tt/3lQxKk3 अपने वीर जवानों को तिरंगे के कफन में लिपटा देख फूट-फूटकर रोए लोग, बहते आंसुओं के साथ लगे वंदे मातरम-जय हिंद के नारे
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चुनाव हो या पटना का पार्टी दफ्तर लालू हर जगह मौजूद, तेजस्वी यादव की शादी से क्यों थे नाराज? https://ift.tt/3EERvSZ

December 09, 2021
पटनाबिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और राष्ट्रीय जनता दल प्रमुख लालू प्रसाद के छोटे बेटे तेजस्वी प्रसाद यादव की शादी हो गई। तेजस्वी और उनकी दुल्हनिया की तस्वीर भी सामने आई। इसमें तेजस्वी ने गहरे रंग की शेरवानी पहन रखी है, जबकि उनकी दुल्हनिया ने गोल्डेन बॉर्डर वाला सुर्ख लाल जोड़ा पहन रखा है। मगर कहा जा रहा है कि इस शादी को लेकर पहले लालू यादव तैयार नहीं थे।

साल खत्म होते-होते आखिरकार बिहार के मोस्ट एलिजिबल बैचलर शादी के बंधन में बंध गए। तेजस्वी की शादी एलेक्सिस रसेल से हो गई। तस्वीरों में दोनों ही मंद-मंद मुस्कुरा रहे हैं। दोनों एक दूसरे को छह साल से जानते हैं।


Tejashwi Yadav Marriage : चुनाव हो या पटना का पार्टी दफ्तर लालू हर जगह मौजूद, तेजस्वी यादव की शादी से क्यों थे नाराज?

पटना

बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और राष्ट्रीय जनता दल प्रमुख लालू प्रसाद के छोटे बेटे तेजस्वी प्रसाद यादव की शादी हो गई। तेजस्वी और उनकी दुल्हनिया की तस्वीर भी सामने आई। इसमें तेजस्वी ने गहरे रंग की शेरवानी पहन रखी है, जबकि उनकी दुल्हनिया ने गोल्डेन बॉर्डर वाला सुर्ख लाल जोड़ा पहन रखा है। मगर कहा जा रहा है कि इस शादी को लेकर पहले लालू यादव तैयार नहीं थे।



तेजस्वी की नई पारी की शुरुआत
तेजस्वी की नई पारी की शुरुआत

बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव की नई पारी की शुरुआत है। सुनहरे रंग के जोड़े में अपनी जीवन संगिनी के साथ तेजस्वी खिल रहे थे। बिना ताम-झाम के निहायत ही निजी कार्यक्रम में तेजस्वी और उनकी पुरानी दोस्त एलेक्सिस रसेल हाथों में हाथ डाले थे। दिल्ली स्थित मीसा भारती के फार्म हाउस में शादी हुई। इसमें परिवार के काफी नजदीकी लोग शामिल हुए।



एलेक्सिस रसेल से तेजस्वी की शादी
एलेक्सिस रसेल से तेजस्वी की शादी

वैसे इसकी तैयारी काफी दिनों से की जा रही थी मगर मीडिया को इसकी भनक दो दिन पहले मिली। इसके बाद सगाई और शादी को लेकर अनुमान लगाया जाने लगे। सबसे ज्यादा लड़की के नाम-पता को लेकर सस्पेंस था। मगर जैसे ही सगाई की तस्वीरें सामने आई, तेजस्वी की दुल्हनियां के बारे में लोगों को जानकारी मिली।



दिल्ली की रहनेवाली हैं एलेक्सिस रसेल
दिल्ली की रहनेवाली हैं एलेक्सिस रसेल

तेजस्वी की दुल्हनिया एलेक्सिस रसेल के बारे में जो जानकारी सामने आई उसके मुताबिक वो पहले बतौर एयर होस्टेस काम करती थीं। वो दिल्ली के वसंत विहार कॉलोनी में रहती हैं और उनके पिता चंडीगढ़ के एक स्कूल में प्रिंसिपल रह चुके हैं। सगाई से पहले एलेक्सिस और तेजस्वी के बीच लगातार मिलना जुलना रहा। तेजस्वी और एलेक्सिस की दोस्ती के 6 साल हो चुके हैं। उसके बाद दोनों ने शादी का फैसला लिया।



शादी के लिए तैयार नहीं थे लालू यादव
शादी के लिए तैयार नहीं थे लालू यादव

कहा जाता है तेजस्वी की शादी के फैसले से लालू यादव खुश नहीं थे क्यों कि एलेक्सिस का परिवार ईसाई धर्म को मानता है। लालू यादव को इस रिश्ते से ऐतराज था। परिवार के बहुत से सदस्य भी तेजस्वी के इस फैसले के साथ नहीं थे। मगर लंबी बातचीत के बाद लालू और परिवार को तेजस्वी की जिद के आगे झुकना पड़ा। अब परिवार नए सदस्य को स्वागत करने के लिए तैयार है। माना जा रहा है कि लालू के झुकने की बड़ी वजह ये है कि वे तेजस्वी को अपना राजनीतिक वारिस बता चुके हैं। उनको अच्छी तरह पता है कि आरजेडी को तेजस्वी ही ठीक तरह संभाल सकते हैं।



लालू परिवार में रसेल का स्वागत
लालू परिवार में रसेल का स्वागत

बिहार में विपक्ष के नेता और राघोपुर सीट से विधायक तेजस्वी यादव साल 2015 से 2017 तक उपमुख्यमंत्री रहे हैं। लालू की गैरमौजूदगी में तेजस्वी ने ही पार्टी को संभाला। यही कारण है कि उन्हें लालू का राजनीतिक वारिस भी माना जाता है। इधर, साल 2018 में तेजस्वी के बड़े भाई तेज प्रताप की शादी भी एक राजनीतिक परिवार में हुई थी लेकिन कुछ महीने बाद ही उनका और उनकी पत्नी एश्वर्या राय में खटपट शुरू हो गई। तलाक तक बात पहुंच चुकी है। मगर लालू परिवार तमाम दुश्वारियों को पीछे छोड़ते हुए नए मेहमान एलेक्सिस रसेल की स्वागत में जुटा है।





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चुनाव हो या पटना का पार्टी दफ्तर लालू हर जगह मौजूद, तेजस्वी यादव की शादी से क्यों थे नाराज? https://ift.tt/3EERvSZ चुनाव हो या पटना का पार्टी दफ्तर लालू हर जगह मौजूद, तेजस्वी यादव की शादी से क्यों थे नाराज?
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फर्जी मार्कशीट पर BSc में एडमिशन... बीजेपी विधायक की विधानसभा सदस्‍यता समाप्‍त, अधिसूचना जारी https://ift.tt/3pJGUzV

December 09, 2021
साक्षी श्रीवास्तव, अयोध्या गोसाईगंज से बीजेपी विधायक इंद्र प्रताप तिवारी उर्फ की विधायिकी चली गई है। खब्बू तिवारी के खिलाफ एक अपराधिक मामले में कोर्ट की ओर से पांच साल की सजा सुनाई गई। इस आदेश के आधार पर जनप्रतिनिधित्व कानून के तहत उनकी विधानसभा सदस्यता समाप्त करने की अधिसूचना जारी कर दी गई है। सजा सुनाए जाने के दिन से ही उनकी विधानसभा सदस्यता समाप्त किए जाने का आदेश जारी किया गया है। पूर्व विधायक खब्बू तिवारी पर फर्जी मार्कशीट के जरिए दूसरी कक्षा में दाखिला लेने का आरोप लगा था। यह मामला वर्ष 1992 का है। करीब 29 साल बाद इस मामले पर कोर्ट ने 18 अक्टूबर 2021 को सजा सुनाई। फर्जी मार्कशीट के जरिए दूसरी कक्षा में एडमिशन लिए जाने के मामले में उनके खिलाफ पांच साल की सजा सुनाई गई है। इस सजा के आधार पर उनकी विधानसभा की सदस्यता समाप्त हो गई है। इस मामले में खब्बू तिवारी के साथ-साथ तीन अन्य लोगों को सजा सुनाई गई है। साकेत महाविद्यालय के प्राचार्य ने दर्ज कराया था मामला साकेत महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफेसर यदुवंश राम त्रिपाठी ने पूर्व विधायक खब्बू तिवारी के खिलाफ मामला दर्ज कराया था। दर्ज कराई गई रिपोर्ट में आरोप लगा था कि इंद्र प्रताप तिवारी उर्फ खब्बू ने वर्ष 1990 में बीएससी प्रथम वर्ष की मार्कशीट में हेराफेरी करके बीएससी द्वितीय वर्ष में प्रवेश लिया। फूलचंद यादव (पूर्व अध्यक्ष, साकेत महाविद्यालय) ने वर्ष 1986 में बीएससी प्रथम वर्ष की मार्कशीट में फर्जी तरीके से बीएससी द्वितीय वर्ष में प्रवेश लिया। वहीं, कृपा निधान तिवारी (संरक्षक, चाणक्य परिषद) ने 1989 में बीए तृतीय साल की मार्कशीट में फर्जी तरीके से बदलाव करके एलएलबी में प्रवेश लिया था। कोर्ट ने इन तीनों मामलों पर सुनवाई के बाद सजा सुनाई। एमपी-एमएलए कोर्ट ने भी दी है सजा पूर्व विधायक के खिलाफ एमपी-एमएलए कोर्ट ने भी पांच साल की सजा सुनाई है। हालांकि, उन्होंने इस मामले में हाईकोर्ट में अपील की है। लेकिन, फर्जी सर्टिफिकेट मामले में दोषी पाए जाने और सजा के ऐलान के बाद विधायिकी जाने के मामले ने उनकी मुश्किलें बढ़ा दी हैं। एमपी-एमएलए कोर्ट की सजा के खिलाफ और जमानत के लिए खब्बू तिवारी ने हाई कोर्ट में अपील की है। हाई कोर्ट में बहस पूरी होने के बाद कोर्ट ने अपना फैसला 13 दिसंबर के लिए सुरक्षित रख लिया है। पूर्व विधायक और समर्थक हुए मायूस विधायिकी जाने की खबर ने खब्बू तिवारी और उनके समर्थकों को मायूस कर दिया है। खब्बू तिवारी बीजेपी से वर्ष 2017 में विधनसभा चुनाव जीते थे। इससे पहले वे समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर भी चुनाव लड़ चुके हैं। पूर्व विधायक के खिलाफ अब तक सात आपराधिक मामले दर्ज हो चुके हैं। उन्हें हत्या और धोखाधड़ी के मामले में गिरफ्तार किया गया जा चुका है।


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फर्जी मार्कशीट पर BSc में एडमिशन... बीजेपी विधायक की विधानसभा सदस्‍यता समाप्‍त, अधिसूचना जारी https://ift.tt/3pJGUzV फर्जी मार्कशीट पर BSc में एडमिशन... बीजेपी विधायक की विधानसभा सदस्‍यता समाप्‍त, अधिसूचना जारी
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378 दिन बाद किसान आंदोलन खत्म, बॉर्डर से उखड़ने लगे तंबू, लौटेंगे आंदोलनकारी https://ift.tt/31KhaeL

December 09, 2021
नई दिल्ली कृषि कानूनों की वापसी के बाद किसानों की बाकी मांगों पर भी सरकार की तरफ से पुख्ता भरोसा मिलने के बाद हो गया है। संयुक्त किसान मोर्चा ने किसान आंदोलन को सस्पेंड करने का ऐलान कर दिया है। 11 दिसंबर से किसान अपने घरों को लौटने शुरू हो जाएंगे। दिल्ली की सीमाओं पर पिछले एक साल से ज्यादा वक्त से किसान आंदोलन कर रहे थे। संयुक्त किसान मोर्चा ने साफ किया है कि आंदोलन सस्पेंड हो रहा है, हर महीने स्थिति की समीक्षा होगी। 15 जनवरी को समीक्षा बैठक होगी। संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक के बाद किसान नेताओं ने जो प्रेस कॉन्फ्रेंस की, उसमें बहुत ही जोर देकर और कई बार कहा कि आंदोलन सस्पेंड हो रहा है, स्थगित हो रहा है। उन्होंने साफ किया कि अगर सरकार अपने वादों से पीछे हटेगी तो किसान फिर सड़कों पर उतरेंगे। किसान नेताओं ने तंजिया लहजे में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 'काले कानून' लाने के लिए धन्यवाद क्योंकि इससे किसानों में जागरूकता और अभूतपूर्व एकता पैदा हुई। एमसपी पर कमिटी बनाने और आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज हुए केस को वापस लेने को लेकर केंद्र सरकार की तरफ से लिखित आश्वासन के बाद किसानों में आंदोलन खत्म करने पर सहमति बनी। आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों के परिवारों को मुआवजे के मसले पर यूपी और हरियाणा की सरकारों ने सैद्धांतिक सहमति दे दी है। केंद्र की तरफ से भेजे गए प्रस्ताव पर गुरुवार सिंघु बॉर्डर पर संयुक्त किसान मोर्चा ने बैठक की। बैठक में इस बात पर सहमति बन गई कि आंदोलन खत्म किया जाएगा। संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक शुरू होने से पहले ही आंदोलन स्थलों से किसानों ने अपने टेंट हटाने शुरू कर दिए थे। किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा कि किसान 11 दिसंबर को विजय जुलूस के साथ अपने-अपने घरों को लौटना शुरू करेंगे। दर्शनपाल सिंह ने भी कहा कि किसान 11 दिसंबर को सड़कें खाली कर देंगे। किसानों की मांगें माने जाने को किसान संगठनों ने आंदोलन की बड़ी जीत करार दिया है। हालांकि, आज संयुक्त किसान मोर्चा ने जीत का जश्न नहीं मनाने का फैसला किया है। उनका कहना है कि पूरा देश सीडीएस जनरल बिपिन रावत के असामयिक निधन से गमगीन है, लिहाजा किसान जश्न नहीं मनाएंगे। 11 दिसंबर से आंदोलनकारी किसान अपने-अपने घरों को लौटना शुरू कर देंगे। 13 दिसंबर को किसान अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में मत्था टेकने जाएंगे। 15 जनवरी को संयुक्त किसान मोर्चा समीक्षा बैठक करेगा। मोर्चा के नेताओं ने कहा कि यह किसान आंदोलन आजादी के बाद भारत का सबसे शांतिपूर्ण और बड़ा आंदोलन रहा। किसान नेता शिव कुमार कक्का ने कहा कि यह किसानों की ऐतिहासिक जीत है। साथ ही हम उन लोगों से माफी मांगते हैं जिन्हें प्रदर्शन के कारण परेशानी का सामना करना पड़ा। भारतीय किसान यूनियन नेता राकेश टिकैत ने कहा कि 15 दिसंबर तक किसान आंदोलन स्थलों को पूरी तरह खाली कर देंगे।


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378 दिन बाद किसान आंदोलन खत्म, बॉर्डर से उखड़ने लगे तंबू, लौटेंगे आंदोलनकारी https://ift.tt/31KhaeL 378 दिन बाद किसान आंदोलन खत्म, बॉर्डर से उखड़ने लगे तंबू, लौटेंगे आंदोलनकारी
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नीलगिरी के जंगल का पूरा नक्शा देखिए, CDS का चॉपर कैसे हुआ क्रैश, उन मनहूस लम्हों की पूरी कहानी https://ift.tt/3Dy22hL

December 09, 2021
सीडीएस जनरल बिपिन रावत को बुधवार को तमिलनाडु के वेलिंगटन स्थित डिफेंस सर्विस स्टाफ कॉलेज जाना था। वह सबसे पहले दिल्ली से सुलुर पहुंचे। वहां से हेलिकॉप्टर से रवाना हुए। लेकिन तब कहां पता था कि यह भारतीय इतिहास के कुछ सबसे मनहूस दिनों में से एक होने वाला है। यह जनरल की आखिरी उड़ान साबित होने वाली है।

सीडीएस जनरल बिपिन रावत, उनकी पत्नी और 11 अन्य की हेलिकॉप्टर हादसे में मौत से पूरा देश सन्न है। सदमे में है। मंजिल से महज 10-15 किलोमीटर पहले उनका MI-17V हेलिकॉप्टर हादसे का शिकार हो गया।


नीलगिरी के जंगल का पूरा नक्शा देखिए, CDS रावत का चॉपर कैसे हुआ क्रैश, उन मनहूस लम्हों की पूरी कहानी

सीडीएस जनरल बिपिन रावत को बुधवार को तमिलनाडु के वेलिंगटन स्थित डिफेंस सर्विस स्टाफ कॉलेज जाना था। वह सबसे पहले दिल्ली से सुलुर पहुंचे। वहां से हेलिकॉप्टर से रवाना हुए। लेकिन तब कहां पता था कि यह भारतीय इतिहास के कुछ सबसे मनहूस दिनों में से एक होने वाला है। यह जनरल की आखिरी उड़ान साबित होने वाली है।



सुबह दिल्ली से सुलुर के लिए भरी उड़ान
सुबह दिल्ली से सुलुर के लिए भरी उड़ान

बुधवार, सुबह 8:47 का वक्त। जनरल बिपिन रावत, उनकी पत्नी और दूसरे अफसरों को लेकर इंडियन एयर फोर्स का एमब्रेयर एयरक्राफ्ट दिल्ली के पालम एयरपोर्ट से तमिलनाडु के सुलुर के लिए उड़ान भरता है।



11:34 am : सुलुर में एयरक्राफ्ट की लैंडिंग
11:34 am : सुलुर में एयरक्राफ्ट की लैंडिंग

दिल्ली से उड़ान भरने के करीब पौने 3 घंटे बाद 11 बजकर 34 मिनट पर सीडीएस रावत का विमान कोयंबटूर के नजदीक सुलुर एयरबेस पर लैंड करता है।



MI-17 हेलिकॉप्टर से वेलिंगटन के लिए हुए रवाना
MI-17 हेलिकॉप्टर से वेलिंगटन के लिए हुए रवाना

सुलुर एयरबेस पर उतरने के बाद 11:47 am पर सीडीएस रावत, उनकी पत्नी और अन्य अफसरों समेत कुल 14 लोगों के साथ इंडियन एयर फोर्स का एक MI-17v5 हेलिकॉप्टर वेलिंगटन के लिए उड़ान भरता है। उड़ान से पहले तय प्रोटोकॉल के तहत हेलिकॉप्टर की पूरी सुरक्षा जांच भी हुई थी। उसे MI-17 के सबसे बेहतरीन पायलटों में से एक ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह उड़ा रहे थे। सुलुर से वेलिंगटन डिफेंस कॉलेज की हवाई दूरी महज 60 किलोमीटर है।



मंजिल से चंद मिनट पहले ATC से संपर्क टूटा
मंजिल से चंद मिनट पहले ATC से संपर्क टूटा

सुलुर से उड़ान भरने के 35 मिनट बाद दोपहर करीब 12 बजकर 22 मिनट पर एयर ट्रैफिक कंट्रोलर (ATC) का हेलिकॉप्टर से संपर्क टूट जाता है।



...और आग का गोला बन गया हेलिकॉप्टर
...और आग का गोला बन गया हेलिकॉप्टर

सीडीएस रावत को ले जा हेलिकॉप्टर मंजिल के काफी करीब था। जब ATC से हेलकॉप्टर का संपर्क टूटा तब वह वेलिंगटन डिफेंस कॉलेज से 20 से भी कम किलोमीटर दूर था। कुन्नूर के नजदीक खट्टेरी में हेलिकॉप्टर हादसे का शिकार हो गया। चश्मदीदों के मुताबिक, हेलिकॉप्टर तेजी से एक पेड़ से टकराया और देखते ही देखते आग के गोले में तब्दील हो गया। इस हादसे ने देश के पहले सीडीएस जनरल रावत, उनकी पत्नी और 11 अधिकारियों को छीन लिया। ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह का इलाज चल रहा है। उनकी हालत अभी भी नाजुक है।





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नीलगिरी के जंगल का पूरा नक्शा देखिए, CDS का चॉपर कैसे हुआ क्रैश, उन मनहूस लम्हों की पूरी कहानी https://ift.tt/3Dy22hL नीलगिरी के जंगल का पूरा नक्शा देखिए, CDS का चॉपर कैसे हुआ क्रैश, उन मनहूस लम्हों की पूरी कहानी
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वकीलों के फर्जी क्लेम मामले में सुप्रीम कोर्ट सख्त, कहा- ये बर्दाश्त के काबिल नहीं https://ift.tt/31GhBGM

December 09, 2021
नई दिल्ली सुप्रीम कोर्ट ने यूपी में कुछ वकीलों के मोटर एक्सिडेंट के फर्जी क्लेम मामले में सख्त नाराजगी जताई है और कहा है कि मामले में हर एंगल से जांच की जाए। अदालत ने कहा कि वकीलों ने फेक क्लेम के लिए जो अर्जी दाखिल की है वह बेहद परेशानी वाली बात है और उसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एमआर शाह की अगुवाई वाली बेंच ने यूपी स्टेट बार काउंसिल की इस बात लेकर खिंचाई की है कि वह अपने वकीलों को बचाने की कोशिश कर रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यूपी स्टेट बार काउंसिंल के रवैये से लगता है कि जैसे वह अपने वकीलों को बचा रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह गंभीर मामला है। हजारों करोड़ के फेक क्लेम का मामला है जो अदालतों में सालों से पेंडिंग है। लगता है कि आप गंभीर नहीं हैं। आपको एक्शन लेना चाहिए। मुझे लगता है कि आप (स्टेट बार काउंसिल) अपने वकीलों को बचा रहे है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हजारों करोड़ के क्लेम का मामला है। फेक क्लेम का केस है और ऐसे में पुलिस हर एंगल से जांच करे। साथ ही इंश्योरेंस कंपनी से सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वह जांंच में सहयोग करें। अगली सुनवाई 14 दिसंबर को होगी।


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वकीलों के फर्जी क्लेम मामले में सुप्रीम कोर्ट सख्त, कहा- ये बर्दाश्त के काबिल नहीं https://ift.tt/31GhBGM वकीलों के फर्जी क्लेम मामले में सुप्रीम कोर्ट सख्त, कहा- ये बर्दाश्त के काबिल नहीं
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केंद्र के नए प्रस्ताव पर किसान मोर्चा में सहमति, जल्द खत्म हो सकता है आंदोलन https://ift.tt/3IyQfn2

December 08, 2021
नई दिल्ली एक साल से दिल्ली की सीमाओं पर चल रहा किसान आंदोलन जल्द समाप्त हो सकता है। संयुक्त किसान मोर्चा ने बुधवार को इसके संकेत दिए हैं। मोर्चा की ओर से कहा गया कि उनकी लंबित मांगों पर केंद्र के प्रस्ताव के ताजा मसौदे पर आम सहमति बन गई है और आंदोलन के लिए भविष्य की रणनीति तय करने को लेकर बृहस्पतिवार को बैठक होनी है। हालांकि संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) के नेता सरकार से 'लेटरहेड' पर औपचारिक संवाद की मांग कर रहे हैं। किसान नेता और एसकेएम कोर समिति के सदस्य गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि लंबित मांगों के संबंध में केंद्र सरकार की ओर से पहले प्राप्त हुआ प्रस्ताव का मसौदा स्वीकार करने योग्य नहीं था, जिसके बाद केंद्र ने बुधवार को नए सिरे से प्रस्ताव का मसौदा भेजा है। एसकेएम कोर समिति की बैठक के बाद संवाददाता सम्मेलन में चढूनी ने कहा, ‘अपनी मांगों को लेकर हम सरकार से सहमत हैं। कल की बैठक के बाद हम आंदोलन को स्थगित करने पर फैसला लेंगे। आंदोलन वापस लेने के संबंध में अभी तक कोई फैसला नहीं लिया गया है। एसकेएम की कल (बृहस्पतिवार) दोपहर 12 बजे और एक बैठक होगी।’ किसान आंदोलन का नेतृत्व कर रहे एसकेएम ने एक बयान में कहा कि किसानों की मांग के संबंध में केन्द्र सरकार के मसौदे पर आमसहमति बन गई है। एसकेएम ने एक बयान में कहा, ‘सरकार के ताजा प्रस्ताव पर आम सहमति बन गई है। अब सरकार के लेटरहेड पर औपचारिक संवाद का इंतजार है। एसकेएम की कल दोपहर 12 बजे फिर से सिंघू बॉर्डर पर बैठक होगी, उसके बाद मोर्चा उठाने के संबंध में औपचारिक फैसला लिया जाएगा।’


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केंद्र के नए प्रस्ताव पर किसान मोर्चा में सहमति, जल्द खत्म हो सकता है आंदोलन https://ift.tt/3IyQfn2 केंद्र के नए प्रस्ताव पर किसान मोर्चा में सहमति, जल्द खत्म हो सकता है आंदोलन
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'देश ने अपने एक बहादुर सपूत को खो दिया', राष्ट्रपति कोविंद, पीएम मोदी ने जनरल बिपिन रावत की मौत पर जताया दुख https://ift.tt/3IzIo8z

December 08, 2021
नई दिल्ली राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने प्रमुख रक्षा अध्यक्ष , उनकी पत्नी और 11 अन्य लोगों की हेलीकॉप्टर दुर्घटना में मौत पर गहरा शोक व्यक्त किया और कहा कि देश ने अपने एक ‘बहादुर सपूत’ को खो दिया। राष्ट्रपति कोविंद ने अपने ट्वीट में शोक प्रकट करते हुए कहा, "मैं जनरल बिपिन रावत, उनकी पत्नी मधुलिका जी की असमय मौत पर स्तब्ध और क्षुब्ध हूं। देश ने अपने एक बहादुर सपूत को खो दिया । मातृभूमि के प्रति चार दशकों की नि:स्वार्थ सेवा उनके अद्वितीय शौर्य एवं बहादुरी से परिपूर्ण रही।" उन्होंने कहा, "उनके परिवार के प्रति मेरी संवदेनाएं।" राष्ट्रपति ने कहा कि हेलीकॉप्टर दुर्घटना में जान गंवाने वाले अन्य लोगों की सूचना उनके लिये काफी दुखद है। उन्होंने कहा, "अपने कर्तव्य का निर्वहन करते हुए जान गंवाने वालों को श्रद्धांजलि देने में मैं नगरिकों के साथ शामिल हूं। पीड़ित परिवारों के प्रति मेरी संवेदनाएं।" पीएम मोदी ने जनरल बिपिन रावत उत्कृष्ट सैनिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनरल बिपिन रावत की मौत पर ट्वीट कर शोक प्रकट किया। पीएम मोदी ने जनरल बिपिन रावत को एक उत्कृष्ट सैनिक बताते हुए कहा कि वह एक सच्चे देशभक्त थे। उन्होंने हमारे सशस्त्र बलों और सुरक्षा तंत्र के आधुनिकीकरण में बहुत योगदान दिया। सामरिक मामलों पर उनकी अंतर्दृष्टि और दृष्टिकोण असाधारण थे। उनके निधन से मुझे गहरा दुख पहुंचा है। पीएम मोदी ने अपने शोक संदेश में कहा कि भारत के पहले सीडीएस के रूप में, जनरल रावत ने रक्षा सुधारों सहित हमारे सशस्त्र बलों से संबंधित विविध पहलुओं पर काम किया। वह अपने साथ सेना में सेवा करने का एक समृद्ध अनुभव लेकर आए। भारत उनकी असाधारण सेवा को कभी नहीं भूलेगा। राहुल गांधी ने जताया दुख, कहा- इस दुख की घड़ी में भारत एक साथ खड़ा है कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी ट्वीट कर जनरल बिपिन रावत के निधन पर शोक प्रकट किया। राहुल गांधी ने ट्वीट करते हुए लिखा- "मैं जनरल बिपिन रावत और उनकी पत्नी के परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त करता हूं। यह एक अभूतपूर्व त्रासदी है। इस कठिन समय में हमारी संवेदनाएं उनके परिवार के साथ हैं। इस हादसे में अपनी जान गंवाने वाले अन्य सभी लोगों के प्रति भी हार्दिक संवेदना। इस दुख की घड़ी में भारत एक साथ खड़ा है।" इससे पहले, भारतीय वायुसेना ने इस बात की पुष्टि की कुन्नूर के समीप हुई हेलीकॉप्टर दुर्घटना में प्रमुख रक्षा अध्यक्ष जनरल बिपिन रावत, उनकी पत्नी मधुलिका रावत और 11 अन्य लोगों की मृत्यु हो गई। तमिलनाडु के कुन्नूर के पास भारतीय वायु सेना के एक हेलीकॉप्टर के दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। हेलीकॉप्टर में प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत, उनकी पत्नी और कई अन्य अधिकारी सवार थे।


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'देश ने अपने एक बहादुर सपूत को खो दिया', राष्ट्रपति कोविंद, पीएम मोदी ने जनरल बिपिन रावत की मौत पर जताया दुख https://ift.tt/3IzIo8z 'देश ने अपने एक बहादुर सपूत को खो दिया', राष्ट्रपति कोविंद, पीएम मोदी ने जनरल बिपिन रावत की मौत पर जताया दुख
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दुआएं कर रहा था देश, 6 बजे मिली बुरी खबर.... क्रैश में CDS रावत और उनकी पत्नी का निधन https://ift.tt/31yFS1Y

December 08, 2021
नई दिल्ली सीडीएस जनरल उनकी पत्नी समेत 13 लोगों की मौत की पुष्टि हो गई है। भारतीय वायुसेना की ओर से यह जानकारी दी गई है। तमिलनाडु के कुन्नूर के पास भारतीय वायु सेना का एक हेलिकॉप्टर बुधवार क्रैश हो गया। इस हेलिकॉप्टर में सीडीएस जनरल बिपिन रावत समेत 14 लोग सवार थे। दोपहर 12 बजे के बाद इस हेलिकॉप्टर के क्रैश होने की खबर आती है और शाम तकरीबन 6 बजकर 10 मिनट पर यह दुखद खबर आती है कि बिपिन रावत समेत हेलिकॉप्टर में सवार 13 लोगों की मौत हो चुकी है। सीडीएस जनरल बिपिन रावत आज यानी बुधवार सुबह दिल्ली से एयरफोर्स के स्पेशल एयरक्राफ्ट से 8 बजकर 47 मिनट पर निकले और सुलूर 11 बजकर 34 बजे पहुंचे। सुलूर से वह 11 बजकर 48 मिनट पर Mi-17 में वेलिंगटन के लिए रवाना हुए। वहां उन्हें स्टाफ कॉलेज में लेक्चर देना था। दोपहर 12 बजकर 22 मिनट पर क्रैश होने के बाद मिसिंग रिपोर्ट आई और शाम को यह दुखद खबर आती है हेलिकॉप्टर क्रैश में उनकी भी मौत हो चुकी है। हेलिकॉप्टर क्रैश को लेकर बुधवार शाम 6.30 बजे सीसीएस की बैठक शुरू हो चुकी है। इस बैठक में प्रधानमंत्री मोदी के अलावा रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और विदेश मंत्री एस जयशंकर मौजूद हैं। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह कुन्नूर के पास भारतीय वायु सेना के एक हेलिकॉप्टर के दुर्घटनाग्रस्त हो जाने के बाद स्थिति की निगरानी कर रहे हैं। हेलिकॉप्टर में प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत, उनकी पत्नी समेत 14 लोग सवार थे। रक्षा मंत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दुर्घटना के बारे में जानकारी दी। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह इस मुद्दे पर गुरुवार को संसद में बयान देंगे। हेलिकॉप्टर में जनरल रावत के साथ उनकी पत्नी मधुलिका रावत, ब्रिगेडियर एल.एस. लिद्दर, लेफ्टिनेंट कर्नल हरजिंदर सिंह, नायक गुरसेवक सिंह, नायक जितेंद्र कुमार, नायक विवेक कुमार, नायक बी. साई तेजा, हवलदार सतपाल और पायलट सवार थे।


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दुआएं कर रहा था देश, 6 बजे मिली बुरी खबर.... क्रैश में CDS रावत और उनकी पत्नी का निधन https://ift.tt/31yFS1Y दुआएं कर रहा था देश, 6 बजे मिली बुरी खबर.... क्रैश में CDS रावत और उनकी पत्नी का निधन
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परमाणु वैज्ञानिक भाभा से लेकर सीडीएस रावत तक, प्लेन क्रैश की दर्दनाक कहानियां https://ift.tt/3pGrlJx

December 08, 2021
दिल्ली तमिलनाडु में नीलग‍िरी जिले के कुन्नूर में वरिष्ठ रक्षा अधिकारियों को ले जा रहा सेना का एक हेलीकॉप्टर क्रैश हो गया। इस हादसे में सीडीएस बिपिन रावत, उनकी पत्नी मधुलिका रावत और 11 दूसरे सदस्यों की मौत हो गई। जनरल रावत की मौत देश के लिए बड़ी क्षति है। घटना की सूचना मिलते ही आपातकालीन दल मौके पर पहुंचा। हादसे की सूचना जब दिल्ली तक पहुंची तो हड़कंप मच गया। इसके पहले भी कई दिल दहला देनेवाले हादसे हो चुके हैं। उनके बारे में भी जान लीजिए। जमील महमूद : वैसे सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी के साथ आखिरी बड़ा विमान दुर्घटना 1993 में हुआ था। जब पूर्वी कमान के जीओसी-इन-सी लेफ्टिनेंट जनरल जमील महमूद की भूटान में भारतीय वायुसेना के एमआई-17 हेलीकॉप्टर दुर्घटना में मौत हो गई थी। मृतकों में उनकी पत्नी भी शामिल थीं। दोरजी खांडू : मई 2011 में अरूणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री दोरजी खांडू और चार अन्य लोगों के साथ लापता हुए हेलीकॉप्टर का मलबा मिला था। खांडू का चार सीटों और एक इंजन वाला पवन हंस हेलीकॉप्टर एएस-बी350-बी3 30 अप्रैल को तवांग से सुबह नौ बज कर 56 मिनट पर उड़ान भरने के 20 मिनट बाद से ही लापता था। वाईएस राजशेखर रेड्डी : 2 सितंबर 2009 को आंध्रप्रदेश के तत्कालीन CM वाईएस राजशेखर रेड्डी और चार अन्य लोगों को लेकर एक हेलीकॉप्टर नल्लामाला वन क्षेत्र में लापता हो गया था। सेना की मदद से इस हेलीकॉप्टर की खोज की गई। तीन सितंबर को हेलीकॉप्टर का मलबा कुरनूल से 74 किलोमीटर दूर रूद्रकोंडा पहाड़ी पर मिला था। माधवराव सिंधिया : कांग्रेस के नेता रहे माधवराव सिंधिया 30 सितंबर 2001 को उत्तरप्रदेश के मैनपुरी जिले की भोगांव तहसील के पास मोता में एक विमान हादसे में जान गंवा बैठे थे। सिंधिया एक सभा को संबोधित करने के लिए कानपुर जा रहे थे। विमान में उनके सहित सात लोग थे। इन लोगों को लेकर जिंदल ग्रुप के 10 सीटों वाले एक चार्टर्ड विमान सेस्ना सी-90 ने नई दिल्ली स्थित इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डे से उड़ान भरी थी। आगरा से 85 किमी दूर ये विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया और इसमें सवार सभी लोग मारे गए। जीएमसी बालयोगी : 3 मार्च 2002 को पूर्व लोकसभा अध्यक्ष जीएमसी बालयोगी की आंध्र प्रदेश के पश्चिमी गोदावरी जिले में कैकालुर नाम के स्थान पर हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। बेल 206 एक निजी हेलीकॉप्टर था जिसमें बालयोगी, उनके अंगरक्षक और एक सहायक सवार थे। हेलीकॉप्टर ने सुबह 7 बजकर 45 मिनट पर भीमावरम जिले से उड़ान भरी और कुछ ही देर में इसमें तकनीकी खराबी आ गई थी। हादसे में गंभीर रूप से घायल बालयोगी को अस्पताल ले जाया गया, लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका। ओपी जिंदल : 1 अप्रैल 2005 को एक हवाई हादसे में इस्पात व्यवसायी और हरियाणा के बिजली मंत्री ओपी जिंदल मारे गए थे। इस हादसे में हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री बंशीलाल के बेटे सुरेंद्र सिंह और पायलट की भी मौत हो गई थी। उनका हेलीकॉप्टर उत्तर प्रदेश के सहारनपुर के पास दुर्घटनाग्रस्त हुआ था। किंग कोबरा नाम का ये हेलीकॉप्टर जिंदल समूह ने कुछ ही माह पहले लिया था। संजय गांधी : कांग्रेस के युवा नेता और दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के बेटे संजय गांधी 23 जून 1980 को नई दिल्ली के सफदरजंग हवाईअड्डे के पास एक विमान हादसे में मारे गए थे। वो दिल्ली फ्लाइंग क्लब का नया विमान उड़ा रहे थे, लेकिन नियंत्रण खोने की वजह से विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया। मोहन कुमारमंगलम : 30 मई 1973 को पूर्व लौह और इस्पात खान मंत्री मोहन कुमारमंगलम की मौत भी एक विमान हादसे में ही हुई थी। डॉ होमी जहांगीर भाभा : 24 जनवरी 1966 को देश के प्रसिद्ध परमाणु वैज्ञानिक डॉक्टर होमी जहांगीर भाभा वियना में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी की वैज्ञानिक सलाहकार समिति की बैठक में भाग लेने के लिए जाते समय फ्रांस के मोंट ब्लैंक के पास विमान हादसे में जान गंवा बैठे थे।


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परमाणु वैज्ञानिक भाभा से लेकर सीडीएस रावत तक, प्लेन क्रैश की दर्दनाक कहानियां https://ift.tt/3pGrlJx परमाणु वैज्ञानिक भाभा से लेकर सीडीएस रावत तक, प्लेन क्रैश की दर्दनाक कहानियां
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हेलिकॉप्टर क्रैश: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने PM मोदी को दी हादसे की जानकारी, गुरुवार को संसद में भी देंगे बयान https://ift.tt/3Iw8p8U

December 08, 2021
नई दिल्ली रक्षा मंत्री बुधवार को तमिलनाडु के कुन्नूर के पास भारतीय वायु सेना के एक हेलिकॉप्टर के दुर्घटनाग्रस्त हो जाने के बाद स्थिति की निगरानी कर रहे हैं। हेलिकॉप्टर में प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत, उनकी पत्नी और कई अन्य अधिकारी सवार थे। सूत्रों ने कहा कि रक्षा मंत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दुर्घटना के बारे में जानकारी दी। भारतीय वायु सेना प्रमुख घटनास्थल के लिए रवाना हो गए हैं। सीडीएस बिपिन रावत की स्थिति के बारे में तत्काल कुछ नहीं बताया गया है। मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के बीच बैठक हुई। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह इस मुद्दे पर गुरुवार को संसद में बयान देंगे। आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि एमआई-17वी5 हेलिकॉप्टर सुलूर से वेलिंगटन के लिए रवाना हुआ और चालक दल सहित हेलिकॉप्टर में 14 लोग सवार थे। सीडीएस वेलिंगटन में डिफेंस स्टाफ कॉलेज जा रहे थे। वायुसेना ने कहा कि दुर्घटना की कोर्ट ऑफ इंक्वायरी के आदेश दे दिए गए हैं।


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हेलिकॉप्टर क्रैश: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने PM मोदी को दी हादसे की जानकारी, गुरुवार को संसद में भी देंगे बयान https://ift.tt/3Iw8p8U हेलिकॉप्टर क्रैश: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने PM मोदी को दी हादसे की जानकारी, गुरुवार को संसद में भी देंगे बयान
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ओमीक्रोन से संक्रमित होने वाले डॉक्टर ने पहले दी वायरस को मात, अब दोबारा हुआ कोरोना संक्रमित https://ift.tt/3pyOUDX

December 07, 2021
बेंगलुरु कोरोना वायरस का नया वैरिएंट के खतरे ने एक बार फिर पूरे विश्व को चिंतित कर दिया है। मुंबई में सोमवार को पाए गए दो मरीजों ने पहले से फाइजर की वैक्सीन लगवाई थी, इसके बाद भी वे संक्रमित हुए। वहीं, बेंगलुरु में सबसे पहले आए दो मामलों में एक डॉक्टर के दोबारा कोरोना संक्रमित होने की जानकारी सामने आ रही है। यह कोरोना वायरस के नए वैरिएंट के प्रभाव को दर्शाता है। शहर के डॉक्टर के बारे में कहा जा रहा था कि उसने ओमीक्रॉन वैरिएंट से संक्रमित होने के बाद इसे कथित तौर पर हरा दिया था। उसके कोरोना निगेटिव होने की सूचना सामने आई थी। हालांकि, एक बार फिर उसमें कोरोना के लक्षण दिखे। डॉक्टर की जांच कराई गई, जिसमें वह कोविड-19 से पीड़ित पाया गया है। यह डॉक्टर भारत में ‘ओमीक्रोन’ से संक्रमित मिले पहले दो लोगों में से एक है। वहीं, गुजरात मूल के दक्षिण अफ्रीकी नागरिक के खिलाफ भी मामला दर्ज किया गया है। महानगरपालिका ने की है पुष्टि बृहत बेंगलुरु महानगरपालिका के एक अधिकारी ने डॉक्टर के दोबारा कोरोना संक्रमित होने की पुष्टि की है। अधिकारी ने कहा कि यह सच है कि ओमीक्रोन वैरिएंट से संक्रमित मिला डॉक्टर फिर से कोरोना वायरस से संक्रमित हो गया है। नाम न बताने की शर्त पर अधिकारी ने कहा कि डॉक्टर को आइसोलेशन में रखा गया हैं। उनमें कोरोना संक्रमण के हल्के लक्षण हैं। आइसोलेशन नियमों को तोड़ने पर केस दर्ज बेंगलुरु पुलिस ने अधिकारियों को बिना जानकारी दिए देश से बाहर जाने पर दक्षिणी अफ्रीकी नागरिक के खिलाफ केस दर्ज किया है। गुजराती मूल का दक्षिण अफ्रीकी व्यक्ति यहां आइसोलेशन में था। वह सूचना दिए बिना दुबई के लिए रवाना हो गया। स्वास्थ्य अधिकारियों को बिना बताए संक्रमित व्यक्ति को जाने देने को लेकर यहां के एक पांच सितारा होटल के प्रबंधन और कर्मचारियों के खिलाफ भी मामला दर्ज किया गया है। पुलिस सूत्रों ने कहा कि इन लोगों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता और कर्नाटक महामारी रोग अधिनियम, 2020 की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है।


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ओमीक्रोन से संक्रमित होने वाले डॉक्टर ने पहले दी वायरस को मात, अब दोबारा हुआ कोरोना संक्रमित https://ift.tt/3pyOUDX ओमीक्रोन से संक्रमित होने वाले डॉक्टर ने पहले दी वायरस को मात, अब दोबारा हुआ कोरोना संक्रमित
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बदल जाइए नहीं तो... PM मोदी ने आज BJP के सांसदों को जब पिलाई 'कड़वी घुट्टी' https://ift.tt/3EyN10r

December 07, 2021
नई दिल्लीसंसद के मौजूदा शीतकालीन सत्र से बीजेपी सांसदों की गैरहाजिरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गंभीरता से लिया है। बीजेपी संसदीय दल की बैठक के दौरान उन्होंने पार्टी के ऐसे सांसदों को बहुत ही कड़वी घुट्टी पिलाई है। पीएम मोदी ने बीजेपी सांसदों से कहा कि खुद में बदलाव लाइए, नहीं तो बदलाव वैसे ही हो जाता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को भारतीय जनता पार्टी के सांसदों से कहा कि सदन में उन्हें अनिवार्य रूप से उपस्थिति दर्ज करानी चाहिए, भले ही महत्वपूर्ण विधेयक सूचिबद्ध हों या ना हों। पीएम ने बीजेपी सांसदों से कहा कि लोगों ने उन्हें अपना प्रतिनिधित्व करने के लिए ही चुनकर संसद में भेजा है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, बीजेपी संसदीय दल की बैठक में प्रधानमंत्री ने यह बात कही। इस बैठक में भगवान बिरसा मुंडा की जयंती को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाए जाने की घोषणा के लिए केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा सहित अन्य आदिवासी सांसदों ने प्रधानमंत्री का अभिनंदन भी किया। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, संसद में बीजेपी सदस्यों की अनुपस्थिति पर नाराजगी जाहिर करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ‘बच्चों को बार-बार टोका जाए तो उन्हें भी अच्छा नहीं लगता है...अपने आप में परिवर्तन लाइए, नहीं तो परिवर्तन वैसे ही हो जाता है।’ सूत्रों के अनुसार, उन्होंने सभी सांसदों को संसद सत्र के दौरान सदन में अनिवार्य रूप से मौजूद रहने का निर्देश दिया। संसद के शीतकालीन सत्र में यह भाजपा संसदीय दल की पहली बैठक थी। आम तौर पर भाजपा संसदीय दल की बैठक संसद परिसर स्थित लाइब्रेरी बिल्डिंग में होती है लेकिन वहां जारी मरम्मत कार्य के चलते पहले हफ्ते संसदीय दल की बैठक नहीं हो सकी थी। आज की बैठक आंबेडकर अंतरराष्ट्रीय केंद्र में हुई, जिसमें केंद्रीय मंत्री अमित शाह, भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा सहित अन्य नेता उपस्थित थे। बैठक के बाद संवाददाताओं को संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी ने बताया कि राज्यसभा के 12 निलंबित सदस्य अगर आज माफी मांग लेते हैं तो उनका निलंबन वापस ले लिया जाएगा। इन सदस्यों के निलंबन के मुद्दे पर विपक्षी सदस्य संसद के दोनों सदनों में हंगामा कर रहे हैं और इसकी वजह से कामकाज बाधित हुआ है। जिन सदस्यों को निलंबित किया गया है उनमें मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीएम) के इलामारम करीम, कांग्रेस की फूलो देवी नेताम, छाया वर्मा, रिपुन बोरा, राजमणि पटेल, सैयद नासिर हुसैन, अखिलेश प्रताप सिंह, तृणमूल कांग्रेस की डोला सेन और शांता छेत्री, शिव सेना की प्रियंका चतुर्वेदी और अनिल देसाई व भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के विनय विस्वम शामिल हैं। राज्यसभा के इन सदस्यों को मॉनसून सत्र के दौरान ‘अशोभनीय आचरण’ करने के कारण, पिछले सप्ताह सोमवार, 29 नवंबर को आरंभ हुए संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन, इस सत्र की शेष अवधि के लिए उच्च सदन से निलंबित कर दिया गया था।


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बदल जाइए नहीं तो... PM मोदी ने आज BJP के सांसदों को जब पिलाई 'कड़वी घुट्टी' https://ift.tt/3EyN10r बदल जाइए नहीं तो... PM मोदी ने आज BJP के सांसदों को जब पिलाई 'कड़वी घुट्टी'
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मोदी की काशी, योगी का बुल्डोजर... यूपी में BJP ने ढूंढ दिया चुनावी जीत का फॉर्म्युला! https://ift.tt/3pBT2D4

December 07, 2021
लखनऊ उत्तर प्रदेश में सत्ता वापसी के लिए बीजेपी ने अपना मिशन तैयार कर लिया है। माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के काशी मॉडल और सीएम योगी आदित्यनाथ की बुल्डोजर पॉलिसी को माइलस्टोन के रूप में पेश कर बीजेपी वोट मांगेगी। 13 दिसंबर को पीएम मोदी वाराणसी में का लोकार्पण करने आ रहे हैं। इस मॉडल को देश-प्रदेश में घर-घर पहुंचाने की योजना भी बनाई गई है। वहीं माफियाओं पर लगातार शिकंजा और उनकी संपत्तियों को बुल्डोजर से ढहाने की नीति को भी बीजेपी भुनाती दिख रही है। सीएम योगी भी अपनी हर रैली में यूपी से माफिया और गुंडा राज खत्म करने का दावा कर रहे हैं। संघ और बीजेपी के राजनीतिक रोडमैप पर अयोध्या के बाद काशी और मथुरा को अगला पड़ाव बनाया गया है। सुप्रीम कोर्ट से फैसला आने के बाद अयोध्या में मंदिर निर्माण शुरू हो चुका है। ऐसे में 2022 के चुनाव के लिए बीजेपी ने काशी मॉडल को अपने विजन में शामिल कर लिया गया है। बीजेपी को यकीन है कि हिंदुत्व के अजेंडे के साथ-साथ विकास का यह मॉडल उसे यूपी में दोबारा सत्ता दिलाएगा। 13 दिसंबर को पीएम मोदी करेंगे लोकार्पण13 दिसंबर को काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के लोकार्पण के लिए बीजेपी ने पूरी तैयारी कर ली है। 13 और 14 दिसंबर को गंगा घाटों के साथ शहर की प्रमुख इमारतों में भी सजावट की जाएगी और रोशनी से पूरे शहर को सराबोर किया जाएगा। काशी के तमाम परिवारों से बीजेपी संवाद स्थापित करेगी। लगभग 50,000 वर्ग मीटर में भव्य कॉरिडोर का निर्माण हुआ है। काशी कॉरिडोर के प्रथम चरण के बाद अब इसके दूसरे चरण की निर्माण की बारी है। काशी और आसपास के धार्मिक स्थलों और सांस्कृतिक स्थलों के पुनर्निर्माण की तैयारी की जा रही है। विश्वनाथ पंचकोसी परिक्रमा मार्ग को नए सिरे से तैयार करने की कवायद है। योगी सरकार की कोशिश है कि इसके जरिए धार्मिक पर्यटन को बल मिले। इसका डीपीआर तैयार हो गया है और स्वीकृति मिलते ही काम शुरू हो जाएगा। काशी मॉडल को घर-घर पहुंचाने की तैयारी बीजेपी ने काशी मॉडल को घर-घर तक पहुंचाने की तैयारी भी कर ली है। सूत्रों के मुताबिक, वाराणसी में 13 दिसंबर से 14 जनवरी तक कार्यक्रमों की पूरी श्रृंखला आयोजित की जाएगी। इसमें बीजेपी शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों का समागम भी होगा। इसके अलावा अलग-अलग जिलों के मेयर, जिला पंचायत अध्यक्ष, टूर ऑपरेटर, उद्योगपति, ब्लॉगर, राइटर, धर्माचार्य, कलाकार, शिल्पकार, कथाकार, कारीगर और देश के तमाम मंदिरों से आए प्रतिनिधियों के भी अलग-अलग सम्मेलन होने हैं। विदेशी राजदूतों को भी आमंत्रित किया गया है। यूथ फेस्टिवल के साथ ही सुशासन यात्रा भी निकाली जाएगी। क्रेडिट लेने का दौर शुरू एक ओर बीजेपी काशी मॉडल के जरिए चुनावी टोन सेट कर रही है, तो दूसरी ओर इसका क्रेडिट लेने का दौर शुरू हो गया है। समाजवादी पार्टी के नेता ओम प्रकाश सिंह ने काशी कॉरिडोर के पहले चरण को अखिलेश सरकार का प्रोजेक्ट बताया। वहीं बीते दिनों अखिलेश यादव ने विश्वनाथ कॉरिडोर के अंदर का एक वीडियो ट्वीट कर बीजेपी पर निशाना साधा था। वीडियो में एक पुजारी अक्षय वट की बदहाल स्थिति को बयां कर रहा था। अखिलेश ने वीडियो के साथ लिखा कि काशी में अक्षयवट को आघात पहुंचानेवालों का क्षय निश्चित है। हालांकि उस वीडियो को पुराना बताया जा रहा है। जीरो टॉलरेंस नीति को भुनाएगी बीजेपी हिंदुत्व संग विकास के अजेंडे के साथ ही बीजेपी ने योगी सरकार की अपराध के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति के जरिए भी चुनावी माहौल बना रही है। सीएम योगी अपनी हर रैली में साढ़े चार साल के कार्यकाल में माफियाओं और गैंगस्टर पर हुई कार्रवाई की बात करते आ रहे हैं। इसी साल अप्रैल में माफियाओं और अपराधियों के खिलाफ हुई कार्रवाई का सरकार ने लेखा-जोखा भी पेश किया था। इसके तहत जनवरी 2020 से अप्रैल 2021 तक कुल 5,558 मामले दर्ज कर 22,259 अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई की गई। सरकार की ओर से सूचीबद्ध 25 माफियाओं के खिलाफ गैंगस्टर ऐक्ट की कार्रवाई हुई। इसके तहत 11अरब, 28 करोड़, 23 लाख 97 हजार 846 रुपये की चल अचल संपत्ति जब्त की गई। बुल्डोजर पॉलिसी पर सपा हमलावर योगी सरकार की बुल्डोजर पॉलिसी पर विपक्ष भी हमलावर है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव अक्सर तंज कसते आए हैं कि बीजेपी को अपना चुनाव चिह्न बदलकर बुल्डोजर कर लेना चाहिए। बीते दिनों बांदा में रैली के दौरान अखिलेश ने कहा था, 'यह बुल्डोजरों वाली सरकार है लेकिन उन्हें यह समझना चाहिए कि बुल्डोजर सड़कों पर दौड़ाए जाते हैं न कि लोगों पर। जनता के पास वोटों की ताकत है। इतना वोट का बुल्डोजर चलेगा कि भारतीय जनता पार्टी का पता नहीं लगेगा।'


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मोदी की काशी, योगी का बुल्डोजर... यूपी में BJP ने ढूंढ दिया चुनावी जीत का फॉर्म्युला! https://ift.tt/3pBT2D4 मोदी की काशी, योगी का बुल्डोजर... यूपी में BJP ने ढूंढ दिया चुनावी जीत का फॉर्म्युला!
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लाल टोपी वाले यूपी के लिए रेड अलर्ट.... गोरखपुर से PM मोदी का अखिलेश पर तंज https://ift.tt/3IkAn7o

December 07, 2021
1990 में FCI का खाद कारखाना बंद हो गया था। इसे फिर से शुरू किया जा रहा है। सीएम योगी ने कहा कि 1990 में फर्टिलाइजर कारपोरेशन ऑफ इंडिया (FCI) का खाद कारखाना बंद हो गया था। अनेक सरकारें आईं, आश्वासन पर आश्वासन दिए गए, लेकिन काम नहीं हुआ। लिहाजा, रोजगार पर विराम लग गया। खाद कारखाना दोबारा चलेगा, यह सपना लगता था, लेकिन अब यह सपना साकार हो चुका है। इस खाद कारखाने से हर साल 12 लाख मीट्रिक टन से अधिक यूरिया का उत्पादन होगा। सीएम योगी ने कहा कि तीनों परियोजनाओं से पूर्वी उत्तर प्रदेश के साथ ही बिहार और नेपाल की बड़ी आबादी भी लाभान्वित होगी।

दशकों से सीएम योगी आदित्यनाथ की कर्मभूमि रहे गोरखपुर में आज एक खाद कारखाने सहित करीब 10 हजार करोड़ के प्रोजेक्ट की शुरुआत PM नरेंद्र मोदी ने की। पूर्वांचल के किसानों और अन्य लोगों को विकास की लहर का संदेश देने का मुकाबला आज वेस्टर्न यूपी की किसान आंदोलन प्रभावित जाटलैंड में महंगाई और अन्य मामलों से सरकार पर वार के साथ होने वाला है।


UP Chunav News: लाल टोपी वाले यूपी के लिए रेड अलर्ट, विधानसभा चुनाव से पहले योगी के गोरखपुर से बरसे मोदी

1990 में FCI का खाद कारखाना बंद हो गया था। इसे फिर से शुरू किया जा रहा है। सीएम योगी ने कहा कि 1990 में फर्टिलाइजर कारपोरेशन ऑफ इंडिया (FCI) का खाद कारखाना बंद हो गया था। अनेक सरकारें आईं, आश्वासन पर आश्वासन दिए गए, लेकिन काम नहीं हुआ। लिहाजा, रोजगार पर विराम लग गया। खाद कारखाना दोबारा चलेगा, यह सपना लगता था, लेकिन अब यह सपना साकार हो चुका है। इस खाद कारखाने से हर साल 12 लाख मीट्रिक टन से अधिक यूरिया का उत्पादन होगा। सीएम योगी ने कहा कि तीनों परियोजनाओं से पूर्वी उत्तर प्रदेश के साथ ही बिहार और नेपाल की बड़ी आबादी भी लाभान्वित होगी।



माफिया जेल में और निवेशक यूपी में
माफिया जेल में और निवेशक यूपी में

पीएम मोदी ने कहा कि 2017 से पहले यूपी के कुछ जिले वीआईपी थे। अब यूपी के सारे जिले वीआईपी हो गए हैं। माफियाओं ने प्रदेश का नाम बदनाम कर दिया था। आज माफिया जेल में हैं और निवेशक यूपी आ रहे हैं।



लाल टोपी वाले, यूपी के लिए रेड अलर्ट
लाल टोपी वाले, यूपी के लिए रेड अलर्ट

लाल टोपी वालों को लाल बत्ती से मतलब रहा है। आपके दुख से कोई मतलब नहीं है। सिर्फ सत्ता चाहिए, अपनी तिजोरी भरने के लिए, माफियाओं को खुली छूट देने के लिए, अवैध कब्जे करने के लिए, आतंकियों पर मेहरबानी करने के लिए, आतंकियों को जेल से छुड़ाने के लिए। लाल टोपी वाले यूपी वालों के लिए रेड अलर्ट हैं। मतलब खतरे की घंटी हैं।



खाद के लिए खानी पड़ती थी लाठी-गोली
खाद के लिए खानी पड़ती थी लाठी-गोली

मोदी ने कहा कि आज गोरखपुर में हो रहा आयोजन इस बात का गवाह है कि जब नया भारत कुछ ठान लेता है तो कुछ भी असंभव नहीं होता। एक बड़ी दिक्कत यह भी थी कि जो खाद उपलब्ध थी उसे चोरी छिपे खेती के अलावा अन्य कामों में लगाया जाता था। किसानों को खाद के लिए लाठी-गोली तक खानी पड़ती थी। हमने यूरिया का गलत इस्तेमाल रोका और उसकी नीम कोटिंग की ताकी कालाबाजारी रोकी जा सके।



भोजपुरी में भाषण, पढ़ें क्या बोले पीएम मोदी
भोजपुरी में भाषण, पढ़ें क्या बोले पीएम मोदी

धर्म, अध्यात्म अऊर क्रांति क नगरी गोरखपुर क देवतुल्य लोगन के हम प्रणाम करत बानी। आप सब लोग जउने खाद कारखाना अऊर एम्स क बहुत दिन से इंतजार करत रहिल, आज उ घड़ी आ गइल बा, आप सबके बहुत-बहुत बधाई:



भोजपुरी से मोदी ने की भाषण की शुरुआत
भोजपुरी से मोदी ने की भाषण की शुरुआत

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गोरखपुर में रिमोट का बटन दबाकर खाद कारखाना एवं अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान व रीजनल मेडिकल रिसर्च सेंटर का लोकार्पण किया। उन्होंने अपने भाषण की शुरुआत भोजपुरी से की।



मोदी है तो मुमकिन है... गोरखपुर में योगी ने विपक्ष पर ऐसे साधा निशाना
मोदी है तो मुमकिन है... गोरखपुर में योगी ने विपक्ष पर ऐसे साधा निशाना

5-5 सरकारों ने हामी भरने के बाद नामुमकिन बना दिया था। लेकिन मोदी है तो मुमकिन है। गोरखपुर का खाद कारखाना 10 जून 1990 को बंद हो गया था। 2014 तक 24 वर्षों तक किसी ने सुध नहीं ली। 2016 में पीएम ने शिलान्यास किया और अब उद्घाटन कर रहे हैं। पूर्वांचल में हजारों मौतें इलाज के अभाव में होती थीं। गोरखपुर को लगातार माना जाता था कि यहां बीमारी है। यहां दिमागी बुखार, मलेरिया आदि विषाणुजनित बीमारियों से मौतें होती थीं। तब 2016 में आदरणीय प्रधानमंत्री ने इसी एम्स का शिलान्यास किया था और आज उद्घाटन भी कर रहे हैं।



एम्स और खाद कारखाना क्यों है खास?
एम्स और खाद कारखाना क्यों है खास?

6803 करोड़ रुपये से बने खाद कारखाने से जहां प्रतिवर्ष 12.7 लाख मीट्रिक टन नीम कोटेड यूरिया का उत्पादन किसानों के जीवन में खुशहाली लाएगा वहीं इससे करीब बीस हजार रोजगार सृजन की भी संभावना परवान चढ़गी। 1011 करोड़ की लागत वाले एम्स से पूर्वी उत्तर प्रदेश के साथ ही बिहार, झारखंड व नेपाल तक की बड़ी आबादी को विश्व स्तरीय विशेषज्ञ चिकित्सा सुविधाओं का लाभ मिलेगा। गोरखपुर में ही वायरस जनित बीमारियों की विश्व स्तरीय जांच व अनुसंधान हो सके इसके लिए 36 करोड़ रुपये से आरएमआरसी तैयार किया गया है। यहां की हाईटेक लैब्स इस मामले में दूसरे बड़े शहरों के प्रति निर्भरता को कम करेगी।



गोरक्षपीठ की दो पीढ़ियों के संघर्ष का परिणाम
गोरक्षपीठ की दो पीढ़ियों के संघर्ष का परिणाम

यह कारखाना 1990 में बंद हुआ था। गोरक्षपीठ की तरफ़ से संसद के हर सत्र में इस मुद्दे की आवाज़ उठती ही रही। अपने संसदीय कार्यकाल में ब्रह्मलीन महंत गोरक्षपीठाधीश्वर अवेद्यनाथ इसे लेकर सदन में निरंतर मुखर रहे। उनके उत्तराधिकारी और मौजूदा पीठाधीश्वर एवं संप्रत्ति उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 1998 में गोरखपुर से सांसद बनने के बाद खाद कारखाने के लिए पूर्वी उत्तर प्रदेश की आवाज़ बन गए। दो दशकों में गुरु-शिष्य ने इसे लेकर कई बार प्रधानमंत्री और केंद्रीय उर्वरक एवं रसायन मंत्री से मुलाकातें कीं। लगातार पत्र व्यवहार भी करते रहे। बतौर प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा ने तो इसे चालू कराने की बकायदा घोषणा भी की थी। 1998 में केंद्र में भाजपा की सरकार थी, स्मृतिशेष अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे। योगी आदित्यनाथ के प्रयास और अटल जी के निर्देश पर उस समय कृभको खाद कारखाने को फिर से चलाने को राजी हो गया था। इस बाबत सर्वे भी हो चुका था, लेकिन कर्मचारियों के समायोजन का पेंच फंसा और कृभको ने क़दम वापस खींच लिए। पर, बतौर सांसद योगी आदित्यनाथ के क़दम पीछे नहीं हटे, वह अविरत इसकी आवाज़ बुलंद करते रहे। अंततः 22 जुलाई 2016 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भूमि का शिलान्यास किया।



गोरखपुर एम्स बचाएगा बच्चों की जान
गोरखपुर एम्स बचाएगा बच्चों की जान

सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि कभी बाढ़ व बीमारी पूर्वी उत्तर प्रदेश की पहचान बन चुकी थी। इंसेफेलाइटिस के चलते मासूम दम तोड़ देते थे। सरकारों की संवेदना इन गरीबों व और असहायों के प्रति नहीं थी। 40 वर्षों में 50 हजार से अधिक बच्चे इंसेफेलाइटिस के चलते और समय काल कवलित हो गए। पूर्वी उत्तर प्रदेश को बीमारियों से मजबूती से लड़ने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2016 में एम्स भी दिया। 7 दिसंबर को ही प्रधानमंत्री एम्स का भी उद्‌घाटन करेंगे।





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लाल टोपी वाले यूपी के लिए रेड अलर्ट.... गोरखपुर से PM मोदी का अखिलेश पर तंज https://ift.tt/3IkAn7o लाल टोपी वाले यूपी के लिए रेड अलर्ट.... गोरखपुर से PM मोदी का अखिलेश पर तंज
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खेत खोद रहा था किसान और अचानक मिली चमकीली सी चीज ने उसे बना दिया लखपति https://ift.tt/3xZWV8S

December 07, 2021
पन्ना हीरा खदानों के लिए मशहूर मध्य प्रदेश के पन्ना जिले में एक बार फिर गरीब किसान की किस्मत चमकी है। सोमवार को मुलायम सिंह नाम के किसान को खुदाई के दौरान 50 लाख का हीरा मिला है। किसान अपने छह अन्य साथियों के साथ खुदाई कर रहा था, जब उसे 13.47 कैरेट का हीरा नजर आया। पन्ना की जमीन से अक्सर हीरा निकलता है। मुलायम सिंह और उसके साथियों को हीरे के छह और छोटे-छोटे टुकड़े भी मिले हैं। खुदाई के दौरान जब उन्हें चमकदार हीरा दिखा तो उन्हें अपनी आंखों पर भरोसा नहीं हुआ। जब उन्हें हीरा मिलने का भरोसा हुआ, तब वे खुशी से झूम उठे। हीरा विभाग के अनुपम सिंह ने बताया कि किसान को जो हीरा मिला है, उसकी कीमत करीब 50 लाख रुपये है। हालांकि, कीमत का असली आकलन इसकी नीलामी से पता चलेगा। मुलायम सिंह ने बताया कि हीरे की नीलामी से मिलने वाली रकम वह अपने छह साथियों के साथ बांटेगा। उसने यह भी कहा कि अपने हिस्से के पैसे वह बच्चों की पढ़ाई पर खर्च करेगा। पन्ना के खदानों में 12 लाख कैरेट हीरा दबे होने का अनुमान है। प्रदेश सरकार जमीन के छोटे-छोटे टुकड़े स्थानीय किसानों और मजदूरों को खुदाई के लिए लीज पर देती है। किसानों को जो हीरा मिलता है, वे उसे जिला खनन विभाग में जमा करते हैं। फिर उसकी नीलामी की जाती है और इससे मिलने वाली रकम किसा को दी जाती है।


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खेत खोद रहा था किसान और अचानक मिली चमकीली सी चीज ने उसे बना दिया लखपति https://ift.tt/3xZWV8S खेत खोद रहा था किसान और अचानक मिली चमकीली सी चीज ने उसे बना दिया लखपति
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भारतीय सेना की बड़ी तैयारी, रिमोट से चलने वाले हथियारों पर कर रही है फोकस https://ift.tt/3GmowEg

December 07, 2021
नई दिल्ली अनमैंड एरियल वीइकल यानी ड्रोन पर हो रहे काम के बीच अब इंडियन आर्मी रिमोट से या खुद चलने वाली गाड़ियों (अनमैंड ग्राउंड वीइकल) पर फोकस कर रही है। आर्मी को स्वदेशी कंपनियों से ऐसे चाहिए जो सर्विलांस और रैकी के लिए तो इस्तेमाल किए जा सकें, साथ ही घायल सैनिकों को सुरक्षित निकालने से लेकर विस्फोटक ढूंढकर उसे नष्ट करने तक का काम कर सकें। ये अनमैंड वीइकल रेगिस्तान से लेकर पहाड़ तक और मैदान से लेकर हाई एल्टीट्यूट एरिया तक में काम करने के लिए सक्षम होने चाहिए। 9 दिसंबर से दिखेगी झलक इंडियन आर्मी के एक अधिकारी के मुताबिक अनमैंड ग्राउंड वीइकल टेक्नॉलजी पर ज्यादा काम इसलिए नहीं हुआ है क्योंकि हमें स्वदेशी इंडस्ट्री की कैपेबिलिटी और इंडस्ट्री को हमारी जरूरत नहीं पता है। इसलिए आर्मी अब इंडस्ट्री, स्टार्टअप, इनोवेटर्स को एक प्लेटफॉर्म में ला रही है। 9 से 14 दिसंबर को बबीना रेंज (झांसी के पास) में अलग अलग स्वदेशी कंपनियां अलग अलग प्रकार के अनमैंड ग्राउंड वीइकल को दिखाएंगी। ये अलग अलग कटैगरी के होंगे जो सर्विलांस, रैकी से लेकर घायलों को सुरक्षित निकालने के लिए इस्तेमाल हो सकेंगे। आर्मी को चाहिए ये वाहन कुल 12 कंपनियां इसमें हिस्सा ले रही है। ऐसे वीइकल का प्रोटोटाइप दिखाया जाएगा जो बिना सैनिक के ऑटोनोमस मोड में या रिमोटली कंट्रोल मोड में चल सकें। ये रेगिस्तान, मैदान, पहाड़ और हाई एल्टीट्यूट एरिया में ऑपरेट कर सके। आर्मी को ऐसे अनमैंड वीइकल की जरूरत है जो 250-500 किलो का लोड ले जा सके, 12 घंटे बिना किसी रुकावट के काम कर सके। रेकी के लिए दिन के अलावा नाइट विजन कैपेबिलिटी भी हो, जो कम से कम दो किलोमीटर दूर तक कम्युनिकेशन भेज सके। ऐसे अनमैंड ग्राउंड वीइकल की भी जरूरत है जो मिडियम मशीन गन के लिए प्लेटफॉर्म का काम कर सकें। विस्फोटक की पहचान कर सकें और उसे नष्ट कर सकें, साथ ही कम से कम 500 मीटर दूर से रिमोटली ऑपरेट हो सकें। इनकी स्पीड कम से कम 10 किलोमीटर प्रति घंटे हो और कम से कम दो घंटे बिना रुकावट के काम कर सकें।


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भारतीय सेना की बड़ी तैयारी, रिमोट से चलने वाले हथियारों पर कर रही है फोकस https://ift.tt/3GmowEg भारतीय सेना की बड़ी तैयारी, रिमोट से चलने वाले हथियारों पर कर रही है फोकस
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इंदिरा गांधी का वो फैसला, जब यूपी के सीएम बनते-बनते रह गए संजय गांधी https://ift.tt/3rD7Y6J

December 07, 2021
लखनऊ 1980 के दौर की बात है, लखनऊ के अशोका रोड पर कांग्रेसी नेताओं की कई गाड़ियां खड़ी थीं। विधानसभा के दाहिने ओर से एक रास्ता लाल बहादुर शास्त्री भवन की ओर जाता था। ये इमारत यूपी के सीएम दफ्तर के रूप में जानी जाती थी। इमारत से कुछ दूर पर कुछ सरकारी बंगले थे, पेड़ों के झुंड थे और एक सफेद सी इमारत। बाहर बोर्ड पर जो नाम लिखा था, उससे पता चल रहा था कि ये कांग्रेस का यूपी दफ्तर है जिससे अगले कुछ वक्त तक यूपी की सरकार चलनी है। सड़क पर जो गाड़ियां खड़ी थीं, वो इसी सरकार के सीएम पद का चुनाव कराने आई थीं। इस रोज विधायक दल की मीटिंग थी, सबसे चर्चित नाम 34 साल के एक फायरब्रांड नेता का था, ये नाम था- संजय फिरोज गांधी। 1980 के उस साल कांग्रेस के विधायकों को यूपी का सीएम चुनना था। संजय को विधायक दल का नेता चुनने की सारी तैयारी हो गई थी, लेकिन विधायकों के तमाम फैसले लखनऊ के नेहरू भवन में बने और दिल्ली के सफदरजंग रोड के एक बंगले में खारिज हो गए। जिन संजय गांधी को यूपी का सीएम बनाने के लिए तमाम चार्टर्ड विमानों का इंतजाम हुआ था, वो अचानक से रेस से बाहर कैसे हुए ये कहानी दिलचस्प है। जनता दल (यू) के नेता केसी त्यागी बताते हैं, 'जनता पार्टी की टूट की वजह से 1980 में लोकसभा के लिए हुए मध्यावधि चुनाव में कांग्रेस पार्टी को बड़ी सफलता प्राप्त हुई। इंदिरा गांधी फिर से प्रधानमंत्री चुनी गईं। कांग्रेस के टिकट पर जो सांसद जीत कर आए थे, उनमें संजय गांधी की पसंद साफ दिख रही थी। उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, पंजाब सहित 10 राज्यों के विधानसभा चुनावों में भी कांग्रेस पार्टी बहुमत पा चुकी थी, लेकिन सबसे रोचक घटनाक्रम का केंद्र बिंदु उत्तर प्रदेश बना।' कांग्रेस को मिला था यूपी का दो तिहाई बहुमतकांग्रेस पार्टी को उत्तर प्रदेश में दो तिहाई बहुमत मिला था। दो तिहाई बहुमत मिला, लेकिन आलाकमान पुराने नेताओं पर दांव लगाने को तैयार नहीं था। उस वक्त सीएम पद के लिए जो दावेदार थे, जैसे कमलापति त्रिपाठी, हेमवती नंदन बहुगुणा, नारायण दत्त तिवारी, उनसे हटकर किसी नए चेहरे की तलाश थी। इस बीच संजय गांधी के मित्र अकबर अहमद डंपी ने संजय गांधी के नाम पर गोलबंदी शुरू कर दी, उन्होंने विधानमंडल दल की बैठक में संजय गांधी को मुख्यमंत्री चुने जाने का प्रस्ताव पारित कराया और सभी कांग्रेस विधायकों को चार्टर्ड प्लेन से दिल्ली तक ले गए। इंदिरा गांधी का फैसलादिल्ली के सफदरजंग रोड पर चहलकदमी बढ़ गई थी। सब जानते थे कि अगर संजय यूपी के सीएम बन गए तो दिल्ली के दरबार में इंदिरा के बाद उनके उत्तराधिकार का एक मजबूत विकल्प तैयार हो जाएगा। लेकिन संजय को मुख्यमंत्री बनाकर इंदिरा गांधी उनकी भूमिका सीमित नहीं करना चाहती थीं। केंद्र की राजनीति में अलग हो गए थे 'अपने'उस वक्त तक केंद्र की राजनीति में इंदिरा गांधी के भरोसेमंद माने जाने वाले तमाम नेता- यशवंतराव चव्हाण, बाबू जगजीवन राम, चंद्रजीत यादव, सरदार स्वर्ण सिंह, ब्रह्मानंद रेड्डी- उनसे अलग हो चुके थे। इंदिरा जानती थीं कि अगर संजय दूर हुए तो उनकी मुश्किलें बढ़ जाएंगी। एक लंबी उठापटक के बाद इंदिरा गांधी ने उत्तर प्रदेश विधानमंडल दल का फैसला नामंजूर कर दिया। नेताओं ने मान मनौव्वल की तो इंदिरा ने कहा- आप लोग दिल्ली में मुझे अकेला क्यों करना चाहते हैं। इसके बाद कम चर्चित चेहरे के रूप में वीपी सिंह को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई गई।


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सरकार चलाने की मजबूरी, ममता के पाले में खड़े होकर कांग्रेस से बैर नहीं लेंगे शिवसेना और NCP https://ift.tt/3lFWw6D

December 07, 2021
इन दिनों राष्ट्रीय राजनीति में मोदी के मुकाबले विपक्ष को गोलबंद करने के इरादे से निकलीं ममता बनर्जी को महाराष्ट्र से उस तरह का समर्थन नहीं मिला, जिसकी उन्होंने उम्मीद लगा रखी थी। वहां उनकी एनसीपी और शिवसेना के नेताओं से मुलाकात हुई। शिवसेना ने तो खुलकर कह दिया कि कांग्रेस के बगैर बीजेपी के खिलाफ कोई भी विपक्षी गठबंधन बीजेपी को ही फायदा पहुंचाने वाला होगा। कहा जा रहा है कि विपक्ष को गोलबंद करने कोशिश में ममता बनर्जी अगर कांग्रेस के खिलाफ मोर्चा नहीं खोले हुए होतीं, तो शायद उन्हें समर्थन मिल सकता था।

महाराष्‍ट्र में शिवेसना और एनसीपी, कांग्रेस के साथ गठबंधन करके सरकार में हैं। अगर दोनों दल ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) के पाले में खड़े दिखते हैं तो यह सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) को स्‍वीकार नहीं होगा।


महाराष्‍ट्र में सरकार चलाने की मजबूरी, ममता के पाले में खड़े होकर कांग्रेस से बैर नहीं चाहते शिवसेना और NCP

इन दिनों राष्ट्रीय राजनीति में मोदी के मुकाबले विपक्ष को गोलबंद करने के इरादे से निकलीं ममता बनर्जी को महाराष्ट्र से उस तरह का समर्थन नहीं मिला, जिसकी उन्होंने उम्मीद लगा रखी थी। वहां उनकी एनसीपी और शिवसेना के नेताओं से मुलाकात हुई। शिवसेना ने तो खुलकर कह दिया कि कांग्रेस के बगैर बीजेपी के खिलाफ कोई भी विपक्षी गठबंधन बीजेपी को ही फायदा पहुंचाने वाला होगा। कहा जा रहा है कि विपक्ष को गोलबंद करने कोशिश में ममता बनर्जी अगर कांग्रेस के खिलाफ मोर्चा नहीं खोले हुए होतीं, तो शायद उन्हें समर्थन मिल सकता था।



महाराष्‍ट्र में ममता को क्‍यों नहीं मिला साथ
महाराष्‍ट्र में ममता को क्‍यों नहीं मिला साथ

कांग्रेस के खिलाफ इन दिनों ममता बनर्जी ने जिस तरह से हल्ला बोल रखा है, उसमें एनसीपी और शिवसेना किसी भी तरह टीएमसी के साथ खड़ी होते नहीं दिखना चाहेंगी। वजह यह है कि महाराष्ट्र की गठबंधन सरकार चलाए रखने के लिए कांग्रेस का समर्थन हर हाल में चाहिए। कांग्रेस की समर्थन वापसी की स्थिति में सरकार नहीं चल सकती।

शिवसेना हो या एनसीपी, कांग्रेस के साथ रिश्ते खराब कर राज्य में चल रही गठबंधन सरकार के लिए कोई परेशानी नहीं खड़ी करना चाहेगी। दोनों को मालूम है कि उनके टीएमसी पाले में खड़े होने को कांग्रेस किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं करेगी।

टीएमसी का महाराष्ट्र में ऐसा कोई वजूद भी नहीं है जिसके लिए कांग्रेस से रिश्ते बिगाड़ने का जोखिम लिया जाए। खासकर तब जब लोकसभा चुनावों में दो साल से ज्यादा का समय बाकी हो और यह भी तय न हो कि अन्य राज्यों के क्षेत्रीय दलों से ममता को कितना समर्थन मिलेगा।



प्रचार से दूर रहेंगे त्रिवेंद्र!
प्रचार से दूर रहेंगे त्रिवेंद्र!

उत्तराखंड में धामी सरकार ने पिछले दिनों देवस्थानम बोर्ड को भंग करने का फैसला लेकर भले ही मंदिरों पर सरकारी नियंत्रण की वजह से पुरोहितों में पनपे गुस्से को खत्म करने की कोशिश की हो, लेकिन चुनाव से ठीक पहले पार्टी के अंदर खींचतान बढ़ गई है। एक-एक कर अपनी सरकार के कई फैसले बदले जाने से पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत की नाराजगी स्वाभाविक है। राजनीतिक गलियारों में तो यह भी कहा जा रहा है कि जिस तरह से त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार के फैसले बदले गए हैं, उससे यह लगता है कि पार्टी के अंदर उनके लिए स्पेस खत्म हो गया है।

बीजेपी लीडरशिप राज्य में नए नेतृत्व के साथ ही आगे बढ़ना चाहती है। वैसे इस तरह की भी चर्चा सुनने को मिल रही है कि त्रिवेंद्र सिंह रावत ने खुद को बीजेपी के चुनाव प्रचार से अलग कर लिया है। वह अपने कई नजदीकी लोगों से यह कहते सुने गए हैं कि जब नई सरकार हमारे सारे फैसलों को गलत साबित करने पर ही तुली है तो हमारे पास चुनाव के दौरान जनता को अपनी उपलब्धियां बताने के लिए होगा ही क्या?

यह देखना दिलचस्प होगा कि चुनाव तक उनकी नाराजगी खत्म होती है या नहीं, लेकिन पिछले दिनों हरीश रावत के साथ हुई उनकी मुलाकात भी कई तरह की संभावनाओं के द्वार खोले हुए हैं। हालांकि दोनों तरफ से कहा जा चुका है कि उस मुलाकात का राजनीति से कोई लेना-देना नहीं हैं लेकिन ऐसी मुलाकातें अक्सर बड़े राजनीतिक उलटफेर का सबब बनती हैं। कांग्रेस सत्तारूढ़ बीजेपी के अंदर खेमेबाजी का पूरा फायदा उठाना चाहती है। उसके कई नेताओं के बयान भी आ चुके हैं कि चुनाव तक बीजेपी के कई नेता कांग्रेस में आ सकते हैं।



क्या हैं हार्दिक के विकल्प
क्या हैं हार्दिक के विकल्प

गुजरात कांग्रेस अध्यक्ष बनने की रेस में हार्दिक पटेल भी शामिल थे, लेकिन ऐन वक्त पर उन्हें पिछड़ना पड़ा। सोनिया गांधी ने जगदीश ठाकोर को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद पर नियुक्ति दे दी। वैसे तो गांधी परिवार को हार्दिक पटेल के नाम पर कोई एतराज नहीं था। लेकिन कहा जाता है कि राज्य इकाई में हार्दिक पटेल के नाम पर एका नहीं बन पा रहा था और उनके खिलाफ विरोध के स्वर सुनाई पड़ रहे थे। हार्दिक पटेल की तुलना में जगदीश ठाकोर के नाम पर आम सहमति दिखी। कांग्रेस लीडरशिप को इस बात का डर सताने लगा था कि हार्दिक की नियुक्ति पर कहीं नया मोर्चा न खुल जाए।

पंजाब में पहले से ही झंझावात झेल रहे नेतृत्व को एक अन्य राज्य से नई मुश्किल स्वीकार्य नहीं थी। लेकिन जगदीश ठाकोर को अध्यक्ष बना देने से सब कुछ दुरुस्त रहेगा, यह कहना भी मुश्किल है। हार्दिक पटेल को लेकर कहा जा रहा है कि वह पार्टी के अंदर अपने आपको सहज नहीं पा रहे हैं। पार्टी के पुराने नेताओं के साथ उनकी कतई नहीं बन रही है। कई बार वह इसका इजहार भी कर चुके हैं। फिर भी वह इस उम्मीद में एडजस्ट करके चल रहे थे कि उन्हें प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया जा सकता है।

अब जब उनकी यह उम्मीद भी खत्म हो गई है तो वह हर तरह का फैसला लेने के लिए स्वतंत्र हैं। इसी वजह से कहा जा रहा है कि आने वाले दिनों में हार्दिक पटेल राज्य में कांग्रेस की राजनीति गरमा सकते हैं। जगदीश ठाकोर के अध्यक्ष बन जाने के बाद राज्य स्तर पर हार्दिक पटेल के पास करने को कुछ बचा नहीं है।



ब्राह्मण चेहरे की लड़ाई
ब्राह्मण चेहरे की लड़ाई

यूपी के कानून मंत्री बृजेश पाठक इस वक्त इसलिए चर्चा में हैं कि राज्य में चल रही ‘ब्राह्मण फेस’ की लड़ाई में उनका मुकाबला कभी उनके ‘गुरु’ कहे जाने वाले बीएसपी के सतीश मिश्रा से हो रहा है। दरअसल 2007 के विधानसभा चुनाव के मद्देनजर जब बीएसपी ब्राह्मण-दलित गठजोड़ के जरिए नई सोशल इंजीनियरिंग की परिभाषा गढ़ रही थी, तो उसने युवा चेहरे के रूप में बृजेश पाठक को आगे किया था। बृजेश पाठक दो बार बीएसपी से सांसद हुए थे। ‘ब्राह्मण शंख बजाएगा, हाथी बढ़ता जाएगा’ वाला नारा भी उन्हीं का गढ़ा हुआ था। लेकिन 2017 के चुनाव के वक्त उन्होंने वाया अमित शाह बीजेपी का साथ पकड़ लिया।

लखनऊ से विधायक हुए और योगी सरकार में उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया गया। अब 2022 के चुनाव के लिए यूपी में ब्राह्मण फैक्टर खासा अहम हो गया है। बीएसपी के लिए सतीश मिश्र और उनके पूरे परिवार ने मोर्चा संभाल रखा है तो बृजेश पाठक के सामने ब्राह्मणों को बीजेपी के पाले में बनाए रखने की चुनौती है। बीएसपी के अब तक जिन-जिन जिलों में ब्राह्मण सम्मेलन आयोजित हो चुके हैं, बृजेश पाठक की सभाएं उन जिलों में लग रही हैं। यूपी के लोगों का अटल बिहारी वाजपेयी के साथ भावनात्मक लगाव है। इसके मद्देनजर उन्होंने अटल फाउंडेशन का भी गठन किया है। अब इसके जरिए भी अलग-अलग जगहों पर कार्यक्रम आयोजित हो रहे हैं।

सतीश मिश्र की पत्नी ब्राह्मण महिलाओं के सम्मेलन आयोजित कर रही हैं तो बृजेश पाठक की पत्नी भी महिला सम्मेलन शुरू करने जा रही हैं। बृजेश पाठक उन ब्राह्मण परिवारों से व्यक्तिगत रूप से मुलाकात का सिलसिला भी शुरू कर चुके हैं, जिनके उत्पीड़न का मुद्दा विपक्ष उठाए हुए है। इन तमाम कोशिशों का बीजेपी को चुनाव में कितना फायदा होता है यह तो वक्त ही बताएगा, लेकिन बृजेश पाठक खुद को राज्य में बड़े ब्राह्मण नेता के रूप में स्थापित करने का मौका अपने हाथ से जाने नहीं देना चाहते।





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