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अन्नदाताओं को प्रमाण... दिल्ली में आंदोलन कर रहे किसानों के सवालों का मोदी का काशी से जवाब, पूरा किया MSP का वादा https://ift.tt/3loTPTT

November 30, 2020
वाराणसी पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi Speech In Varanasi) ने किसान आंदोलन (Farmer Protest News) के बीच आज अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में किसानों को खास तौर पर याद किया। पीएम ने अपने संबोधन में काशी के किसानों को अन्नदाता बताते हुए उन्हें नमस्कार किया। पीएम मोदी ने विपक्ष पर किसानों को बरगलाने का आरोप लगाते हुए कहा कि दशकों तक किसानों के साथ छल हुआ है और अब ऐसा करने वाले ही देश के अन्नदाताओं में भ्रम फैला रहे हैं। पीएम ने अपने भाषण में किसानों के हर सवाल का जवाब देने की कोशिश की। किसानों में भ्रम फैलाया जा रहा है पीएम मोदी ने कहा कि कृषि कानून पर किसानों में भ्रम फैलाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जिन्होंने किसानों के साथ छल किया है वे ही अब किसानों में भ्रम फैला रहे हैं। नए कानून किसानों को विकल्प देने वाला है। मंडियां और MSP को नहीं हटाएंगे-मोदी पीएम ने कहा कि हमारी सरकार तो मंडियों को और आधुनिक बनाने के लिए करोड़ो रुपये खर्च कर रही है। MSP पर किसानों की उपज बेची जा रही है। उन्होंने कहा कि आपको याद रखना है कि यही लोग हैं कि पीएम किसान सम्मान निधि को लेकर सवाल उठाते थे। ये लोग अफवाह फैलाते थे। एक राज्य ने किसान सम्मान योजना को अपने राज्य में लागू ही नहीं होने दिया। कुछ लोग तो अपनी राजनीति बचाने के लिए ऐसा किया। नए कृषि कानून किसानों के लिए विकल्प, पुराने में कोई बदलाव नहीं अगर कोई पुराने सिस्टम से लेनदेन को उचित समझता है तो इस कानून में कोई रोक नहीं लगाई है। नए कृषि सुधारों से नए विकल्प और किसानों कानूनी संरक्षण दिए गए हैं। सवाल भी स्वभाविक, लेकिन आजकल ट्रेंड अलग पिछले कुछ समय से एक अलग ही ट्रेंड देश में देखने को मिल रहा है। पहले अगर सरकार का कोई फैसला पसंद नहीं आता था तो विरोध होता था। पर अब विरोध का आधार फैसला नहीं बल्कि भ्रम फैलाया जाता है। ये वही लोग हैं जिन्होंने दशकों तक किसानों के साथ छल किया था। पहले MSP तो था लेकिन उसपर खरीद नहीं होती थी। सालों तक MSP को लेकर छल किया गया। कर्जमाफी पर भी छल किया गया किसानों को नाम पर पहले की सरकारों ने छल किया है। योजनाओं के नाम पर छल, किसानों के नाम पर छल, खाद पर छल। फर्टिलाइजर खेत से ज्यादा कालाबाजारियों के पास पहुंच जाता था। पहले वोट के लिए वादा और फिर छल। यही लंबे समय तक देश में चलता रहा है। जब इतिहास छल का रहा हो तब दो बातें काफी स्वाभाविक है, पहली ये किसान अगर सरकार की बातों से आशंकित रहता है तो इसके पीछे दशकों तक का लंबा छल का इतिहास है। जिन्होंने वादे तोड़े, छल किया उनके लिए ये झूठ फैलाना एक तरह से आदत और मजबूरी बन गई है। क्योंकि उन्होंने ऐसा ही किया था। इसलिए वही फार्मूला लगाकर यही देख रहे हैं। अब छल से नहीं, गंगाजल जैसी पवित्र नीयत के साथ काम पीएम मोदी ने कहा कि आशंकाओं के आधार पर भ्रम फैलाने वालों की सच्चाई लगातार देश के सामने आ रही है। जब एक विषय पर इनका झूठ किसान समझ जाते हैं तो वे दूसरे विषय पर झूठ फैलाने लग जाते हैं। 24X7 इनका यही काम है। जिन किसान परिवारों को कोई चिंताएं है तो उनका जवाब देने का काम भी सरकार दे रही है और उसकी कोशिश कर रही है। हमारा अन्नदाता आत्मनिर्भर भारत की आगुवाई करेगा। आज जिन किसानों पर कृषि सुधारों पर कुछ शंकाएं हैं वो भी भविष्य में इन सुधारों का लाभ उठाकर अपना आय बढ़ाएंगे मेरा ये पक्का विश्वास है। अन्नदाताओं को प्रणाम से मोदी का संदेश बात दें कि देव दीपावली के अवसर पर पीएम मोदी अपने संसदीय क्षेत्र में हैं। पीएम ने कहा काशी की जनता को प्रणाम करते हुए कहा, 'राजा तालाब, मिर्जामुराब, कच्छवा, कपसेठी, रोहनिया और सेवापुरी क्षेत्र के अन्नदाता को प्रणाम है। आप सभी को देव दीपावली और गुरु पर्व की ढेर सारी शुभकामनाएं।' बता दें कि केंद्र सरकार की कृषि कानून के विरोध में चल रहा है। आंदोलनकारी किसानों ने दिल्ली का हुक्का-पानी बंद करने की चेतावनी दी है। इस बीच, केंद्र सरकार भी ऐक्टिव हो गई है और किसानों से बात करने की तैयारी में है। किसानों को मजबूत करने के किए जा रहे हैं प्रयास पीएम ने कहा कि किसान को आधुनिक सुविधाएं देना, छोटे किसानों को संगठित करके उन्हें ताकतवर बनाना और किसानों को मजबूत करने का प्रयास जारी है। फसल बीमा हो या सिंचाई, बीच हो या बाजार हर स्तर पर काम किया गया है। किसान हित में किए गए कृषि सुधार ऐसे ही विकल्प किसान को देते हैं। अगर किसान को कोई ऐसा ही खरीदार मिल जाए जो सीधा खेत से फसल उठाए तो क्या किसान को अपनी उपज उसे बेचने की आजादी मिलनी चाहिए कि नहीं।


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किसान आंदोलन: वह हुक्‍का गुड़गुड़ाता था और सरकारें हिलने लगती थीं https://ift.tt/37lSckY

November 30, 2020
नई दिल्ली नए कृषि कानून के विरोध में हरियाणा-पंजाब के किसानों का प्रदर्शन 5वें दिन भी जारी है। वे इस वक्त दिल्ली-हरियाणा के सिंघु बॉर्डर पर डटे हुए हैं। किसान संगठनों ने बुराड़ी मैदान में जाने के बाद केंद्र सरकार के साथ बातचीत के प्रस्ताव को भी ठुकरा दिया। किसानों के हुंकार से नवंबर की ठंड में भी दिल्ली में तपिश महसूस हो रही है। 32 साल पहले भी दिल्ली में ऐसा ही नजारा था। तब इससे भी बड़े पैमाने पर किसान आकर दिल्ली के बोट क्लब में इकट्ठा हुए थे। वह दौर था किसान नेता का, जिनके नेतृत्व में 5 लाख किसानों ने अपनी मांगों को लेकर दिल्ली के वोट क्लब में रैली की थी। जब-जब कृषि आंदोलनों की बात होती है तो किसान नेता महेंद्र सिंह टिकैत का जिक्र जरूर होता है। उनका अंदाज ठेठ गंवई वाला था जो आंदोलन के दौरान मंच पर नहीं बल्कि हुक्का गुड़गुड़ाते हुए किसानों के बीच बैठ जाते थे। एक दौर वह भी आया जब उनके नेतृत्व में हुए आंदोलन से सत्तारूढ़ दल को अपनी रैली की जगह बदलनी पड़ी थी। एक आवाज पर इकट्ठा हो गए थे लाखों किसान महेंद्र सिंह टिकैत को किसानों का मसीहा कहा जाता था। किसानों के बीच वह बाबा टिकैत कहलाते थे। किसानों के बीच उनकी ऐसी पहुंच थी कि एक उनकी आवाज में लाखों किसान इकट्ठा हो जाते थे। उस रोज भी दिल्ली में ऐसा ही हुआ था। 25 अक्टूबर 1988 को महेंद्र सिंह टिकैत के नेतृत्व में दिल्ली के बोट क्लब में किसानों की रैली की तैयारी थी। पढ़ें: पुलिस की फायरिंग और 2 किसानों की मौत बिजली, सिंचाई की दरें घटाने और फसल के उचित मूल्य सहित 35 सूत्री मांगों को लेकर पश्चिमी यूपी से बड़ी संख्या में किसान दिल्ली पहुंच रहे थे। प्रशासन ने किसानों को रोकने के लिए पुलिस बल का इस्तेमाल किया। लोनी बॉर्डर पर किसानों को रोकने के लिए पुलिस ने फायरिंग भी कर दी जिसमें दो किसान राजेंद्र सिंह और भूप सिंह की मौत हो गई। पुलिस की काफी किरकिरी हुई और उधर किसान भी उग्र हो उठे। बावजूद इसके उन्हें दिल्ली जाने से कोई रोक नहीं पाया। 14 राज्यों से 5 लाख किसान पहुंचे थे बताते हैं कि करीब 14 राज्यों के 5 लाख किसानों ने उस वक्त दिल्ली में डेरा जमाया था। किसानों के समूह ने विजय चौक से लेकर इंडिया गेट तक कब्जा कर लिया था। पूरी दिल्ली ठप हो गई थी। किसानों ने अपने ट्रैक्टर और बैल गाड़ियां भी बोट क्लब में खड़े कर दिए थे। 'सरकार बात नहीं सुन रही है, इसलिए यहां आए है' उस वक्त बोट क्लब में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की पुण्यतिथि (30 अक्टूबर) के लिए तैयारियां चल रही थीं। मंच बनाया जा रहा था। किसान उसी मंच पर बैठ गए। तब टिकैत ने केंद्र सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि सरकार उनकी बात नहीं सुन रही इसलिए वे यहां आए हैं। ठेठ गंवई अंदाज वाले बाबा टिकैत ने किसानों के साथ वहां 7 दिन तक धरना दिया था। कांग्रेस को बदलनी पड़ी थी रैली की जगह टिकैत के नेतृत्व में 12 सदस्यीय कमिटी का गठन हुआ जिसने तत्कालीन राष्ट्रपति और लोकसभा अध्यक्ष से मुलाकात की लेकिन कोई फैसला नहीं हो सका। प्रदर्शनरत किसानों को हटाने के लिए पुलिस ने 30 अक्टूबर 1988 की रात उन पर लाठीचार्ज कर दिया। किसान फिर भी नहीं डिगे। किसान के प्रदर्शन के चलते कांग्रेस को इंदिरा गांधी की पुण्यतिथि की रैली का स्थान बदलना पड़ा था। कांग्रेस ने बोट क्लब के बजाय लालकिला के पीछे वाले मैदान में रैली की थी। और आखिरकार सरकार को झुकना पड़ा तब टिकैत ने तत्कालीन राजीव गांधी सरकार पर गरजते हुए कहा था, 'प्रधानमंत्री ने दुश्मन जैसा व्यवहार किया है। किसानों की नाराजगी उन्हें सस्ती नहीं पड़ेगी।' आखिरकार केंद्र सरकार को किसानों के आगे झुकना पड़ा। राजीव गांधी के भारतीय किसान यूनियन की सभी 35 मांगों पर फैसला लेने के आश्वासन पर वोट क्लब का धरना 31 अक्टूबर 1988 को खत्म हुआ। कहते हैं कि इस आंदोलन से चौधरी टिकैत को वह कद हासिल कर लिया कि प्रधानमंत्री से लेकर मुख्यमंत्री भी उनके आगे झुकने लगे थे।


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किसान आंदोलन: वह हुक्‍का गुड़गुड़ाता था और सरकारें हिलने लगती थीं https://ift.tt/37lSckY किसान आंदोलन: वह हुक्‍का गुड़गुड़ाता था और सरकारें हिलने लगती थीं
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उर्मिला मातोंडकर पर उद्धव ठाकरे यूं ही नहीं लगा रहे दांव, 5 पॉइंट्स में समझिए पूरी कहानी https://ift.tt/2VgT3h9

November 30, 2020
मुंबई फिल्म अभिनेत्री उर्मिला मातोंडकर अपने रानीतिक जीवन की दूसरी पारी शुरू करने वाली हैं। उर्मिला ने 2019 में कांग्रेस के टिकट पर मुंबई उत्तर से लोकसभा चुनाव लड़ा था, जिसमें उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। बाद में मुंबई कांग्रेस के कामकाज के तरीके को लेकर उन्होंने पार्टी छोड़ दी थी। पहले चर्चा थी कि उर्मिला सोमवार को शिवसेना जॉइन करेंगी लेकिन संजय राउत ने ट्वीट करके साफ किया कि वह मंगलवार को पार्टी में शामिल होंगी। हाल ही में शिवसेना ने विधान परिषद में मनोनयन के लिए राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के पास महाविकास अघाड़ी सरकार की तरफ से 12 नामों की सूची भेजी जिसमें उर्मिला का नाम भी शामिल है। इसके बाद से ही उर्मिला के शिवसेना में शामिल होने के कयास लगाए जा रहे थे। आखिर शिवसेना क्‍यों उर्मिला मातोंडकर को लेकर आशावान है आइए इसे समझते हैं: कंगना मसले पर मिला उर्मिला का सपोर्ट पिछले दिनों जब कंगना रनौत ने मुंबई की तुलना 'पाक अधिकृत कश्‍मीर' से की थी उस समय महाविकास अघाड़ी में शिवसेना की सहयोगी कांग्रेस और एनसीपी ने चुप्‍पी साधे रखी थी। इस असहज स्थिति में उर्मिला ने कंगना के बयान की खुलकर आलोचना की थी। उर्मिला ने कहा, 'पूरा देश ड्रग्‍स की समस्‍या से जूझ रहा है। क्‍या कंगना को पता है कि हिमाचल में ड्रग्‍स कहां से आते हैं? उन्‍हें अपने गृह राज्‍य से इसकी शुरुआत करनी चाहिए।' उर्मिला के हौसले और अंदाज का पड़ा असरउर्मिला पर पलटवार करते कंगना ने उन्‍हें 'सॉफ्ट पॉर्न स्‍टार' बताया जिसकी बॉलिवुड के दूसरे सितारों और मीडिया ने आलोचना की। उर्मिला ने जवाबी ट्वीट में इन लोगों को 'भारत की असली जनता' कहते हुए धन्‍यवाद दिया। पूरे मामले में उर्मिला ने जिस संयम और स्‍पष्‍टवादिता का परिचय दिया उससे भी शिवसेना को विधान परिषद उम्‍मीदवारी के लिए उर्मिला का नाम देने की वजह मिली। कांग्रेस को नहीं कोई आपत्ति चर्चा थी कि खुद कांग्रेस भी उर्मिला को विधान परिषद के लिए नामित कर सकती है लेकिन मुंबई के कांग्रेस नेताओं से मतभेद के चलते खुद उर्मिला इसके लिए इच्‍छुक नहीं थीं। जब सीएम उद्धव ठाकरे ने उनसे इस बाबत बात की तो वह तैयार हो गईं। शिवसेना के इस प्रस्‍ताव पर कांग्रेस ने भी कोई ऐतराज नहीं किया। इस कदम के बचाव में शिवसेना ने कहा कि उर्मिला कांग्रेस से इस्‍तीफा दे चुकी हैं। स्‍वयं कांग्रेस प्रवक्‍ता सचिन सावंत ने भी कहा, 'उर्मिला पिछले साल पार्टी छोड़ चुकी हैं।' उर्मिला में सशक्‍त महिला नेता की छवि देखती है सेना शिवसेना उर्मिला मातोंडकर के रूप में हिंदी और अंग्रेजी वोटरों के बीच ऐसी सशक्‍त महिला की छवि देखती है जो एक अच्‍छी वक्‍ता होने के साथ राष्‍ट्रीय स्‍तर पर पार्टी की बात रखने में सहज हो। सोने पर सुहागा यह कि उर्मिला मराठी वोटरों के भी उतने ही करीब हैं। भविष्‍य में उर्मिला को पार्टी प्रवक्‍ता भी बनाया जा सकता है। उर्मिला के पति हैं कश्‍मीरी मुस्लिम उर्मिला के पति मोहसिन अख्‍तर मीर कश्‍मीरी मुसलमान हैं। इस तरह उर्मिला के रूप में शिवसेना को मुसलमान वोटरों तक पहुंचने की भी राह दिखाई दे रही है। इसी वजह से पिछले कुछ समय से शिवसेना ने कई बार बीजेपी के कट्टर हिंदुत्‍व से खुद को अलग करने की कोशिश की है।


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उर्मिला मातोंडकर पर उद्धव ठाकरे यूं ही नहीं लगा रहे दांव, 5 पॉइंट्स में समझिए पूरी कहानी https://ift.tt/2VgT3h9 उर्मिला मातोंडकर पर उद्धव ठाकरे यूं ही नहीं लगा रहे दांव, 5 पॉइंट्स में समझिए पूरी कहानी
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पार्टी वर्कर्स के साथ रजनीकांत की बड़ी मीटिंग, पर छोड़ गए सस्पेंस https://ift.tt/33tyJh2

November 30, 2020
चेन्नै तमिलनाडु में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर सुपरस्टार का मंथन अभी जारी है। अभिनेता रजनीकांत ने अपने संगठन रजनी मक्कल मंद्रम () के कार्यकर्ताओं के साथ बैठक में राजनीति में एंट्री को लेकर अपना सस्पेंस बरकरार रखा है। रजनी ने कार्यकर्ताओं से पार्टी को मजबूत करते रहने का काम जारी रखते हुए कहा कि वह जल्द ही इस संबंध में फैसला लेंगे। रजनीकांत ने सोमवार को चेन्नै में पार्टी की अहम बैठक के बाद कहा, 'आज की बैठक में मैंने पार्टी के सभी जिला सचिवों के साथ विचारों का आदान-प्रदान किया। उन्होंने मेरे हर फैसले में साथ देने का आश्वासन दिया। मैं जितनी जल्द हो सके फैसला लूंगा।' राघवेंद्र मैरिज हॉल में हुई इस बैठक में कार्यकर्ताओं ने रजनीकांत से खुद को सीएम उम्मीदवार घोषित करते हुए जल्दी पार्टी लॉन्च करने की अपील की। रजनी मक्कल मंद्रम के कार्यकर्ता स्टालिन ने बैठक के बारे में जानकारी देते हुए बताया, 'हमने उनसे तमिलनाडु के लोगों के लिए राजनीति में आने की गुजारिश की है। सभी जिला सचिवों की यही अपील है। उन्होंने सबकी बातों को सुनने के बाद सोमवार शाम या मंगलवार तक आधिकारिक बयान जारी करने की बात कही है। अब वह जो भी निर्णय लें, सब स्वीकार है।' चेन्नै के कोडमबक्कम स्थित मैरिज हॉल में बैठक के मद्देनजर सुबह से ही भारी संख्या में कार्यकर्ता जुटने लगे थे। लोग हाथों में झंडे और बैनर लिए हुए थे। रजनीकांत की कार आने पर कार्यकर्ताओं ने उस पर फूलों की बारिश की। पार्टी के जिला सचिवों और राज्य स्तरीय पदाधिकारियों की बैठक में करीब 50 लोग शामिल थे। सुबह 10 बजे शुरू हुई यह बैठक 90 मिनट तक चली। गौरतलब है कि रजनीकांत ने 31 दिसंबर 2017 को अपने प्रशंसकों की भीड़ के बीच राजनीतिक पार्टी के गठन का ऐलान किया था। 'आध्यात्मिक राजनीति' शुरू करने की बात करने वाले रजनीकांत सक्रिय बने हुए हैं। हालांकि उन्होंने आधिकारिक तौर पर अभी राजनीति में एंट्री नहीं ली है। उन्होंने पिछले साल का लोकसभा चुनाव नहीं लड़ा और अब नजरें इस बात पर टिकी हैं कि क्या वह विधानसभा चुनाव में उतरेंगे या नहीं।


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पार्टी वर्कर्स के साथ रजनीकांत की बड़ी मीटिंग, पर छोड़ गए सस्पेंस https://ift.tt/33tyJh2 पार्टी वर्कर्स के साथ रजनीकांत की बड़ी मीटिंग, पर छोड़ गए सस्पेंस
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...और चौधरी देवीलाल ने राजभवन में ही राज्यपाल को जड़ दिया थप्पड़, सब सन्न https://ift.tt/37ow7lT

November 30, 2020
नई दिल्ली नए कृषि कानूनों को खिलाफ जारी किसान आंदोलन के बीच दिग्गज किसान नेता चौधरी देवीलाल से जुड़ी एक बेहद महत्वपूर्ण घटना से आपको रू-ब-रू कराते हैं। बात उनसे 1982 की है जब उन्होंने हरियाणा के तत्कालीन राज्यपाल को थप्पड़ जड़ दिया था। इस बात पर भरोसा करना आसान नहीं है, लेकिन सचाई यही है। दरअसल, तब हरियाणा में विधानसभा का चुनाव हुआ था। चुनाव परिणाम आया तो किसी भी दल या गठबंधन को बहुमत नहीं मिला। 1982 का विधानसभा चुनाव और देवीलाल के लिए मौका ताऊ के उपनाम से मशहूर चौधरी देवीलाल की पार्टी भारतीय राष्ट्रीय लोक दल और भारतीय जनता पार्टी यानी बीजेपी के गठबंधन ने 36 सीटें लाकर कुल 90 सीटों वाली विधानसभा में बढ़त हासिल कर ली थी। इस कारण तत्कालीन राज्यपाल गणपतराव देवजी तापसे ने 22 मई, 1982 को गठबंधन के नेता चौधरी देवीलाल को सरकार बनाने का न्योता दे दिया। लेकिन, इस बीच भजनलाल ने कांग्रेस और निर्दलियों को एकजुट कर राज्यपाल के पास सरकार बनाने का दावा ठोंक दिया। भजनलाल ने राज्यपाल को कुल 52 विधायकों के समर्थन की लिस्ट सौंप दी। देवीलाल ने राज्यपाल को जड़ा थप्पड़ और सन्न रह गए लोग इस पर राज्यपाल गणपतराव देवजी तापसे ने भजनलाल को सरकार बनाने का मौका दे दिया। भजनलाल ने तुरंत मुख्यमंत्री पद की शपथ भी ले ली। राज्यपाल के इस फैसले से देवीलाल इतने गुस्से हुए कि शिकायत के दौरान उन्होंने राज्यपाल की ठुड्डी पकड़ ली। वहां लोग सन्न रह गए। लेकिन इससे भी ज्यादा चौंकाने वाली घटना थोड़ी बाद घटी। लोगों ने देखा कि चौधरी देवीलाल ने राज्यपाल को थप्पड़ जड़ दिया है। राजनीति के मंझे खिलाड़ी ने देवीलाल पर नहीं लिया कोई ऐक्शन राज्यपाल गणपतराव देवजी तापसे भी महाराष्ट्र के मंझे हुए नेता थे। उन्होंने इस घटना को तूल नहीं देने का फैसला किया। तापसे को लगा कि इस वाकये का जितना प्रचार होगा, उतनी ही उसकी बेइज्जती होगी। आखिरकार उन्होंने इस अप्रत्याशित घटना पर मिट्टी डालने का मन बनाया और चौधरी देवीलाल के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई। लेकिन थोड़ ठहर जाइए। इस घटना से यह मत समझ लीजिए कि देवीलाल बिल्कुल निम्नस्तरीय नेता थे। वो जितना आक्रामक थे, उतने ही नरम भी। एक दिल दुखाने वाली घटना और शुरू कर दी वृद्धा पेंशन पूर्व सांसद कैप्टन इंद्र सिंह ने देवीलाल के दूसरे पहलू का जिक्र करते हुए बहुत महत्वपूर्ण बात बताई। उन्होंने एक हिंदी न्यूज वेबसाइट को बताया कि देवीलाल ने क्यों बुढ़ापा पेंशन की शुरुआत की। बकौल कैप्टन इंद्र सिंह, देवीलाल अपने पुराने साथी के घर गए। संयोग से उस दिन उनके साथी की पोती की विदाई हो रही थी। पोती ने अपने अपने दादा और उनके मित्र देवीलाल के पैर छुए। देवीलाल के मित्र ने पोती को शगुन में देने के लिए घर वालों से पैसे मांगे और यह भी कहा कि देवीलाल आए हैं, चाय बना दो। अच्छी-खासी देर हो गई, लेकिन घरवालों ने बुजुर्ग को न तो पैसे दिए और न चाय। देवीलाल को यह बात चुभ गई। उन्होंने उसी दिन ठान लिया कि सत्ता मिलते ही वृद्धा पेंशन की व्यवस्था की जाएगी ताकि किसी बुजुर्ग को इतनी जिल्लत नहीं झेलनी पड़े। देवीलाल से जुड़े ऐसे कई दिलचस्प किस्से हैं जो आपको हैरत में डाल देगी।


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...और चौधरी देवीलाल ने राजभवन में ही राज्यपाल को जड़ दिया थप्पड़, सब सन्न https://ift.tt/37ow7lT ...और चौधरी देवीलाल ने राजभवन में ही राज्यपाल को जड़ दिया थप्पड़, सब सन्न
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जब किसानों ने 'जय जय श्रीराम, जय श्री सीताराम' को बना दिया था कोडवर्ड https://ift.tt/3qkZfTN

November 30, 2020
प्रतापगढ़ देश में किसानों का आंदोलन इन दिनों सबसे बड़ा मुद्दा बना है। केंद्र सरकार के कृषि बिलों के खिलाफ किसान प्रदर्शन कर रहे हैं। भारत में अंग्रेजों की ओर से वसूली जाने वाली लगान के विरोध में उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले से बगावत का बिगुल फूंका गया था। के दौरान अपना सबकुछ न्यौछावर कर देने वाले वीर सपूतों की याद में स्मारक तो बनवा दिया गया, लेकिन उसके बाद इसे कभी न तो सजाया गया न ही इसकी ओर किसी ने ध्यान दिया। आज यह स्थान बदहाली में है। स्मारक आवारा पसुओं का ठिकाना बन गया है। यहां किसान आंदोलन की शुरुआत रामचरितमानस की चौपाइयों और जयश्रीराम के कोडवर्ड के साथ हुई थी। अवध में किसान एक राजनीतिक ताकत भी है और सामाजिक ताकत भी, लेकिन आजादी से पहले, खासकर पहले विश्वयुद्ध के बाद आए मंदी व महंगाई के दौर में शोषण के शिकार थे। उन्हें गोरों की सत्ता के साथ देसी तालुकेदारों, जमींदारों व कारिंदों से नाना प्रकार के अत्याचार भी सहने पड़ते थे। उनके खेतों व घरों में हरी-बेगारी तो करनी ही पड़ती थी, मनमाने लगान व नजराने की अदायगी के बावजूद अपने खेतों से बेदखली झेलनी पड़ती थी। जो खेत वे जोतते-बोते थे, उनके स्वामित्व के हक से भी महरूम थे। इन जिलों से शुरू हुआ संघर्ष 1919 में देश के स्वाधीनता आंदोलन से प्रेरणा लेकर किसानों ने प्रतापगढ़, रायबरेली, सुल्तानपुर और फैजाबाद आदि जिलों में इस सबके खिलाफ संघर्ष आरंभ किया तो उसे नई धार देने का दायित्व निभाया अद्भुत व्यक्तित्व के मालिक बाबा रामचंद्र ने। बाबा महाराष्ट्रीय ब्राह्मण थे। घूम-घूमकर सुनाते ते रामचरित मानस की चौपाइयां 1909 में बाबा रामचंद्र फैजाबाद आए तो गांव-गांव घूमकर ‘रामचरितमानस’ के दोहे व चौपाइयां सुनाया करते थे। इस दौरान उनसे किसानों की दुर्दशा नहीं देखी गई तो वे उनके नेता बन गए और जून, 1920 में उनके सैकड़ों प्रतिनिधियों के साथ इलाहाबाद जाकर ‘किसान सभा’ के संस्थापक सदस्य गौरीशंकर मिश्र और कांग्रेस नेता जवाहरलाल नेहरू से मिले। किसान सभा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से जुड़ी हुई थी और बाबा के आग्रह पर पं. नेहरू समेत उसके नेताओं ने अगले तीन महीनों तक अवध के दौरे कर अपनी आंखों से किसानों की बदहाली देखी। फिर वे सब के सब उसके खिलाफ सक्रिय हुए तो बाबा नींव की ईंट बन गए। उन्होंने सारे अत्याचारों को चुपचाप सहते जाने की किसानों की पीढ़ियों से चली आ रही प्रवृत्ति को खत्म कर उन्हें प्राणपण से संघर्ष के लिए तैयार करने में कुछ भी उठा नहीं रखा। इस दौरान उन्होंने किसानों की एकता के लिए कई नारे सृजित किए और उनको रामचरितमानस के दोहों से जोड़ा। चोरी का आरोप में किया गिरफ्तार तो हजारों किसान हो गए थे एकत्र प्रतापगढ़ जिले का एक गांव बाबा रामचंद्र गतिविधियों का केंद्र बन गया, जहां पुलिस ने 28 अगस्त, 1920 को 32 किसानों के साथ गिरफ्तार करके उनपर चोरी का आरोप मढ़ दिया। इसे लेकर किसानों में ऐसी उत्तेजना फैली कि वे मरने-मारने के लिए तैयार होकर हजारों की संख्या में वहां इकट्ठा हो गए। जब तक पुलिस उन्हें वापस जाने के लिए मना पाती, न जाने कहां से बात फैल गई कि बाबा को मुक्त कराने के लिए खुद गांधी जी प्रतापगढ़ आ रहे हैं। इस पर कोई बीस हजार किसान फिर जमा हो गए और वे तभी वापस गए, जब पुलिस ने उन्हें बाबा के ‘दर्शन’ कराकर आश्वस्त कर दिया कि वे सकुशल हैं। साथ न देने वाले किसानों का हुआ सामाजिक बहिष्कार इसके लिए बाबा को गन्ने के खेतों के बीच से ले जाकर एक पेड़ पर चढ़ाया गया ताकि सारे किसान सुभीते से उन्हें देख लें। इस मोर्चे पर जीत से किसानों के आंदोलन में नई ऊर्जा का संचार हुआ। लेकिन तभी कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में सरकार से असहयोग को लेकर जो मतभेद मुखर हुए, किसान सभा भी उनसे नहीं बच सकी और असहयोग समर्थकों ने 17 अक्टूबर, 1920 को अलग ‘अवध किसान सभा’ गठित कर ली। बाबा की अगुआई में इस नई सभा ने किसानों का आह्वान किया कि वे जमींदारों की हरी-बेगारी करने से साफ मना कर दें और बेदखली को कतई स्वीकार न करें। जो किसान इसमें साथ न दें, उनका सामाजिक बहिष्कार करें और अपनी समस्याओं का समाधान अपनी पंचायतों के माध्यम से ही करें। खुद को रस्सियों से बांधकर किसानों ने किया प्रदर्शन इस आह्वान की सफलता से उत्साहित अवध किसान सभा ने 20-21 दिसंबर, 1920 को अयोध्या में किसानों की एक बड़ी रैली की, जिसमें एक लाख से ज्यादा किसान शामिल हुए। यातायात की उन दिनों की असुविधाओं के मद्देनजर यह बहुत बड़ी संख्या थी। इस रैली में बाबा शोषित किसानों के प्रतीक के रूप में खुद को रस्सियों से बंधवाकर आए और किसानों को अपने सारे बंधन झटककर तोड़ देने की प्रेरणा दी। इतिहास गवाह है, बाद के वर्षों में अवध के किसानों में उनकी यह प्रेरणा खूब फूली-फली।


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जब किसानों ने 'जय जय श्रीराम, जय श्री सीताराम' को बना दिया था कोडवर्ड https://ift.tt/3qkZfTN जब किसानों ने 'जय जय श्रीराम, जय श्री सीताराम' को बना दिया था कोडवर्ड
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किसान आंदोलन: धरती का जो बेटा है वो हरबार जमीन पर क्यों है लेटा https://ift.tt/2JngToK

November 30, 2020
पर एक हकीकत ये भी है कि धरती का बेटा कहे जाने वाला किसान हर बार सत्ताधीशों से ठगा गया है। काल चाहे जो हो, उन्हें हर बार सत्ता के खिलाफ झंडा बुलंद करना पड़ा है। कृषि कानून के खिलाफ किसानों के गुस्से से कई राज्य की सरकारें भी हिली हुई हैं। धरती से सोना उगाने वाले किसान इसबार आर-पार के मूड में है। विरोध-प्रदर्शन कर रहे किसानों की कुछ तस्वीरें मर्माहत करने वाली हैं। हालांकि, किसानों के आंदोलन को देखते हुए केंद्र सरकार भी ऐक्टिव हो चुकी है लेकिन फिलहाल धरती का बेटा जमीन पर लेटा हुआ है।

कृषि कानून (Krishi Kanoon) के खिलाफ किसान आंदोलन ने सरकार की नींद उड़ा दी है। दिल्ली के दरवाजे पर खड़े किसान सरकार की शर्तों को मानने को तैयार नहीं है और दिल्ली घेरने की मुनादी कर दी है। देश में किसान आंदोलन का इतिहास बहुत पुराना रहा है। इसबार के आंदोलन ने भी दिल्ली की तख्त को हिलाया है। नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) सरकार के मंत्री किसानों को मान समझाने के लिए ट्वीट कर रहे हैं तो गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) भी किसानों से बात करने की बात कर रहे हैं।


Farmers Protest Updates: धरती का जो बेटा है वो हरबार जमीन पर क्यों है लेटा

पर एक हकीकत ये भी है कि धरती का बेटा कहे जाने वाला किसान हर बार सत्ताधीशों से ठगा गया है। काल चाहे जो हो, उन्हें हर बार सत्ता के खिलाफ झंडा बुलंद करना पड़ा है। कृषि कानून के खिलाफ किसानों के गुस्से से कई राज्य की सरकारें भी हिली हुई हैं। धरती से सोना उगाने वाले किसान इसबार आर-पार के मूड में है। विरोध-प्रदर्शन कर रहे किसानों की कुछ तस्वीरें मर्माहत करने वाली हैं। हालांकि, किसानों के आंदोलन को देखते हुए केंद्र सरकार भी ऐक्टिव हो चुकी है लेकिन फिलहाल धरती का बेटा जमीन पर लेटा हुआ है।



ऐ सरकार! सुन लो पुकार
ऐ सरकार! सुन लो पुकार

किसान अपनी मांगों को लेकर दिल्ली के दरवाजे पर दस्तक दे चुके हैं। वे अपनी मांगों को लेकर सरकार से साफ-साफ आश्वासन चाहते हैं। आंदोलन के बीच ट्रक में सुस्ताता एक आंदोलनकारी।



जबतक जीतेंगे नहीं, तबतक छोड़ेंगे नहीं
जबतक जीतेंगे नहीं, तबतक छोड़ेंगे नहीं

आंदोलनकारी किसान सरकार की किसी भी शर्त को स्वीकार करने के मूड में नहीं है। किसान नेता सरकार को चेतावनी दे चुके हैं कि वो तबतक नहीं छोड़ेंगे जबतक उन्हें जीत नहीं मिलेगी।



आंदोलन के साथ खाने की भी तैयारी
आंदोलन के साथ खाने की भी तैयारी

आंदोलनकारी किसान पूरी तैयारी के साथ दिल्ली सीमा पर पहुंचे हैं। उनके पास खाने-पीने की चीजें हैं और सड़क पर चूल्हा जलाकर खाना बना रहे हैं। किसानों का कहना है कि वो तबतक यही रहेंगे जबतक सरकार उनकी मांग नहीं मान लेगी।



ट्रक के सिरहाने में अपना आशियाना
ट्रक के सिरहाने में अपना आशियाना

भारी संख्या में कृषि कानून का विरोध कर रहे किसानों ने अपने सोने का इंतजाम भी कर लिया है। उनके सोने का सिरहाना ट्रक है और धरती मां की गोद में वो इत्मीनान से सो रहे हैं।



रास्ता है लंबा, थोड़ा सुस्ता लें
रास्ता है लंबा, थोड़ा सुस्ता लें

केंद्र सरकार ने किसानों से बातचीत के लिए कुछ शर्त रखी थी लेकिन किसान सरकार की शर्तों को मानने से साफ इनकार कर दिया। सड़क किनारे ट्रक को सिरहाना बना सुस्ताते किसान।



उफ्फ! अन्नदाता पर ये जुर्म
उफ्फ! अन्नदाता पर ये जुर्म

प्रदर्शनकारी किसानों के खिलाफ पुलिसिया डंडे भी चले। इस तस्वीर में पुलिस के तीन जवान एक आंदोलनकारी किसान पर लाठी बरसाते दिख रहे हैं और अन्नदाता उनसे रहम की भीख मांग रहा है।



उम्र पर मत जाओ, जीतकर रहेंगे
उम्र पर मत जाओ, जीतकर रहेंगे

किसान आंदोलन में युवा से बुजुर्ग तक शामिल हैं। इस तस्वीर में एक उम्रदराज बुजुर्ग सरकार के कृषि कानून के खिलाफ अपना गुस्सा दिखाते हुए दिख रहे हैं, मानो कह रहे हों, मेरी उम्र पर मत जाओ, जीतना हमें आता है।



हैं तैयार हम
हैं तैयार हम

छोटे-छोटे जत्थे में दिल्ली कूच करते हुए किसान पूरे जोश में हैं। वो सरकार से अपनी मांगे मनवाएं बिना टस से मस नहीं होने वाले हैं। बता दें कि सरकार ने किसानों को बातचीत का प्रस्ताव दिया है।





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किसान आंदोलन: धरती का जो बेटा है वो हरबार जमीन पर क्यों है लेटा https://ift.tt/2JngToK किसान आंदोलन: धरती का जो बेटा है वो हरबार जमीन पर क्यों है लेटा
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राहुल गांधी ने कहा- कृषि कानूनों का विरोध 'सत्य और असत्य की लड़ाई', किसानों के साथ खड़ा होने की अपील https://ift.tt/2JkB2fw

November 30, 2020
नई दिल्ली कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने नए कृषि कानूनों पर केंद्र सरकार को किसान संगठनों के बीच चल रही खींचतान को 'सत्य और असत्य की लड़ाई' बताई और अपील की कि हर कोई इस लड़ाई में किसानों का साथ दे। उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं और आम लोगों से प्रदर्शनकारी किसानों के पक्ष में खड़े होने की आह्वान करते हुए को कहा कि सभी को अन्नदाताओं के साथ होना चाहिए। साथ ही उन्होंने फिर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 'पूंजीपतियों का मित्र' बताया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर राहुल का निशाना केरल के वायनाड से सांसद ने सवाल किया कि अगर ये कानून किसानों के हित में हैं तो फिर किसान सड़कों पर क्यों हैं? कांग्रेस के 'स्पीक अप फॉर फार्मर्स' नामक सोशल मीडिया अभियान के तहत एक वीडियो जारी राहुल गांधी ने कहा, 'देश का किसान काले कृषि क़ानूनों के खिलाफ ठंड में, अपना घर-खेत छोड़कर दिल्ली तक आ पहुंचा है। सत्य और असत्य की लड़ाई में आप किसके साथ खड़े हैं - अन्नदाता किसान या प्रधानमंत्री के पूंजीपति मित्र?' राहुल का सवाल- कानून किसानों के हित में तो फिर आंदोलन क्यों? उन्होंने कहा, 'देशभक्ति देश की शक्ति की रक्षा होती है। देश की शक्ति किसान है। सवाल यह है कि आज किसान सड़कों पर क्यों है? वह सैकड़ों किलोमीटर चलकर दिल्ली की तरफ क्यों आ रहा है? नरेंद्र मोदी जी कहते हैं कि तीन कानून किसान के हित में है। अगर ये कानून किसान के हित में है तो किसान इनका गुस्सा क्यों है, वह खुश क्यों नहीं है?' कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया, 'ये कानून मोदी जी के दो-तीन मित्रों के लिए है, किसान से चोरी करने के कानून हैं।' किसानों के साथ खड़ा होने की अपील राहुल गांधी ने कहा, 'हमें किसान की शक्ति के साथ खड़ा होना पड़ेगा। ये किसान जहां भी हैं उनके साथ कांग्रेस कार्यकर्ताओं और आम जनता को खड़ा होना चाहिए। इनको भोजन देना चाहिए। इनकी मदद करनी चाहिए।' कृषि कानून के खिलाफ किसानों का प्रदर्शन पांचवें दिन सोमवार को भी जारी रहा। प्रदर्शनकारियों ने आज राष्ट्रीय राजधानी को जाने वाले पांच मार्गो को जाम करने की चेतावनी दी है। इन किसानों की मांग कृषि कानूनों को वापस लेने की है। (भाषा से इनपुट के साथ)


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राहुल गांधी ने कहा- कृषि कानूनों का विरोध 'सत्य और असत्य की लड़ाई', किसानों के साथ खड़ा होने की अपील https://ift.tt/2JkB2fw राहुल गांधी ने कहा- कृषि कानूनों का विरोध 'सत्य और असत्य की लड़ाई', किसानों के साथ खड़ा होने की अपील
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जब AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी बोले- मैं एक लैला हूं और मेरे हजारों मजनूं हैं https://ift.tt/3o4ud0n

November 30, 2020
हैदराबाद खुद पर लगने वाले 'बीजेपी की बी टीम' के आरोपों पर एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी बोले, 'मेरा हाल ऐसा है कि मैं एक लैला हूं और मेरे हजारों मजनूं हैं।' ओवैसी का कहना था कि सभी पार्टियां मुझे मुद्दा बनाकर लाभ लेना चाहती हैं। ओवैसी ने बीजेपी पर आरोप लगाया कि उसने हैदराबाद में आई बाढ़ के दौरान यहां की जनता की पूरी तरह अनदेखी की। एक न्‍यूज चैनल को दिए इंटरव्‍यू में ओवैसी ने कहा, 'बिहार में कांग्रेस ने कह दिया कि मैं बीजेपी के साथ वोटकटवा हूं, बी टीम हूं। यहां हैदराबाद में कांग्रेस कह रही है कि अगर ओवैसी नहीं तो हमको वोट दे दो। बीजेपी कुछ और कह रही है। मुझे कोई फिक्र नहीं है।' 'हैदराबाद की जनता जानती है असलियत'ओवैसी आगे बोले, 'यानि मैं एक लैला हूं और हर कोई चाहता है कि मुझे मुद्दा बनाकर वोट हासिल किए जाएं। हैदराबाद की जनता यह देख रही है कि असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी हैदराबाद के हर पहलू को बेहतर बनाने की कोशिश कर रही है। यह बात तो अब जनता तय करेगी।' 'अंधे और बहरे हैं अमित शाह के सलाहकार'जब ओवैसी से पूछा गया कि अमित शाह पूछते हैं कि जब हैदराबाद में बाढ़ आई तो ओवैसी भाई और टीआरएस कहां थी। इस पर ओवैसी बोले, 'अमितशाह के जो चमचे हैं वे बिल्कुल ही बहरे हैं अंधे हैं। अकबरुद्दीन ओवैसी ने साढे तीन करोड़ की रिलीफ बांटी। असदुद्दीन ओवैसी रोज घुटनों तक गहरे पानी में फिर रहा था। हमारे पास इसके विजुअल हैं। हम लोगों की जान बचा रहे थे। हमने सीएम से मिलकर हर घर को 10 हजार रुपये दिलवाए।' 'आपने मदद नहीं अब हमसे सवाल करते हैं'उलटे गृह मंत्री अमित शाह पर आरोप लगाते हुए ओवैसी बोले, 'मैं अमित शाह पर आरोप लगा रहा हूं कि आपने हैदराबाद की जनता के साथ झूठबोलकर उन्‍हें एक रुपया नहीं दिलवाया। कर्नाटक की बाढ़ में पैसा दिया। अगर हैदराबाद में लोगों को पैसे मिलते तो एक-एक घर को 80 हजार से एक लाख रुपये मिलते। आपने एक पैसा नहीं दिया और हमसे सवाल कर रहे हैं।' ओवैसी ने आगे कहा, 'हमने न हिंदू देखा न मुसलमान हर आदमी की मदद की। उस समय बीजेपी सो रही थी। सिवाय एएमआईएम के एमएलए के और सीएम के अलावा कोई नहीं गया बाढ़ग्रस्‍त इलाकों में।'


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जब AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी बोले- मैं एक लैला हूं और मेरे हजारों मजनूं हैं https://ift.tt/3o4ud0n जब AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी बोले- मैं एक लैला हूं और मेरे हजारों मजनूं हैं
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क्या कर रही हैं वे 3 टीमें, जिनसे पीएम मोदी आज कोरोना वैक्सीन पर करेंगे बात https://ift.tt/39rHYSH

November 30, 2020
नई दिल्ली दुनियाभर में कोरोना वायरस की वैक्सीन (Covid-19 Vaccine Updates) को लेकर तैयारियां जोरो पर हैं। पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने दो दिन पहले अहमदाबाद में Zydus Biotech Park, हैदराबाद में भारत भारत बायोटेक और पुणे में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया का दौरा किया था और कोरोना वैक्सीन की तैयारियों का जायजा लिया था। पीएम मोदी आज वैक्सीन बना रही तीन अन्य कंपनियों की तीन टीमों से वर्चुअल बैठक करने वाले हैं। आइए जानते हैं ये टीमें क्या कर रही हैं.. जिनोवा बायोफार्मा (Gennova Biopharma) पुणे स्थित जिनोवा बायोफार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड कोरोना वायरस की वैक्सीन बनाने में जुटी हुई है। यह कंपनी मैसेंजर RNA के जरिए वैक्सीन बना रही है। कंपनी की माने तो यह मार्च तक कोविड-19 की वैक्सीन बना लेगी। अभी यह कंपनी ह्यूमन ट्रायल के दौर में नहीं पहुंची है लेकिन कंपनी के सीईओ संजय सिंह को उम्मीद है कि जल्द ही वह वैक्सीन पर बड़ी न्यूज देंगे। बायोलॉजिकल ई लिमिटेड () अमेरिका के टेक्सास स्थित बायलर कॉलेज ऑफ मेडिसिन (बीसीएम) ने कोविड-19 के सुरक्षित, प्रभावी और सस्ते टीके के विकास के लिये भारतीय दवा कंपनी बायोलॉजिकल-ई लिमिटेड (बीई) के साथ समझौता किया था। अभी कंपनी ने कोरोना वैक्सीन के फेज 1 और फेज 2 का शुरुआती ट्रायल शुरू कर दिया है। कंपनी मानवों पर इसका ट्रायल शुरू किया है। , बायोलॉजिकल ई लिमिटेड को बायलर में विकसित पुनः संयोजक प्रोटीन कोविड-19 टीके का लाइसेंस दिया गया है। कंपनी ने बायलर की तकनीक पर प्रारंभिक चर्चा के बाद बीसीएम वेंचर्स टीम के साथ लाइसेंस समझौता किया। वह टीके के विकास और व्यावसायीकरण के अपने पुराने अनुभव के दम पर इस लाइसेंस को आगे बढ़ाकर कोविड-19 टीका तैयार करेगी। डॉ रेड्डी () रूसी कोरोना वैक्सीन Sputnik V की पहली खेप भारत आ गई है। हाल ही में फार्मा कंपनी डॉ. रेड्डीज को रूसी कोरोना वैक्सीन के भारत में ह्यूमन ट्रायल की अनुमति मिली थी। रूस ने अगस्त में दुनिया की पहली कोरोना वैक्सीन स्पुतनिक-वी को मंजूरी देकर दुनिया को चौंका दिया था। ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने फार्मा कंपनी डॉ रेड्डी लैबोरेटरीज को रूसी वैक्‍सीन के ट्रायल की इजाजत दी है। वैक्‍सीन का 1,400 लोगों पर फेज 3 ट्रायल किया जाएगा। यह वैक्‍सीन मॉस्‍को के गामलेया रिसर्च इंस्टिट्यूट ने बनाई है। कहा जा रहा है कि मार्च 2021 तक स्पूतनिक वैक्सीन का अंतिम चरण का ट्रायल पूरा हो जाएगा।


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क्या कर रही हैं वे 3 टीमें, जिनसे पीएम मोदी आज कोरोना वैक्सीन पर करेंगे बात https://ift.tt/39rHYSH क्या कर रही हैं वे 3 टीमें, जिनसे पीएम मोदी आज कोरोना वैक्सीन पर करेंगे बात
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बेटी की शादी, भतीजे की मौत...फिर भी नहीं टूट रहे सड़क पर डटे किसानों के हौसले https://ift.tt/3mnYhDD

November 30, 2020
गाजियाबाद नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्‍ली बॉर्डर पर कई दिनों से प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों ने बुराड़ी मैदान में जाने के बाद बातचीत शुरू करने के केंद्र के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया। किसानों के विरोध प्रदर्शन के मद्देनजर दिल्ली-गाजियाबाद बॉर्डर पर सुरक्षा और कड़ी की गई। गाजीपुर बॉर्डर को पुलिस ने बड़े-बड़े बोल्डर लगाकर ब्लॉक किया। वे अभी भी दिल्ली-हरियाणा के सिंघु बॉर्डर पर डटे हुए हैं। आंदोलन में पहुंचे हर किसान की अलग कहानी है। इनके लिए खेती ही सबकुछ है। किसान कहते हैं कि अपने हक के लिए सब छोड़कर यहां आए हैं। किसी के घर में बेटे की शादी है तो किसी के घर बेटी की। इसके बावजूद परिवार को सारी जिम्मेदारी सौंपकर यहां डटे हुए हैं। वह कहते हैं कि घर न पहुंच सके तो वीडियो कॉल पर बच्चों को आशीर्वाद दे देंगे। 'परिवार को सौंप दी जिम्मेदारी' अमरोहा से आए सुभाषचंद बताते हैं कि अगले सप्ताह बेटी की शादी है। वहां पत्नी और बच्चों को काम सौंपकर आया हूं। आज मैं जो भी हूं, खेती के कारण हूं, इसलिए मेरा पहला धर्म यहां के लिए बनता है। शादी के सभी इंतजाम करवा दिए हैं। दोनों तरफ पूरी जिम्मेदारी है, जिसे मैं निभा रहा हूं। यहां ज्यादा दिन लगे तो घरवालों से कहा है कि वीडियो कॉल पर शादी दिखा दें। अगले हफ्ते हैं बेटे की शादी मैं बागपत से यहां पहुंचा हूं। ये आंदोलन हम किसान भाइयों के लिए जरूरी है। अगले हफ्ते मेरे बेटे की शादी है। घर के दूसरे सदस्यों को इसकी जिम्मेदारी देकर आ गया हूं। चौधरी नरेंद्र कहते हैं कि यहां किसान भाइयों को मेरी ज्यादा जरूरत है। किसान होकर मैं ही यहां नहीं रहूंगा तो हक के लिए कैसे बाकियों को हिम्मत मिलेगी। भतीजे की मौत पर नहीं गए घर बिजनौर से आ रहे समरपाल बताते हैं कि मैं यहां जैसे ही आ रहा था, वैसे ही घर से संदेश मिला कि भतीजे की मृत्यु हो गई है। मैं आधे रास्ते आ चुका था। अपने किसान भाइयों को देखा तो सोचा कि भतीजा भी यही चाहता था कि हमें इंसाफ मिले, इसलिए मैंने अपने पैर पीछे नहीं किए। यूपी गेट बॉर्डर पहुंचा और यहां दो दिन से आंदोलन में हूं।


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बेटी की शादी, भतीजे की मौत...फिर भी नहीं टूट रहे सड़क पर डटे किसानों के हौसले https://ift.tt/3mnYhDD बेटी की शादी, भतीजे की मौत...फिर भी नहीं टूट रहे सड़क पर डटे किसानों के हौसले
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जानिए कौन हैं पीएम मोदी को चैंलेज करने वाले ममता के भतीजे अभिषेक बनर्जी https://ift.tt/36p6xxT

November 30, 2020
कोलकाता पश्चिम बंगाल में चुनावी सरगर्मी तेज हो गई है। राज्य में विधानसभा चुनावों का समय नजदीक आने के साथ ही राजनीतिक बयानबाजी भी जोर पकड़ने लगी है। के सांसद () ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ही चैंलेज कर दिया है। अभिषेक ने कहा कि पीएम सहित बीजेपी के किसी भी नेता में उन पर नाम लेकर आरोप लगाने का साहस नहीं है। टीएमसी के टिकट पर लगातार दूसरी बार सांसद चुने गए अभिषेक बनर्जी डायमंड हार्बर और दक्षिण 24 परगना सीट का प्रतिनिधित्व करते हैं। वह टीएमसी प्रमुख और मुख्यमंत्री के भतीजे हैं और अभी पार्टी में नंबर दो की हैसियत रखते हैं। अभिषेक पार्टी की छात्र इकाई ऑल इंडिया तृणमूल यूथ कांग्रेस (AITYC) के अध्यक्ष भी हैं। 2011 में हुआ राजनीतिक पर्दापण 7 नवंबर 1987 को कोलकाता में जन्मे अभिषेक की शुरुआती शिक्षा-दीक्षा पश्चिम बंगाल से ही हुई। इसके बाद उन्होंने दिल्ली से मैनेजमेंट की पढ़ाई की। 2012 में उनकी शादी रुजिरा बनर्जी से हो गई, जिनके दो बच्चे भी हैं। 2011 में ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल में ऐतिहासिक जीत दर्ज करते हुए 34 साल के कम्युनिस्ट शासन को मात दी थी। अभिषेक ने उसी साल TMC की युवा इकाई का पदभार संभाला था। यह राजनीति में उनकी आधिकारिक एंट्री थी। PK संग जोड़ी से दिग्गज नाराज 33 साल के अभिषेक, टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी के भाई अमित बनर्जी के बेटे हैं। चुनाव से पहले टीएमसी में अंदरूनी कलह भी जोर पकड़ रही है। पार्टी के कई सीनियर नेताओं में जिन दो लोगों को लेकर नाराजगी है, उनमें एक अभिषेक बनर्जी भी हैं। दूसरा नाम चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर का है। टीएमसी के एक धड़े का मानना है कि ममता ने अपने भतीजे को बतौर उत्तराधिकारी पेश कर दिग्गज नेताओं की अनदेखी कर रही हैं। शुभेंदु अधिकारी, मिहिर गोस्वामी, सिद्धिकुला चौधरी, नियामत शेख सहित पश्चिम बंगाल में टीएमसी के कई बड़े नेताओं ने बगावती तेवर दिखाया है। इन नेताओं की बगावत से टीएमसी को राज्य विधानसभा चुनाव में नुकसान उठाना पड़ सकता है। दो साल पहले कद्दावर टीएमसी नेता मुकुल रॉय ने भी बीजेपी का दामन थाम लिया था। सूत्रों के अनुसार इन सभी बगावतों की वजह अभिषेक बनर्जी और पीके की जोड़ी ही है।


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जानिए कौन हैं पीएम मोदी को चैंलेज करने वाले ममता के भतीजे अभिषेक बनर्जी https://ift.tt/36p6xxT जानिए कौन हैं पीएम मोदी को चैंलेज करने वाले ममता के भतीजे अभिषेक बनर्जी
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'ताहिर ने मुझे झूठ बोलकर किया गर्भवती, बोला- लव जिहाद से मिलता है सवाब' https://ift.tt/3mpcBvy

November 30, 2020
बरेली उत्तर प्रदेश के बरेली में लव जिहाद का एक और मामला सामने आया है। यहां पर ताहिर हुसैन नाम के एक शख्स ने कुनाल शर्मा बनकर हिन्दू लड़की को अपने प्रेम जाल में फंसाकर मंदिर में शादी की और गर्भवती किया। शादी करने की बात पर ताहिर ने कहा कि उसके धर्म में लव जिहाद होता है शादी नहीं। लड़की की ओर से दर्ज एफआईआर के आधार पर पुलिस ने ताहिर को गिरफ्तार कर लिया है। युवती ने बताया कि वह इज्जतनगर में प्राइवेट नौकरी करती थी। पिछले साल नवंबर में उसकी मुलाकात ताहिर से हुई। ताहिर ने उसे अपने प्रेम जाल में फंसाया और उससे शादी का वादा किया। ताहिर ने खुद को हिंदू बताते हुए मंदिर में उसकी मांग भरकर शादी कर ली। उसके बाद ताहिर ने उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए। पेट में और प्राइवेट पार्ट में लात मारने का आरोप युवती ने बताया कि वह उसके साथ पत्नी की तरह रहने लगी। इसी दौरान वह गर्भवती हुई। उसने ताहिर से कहा कि अब उनका बच्चा होने वाला है इसलिए वह शादी को सार्वजनिक करे और शादी का पंजीकरण कराए। आरोपी टाल-मटोल करता रहा। युवती का आरोप है कि उसने ताहिर के घरवालों से कहा तो उन लोगों ने मिलकर उसके साथ मारपीट की। उसके पेट और प्राइवेट पार्ट में लातें मारीं। इस दौरान उसका गर्भपात हो गया। 'जान से मारने की दी धमकी' पीड़िता का आरोप है कि ताहिर ने कहा, 'मुझे तुमसे शादी नहीं करनी थी। मेरा धर्म मुझे कहता है कि हम लव जिहाद में विश्वास रखते हैं, शादी में नहीं। एक हिंदू को गर्भवती करने से हमें दस बार मदीना शरीफ जाने का सवाब मिलता है।' युवती ने कहा कि ताहिर ने उसके साथ लव जिहाद किया। उसे धोखा दिया और उसका रेप किया। उसने कहा कि आरोपी और उसके परिवार ने उसे धमकी भी दी कि अगर उन लोगों ने पुलिस में शिकायत की तो उन्हें जान से मार देंगे। आरोपी गिरफ्तार पुलिस ने बताया कि युवती की तहरीर के आधार पर ताहिर के खिलाफ इज्जतनगर थाने में एफआईआर दर्ज की गई है। आरोपी ताहिर को गिरफ्तार कर लिया गया है और पुलिस मामले की जांच कर रही है।


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'ताहिर ने मुझे झूठ बोलकर किया गर्भवती, बोला- लव जिहाद से मिलता है सवाब' https://ift.tt/3mpcBvy 'ताहिर ने मुझे झूठ बोलकर किया गर्भवती, बोला- लव जिहाद से मिलता है सवाब'
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किसान आंदोलन पर बैकफुट पर सरकार, केंद्रीय मंत्रियों का ट्वीट- MSP जारी रहेगी https://ift.tt/36kLWdR

November 30, 2020
नई दिल्ली कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन (Farmers Protest News) को देखते हुए अब सरकार बैकफुट पर आ गई है। दिल्ली सीमा के करीब जमे किसानों ने गृह मंत्री अमित शाह की बातचीत की मांग को ठुकराते हुए दिल्ली घेरने का ऐलान कर दिया है। इस बीच, कई केंद्रीय मंत्रियों ने आज ट्वीट कर कृषि कानून पर सरकार का पक्ष रखा है। बता दें कि हजारों की संख्या में किसान दिल्ली सीमा पर डटे हुए हैं। किसानों ने चेतावनी दी है कि वे सशर्त बातचीत स्वीकार नहीं करेंगे। उन्होंने चेतावनी दी कि वे राष्ट्रीय राजधानी में आने वाले सभी पांच प्रवेश मार्गों को बंद कर देंगे। किसानों के तेवर देखते हुए अब सरकार कृषि कानून पर सफाई देने लगी है। केंद्रीय कानून मंत्री (Ravishankar Prasad) ने ट्वीट कर कहा कि नए कृषि कानून में मंडियां खत्म नहीं हो रही है। उन्होंने ट्वीट कर कहा, 'नए कृषि कानून APMC मंडियों को समाप्त नहीं करते हैं। मंडिया पहले की तरह ही चलती रहेंगी। नए कानून ने किसानों को अपनी फसल कहीं भी बेचने की आजादी दी है। जो भी किसानों को सबसे अच्छा दाम देगा वो फसल खरीद पायेगा चाहे वो मंडी में हो या मंडी के बाहर।' प्रसाद के ट्वीट के बाद केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री ()ने भी ट्वीट कर किसानों को समझाने की कोशिश की। उन्होंने कहा, 'कृषि कानून पर गलतफहमी ना रखें। पंजाब के किसानों ने पिछले साल से ज्यादा धान मंडी में बेचा और ज़्यादा MSP पर बेचा। MSP भी जीवित है और मंडी भी जीवित है और सरकारी खरीद भी हो रही है।'


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किसान आंदोलन पर बैकफुट पर सरकार, केंद्रीय मंत्रियों का ट्वीट- MSP जारी रहेगी https://ift.tt/36kLWdR किसान आंदोलन पर बैकफुट पर सरकार, केंद्रीय मंत्रियों का ट्वीट- MSP जारी रहेगी
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स्मृति, योगी, नड्डा, शाह...आखिर ओवैसी के गढ़ में BJP को इतनी उम्मीद क्यों दिख रही? https://ift.tt/3o5n3sI

November 30, 2020
हैदराबाद ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम चुनाव के लिए आखिरी दिन का चुनाव प्रचार रविवार को खत्म हो गया। अब यहां 1 दिसंबर को मतदान होगा। निकाय चुनाव में बीजेपी की आक्रामकता ने लोगों को हैरान किया है। हैदराबाद निकाय चुनाव को लोकसभा चुनाव का रूप देते हुए बीजेपी ने यहां पूरी ताकत झोंक दी है। इन चुनावों के जरिए हैदराबाद में अपनी मौजूदगी दर्ज कराने के लिए पार्टी के दिग्गज नेता चुनाव प्रचार में जुटे रहे। हालांकि बीजेपी नेताओं को इस बात का आभास भी है कि टीआरएस और ओवैसी के गढ़ में पैठ जमाना उतना भी आसान काम नहीं। 2016 के चुनाव में बीजेपी को गठबंधन में यहां सत्तारूढ़ दल टीआरएस के 99 और ओवैसी की एआईएमआईएम के 44 सीटों के मुकाबले महज 5 सीटों पर ही जीत मिली थी। बीजेपी नेता भले ही जनसभाओं में यह दावा कर रहे हों कि शहर में अगला मेयर भगवा दल से होगा लेकिन पार्टी के सूत्रों का कहना है कि वे इस बात से अवगत हैं कि निकाय चुनाव में बहुमत हासिल करना आसान नहीं होगा। पढ़ें: बीजेपी को त्रिपुरा जैसी जीत की उम्मीद नहीं एक नेता ने कहा, 'हम वास्तविक रूप स यहां उस तरह विस्तार की उम्मीद नहीं कर सकते जैसा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह के नेतृत्व में बीजेपी ने त्रिपुरा विधानसभा चुनाव में पार्टी को शून्य से बहुमत तक लाकर दिखाया था।' बीजेपी के महासचिव भूपेंद्र यादव हैदराबाद नगर निगम चुनाव में प्रभारी नियुक्त हुए हैं। नगर निकाय चुनाव में बीजेपी क्यों कर रही इतनी कोशिश? भूपेंद्र यादव कहते हैं, 'कई लोग बार-बार पूछ रहे हैं कि बीजेपी नगर निकाय चुनाव में इतना निवेश क्यों कर रही है? सच कहें तो, बीजेपी देश के लोगों की सेवा के सभी मौके में निवेश करती है, चाहे चुनाव किसी भी जगह हों। जो पूछ रहे हैं कि आखिर क्यों, उनके लिए जवाब है- क्यों नहीं।' पढ़ें: नगर निकाय चुनाव के लिए बीजेपी का लक्ष्य क्या? सूत्रों के मुताबिक, हैदराबाद में भारी-भरकम चुनाव प्रचार के पीछे पार्टी का लक्ष्य इसे पूरे तेलंगाना में एक फैक्टर के रूप में स्थापित करना हो सकता है। पार्टी के रणनीतिकार यह मानते हैं कि टीआरएस के पतन का करण उनके नेता और मुख्यमंत्री चंद्रशेखर राव हो सकते हैं क्योंकि उन पर वंशवाद को बढ़ावा देने के आरोप हैं, इसी के साथ पार्टी में कथित भ्रष्टाचार और प्रशासनिक अक्षमता का बोलबाला है। बीजेपी ने ढूंढ ली है टीआरएस के पतन की वजह? हैदराबाद में रविवार को चुनाव प्रचार के आखिरी दिन गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, 'हम तेलंगाना को वंशवाद से लोकतंत्र की ओर ले जाना चाहते हैं, भ्रष्टाचार से पारदर्शिता और तुष्टिकरण की राजनीति से विकास की ओर ले जाना चाहते हैं।' अपने इस कथन से पार्टी का स्टैंड और अधिक स्पष्ट है कि वह सीएम और उनके परिवार को बख्शने के मूड में नहीं हैं जो भ्रष्टाचार और परिवारवाद को बढ़ावा देने के आरोप झेल रहे हैं। पढ़ें: 'थैंक्सगिविंग मोड' से बाहर आना चाहता है तेलंगाना? डबका उपचुनाव में बीजेपी की जीत आश्चर्यजनक सफलता के रूप में सामने आई जिसके बाद यह कहा जा रहा है कि संभवत: अब राज्य के लोग तेलंगाना के संस्थापक (के. चंद्रशेखर राव) के लिए 'थैंक्सगिविंग मोड' से बाहर आना चाहते हैं। डबका की सीमा गजवेल, सिरसिला और सिद्दीपेट से लगी हुई है। गजवेल का प्रतिनिधित्व केसीआर करते हैं, सिरसिला से उनके बेटे और आईटी मंत्री केटीरामाराव विधायक हैं जबिक सिद्दीपेट सीएम के भतीजे हरीश राव का गढ़ माना जाता है। लोकसभा चुनाव में 4 सीटों पर जीत ने बढ़ाया मनोबल इसके अलावा 2019 लोकसभा चुनाव में बीजेपी के यहां 4 सीट जीतकर से कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ा है वहीं कांग्रेस और टीडीपी का विपक्ष के रूप में पतन हुआ है। 2016 जीएसएमसी चुनाव में कांग्रेस ने सिर्फ 2 वार्ड जीते थे। शनिवार को निकाय चुनाव के लिए प्रचार करते हुए यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ ने एक नई बहस छेड़ दी है। योगी बोले, 'कुछ लोग मुझसे पूछ रहे हैं कि अगर हैदराबाद का नाम बदलकर भाग्यनगर किया जा सकता है? मैंने कहा कि क्यों नहीं। मैं उनसे कहा कि हमने फैजाबाद का नाम अयोध्या और इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज किया है। फिर हैदराबाद का नाम बदलकर भाग्यनगर क्यों नहीं हो सकता है? पढ़ें: शाह से लेकर योगी तक ने किया चुनाव प्रचार बता दें कि ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम देश के सबसे बड़े नगर निगमों में से एक है। इस नगर निगम में हैदराबाद, रंगारेड्डी, मेडचल-मल्काजगिरि और संगारेड्डी समेत 4 जिले आते हैं। इस नगर निगम के अंदर 24 विधानसभा सीटें और 5 लोकसभा सीटें आती हैं। पिछले दिनों यहां बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, गृहमंत्री अमित शाह और स्मृति इरानी और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने चुनाव प्रचार किया।


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UP में 'लव जिहाद' के खिलाफ कानून, जानें किस राज्य में क्या प्रवाधान https://ift.tt/3mmPfqq

November 30, 2020
अंतरधार्मिक विवाह करने वाले प्रेमी जोड़ों को दो महीने पहले डीएम को सूचना देनी होगी। इस सूचना पर डीएम पड़ताल करेगा कि विवाह के लिए किसी तरह का दबाव तो नहीं बनाया जा रहा है। अगर पड़ताल में पता चला कि सिर्फ धर्म परिवर्तन के मकसद से शादी किया जा रहा है तो उसे अमान्य करार दे दिया जाएगा।

उत्तर प्रदेश में 'लव जिहाद' के खिलाफ लाए गए कानून के तहत पहली प्राथमिकी (FIR) दर्ज की जा चुकी है। कानून के तहत जो कोई धर्म परिवर्तन करना चाहता/चाहती है, उसे दो महीने पहले डीएम को नोटिस देना होगा। इस नोटिस पर पुलिस जांच-पड़ताल करेगी कि कहीं यह धर्म परिवर्तन जबर्दस्ती, धोखे से या लालच में तो नहीं करवाया जा रहा है। जांच में ऐसी शिकायत नहीं मिलने पर प्रशासन धर्म परिवर्तन की अनुमति देगा। फिर धर्म परिवर्तन होने के बाद इसकी जानकारी प्रशासन को देनी होगी।


Anti Love Jihad Law : उत्तर प्रदेश में 'लव जिहाद' के खिलाफ कानून, जानें किस राज्य में क्या प्रवाधान

अंतरधार्मिक विवाह करने वाले प्रेमी जोड़ों को दो महीने पहले डीएम को सूचना देनी होगी। इस सूचना पर डीएम पड़ताल करेगा कि विवाह के लिए किसी तरह का दबाव तो नहीं बनाया जा रहा है। अगर पड़ताल में पता चला कि सिर्फ धर्म परिवर्तन के मकसद से शादी किया जा रहा है तो उसे अमान्य करार दे दिया जाएगा।



पब्लिक को धर्म परिवर्तन पर आपत्ति जताने का अधिकार
पब्लिक को धर्म परिवर्तन पर आपत्ति जताने का अधिकार

यूपी के नए कानून में एक प्रावधान यह भी है कि धर्म परिवर्तन किए जाने के बाद प्रशासन को जानकारी दी जाएगी तो प्रशासन आम लोगों को इस पर आपत्ति प्रकट करने का अधिकार देगा। आशंका यह जताई जा रही है कि इस प्रावधान से विभिन्न धर्मों के उत्पाती लोगों को दखल देने का मौका मिल जाएगा। चूंकि शादी के लिए धर्म परिवर्तन करना प्रतिबंधित है, इसलिए प्रेमी जोड़ों को स्पेशल मैरेज ऐक्ट का सहारा लेना होगा।



​हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस सरकार ने लाया था कानून
​हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस सरकार ने लाया था कानून

कांग्रेस सरकार ने 2006 में धर्म परिवर्तन के खिलाफ कानून पास किया। बीजेपी सरकार ने 2019 में इसमें एक प्रावधान जोड़कर उन शादियों को अमान्य कर दिया जिसमें धर्म परिवर्तन कराया गया हो और यह अनिवार्य कर दिया गया कि जो व्यक्ति धर्म बदलना चाहता/चाहती है, उसे जिला प्रशासन को एक महीने पहले जानकारी देनी होगी। ईसाईयों के संगठनों ने कोर्ट में इस प्रावधान को चुनौती दी और अदालत ने इस प्रावधान को खारिज कर दिया।



​उत्तराखंड में गैर-जमानती अपराध
​उत्तराखंड में गैर-जमानती अपराध

उत्तराखंड का धर्म स्वातंत्र्य कानून, 2018 धोखे में रखकर, बलपूर्वक, फर्जीवाड़े... आदि के आधार पर की गई शादी और धर्म परिवर्तन को अमान्य करार देता है। कानून इसे गैर-जमानती अपराध मानता है और इसके लिए 1 से 5 साल तक की जेल और जुर्माने का प्रावधान है। अगर माता-पिता और भाई-बहन को लगता है कि उसकी संतान का जबर्दस्ती धर्म परिवर्तन कराया गया है तो कानून उन्हें डीएम के पास शिकायत दर्ज करवाने का अधिकार देता है।

हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड, दोनों राज्यों में कानून है कि जिसका धर्म परिवर्तन हो रहा है, वो अपनी लिखित सहमति डीएम को दे।



​छत्तीसगढ़ में बीजेपी सरकार के प्रयास पर फिरा पानी
​छत्तीसगढ़ में बीजेपी सरकार के प्रयास पर फिरा पानी

छत्तीसगढ़ धर्म स्वातंत्र्य कानून, 1968 में धर्म परिवर्तन विरोधी कानून के प्रावधानों को शामिल किया गया है। पूर्व की बीजेपी सरकार ने हिंदुत्ववादी संगठनों की ओर से कराए गए धर्म परिवर्तन के मामलों को इस कानून से अलग करने की कोशिश की थी, लेकिन उसे मंजूरी नहीं मिली।



​मध्य प्रदेश, ओडिशा में ईसाई मिशनरियों की चुनौती
​मध्य प्रदेश, ओडिशा में ईसाई मिशनरियों की चुनौती

सुप्रीम कोर्ट ने धर्म परिवर्तन विरोधी कानूनों की मंजूरी देते हुए कहा कि धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार किसी को धर्म परिवर्तन करवाने का अधिकार नहीं देता है। धार्मिक स्वतंत्रता से जुड़े ज्यादातर कानून जबर्दस्ती या लालच में धर्म परिवर्तन को अमान्य करार देते हैं, लेकिन कोई भी कानून शादी के बाद धर्म परिवर्तन को अमान्य नहीं ठहराता। कुछ राज्यों ने 1960 के दशक में अपने-अपने यहां धर्म परिवर्तन विरोधी कानून लागू किए। इनमें ओडिशा और मध्य प्रदेश शामिल थे क्योंकि वहां ईसाई मिशनरी आदिवासियों का धर्म परिवर्तन करा रहे थे।



​इन राज्यों के क्या हाल
​इन राज्यों के क्या हाल

आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, अरुणाचल प्रदेश में 1978 और उसके बाद ऐंटी-कन्वर्जन लॉ लागू किए गए, लेकिन 2004 में इन्हें वापस ले लिया गया।

हरियाणा, एमपी, कर्नाटक, असम भी उत्तर प्रदेश जैसा कानून ही लाने का मन बना रहे हैं।

फ्रीडम ऑफ रिलीज ऐक्ट्स के तहत अन्य आठ राज्यों में इसी तरह के कानून लागू हैं।

राजस्थान का ऐंटी-कन्वर्जन बिल को केंद्र सरकार ने वापस कर दिया।



​सजा में अंतर
​सजा में अंतर

हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में जिस व्यक्ति का धर्म परिवर्तन कराया गया है, वह जनरल कैटिगरी से है तो उसके लिए 1 से 5 साल तक और अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के लिए 2 से 7 साल तक की जेल की सजा का प्रावधान है।

उत्तर प्रदेश के कानून में जनरल कैटिगरी के लिए 1 से 5 साल और एससी/एसटी के लिए 1 से 10 साल की जेल का प्रावधान है। सामूहिक धर्म परिवर्तन कराने वालों को 3 से 10 साल की सजा होगी। अगर धर्म परिवर्तन कराने का अपराध दोहराया गया तो सजा भी दोगुनी होगी।





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UP में 'लव जिहाद' के खिलाफ कानून, जानें किस राज्य में क्या प्रवाधान https://ift.tt/3mmPfqq UP में 'लव जिहाद' के खिलाफ कानून, जानें किस राज्य में क्या प्रवाधान
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काशी विश्वनाथ में 3 दीपक, 6 लेन की सौगात...जानें देव दीपावली पर पीएम का पूरा कार्यक्रम https://ift.tt/3fOdbk1

November 30, 2020
अभिषेक जायसवाल, वाराणसी काशी में देवताओं की दिवाली का दीदार (Dev Dipawali) करने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) आज अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी (Varanasi) आ रहे हैं। पीएम मोदी दोपहर दो बजे के बाद विशेष विमान से वाराणसी एयरपोर्ट पहुंचेंगे। एयरपोर्ट पर यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) उनका स्वागत करेंगे। पीएम मोदी देश की खुशहाली के लिए काशी विश्वनाथ मंदिर (Kashi Vishwanath) में तीन दीपक भी जलाएंगे। कोरोना काल में पीएम मोदी का यह पहला वाराणसी दौरा है। चुनाव आयोग की अनुमति के बाद पीएमओ ने प्रधानमंत्री के बनारस दौरे का मिनट-टू-मिनट कार्यक्रम जारी कर दिया है। तय कार्यक्रम के मुताबिक प्रधानमंत्री सोमवार को दोपहर 2 बजे के बाद बजे वाराणसी पहुंचेंगे और विभिन्‍न कार्यक्रमों में हिस्‍सा लेने के बाद रात 8.50 बजे दिल्‍ली वापस लौट जाएंगे। वाराणसी एयरपोर्ट पर आगमन के बाद पीएम मोदी वायुसेना के हेलिकॉप्टर से मिर्जामुराद के खजुरी सभास्थल पहुंचेंगे। वाराणसी-प्रयागराज सिक्स लेन का लोकार्पण खजुरी में एनएच-19 वाराणसी-प्रयागराज सिक्‍स लेन परियोजना का पीएम मोदी को यहां लोकार्पण करना है। पीएम मोदी प्रदेश के लोगों को राजातालाब हंडिया सिक्स लेन की सौगात देंगे। इसके बाद पीएम मोदी कार्यकर्ताओं को संबोधित भी करेंगे। पीएम मोदी के साथ मंच पर केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी और सीएम योगी भी मौजूद रहेंगे। पढ़ें: 5 हजार को जनसभा में शामिल होने की इजाजत प्रधानमंत्री की खजूरी में जनसभा में पांच हजार लोग शामिल होंगे। सभा के लिए बने विशाल पंडाल में कोरोना संक्रमण को देखते हुए सोशल डिस्टेंसिंग के मद्देनजर दो-दो गज की दूरी पर कुर्सियां लगाई गई है। इसके अलावा राजघाट पर दीपोत्‍सव और सांस्‍कृतिक कार्यक्रम के लिए बड़ा मंच बनाया गया है। मंच से प्रधानमंत्री काशीवासियों को संबोधित करेंगे। दोनों ही जनसभाओं का सोशल मीडिया के जरिए लाइव प्रसारण किया जाएगा। देव दीपावली का दीदार करने वाले पहले पीएम प्रधानमंत्री के रूप में पीएम का यह 23वां दौरा बेहद खास होगा। प्रधानमंत्री काशी की विश्‍वविख्‍यात देव दीपावली उत्‍सव में पहली बार शामिल होंगे। इतना ही नहीं, वह इस उत्‍सव में शामिल होने वाले देश के पहले प्रधानमंत्री होंगे। गंगा तट पर अर्द्ध चंद्राकार घाटों व गंगा पार रेती पर सजने वाले दीपोत्‍सव का पहला दीपक प्रधानमंत्री मां गंगा को अर्पित करेंगे। काशी विश्वनाथ में तीन दीपक जलाएंगे पीएमदो जनसभाओं को संबोधित करने के साथ ही विश्‍वनाथ धाम (कॉरिडोर) के निर्माण की प्रगति जानेंगे। जनसभा के बाद पीएम मोदी का हेलिकॉप्टर डोमरी में बने हेलिपैड पर लैंड करेगा। उसके बाद गंगा के रास्ते पीएम काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का निरीक्षण करते हुए शाम करीब 4 बजे बाबा विश्वनाथ के धाम पहुंचकर पूजा-अर्चना करेंगे। काशी विश्वनाथ मंदिर में पीएम मोदी देश की खुशहाली, सुख-शांति और समृद्धि के लिए तीन दीपक जलाएंगे। बताया जा रहा है कि पीएम मोदी के दर्शन-पूजन की जिम्मेदारी चार पुजारियों को सौंपी गई है। इन पुजारियों का कोरोना टेस्ट भी हो चुका है, जो नेगेटिव आया है। राजघाट पर देव दीपावली का करेंगे उद्घाटन बाबा विश्वनाथ के दर्शन-पूजन के बाद शाम साढ़े पांच बजे पीएम मोदी राजघाट जाएंगे और वहां देव दीपावली महोत्सव का दीप जलाकर उद्घाटन करेंगे। इसके बाद पीएम करीब एक घंटा घाट पर बिताएंगे। शाम साढ़े छह बजे अलकनंदा क्रूज से पीएम मोदी नौका विहार कर देव दीपावली का दीदार करेंगे। इस दौरान पीएम काशी के विभिन्न घाटों पर दीपोत्सव, सांस्कृतिक आयोजन,दशाश्वमेध घाट पर मां गंगा की महाआरती,चेतसिंह घाट पर लेजर शो का दीदार करते हुए रविदास घाट पहुचेंगे। रविदास घाट पर पीएम मोदी रविदास पार्क में स्थापित सन्त रविदास की प्रतिमा पर माल्यार्पण करेंगे। उसके बाद सड़क मार्ग से सारनाथ के लिए रवाना हो जाएंगे। सारनाथ में देखेंगे लाइट ऐंड साउंड शो सारनाथ में पीएम मोदी भगवान बुद्ध के जीवन गाथा पर आधारित लाइट ऐंड साउंड शो का दीदार करेंगे। बताते चलें कि लाइट ऐंड साउंड शो में सदी के महानायक अमिताभ बच्चन की आवाज में भगवान बुद्ध की गाथा सुनाई जा रही है। सारनाथ में लाइट साउंड के दीदार करने के बाद रात 8 बजकर 50 मिनट पर पीएम दिल्ली के लिए रवाना हो जाएंगे। चुनाव आयोग ने दी सशर्त इजाजत स्‍नातक और शिक्षक निर्वाचन (MLC Elections) के कारण प्रधानमंत्री के वाराणसी दौरे को चुनाव आयोग ने सशर्त इजाजत दी है। इसमें कहा गया है कि पूरे कार्यक्रम में किसी तरह की राजनीतिक बयानबाजी न हो। इसके अलावा निर्वाचन से जुड़ी घोषणाएं या कार्यक्रम इसमें शामिल नहीं किए जाएं। पढ़ें: पढ़ें: पढ़ें: पढ़ें:


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क्या लखनऊ पहुंच गई है वैक्सीन की पहली खेप? वॉट्सऐप पर तैर रहे मेसेज का सच जानिए https://ift.tt/37cABeY

November 30, 2020
अनुमेहा चतुर्वेदी, नई दिल्लीकोविड वैक्सीन को लेकर करीब-करीब हर दिन नई-नई खबरें आ रही हैं। इस बीच अफवाहबाजी भी जमकर हो रही है। ऐसी ही एक अफवाह फैली कि की पहली खेप लखनऊ पहुंच चुकी है। वॉट्सऐप पर यहां तक दावा किया जा रहा है कि 15 दिसंबर से लोगों को वैक्सीन लगाने का काम भी शुरू हो जाएगा। एक अन्य दावे में कहा जा रहा है कि रूस का स्पूतनिक V वैक्सीन तो भाररत में लगाया भी जा रहा है। वहीं, एक फेसबुक वीडियो में दावा किया जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नौ राज्यों को कंप्लीट लॉकडाउन लागू करने की अनुमति दे दी है। वैक्सीन और लॉकडाउन को लेकर अफवाहों का बाजार गर्म फेसबुक समेत अन्य सोशल मीडिया प्लैटफॉर्मों के फैक्ट चेक करने वालों ने कहा कि दुनियाभर में कोरोना वैक्सीन के ट्रायल की घोषणाओं और देश के कुछ इलाकों में कोरोना के दोबारा सिर उठाने के कारण यात्रा पर नए सिरे से लगाई गई पाबंदियों के साथ ही फर्जी खबरों का अंबार लगने लगा है। उनका अनुमान है कि फर्जी खबरों में वृद्धि होगी क्योंकि भारत और दूसरे देशों ने कोविड वैक्सीन बनाकर उसे वितरित करने पर तेजी से काम कर रहे हैं। लोगों से फर्जी खबरों से बचने की अपील न्यूजमोबाइल.इन के संस्थापक और प्रधान संपादक सौरभ शुक्ला कहते हैं, 'कोविड-19 वैक्सीन को लेकर कई तरह की गलत सूचनाएं और फर्जी खबरें आ रही हैं। साथ ही यह भी कहा जा रहा है कि देशभर में फिर से लॉकडाउन लगने वाला है।' उन्होंने कहा, 'हमने हाल ही में ऐसी कई खबरों की सचाई उजागर की। एक अफवाह उड़ाई गई कि कुछ ट्रैवल एंजेंट्स लोगों को वैक्सीन लगवाने अमेरिका ले जाएंगे। हमने अथॉरिटीज को इस बारे में अलर्ट किया और लोगों को भी आगाह किया कि वो ऐसे फर्जी दावों के चक्कर में न फंसें।' मुंबई की फैक्ट-चेकिंग वेबसाइट बूम की एमडी जेंसी जैकब को भी लगता है कि वैक्सीन लगाने को लेकर फर्जी खबरें और बढ़ेंगी। उन्होंने कहा, 'सोशल मीडिया पर राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन को लेकर पोस्ट छा गए। हमने इनका खंडन किया। वैक्सीन को लेकर भी तरह-तरह के कन्फ्यूजन पैदा किए जा रहे हैं।'


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उत्तर भारत में इसबार पड़ेगी कड़ाके की ठंड, फरवरी तक के लिए हो जाएं सावधान! https://ift.tt/3fMm11I

November 30, 2020
नई दिल्ली अगर अभीतक आपने अपनी मोटी रजाई और कंबल बाहर नहीं निकाली है तो निकाल लीजिए। क्योंकि अगर भारतीय मौसम विभाग (IMD) की माने तो दिसंबर से फरवरी तक ठंड सामान्य (Weather News in India Updates) से ज्यादा रहने वाली है। IMD के अनुसार, उत्तर, उत्तरपश्चिम और मध्य भारत के अलावा पूर्वी भारत में आने वाले समय में ठंड ज्यादा पड़ने की संभावना है। यानी इसबार हाड़ कंपा देने वाली ठंड की तैयारी कर लीजिए। दिसंबर से फरवरी में पड़ेगी कड़ाके की ठंड! मौसम विभाग ने कहा है कि दिसंबर से फरवरी तक के महीने में इस बार सुबह और रात में ठंड सामान्य से ज्यादा पड़ेगी जबकि दिन के तापमान सामान्य से ऊपर रह सकता है। IMD ने तीन महीने के लिए जारी पूर्वानुमान में बताया है कि उत्तरपूर्व भारत और दक्षिण के कुछ तटीय इलाके में इस दौरान सामान्य से ज्यादा तापमान रह सकता है। IMD के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्रा (Mrutyunjay Mohapatra) ने बताया कि आने वाले समय उत्तर भारत में कड़ाके की ठंड पड़ने की संभावना है। इसके अलावा कई इलाकों में शीतलहर भी चल सकती है। हालांकि, दक्षिण भारत में केरल, कर्नाटक और तमिलनाडु के कई इलाकों में अधिकतम तापमान सामान्य से कम हो सकता है। यानी यहां दिन के समय में उतनी गर्मी नहीं होगी। महापात्रा ने बताया कि इसबार सर्दियों के अंत तक यही स्थिति देखने को मिल सकती है। दिल्ली में 10 सालों में सबसे ठंडा नवंबर नवंबर के महीने में राजधानी दिल्ली (Weather News in Delhi) पिछले 10 सालों में सबसे ज्यादा ठंडी रही। इस दौरान राजधानी का न्यूनतम तापमान करीब 10 डिग्री के आसपास ही रहा। उत्तरपश्चिम से आने वाली ठंडी हवाएं राजधानीवासियों को कड़ाके की ठंड का अहसास करा रही है। 29 नवंबर तक दिल्ली का औसत न्यूनतम तापमान 10.3 डिग्री रहा है। ला नीना के कारण पड़ेगी हाड़ कंपा देने वाली ठंड! इंडोनेशिया और आसपास के देशों में ला नीना (La Nina Effect) के असर से इस बार बारिश औसत से अधिक हुई। जिसका असर नवंबर में देखने को मिलेगा। और दिसंबर में कोल्ड डे और सीवियर कोल्ड डे रहने वाले है। IMD महानिदेशक महापात्रा ने एक वेबिनार में कहा था कि यह नहीं समझना चाहिए कि जलवायु परिवर्तन से तापमान में बढ़ोतरी होती है। सच्‍चाई यह है कि तापमान में बढ़ोतरी की वजह से मौसम अनियमित हो जाता है। उन्होंने कहा था कि शीत लहर की स्थिति के लिए ला नीना अनुकूल होता है समझिए क्या होता है ला नीना ला नीना के तहत समुद्र में पानी ठंडा होना शुरू हो जाता है। समुद्री पानी पहले से ही ठंडा होता है, लेकिन इसके कारण उसमें ठंडक बढ़ती है जिसका असर हवाओं पर पड़ता है।


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उत्तर भारत में इसबार पड़ेगी कड़ाके की ठंड, फरवरी तक के लिए हो जाएं सावधान! https://ift.tt/3fMm11I उत्तर भारत में इसबार पड़ेगी कड़ाके की ठंड, फरवरी तक के लिए हो जाएं सावधान!
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कांग्रेस में यह क्या हो रहा? पार्टी उठा रही सवाल, पर शर्मा कर रहे मोदी का गुणगान https://ift.tt/37cAAHW

November 30, 2020
नई दिल्ली कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने कोरोना वैक्सीन तैयार कर रही कंपनियों के संयंत्रों का दौरा करने के लिये रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सराहना की और कहा कि इससे भारतीय वैज्ञानिकों को पहचान मिली है और यह अग्रिम पंक्ति के कोविड योद्धाओं का मनोबल बढ़ाएगा। हालांकि, एक दिन पहले ही कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे को लेकर निशाना साधा था। बता दें कि वरिष्ठ नेता शर्मा ने रविवार को एक अलग दृष्टिकोण पेश किया। वह पार्टी के प्रवक्ता हैं और कांग्रेस के उन 23 नेताओं के समूह में शामिल हैं, जिन्होंने पार्टी प्रमुख सोनिया गांधी को पत्र लिखकर संगठन में बड़े पैमाने पर बदलाव की मांग की थी। शर्मा ने कहा कि प्रधानमंत्री की यात्रा भारतीय वैज्ञानिकों और कोविड-19 के लिए टीका बनाने के उनके काम की पहचान है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने ट्वीट कर कहा, 'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सीरम इंस्टीट्यूट, भारत बायोटेक और जाइडस कैडिला की यात्रा भारतीय वैज्ञानिकों और कोविड-19 के लिए टीका तैयार करने के उनके काम की पहचान है। यह अग्रिम पंक्ति के कोविड योद्धाओं का मनोबल बढ़ाएगा और राष्ट्र को आश्वस्त करेगा।' पीएम मोदी से की ये अपील आनंद शर्मा ने कहा, 'यह उन संस्थाओं का भी सम्मान है, जिन्हें भारत ने कई दशकों में तैयार किया है, जिनमें भारत को दुनिया का सबसे बड़ा टीका निर्माता बनाने की विशेषज्ञता और क्षमता है। प्रधानमंत्री से आग्रह है कि टीका उपलब्ध होने पर कुशल और न्यायसंगत व्यवस्था सुनिश्चित करें।' सुरजेवाला ने पीएम मोदी पर लगाया था आरोप प्रधानमंत्री मोदी ने शनिवार को अहमदाबाद, हैदराबाद और पुणे का दौरा कर कोरोना वायरस के टीके के विकास और निर्माण प्रक्रिया की समीक्षा की थी। कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा था, 'मोदी जी कंपनियों के दफ़्तर जा फ़ोटो खिंचा रहे हैं और लाखों किसान दिल्ली की सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं। काश, प्रधानमंत्री जहाज़ की बजाय ज़मीन पर किसान से बात करते।' उन्होंने आरोप लगाया, 'कोरोना का टीका वैज्ञानिक और शोधकर्ता ढूंढेंगे। देश का पेट किसान पालेंगे। लेकिन मोदी जी और भाजपा के नेता कुछ नहीं करके सिर्फ प्रचार पर केंद्रित हैं।'' हाल के दिनों में विभिन्न मुद्दों पर कांग्रेस के नेताओं ने अलग-अलग विचार व्यक्त किए हैं।


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कांग्रेस में यह क्या हो रहा? पार्टी उठा रही सवाल, पर शर्मा कर रहे मोदी का गुणगान https://ift.tt/37cAAHW कांग्रेस में यह क्या हो रहा? पार्टी उठा रही सवाल, पर शर्मा कर रहे मोदी का गुणगान
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फडणवीस के करीबी नेताओं को घेरने में जुटी महाराष्‍ट्र की उद्धव सरकार https://ift.tt/3lkWQ7B

November 30, 2020
मुंबई गैर बीजेपी नेताओं पर केंद्रीय जांच एजेंसियों की कार्रवाई के बाद चर्चा है कि राज्य की महा विकास आघाडी सरकार ने भी राज्य में बीजेपी नेताओं, खासकर के करीबी नेताओं को घेरना शुरू कर दिया है। जलगांव की एक को-ऑपरेटिव क्रेडिट सोसायटी के तथाकथित घोटाले के मामले को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के राइट हैंड समझे जाने वाले पूर्व मंत्री गिरीश महाजन के करीबी लोगों पर पिछले दिनों महाराष्ट्र पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने छापामारी की है। बीजेपी से एनसीपी में गए राज्य के वरिष्ठ नेता एकनाथ खडसे इस तथाकथित घोटाले को लेकर एक-दो दिन में बड़ा खुलासा करने जा रहे हैं। उन्होंने रविवार को मीडिया से कहा कि अभी इस मामले की जांच ईओडब्ल्यू में चल रही है। एक बार यह प्रक्रिया हो जाए, फिर वह एक-दो दिन में सबूतों के साथ इस पूरे घोटाले का पर्दाफाश करेंगे। यह है मामला भाईचंद हीराचंद रायसोनी (बीएचआर) मल्टिस्टेट को-ऑपरेटिव क्रेडिट सोसायटी संस्था में हुई कथित अनियमितताओं को लेकर गिरीश महाजन के करीबी व्यवसायी सुनील झंवर के जलगांव स्थित ठिकानों पर छापेमारी की गई है। बीएचआर से संबंधित पांच ठिकानों पर ईओडब्ल्यू की पुणे टीम के 135 अधिकारियों के दस्ते ने एकसाथ छापामारी की। गिरीश महाजन के साथ परछाई की तरह घूमने वाले सुनील झंवर के फॉर्म हाउस पर भी छापा मारा गया। कहा जा रहा है कि डेढ़ हजार करोड़ रुपये के इस आर्थिक घोटाले में निवेशकों की रकम वापस देने के नाम पर कर्जदारों की संपत्तियों को ओने-पौने दाम पर नेताओं और उनके करीबियों को बेच दिया गया। यह संपत्तियां कुछ चुनिंदा लोगों को ही बेची गईं। उन संपत्तियों को खरीदने में बीजेपी के करीबी सुनील झंवर का नाम सबसे आगे है। फडणवीस सरकार ने रोकी थी जांच: खडसे एनसीपी नेता एकनाथ खडसे का कहना है कि वह 2018 से इस मामले की जांच के लिए 15 से 16 बार शिकायतें कर चुके हैं। उनकी बहू और बीजेपी सांसद रक्षा खडसे भी इस मामले की शिकायत दिल्ली तक कर चुकी हैं। लेकिन तत्कालीन बीजेपी सरकार ने इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की। बता दें कि 2014 से 2019 तक राज्य में बीजेपी की देवेंद्र फडणवीस की सरकार थी। खडसे ने कहा कि सोसायटी कानून 2002 के तहत बीएचआर मल्टीस्टेट क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी पर कार्रवाई का अधिकार केंद्र का है और राज्य के सहकारिता आयुक्त इस मामले में कार्यवाही नहीं कर सकते थे, इसलिए उन्होंने जांच रिपोर्ट राज्य सरकार को भेजी थी। बावजूद इसके राज्य सरकार ने इस जांच रिपोर्ट पर कोई कार्यवाही नहीं की। '2 दिन के भीतर बड़े दिग्गजों के नाम सामने आएंगे' खडसे ने आरोप लगाया है कि इस मामले में 2 दिन के भीतर कई बड़े दिग्गजों के नाम सामने आएंगे, जिनमें सांसद विधायक और पूर्व मंत्री भी शामिल हैं। उन्होंने बीएचआर मल्टीस्टेट क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटी की संपत्ति कौड़ियों के दाम में ली है। उन्होंने कहा कि अगर मैं अभी इन सभी के नाम का खुलासा कर दूंगा, तो यह जांच में हस्तक्षेप होगा।


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फडणवीस के करीबी नेताओं को घेरने में जुटी महाराष्‍ट्र की उद्धव सरकार https://ift.tt/3lkWQ7B फडणवीस के करीबी नेताओं को घेरने में जुटी महाराष्‍ट्र की उद्धव सरकार
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'कोविशील्ड' वैक्सीन के बड़े दुष्प्रभाव? टीका लगवाने वाले ने मांगा 5 Cr मुआवजा https://ift.tt/2Ve0rKf

November 30, 2020
चेन्नै चेन्नै में परीक्षण के दौरान 'कोविशील्ड' टीका लगवाने वाले 40 वर्षीय व्यक्ति ने वर्चुअल न्यूरोलॉजिकल ब्रेकडाउन और सोचने-समझने की क्षमता के कमजोर होने की शिकायत करते हुए सीरम इंस्टिट्यूट और अन्य को कानूनी नोटिस भेजकर पांच करोड़ रुपये का मुआवजा मांगा है। साथ ही उसने टीके का परीक्षण रोकने की मांग की है। व्यक्ति ने परीक्षण टीके को असुरक्षित बताते हुए इसकी टेस्टिंग, निर्माण, और वितरण की मंजूरी रद्द करने की भी मांग की और ऐसा न करने पर कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी। पुणे स्थित भारतीय सीरम संस्थान (एसआईआई) को एक कानूनी नोटिस भेजा गया है, जिसने कोविशील्ड टीका बनाने के लिए ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय और दवा कंपनी एस्ट्राजेनेका के साथ समझौता कर रखा है। पढ़ें: सीरम इंस्टिट्यूट का आरोपों से इनकार, दी हर्जाने की धमकी उधर सीरम इंस्टिट्यूट ने मरीज के आरोपों को खारिज किया है। सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया ने एक बयान जारी कर कहा, 'हमारी मरीज के साथ पूरी सहानुभूति है। मगर वैक्सीन ट्रायल और उसके खराब स्वास्थ्य का आपस में कोई संबंध नहीं है। वह बेवजह अपनी खराब होती सेहत के लिए सीरम इंस्टिट्यूट को जिम्मेदार ठहरा रहा है।' इसके अलावा कंपनी ने गलत आरोप लगाने को लेकर भारी-भरकम जुर्माना वसूलने की भी धमकी दी है। एक अक्टूबर को लगा था टीका एसएसआई के अलावा टीके के स्पॉन्सर भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद और उस व्यक्ति को टीका लगाने वाले उच्च शिक्षा और अनुसंधान संस्थान को नोटिस भेजा गया है। व्यक्ति ने आरोप लगाया कि टीका लगवाने के बाद उसे तीव्र मस्तिष्क विकृति, मस्तिष्क को प्रभावित करने वाली क्षति या रोग का सामना करना पड़ा है और सभी जांचों से पुष्टि हुई है कि उसकी सेहत को वैक्सीन ट्रायल से नुकसान हुआ है। इस व्यक्ति को एक अक्टूबर को टीका लगाया गया था।


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'कोविशील्ड' वैक्सीन के बड़े दुष्प्रभाव? टीका लगवाने वाले ने मांगा 5 Cr मुआवजा https://ift.tt/2Ve0rKf 'कोविशील्ड' वैक्सीन के बड़े दुष्प्रभाव? टीका लगवाने वाले ने मांगा 5 Cr मुआवजा
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किसानों ने ठुकराया सशर्त बातचीत का प्रस्ताव, दी बंद की चेतावनी, बीजेपी अध्‍यक्ष के घर हुई बड़ी बैठक https://ift.tt/39v1de3

November 30, 2020
नयी दिल्ली/चंडीगढ़ नये कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्‍ली की सीमाओं पर चार दिन से प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों ने प्रदर्शनकारियों के बुराड़ी मैदान में जाने के बाद बातचीत शुरू करने के केंद्र के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया। किसानों ने रविवार को कहा कि वे कोई सशर्त बातचीत स्वीकार नहीं करेंगे। उन्होंने चेतावनी दी कि वे राष्ट्रीय राजधानी में आने वाले सभी पांच प्रवेश मार्गो को बंद कर देंगे। किसानों की इस चेतावनी के बीच बीजेपी अध्‍यक्ष जेपी नड्डा के घर पर उच्‍चस्‍तरीय बैठक हुई है जिसमें गृह मंत्री अमित शाह के अलावा रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर भी शामिल हुए। बताया जा रहा है कि यह बैठक करीब दो घंटे तक चली। इससे पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को अपने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में कहा कि इन कृषि सुधारों ने किसानों को नये अधिकार और अवसर दिये हैं और बहुत कम समय में उनकी परेशानियों को कम करना शुरू कर दिया है। हालांकि इसके बाद भी गतिरोध कम होता नहीं दिखा। गृह मंत्रालय ने भी किसान संगठनों को आश्वासन दिया कि केंद्रीय मंत्रियों का एक उच्चस्तरीय दल प्रदर्शनकारियों के बुराड़ी मैदान पहुंचने के बाद उनसे बातचीत करेगा। किसानों के 30 से अधिक संगठनों की रविवार को हुई बैठक में किसानों के बुराड़ी मैदान पहुंचने पर तीन दिसंबर की तय तारीख से पहले वार्ता की अमित शाह की पेशकश पर बातचीत की गयी, लेकिन हजारों प्रदर्शनकारियों ने इस प्रस्ताव को स्वीकारने से मना कर दिया और सर्दी में एक और रात सिंघु तथा टिकरी बार्डरों पर बिताने की बात कही। किसानों के प्रतिनिधियों ने कहा कि उन्हें शाह की यह शर्त स्वीकार नहीं है कि वे प्रदर्शन स्थल बदल दें। उन्होंने दावा किया कि बुराड़ी मैदान एक ‘खुली जेल’ है। विपक्षी पार्टियों ने भी इस बात पर जोर दिया कि सरकार को किसानों के साथ बिना शर्त बातचीत शुरू करनी चाहिए। भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) की पंजाब इकाई के अध्यक्ष सुरजीत एस फूल ने कहा, ‘केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा रखी गई शर्त हमें स्वीकार नहीं है। हम कोई सशर्त बातचीत नहीं करेंगे। हम सरकार के प्रस्ताव को अस्वीकार करते हैं। घेराव खत्म नहीं होगा। हम दिल्ली में प्रवेश के सभी पांच रास्तों को बंद करेंगे।’ उन्होंने कहा, ‘बातचीत के लिए शर्त किसानों का अपमान है। हम कभी बुराड़ी नहीं जाएंगे। वह पार्क नहीं है बल्कि खुली जेल है।’ भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) की हरियाणा इकाई के अध्यक्ष गुरनाम सिंह चाधोनी ने कहा, ‘हम उनके (सरकार) प्रस्ताव की शर्त को स्वीकार नहीं करेंगे। हम बातचीत करने को तैयार है लेकिन अभी कोई शर्त नहीं स्वीकार करेंगे।’ उधर, शनिवार को बुराड़ी में निरंकारी समागम मैदान पहुंचे किसानों ने वहां अपना प्रदर्शन जारी रखा। केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने शनिवार को 32 किसान संगठनों को भेजे गए पत्र में ठंड के मौसम और कोविड-19 की परिस्थितियों का हवाला देते हुए कहा कि किसानों को बुराड़ी मैदान जाना चाहिए, जहां उनके लिए पर्याप्त इंतजाम किए गए हैं। भल्ला ने कहा, 'मैं आपसे निवेदन करता हूं कि सभी किसानों को लेकर आप दिल्ली की सीमा से बुराड़ी मैदान पहुंचें, जहां उनके लिए सभी सुविधाओं का प्रबंध किया गया है और वे शांतिपूर्वक अपना विरोध-प्रदर्शन करें तथा पुलिस इसकी अनुमति देगी।' भल्‍ला ने कहा कि किसानों की समस्याओं पर विस्तृत चर्चा के लिए केंद्र सरकार ने किसानों के प्रतिनिधिमंडल को तीन दिसंबर को आमंत्रित किया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने किसानों से बुराड़ी मैदान में आकर प्रदर्शन करने की अपील की है और कहा कि वे जैसे ही निर्धारित स्थान पर जाएंगे, उसी समय केंद्र वार्ता को तैयार है। शाह ने कहा कि किसानों के प्रतिनिधिमंडल को चर्चा के लिए तीन दिसंबर को आमंत्रित किया गया है। उन्होंने कहा कि कुछ किसान संगठनों ने तत्काल वार्ता करने की मांग की है और केंद्र बुराड़ी के मैदान में किसानों के स्थानांतरित होते ही वार्ता को तैयार है। प्रधानमंत्री ने अपने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में रविवार को कहा, ‘भारत में खेती और उससे जुड़ी चीजों के साथ नए आयाम जुड़ रहे हैं। बीते दिनों हुए कृषि सुधारों ने किसानों के लिए नई संभावनाओं के द्वार भी खोले हैं।’ उन्होंने कहा, ‘किसानों की वर्षों से कुछ मांगें थीं और उन्हें पूरा करने के लिए हर राजनीतिक दल ने कभी न कभी वादा किया था, लेकिन वे कभी पूरी नहीं हुईं।’ प्रधानमंत्री ने कहा, ‘संसद ने काफी विचार-विमर्श के बाद कृषि सुधारों को कानूनी स्वरूप दिया। इन सुधारों से न सिर्फ किसानों के अनेक बंधन समाप्त हुए हैं, बल्कि उन्हें नए अधिकार और अवसर भी मिले हैं। इन अधिकारों ने बहुत कम समय में किसानों की परेशानियों को कम करना शुरू कर दिया है।’ प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि किसी भी क्षेत्र में लोगों के लिए ‘सही जानकारी रखना और अफवाहों तथा किसी भी प्रकार के संशय से दूर रहना’ एक बड़ी ताकत होती है। उन्होंने खेती के क्षेत्र में अभिनव प्रयोग कर रहे कुछ किसानों के उदाहरण भी प्रस्तुत किए। हालांकि किसान नेताओं ने दावा किया कि हरियाणा और पंजाब से और अधिक प्रदर्शनकारी इसमें शामिल होंगे। हरियाणा के दादरी से निर्दलीय विधायक तथा ‘सांगवान खाप’ के प्रमुख सोमबीर सांगवान ने फोन पर कहा कि हरियाणा की अनेक खापों ने किसानों के प्रदर्शन को समर्थन दिया है और वे राष्ट्रीय राजधानी की ओर मार्च करेंगे। भारी पुलिस बल की मौजूदगी के बीच किसान दिल्ली की सीमाओं पर सरकार के खिलाफ नारे लगा कर अपना विरोध जता रहे हैं। दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (डीएसजीएमसी) प्रदर्शन कर रहे किसानों को भोजन मुहैया करा रही है। प्रदर्शनकारी किसानों के दिल्ली की तरफ बढ़ने को लेकर पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह और हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के बीच आरोप-प्रत्यारोप सुनने को मिले। सिंह और उनकी कांग्रेस पार्टी ने का समर्थन किया है और खट्टर सरकार की आलोचना की जिसने बीजेपी शासित हरियाणा से प्रदर्शनकारी किसानों को दिल्ली की ओर बढ़ने से रोकने का प्रयास किया। खट्टर ने रविवार को कहा कि अगर किसानों के दिल्ली के साथ लगी राज्य की सीमाओं पर एकत्रित होने से कोविड-19 महामारी के हालात बिगड़ते हैं तो वह अमरिंदर सिंह को जिम्मेदार को ठहराएंगे। खट्टर ने आरोप लगाया कि पूरा प्रदर्शन कांग्रेस और पंजाब सरकार द्वारा प्रायोजित है। कृषि कानूनों पर सरकार पर निशाना साधते हुए कांग्रेस ने आरोप लगाया कि सरकार ‘सत्ता के नशे में चूर’ है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने किसानों के प्रदर्शन के मुद्दे पर सरकार पर हमला बोलते हुए आरोप लगाया, ‘वादा था किसानों की आय दोगुनी करने का, मोदी सरकार ने आय तो कई गुना बढ़ा दी लेकिन अडानी-अंबानी की!’ उन्होंने हिंदी में ट्वीट किया, ‘जो काले कृषि कानूनों को अब तक सही बता रहे हैं, वो क्या ख़ाक किसानों के पक्ष में हल निकालेंगे? अब होगी किसान की बात।' कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने यहां पार्टी मुख्यालय में संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘भारत के 62 करोड़ किसानों और खेतिहर श्रमिकों के मुद्दों पर प्रधानमंत्री की जिद, अहंकार और अड़ियल रवैया आज के ‘मन की बात’ में उनके इस बयान में स्पष्ट दिखा कि संसद द्वारा गैरकानूनी और असंवैधानिक तरीके से पारित तीनों किसान-विरोधी, कृषि विरोधी कानून सही हैं।’ दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने रविवार को कहा कि नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों से केंद्र को तत्काल और बिना शर्त बातचीत करनी चाहिए। सरकार की पूर्व सहयोगी शिवसेना ने कहा कि केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों के साथ ‘आतंकवादियों’ की तरह बर्ताव किया जा रहा है।


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किसानों ने ठुकराया सशर्त बातचीत का प्रस्ताव, दी बंद की चेतावनी, बीजेपी अध्‍यक्ष के घर हुई बड़ी बैठक https://ift.tt/39v1de3 किसानों ने ठुकराया सशर्त बातचीत का प्रस्ताव, दी बंद की चेतावनी, बीजेपी अध्‍यक्ष के घर हुई बड़ी बैठक
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रोहिंग्या पर अमित शाह का बड़ा बयान, 'कार्रवाई करता हूं तो ये लोग चिल्लाने लग जाते हैं' https://ift.tt/3lk4iA2

November 29, 2020
हैदराबाद तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद में केंद्रीय गृहमंत्री ने रोहिंग्या मुसलमानों को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने यहां प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि रोहिंग्या मुसलमानों पर जब वह कार्रवाई करते हैं तो ये लोग (विपक्षी दल) हायतौबा करते हैं। उन्होंने कहा कि विपक्षी दल एक बार लिखकर दें कि बांग्लादेशी और रोहिंग्या को निकाल दें, फिर मैं कुछ करता हूं। उन्होंने टीआरएस और मजलिस पर इस दौरान जमकर निशाना साधा। इलू-इलू करते हैं टीआरएस-मजलिस शाह ने कहा कि टीआरएस और मजलिस के बीच गुप्त समझौता है लेकिन मुझे समझौते से दिक्कत नहीं है। दिक्कत है कि वे यह छिपकर क्यों करते हैं। कमरे में इलू-इलू करते हैं। खुलेआम क्यों नहीं कह देते कि हां, मजलिस के साथ हमारा रिश्ता है। उन्होंने कहा कि सरदार पटेल के कारण हैदराबाद और आसपास के इलाके भारत के साथ जुड़े लेकिन जिन्होंने उस दौरान पाकिस्तान जाने की मुहिम चलाई थी ऐसी निजाम संस्कृति से हम हैदराबाद को निजात दिलाना चाहते हैं। परिवारवाद पर निशाना शाह ने राजनीतिक पार्टियों में परिवारवाद पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि वह हैदराबाद को नवाब-निजाम कल्चर से मुक्त कराते हुए इसे आधुनिक शहर बनाना चाहते हैं। हैदराबाद को डाइनेस्टी से डेमोक्रेसी की ओर ले जाना चाहते हैं। भ्रष्टाचार से पारदर्शिता की ओर ले जाना चाहते हैं। तुष्टीकरण से विकास की ओर ले जाना चाहते हैं। हैदराबाद का एक बड़ा हिस्सा है, जो खुद को अपमानित महसूस करता है। हम ऐसी व्यवस्था बनाना चाहते हैं कि किसी की भी हिम्मत नहीं होगी, उन्हें दोयम दर्जे का बनाए। मौजूदा कार्पोरेशन विकास में रोड़ाः शाह शाह ने कहा कि हैदराबाद में आईटी हब बनने की बहुत संभावना है लेकिन यह तब बनता है जब इसके अनुरूप इन्फ्रस्ट्रक्चर हो। यह बनाने का जिम्मा नगर निकाय होता है। केंद्र सरकार और राज्य सरकार से इसके लिए अनुदान मिलता है लेकिन इसका क्रियान्वयन नगर निकाय द्वारा होता है। जिस प्रकार हैदराबाद में म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन चल रहा है वह आईटी हब बनने का रोड़ा है। उन्होंने केसीआर पर हैदराबाद की जनता के साथ किया वादा नहीं निभाने का आरोप लगाया। साथ ही मोदी सरकार की उपलब्धियां गिनाईं। रोहिंग्या के सवाल पर उखड़े शाह राज्य में रोहिंग्या मुसलमानों और बांग्लादेशियों की मौजूदगी से संबंधित सवाल पर अमित शाह उखड़ गए। उन्होंने कहा, 'मैं जब कार्रवाई करता हूं तो ये लोग (विपक्षी दल) हायतौबा करते हैं। ये लोग एक बार लिखकर दे दें कि बांग्लादेशी और रोहिंग्या को निकाल दें फिर मैं करता हूं।' उन्होंने कहा कि सिर्फ चुनाव में बात करके कुछ नहीं होता। जब पार्लियामेंट में बहस होती है तब ये क्या करते हैं सारे देश ने देखा है। हैदराबाद में किया रोडशो बता दें कि रविवार को गृह मंत्री अमित शाह हैदराबाद पहुंचे और ओल्ड सिटी में भाग्यलक्ष्मी मंदिर में पूजा-अर्चना की। साथ ही उन्होंने मंदिर में देवी मां की आरती भी की। इसके बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सिकंदराबाद के वारसीगुडा में रोड शो किया। इसमें लोगों की भारी भीड़ रही। इसके बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में मीडिया को संबोधित करते हुए उन्होंने असदुद्दीन ओवैसी और मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव पर जमकर हमला बोला।


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रोहिंग्या पर अमित शाह का बड़ा बयान, 'कार्रवाई करता हूं तो ये लोग चिल्लाने लग जाते हैं' https://ift.tt/3lk4iA2 रोहिंग्या पर अमित शाह का बड़ा बयान, 'कार्रवाई करता हूं तो ये लोग चिल्लाने लग जाते हैं'
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इंदिरा गांधी की रैली में शेर लेकर पहुंच गए थे, किसान नेता बिहारी सिंह बागी का निधन https://ift.tt/36iDgof

November 29, 2020
वीरेंद्र शर्मा, नोएडा देश के किसानों और मजदूरों के दिग्गज नेता रहे चौधरी बिहारी सिंह बागी का 78 साल की उम्र में रविवार को नोएडा में निधन हो गया। उनके निधन के बाद जिले में शोक की लहर दौड़ गई। वर्ष 1974 में कांग्रेस से टिकट न मिलने से नाराज बिहारी सिंह बागी दादरी में हुई की रैली में शेर लेकर पहुंच गए थे। शेर देखते ही भीड़ में अफरा-तफरी मच गई थी। वहीं, पूर्व पीएम लाल बहादूर शास्त्री भी उनके अच्छे दोस्त माने जाते थे। बागी पर गोलियां भी चलवाई गई थीं, लेकिन वे हमले में बाल-बाल बच गए थे। दादरी के रुपबास गांव में जन्मे बिहारी सिंह बागी कांग्रेसी नेता रहे थे। 1974 में उन्‍होंने पहली बार दादरी विधानसभा से निर्दलीय चुनाव लड़ा था। दरअसल, उस समय कांग्रेस दो गुटों में बंट चुकी थी। प्रदेश के बड़े नेता कांग्रेस (ओ) और कांग्रेस (आई) में बंट गए। दोनों पार्टी से टिकट न मिलने पर उन्होंने इंदिरा गांधी से नाराज होकर निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी। उस दौरान जमीन अधिग्रहण का मुद्दा अहम था। बिहारी सिंह बागी किसानों की लड़ाई के लिए प्रसिद्ध हुए। इनकी पहचान अड़ियल किसान नेता के रूप में उभरी थी। 500 रुपये में किराए पर शेर लिया और... कांग्रेस से नाराज होकर 1974 में पहली बार और 1991 में दूसरी बार बिहारी सिंह बागी चुनाव लड़े। हालांकि हार गए, लेकिन मजदूरों और किसानों के दिलों में छा गए। 1974 के चुनाव में बिहारी सिंह बागी को चुनाव आयोग की तरफ से चुनाव चिह्न शेर आवंटित किया गया। कांग्रेस(ओ) से चौधरी तेज सिंह और सोशलिस्ट पार्टी के विशंभर दयाल शर्मा चुनाव मैदान में थे। हालांकि, इनमें सबसे मजबूत उम्मीदवार कांग्रेस प्रत्याशी रामचंद्र विकल ही माने जा रहे थे। इस बीच दादरी के मिहिर भोज कॉलेज में इंदिरा गांधी की रैली तय हुई। पार्टी से बगावत कर चुके बिहारी सिंह बागी ने सेना की तीन जीप खरीदी और चुनाव प्रचार में लग गए। उन दिनों गाजियाबाद में सर्कस चल रहा था। बागी ने 500 रुपये में एक शेर किराए पर लिया और इंदिरा गांधी की रैली में पिजरे में शेर लेकर आ गए। अफवाह यह भी मची थी कि वे शेर लाकर छोड़ देंगे, जिसके चलते भीड़ तितर-बितर हो गई थी। छात्र राजनीति से थे एक्टिव, ऐसे बने बागी छात्र राजनीति से एक्टिव होने वाले बिहारी सिंह बागी पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के भी अच्छे दोस्त माने जाते थे। दरअसल, उस दौरान किसान और मजदूरों आंदोलन की वजह से उनके कद से शास्‍त्री भी वाकिफ थे। मजदूर और किसानों की लड़ाई लड़ने और कांग्रेस से बगावत करने के साथ ही उनके नाम के पीछे बागी लग गया। उस समय ये क्षेत्र में चौधरी बिहारी सिंह के नाम से प्रसिद्ध हो गए। बिहारी सिंह के बेटे यतेंद्र कसाना ने बताया कि 1992 में किसान रैली में हिस्सा लेने जा रहे बिहारी सिंह बागी पर डेरी मच्छा गांव के पास गोलियां भी चलवाई गई, जिसमें वे बुरी तरह घायल हो गए थे।


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इंदिरा गांधी की रैली में शेर लेकर पहुंच गए थे, किसान नेता बिहारी सिंह बागी का निधन https://ift.tt/36iDgof इंदिरा गांधी की रैली में शेर लेकर पहुंच गए थे, किसान नेता बिहारी सिंह बागी का निधन
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किसान प्रदर्शन: अब खट्टर का कैप्टन पर हमला, हरियाणा में 'कोरोना विस्फोट' हुआ तो पंजाब सरकार जिम्मेदार https://ift.tt/37fZMgV

November 29, 2020
चंडीगढ़ किसानों के 'दिल्ली कूच' प्रदर्शन के दौरान हुए बवाल को लेकर और के मुख्यमंत्री एक-दूसरे पर आरोप मढ़ रहे हैं। पंजाब के मुख्यमंत्री ने हरियाणा सरकार पर किसानों को भड़काने और उनके साथ दुर्व्यहवार करने का आरोप लगाया। जबकि हरियाणा के मुख्यमंत्री पंजाब के मुख्यमंत्री पर आरोप लगाते रहे हैं कि किसानों के प्रदर्शन को लेकर मैंने उनसे कई बार बात करने की कोशिश की, मगर वो फोन पर उपलब्ध नहीं हुए। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने रविवार को दोहराया कि अगर कोरोना वायरस के चलते कोई खतरनाक परिस्थिति बनी तो उसके लिए पंजाब सरकार ही जिम्मेदार होगी। उन्होंने कहा, 'मैंने पंजाब के मुख्यमंत्री से किसानों के मुद्दे पर बात करनी चाही, मगर उन्होंने किसी भी तरह की कॉल आने से साफ इनकार किया। जब मैंने उन्हें कॉल करने के सबूत दे दिए तो अब वह निशब्द हैं।' कैप्टन ने खट्टर को बताया झूठा, बोले- अब 10 बार भी फोन करें तो बात नहीं करूंगा बता दें कि कैप्टन अमरिंदर सिंह ने साफ तौर पर कहा था कि मनोहर लाल खट्टर झूठ बोल रहे हैं कि हरियाणा सरकार ने मुझसे बात करने की कोशिश की थी। उन्होंने कहा, 'मेरे किसानों के साथ कैसा व्यवहार किया गया? अब अगर वो (हरियाणा के मुख्यमंत्री) दस बार भी मुझे फोन करेंगे तो भी उनसे बात नहीं करूंगा।' किसान आंदोलन पर आमने-सामने पंजाब और हरियाणा के सीएम इससे पहले हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर ने कहा था कि किसान आंदोलन से पहले उन्होंने दो दिनों तक कैप्टन अमरिंदर सिंह से बात करने की कोशिश की, लेकिन कैप्टन बात करने को राजी नहीं हुए। इस दौरान भी कैप्टन ने जवाब देते हुए कहा कि पंजाब में किसान दो महीने से शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन कर रहे थे तो आखिर ऐसा क्या हुआ जिससे कि हरियाणा में प्रदर्शन उग्र हो गया। (एएनआई से इनपुट्स के साथ)


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किसान प्रदर्शन: अब खट्टर का कैप्टन पर हमला, हरियाणा में 'कोरोना विस्फोट' हुआ तो पंजाब सरकार जिम्मेदार https://ift.tt/37fZMgV किसान प्रदर्शन: अब खट्टर का कैप्टन पर हमला, हरियाणा में 'कोरोना विस्फोट' हुआ तो पंजाब सरकार जिम्मेदार
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मोदी सरकार ने आय तो कई गुना बढ़ा दी लेकिन किसानों की नहीं, अडानी-अंबानी की: राहुल https://ift.tt/36jEDTL

November 29, 2020
नई दिल्ली केंद्र सरकार की ओर से लाए गए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का विरोध प्रदर्शन जारी है। इस बीच कांग्रेस पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने एक बार केंद्र पर निशाना साधा है। प्रधानमंत्री के 'मन की बात' कार्यक्रम पर निशाना साधते हुए राहुल ने कहा कि यह किसानों की बात करने का समय है। राहुल ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार ने किसानों की आय दोगुनी करने की बजाय अडानी-अंबानी आय कई गुना बढ़ा दी। राहुल गांधी ने ट्वीट किया, 'वादा था किसानों की आय दोगुनी करने का, मोदी सरकार ने आय तो कई गुना बढ़ा दी, लेकिन अडानी-अंबानी की।' उन्होंने आगे लिखा, 'जो काले कृषि कानूनों को अब तक सही बता रहे हैं, वे क्या खाक किसानों के पक्ष में हल निकालेंगे।' प्रदर्शनकारी अब भी दिल्ली के बॉर्डर पर जमे हुए हैं दिल्ली में विरोध प्रदर्शन करने आ रहे हजारों किसान सिंघु और टिकरी बॉर्डर पर अब भी जमे हुए हैं। उन्होंने बुराड़ी के मैदान में प्रदर्शन करने के सरकार के प्रस्ताव को ठुकरा दिया। उनका कहना है कि वह सिंघु बॉर्डर पर ही जमे रहेंगे, जब तक सरकार कृषि कानून वापस लेने का आश्वासन नहीं देगी। पंजाब और हरियाणा के किसानों ने सिंधु और टिकरी बॉर्डर एंट्री पॉइंट पर रैली जारी रखी है, वहीं उत्तर प्रदेश के किसान भी राष्ट्रीय राजधानी में प्रवेश करने के लिए रविवार सुबह दिल्ली-गाजीपुर बॉर्डर के पास गाजीपुर में इकट्ठा हुए। पुलिस अधिकारियों ने किसानों के साथ बातचीत की।


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मोदी सरकार ने आय तो कई गुना बढ़ा दी लेकिन किसानों की नहीं, अडानी-अंबानी की: राहुल https://ift.tt/36jEDTL मोदी सरकार ने आय तो कई गुना बढ़ा दी लेकिन किसानों की नहीं, अडानी-अंबानी की: राहुल
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रेल मंत्री पीयूष गोयल का ऐलान, देश के हर रेलवे स्टेशन पर मिलेगी कुल्हड़ में चाय https://ift.tt/33mB9Ov

November 29, 2020
जयपुररेल मंत्री पीयूष गोयल (Piyush Goyal) ने रविवार को कहा कि आने वाले समय में देश के हर रेलवे स्टेशन पर प्लास्टिक मुक्त कुल्हड़ () में ही चाय मिलेगी। राजस्थान के अलवर में ढिगावड़ा रेलवे स्टेशन पर ढिगावड़ा - बांदीकुई रेलखंड पर विद्युतीकृत रेलमार्ग के लोकार्पण समारोह को संबोधित करते हुए गोयल ने कहा, ‘आज देश में लगभग 400 रेलवे स्टेशनों पर कुल्हड़ में ही चाय मिलती है। आगे चलकर हमारी योजना है कि देश के हर रेलवे स्टेशन पर सिर्फ कुल्हड़ में चाय बिकेगी। प्लास्टिक मुक्त भारतगोयल ने कहा कि प्लास्टिक मुक्त भारत में रेलवे का भी यह योगदान रहेगा। इससे लाखों भाई बहनों को रोजगार मिलता है। उन्होंने कहा कि पहले एक जमाना था जब रेलवे स्टेशनों पर कुल्हड़ में ही चाय मिलती थी। जब 2014 में केन्द्र में नरेन्द्र मोदी की सरकार आयी तब तक कुल्हड़ गायब हो गये और प्लास्टिक के कप में चाय मिलनी शुरू हो गयी। रेल मंत्री ने पी कुल्हड़ वाली चायरेल मंत्री ने कहा कि खादी ग्रामोद्योग विभाग के लोगों ने रेलवे के साथ मिलकर इस कार्य को गति दी है। गोयल ने कहा, ‘मैं अभी कुल्हड़ में चाय पी रहा था.. वास्तव में कुल्हड़ में चाय पीने का स्वाद ही कुछ और होता है.... और पर्यावरण को भी आप बचाते हो।’ मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी 2014 में जब से सत्ता में आये है तब से वह लोगों के स्वास्थ्य के प्रति चिंतित है। उन्होंने निर्णय किया है कि देशभर की रेलवे लाइन का शत प्रतिशत विद्युतीकरण करेंगे। रेलवे की इलेक्ट्रिक लाइन बढ़ीउन्होंने कहा कि 2009 से 2014 के बीच में राजस्थान में रेलवे का शून्य विद्युतीकरण हुआ था और 2014 के बाद 1433 किलोमीटर लंबी रेलवे लाइन का विद्युतीकरण हो चुका है। गोयल ने कहा, ‘आज के इस विद्युतीकरण के खत्म हो जाने के बाद अब रेवाडी से अजमेर तक जाने वाले रेलमार्ग पर अब शत प्रतिशत विद्युतीकरण हो चुका है और अब पूरी तरह से गाडियां इलेक्ट्रिक लाइन पर चलेगी.. आपके क्षेत्र में डीजल की गाड़ियां बंद करके हम आपके क्षेत्र के प्रदूषण को पूरी तरीके से शून्य करेंगे। इससे ट्रेन की गति भी बढ़ेगी और उद्योग, किसानों के उत्पाद को जल्दी भेज सकेंगे।’ किसान रेल से होगा किसानों को फायदाउन्होंने कहा, ‘हमारी किसान रेल किसानों का सरसों देश के कोने काने तक पहुंचा पायेगी और किसानों को सही मूल्य और दाम मिलेगा। जिस व्यक्ति से किसानों को पूरी कीमत मिल सकेगी उन्हें वे अपना माल भेज सकेंगे।’ गोयल ने कहा कि रेल मार्ग के विद्युतीकरण से यहां से दिन रात चलने वाली मालगाडियों के खर्च को कम कर पायेंगे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी विकास का लाभ देश के हर कोने तक हर व्यक्ति तक पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध है। काम का दिया ब्योरागोयल ने कहा कि राजस्थान में 2009 से 2014 के बीच पांच वर्ष में रेलवे के 65 अंडरपास बने थे जबकि 2014 से 2020 के बीच छह गुना अधिक 378 अंडरपास बनाये गये। उन्होंने कहा कि इसी तरह 2009 से 2014 के बीच रोड ओवरब्रिज पांच साल में मात्र चार बने थे वहीं 2014 से 2020 के बीच 30 रोड ओवरब्रिज बने। उन्होंने कहा कि राजस्थान में 10,000 करोड़ रुपये के निवेश से सात नई लाइनों पर काम चल रहा है। इस अवसर पर रेल मंत्री ने 34 किलोमीटर के नए विद्युतीकृत ढिगावड़ा-बांदीकुई रेल खंड पर पहली ट्रेन को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।


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निरंकारी मैदान को दूसरा शाहीन बाग बनाना चाहती है सरकार, हम ये नहीं होने देंगेः राकेश टिकैत https://ift.tt/3mdW9ye

November 29, 2020
नई दिल्ली नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का विरोध प्रदर्शन () जारी है। भारतीय किसान यूनियन के नेता () की अगुवाई में भी किसानों का काफिला गाजीपुर बॉर्डर पहुंच कर सरकार के खिलाफ अपना विरोध प्रदर्शन कर रहा है। इस दौरान राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार निरंकारी मैदान को दूसरा () बनाना चाहती है। 'निरंकारी मैदान को दूसरा शाहीन बाग बनाना चाहती है सरकार' गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने किसानों को आश्वासन दिया है कि वे बुराड़ी के निरंकारी समागम मैदान (Nirankari Samagam Ground) में प्रदर्शन करें, सरकार उनसे बातचीत करेगी। गृह मंत्री अमित शाह के प्रस्ताव पर राकेश टिकैत ने कहा, 'सरकार बुराड़ी गांव के निरंकारी मैदान को दूसरा शाहीन बाग (Shaheen Bagh) बनाना चाहती है, वो हम नहीं होने देंगे।' राकेश टिकैत ने आगे कहा, '1 बजे तक सारी स्थिति साफ होगी कि हम लोगों की आगे की रणनीति क्या है। इस पूरे मसले पर सिंघु बॉर्डर पर बैठक चल रही है, सरकार को हमारी बात सुननी चाहिए।' 'सरकार लोगों को बुलाकर बात करे' उन्होंने कहा, 'सरकार किसानों को निरंकारी मैदान क्यों बुलाना चाहती है? अगर उन्हें बातचीत करनी है तो लोगों को बुलाकर बात करें। बुराड़ी गांव पहुंचने के बाद हमारे ऊपर आरोप लगेंगे कि शाहीन बाग (Shaheen Bagh) की तरह यहां पर भी वही हो रहा है। हम दूसरा शाहीन बाग नहीं बनने देंगे। निरंकारी मैदान को सरकार दूसरा शाहीन बाग बनाना चाहती है।' इससे पहले राकेश टिकैत ने कहा था कि सरकार को किसानों की दिक्कतें समझनी होगी। तभी कोई बातचीत हो सकेगी। राशन-पानी लेकर निकले हैं प्रदर्शनकारी किसान गौरतलब है कि नए कृषि कानूनों के खिलाफ पंजाब-हरियाणा के किसान बड़ी संख्या में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। वे अपने साथ राशन-पानी लेकर निकले हैं। कृषि कानूनों को लेकर भाकियू (Bhartiya Kisan Union) ने भी किसानों से आंदोलन का आह्वान किया है। रास्ते में जगह-जगह किसानों का जत्था दिल्ली कूच में शामिल होता चला जा रहा है। (न्यूज एजेंसी IANS और ANI से इनपुट्स के साथ)


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निरंकारी मैदान को दूसरा शाहीन बाग बनाना चाहती है सरकार, हम ये नहीं होने देंगेः राकेश टिकैत https://ift.tt/3mdW9ye निरंकारी मैदान को दूसरा शाहीन बाग बनाना चाहती है सरकार, हम ये नहीं होने देंगेः राकेश टिकैत
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बिहार : 4 करोड़ का पुल बचाने के लिए 44 करोड़ की सड़क बर्बाद, स्टेट हाईवे को बना दिया गड्ढा https://ift.tt/3fTuOza

November 29, 2020
बिहार में एक कहावत है '9 की लकड़ी और नब्बे खर्चा'... इसका मतलब ये होता है कि 9 रुपये की लकड़ी लाने के चक्कर में भाड़े में 90 रुपये खर्च डाले। लेकिन बिहार के सारण जिले में ये कहावत जमीन पर दिख रही है, जमीन पर क्या सड़क पर कहें तो ज्यादा बेहतर होगी। जिले में 4 करोड़ रुपये का एक पुल बचाने के लिए 44 करोड़ के स्टेट हाईवे को ही गड्ढा बना दिया गया। ये गड्ढे सिस्टम के वो गड्ढे हैं जो भर तो सकते हैं लेकिन दाग के साथ।

बिहार में सिस्टम की एक ऐसी गड़बड़ी सामने आई है जिसे देखकर आप हैरान रह जाएंगे। यहां 4 करोड़ का एक पुल बचाने के लिए 44 करोड़ के स्टेट हाईवे को ही कुर्बान कर दिया गया। कुर्बान इस लिए कि स्टेट हाईवे की वो रोड गड्ढों में गायब हो गई है। देखिए तस्वीरों में ये खबर


बिहार : 4 करोड़ का पुल बचाने के लिए 44 करोड़ की सड़क बर्बाद, स्टेट हाईवे को बना दिया गड्ढा

बिहार में एक कहावत है '9 की लकड़ी और नब्बे खर्चा'... इसका मतलब ये होता है कि 9 रुपये की लकड़ी लाने के चक्कर में भाड़े में 90 रुपये खर्च डाले। लेकिन बिहार के सारण जिले में ये कहावत जमीन पर दिख रही है, जमीन पर क्या सड़क पर कहें तो ज्यादा बेहतर होगी। जिले में 4 करोड़ रुपये का एक पुल बचाने के लिए 44 करोड़ के स्टेट हाईवे को ही गड्ढा बना दिया गया। ये गड्ढे सिस्टम के वो गड्ढे हैं जो भर तो सकते हैं लेकिन दाग के साथ।



ढूंढ लीजिए सरकार, स्टेट हाईवे मिल जाए तो हमें भी बता दीजिएगा
ढूंढ लीजिए सरकार, स्टेट हाईवे मिल जाए तो हमें भी बता दीजिएगा

देखिए इस सड़क को... ये सड़क नहीं बल्कि स्टेट हाईवे है। वो हाईवे जिसके दम पर बिहार के मुखिया नीतीश कुमार कहीं से भी राजधानी पटना आने का सफर 6 घंटे में तय करने का दावा करते हैं। लेकिन लोगों का दावा है कि 6 घंटे में से 3 घंटे तो यही सड़क खा जाएगी। बाकी के 3 घंटे में आप कहां पहुंचेंगे ये आप खुद तय कर लें। ये है स्टेट हाईवे 104... छपरा-सोनपुर एनएच पर सदियों पुराने पट्टीपुल के कमजोर होने की बात लम्बे समय से सामने आती रही है। जिसके बाद से ही पिछले कई साल से जिला प्रशासन के आदेशानुसार उक्त पुल पर भारी वाहनों का प्रवेश वर्जित रहा। इसी बीच साल 2018 में लाखों रुपए खर्च करके पुल के सुपर स्ट्रक्चर का पुनर्निर्माण भी हुआ, इसके बावजूद भी पुल के कमजोर खम्बों का हवाला देकर जिला प्रशासन ने इस पुल पर मालवाहक ट्रकों सहित भारी वाहनों के परिचालन पर 15 जून 2019 से रोक लगा दी। सख्ती से पालन के लिए बैरियर लगा कर पुल के दोनों ओर होमगार्ड के जवानों की तैनाती भी की गई। हाल क्या हुआ ये देख लीजिए।



पुल बचाने के चक्कर में हाईवे बर्बाद
पुल बचाने के चक्कर में हाईवे बर्बाद

भारी गाड़ियों का रुख जिला प्रशासन ने स्टेट हाईवे की तरफ कर दिया और इसी अदूरदर्शिता का खामियाजा एसएच 104 को उठाना पड़ा। हाईवे बड़ी तादाद में भारी ट्रकों समेत बड़ी गाड़ियों का बोझ झेल नहीं पाया। हाल क्या हुआ ये आप तस्वीरों में खुद देख लीजिए। सड़क कम और गड्ढे ज्यादा नजर आ रहे हैं। हाल ये है कि बड़ी गाड़ियों की तो बात ही छोड़ दीजिए, अब तो छोटी कारों के चलने पर मुश्किल है। कदम पर कदम पर ड्राइवरों को गढ्ढों से संग्राम करना पड़ता है।



अब जिला प्रशासन दे रहा सड़क दुरुस्त करने की दुहाई
अब जिला प्रशासन दे रहा सड़क दुरुस्त करने की दुहाई

सवाल ये है कि क्या पट्टीपुल को बचाने के लिए एसएच 104 पर रूट डायवर्ट करना उचित था? क्या पट्टीपुल का दूसरा कोई बेहतर विकल्प नहीं हो सकता है? क्या पट्टीपुल के बगल में बन रहे फोरलेन पुल को जल्दी बनाकर एसएच 104 और पट्टीपुल दोनों को बचाया जा सकता था? पट्टीपुल के सुपर स्ट्रक्चर को बदलने के बाद भी अगर पुल कामयाब नहीं हुआ तो पुल की मरम्मती के बजाए नए पुल का निर्माण क्यों नहीं किया गया? रूट डायवर्ट होने के कारण मालवाहक गाड़ियों के ऊपर टोल का अतिरिक्त बोझ बढ़ने के साथ ही दो किलोमीटर की दूरी के जगह पर बीस किलोमीटर ज्यादा डीजल या पेट्रोल खर्च करवाने की जिम्मेवारी किसकी है। इस बाबत पूछे जाने पर प्रभारी डीएम अमित कुमार ने बताया कि सड़क की इस समस्या पर प्रशासन की नजर है और फोरलेन के कार्य में भी तेजी आई है। उन्होंने कहा कि जर्जर स्टेट हाईवे की मरम्मती का निर्देश दिया गया है और जल्द ही समस्या का समाधान कर लिया जाएगा। पट्टी पुल पर भारी वाहनों का प्रवेश जनहित में रोका गया है।





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बिहार : 4 करोड़ का पुल बचाने के लिए 44 करोड़ की सड़क बर्बाद, स्टेट हाईवे को बना दिया गड्ढा https://ift.tt/3fTuOza बिहार : 4 करोड़ का पुल बचाने के लिए 44 करोड़ की सड़क बर्बाद, स्टेट हाईवे को बना दिया गड्ढा
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Gad

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