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दिल्ली में समर्थक के कंधे पर बैठकर आया सरेंडर करने, जानें कौन है पिंकी चौधरी https://ift.tt/3kEINLT

नई दिल्‍ली जंतर-मंतर पर नफरती नारेबाजी के आरोपी ने मंगलवार को दिल्ली के मंदिर मार्ग थाने में सरेंडर कर दिया। समर्थकों के भारी हुजूम के साथ पहुंचे पिंकी का भीड़ ने सरेंडर से पहले माला पहनाकर और कंधे पर बिठाकर स्वागत किया। ऐसा पहली बार नहीं है जब पिंकी चौधरी का नाम किसी गलत वजह से सुर्खियों में है, इससे पहले भी कई विवादों में उसका नाम आ चुका है। आइए आपको बतातें है कि और क्या है उसका इतिहास... कौन है पिंकी चौधरी? भूपेंद्र शर्मा उर्फ पिंकी चौधरी या पिंकी भैया। गाजियाबाद का रहने वाले पिंकी ने एक बार दिल्‍ली के मुख्‍यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर हमले की कोशिश की थी। पिछले साल जेएनयू में हुई हिंसा की जिम्‍मेदारी भी पिंकी चौधरी ने ली। वह हिंदू रक्षा दल नाम के एक संगठन से जुड़ा है। चौधरी ने ही 2013 में यह संगठन बनाया था। पिछले साल तक इसके 1 लाख रजिस्‍टर्ड सदस्‍य थे। ज्‍यादातर सदस्‍य दिल्‍ली-एनसीआर से आते हैं। विवादों से रहा है पुराना नाता जनवरी 2014 में इस संगठन पर आम आदमी पार्टी के कौशाम्‍बी दफ्तर पर हमले का आरोप लगा। उस मामले में पुलिस ने चौधरी और अन्‍य को गिरफ्तार किया था। पिछले साल जेएनयू परिसर में छात्रों से मारपीट की जिम्मेदारी भी पिंकी चौधरी ने ली थी। हालांकि इस हमलें में पिंकी का हाथ होने की पुष्टि नहीं हो पाई है। चौधरी सुर्खियों में बने रहने के लिए कुछ ना कुछ विवादित करता रहता है, बताया जाता है कि इसके खिलाफ दिल्ली-एनसीआर के अलग-अलग थानों में 7-8 केस दर्ज हैं। जब लाइव टीवी पर दे डाली धमकी पिंकी चौधरी कुछ दिन पहले एक न्‍यूज चैनल पर लाइव था। वहां चौधरी ने अपनी फरारी को लेकर कहा था, 'हम कहां छिप रहे हैं? रात को दो बजे 50 पुलिसवाले हमारे घर क्‍यों जा रहे हैं? हमने ऐसा क्‍या गुनाह कर दिया है?' चौधरी ने दावा किया कि उसने भड़काऊ नारे नहीं लगाए थे। जब उनसे सवाल किए गए तो उनके तेवर तीखे हो गए। उसने कहा, 'दूसरे लोग नहीं मानते हैं तो हम मनवाने का काम करते हैं।' अल्पसंख्यक आयोग ने पुलिस को दिया था नोटिस राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग ने इस मामले में पुलिस को नोटिस जारी किया है। आयोग ने कहा कि इस घटना को लेकर सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। आयोग के उपाध्यक्ष आतिफ रशीद के नोटिस में पुलिस उपायुक्त से सवाल किया गया था कि मुस्लिम विरोधी नारेबाजी करने वालों के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई है?


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दिल्ली में समर्थक के कंधे पर बैठकर आया सरेंडर करने, जानें कौन है पिंकी चौधरी https://ift.tt/3kEINLT दिल्ली में समर्थक के कंधे पर बैठकर आया सरेंडर करने, जानें कौन है पिंकी चौधरी
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मथुरा में भी लगी पाबंदी, जानें UP के और किन शहरों में मीट और शराब पर है बैन https://ift.tt/3jvzHSa

लखनऊ मथुरा में श्रीकृष्‍ण जन्‍माष्‍टमी मनाने पहुंचे यूपी के मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने मथुरा, वृंदावन, गोवर्धन, नन्‍दगांव, बरसाना, गोकुल, महावन और बलदेव में मांस और शराब की बिक्री पर पूरी तरह पाबंदी लगाने का ऐलान कर दिया। योगी ने कहा कि जो लोग मांस-मदिरा बेचने के काम में लगे हुए हैं, उनको पुनर्वास के रूप में दूध बेचने जैसे कामों में लगाया जा सकता है। आइए, जानते हैं कि मथुरा-वृंदावन के अलावा यूपी के किन और शहरों में भी मांस-मदिरा बेचने पर प्रतिबंध है - वाराणसी सांस्‍कृतिक नगरी वाराणसी के धार्मिक स्‍थलों पर इस साल अप्रैल में सीएम योगी आदित्‍यनाथ ने शराब और मीट बेचने पर बैन लगा दिया था। उन्‍होंने आबकारी अफसरों को निर्देश दिया था कि काशी विश्‍वनाथ मंदिर के एक किलोमीटर के दायरे में शराब की बिक्री नहीं होनी चाहिए। इसके अलावा अन्‍य धार्मिक स्‍थलों के आसपास भी मीट और शराब पर बैन है। अयोध्‍या रामनगरी अयोध्‍या के धार्मिक स्‍थलों के आसपास भी शराब और मीट बेचने पर बैन है। अयोध्‍या में छोटे-बड़े मिलाकर सैकड़ों धार्मिक स्‍थल हैं, जहां दर्शन करने के लिए देश के कोने-कोने से लोग आते हैं। अयोध्‍या में इनदिनों भव्‍य राम मंदिर का निर्माण कार्य जोरों पर है। बताया जा रहा है कि वर्ष 2022 तक यह मंदिर दर्शन के लिए तैयार हो जाएगा। प्रयागराज गंगा-यमुना के संगम वाले प्रयागराज के धार्मिक स्‍थलों के आसपास भी मांस और मंदिरा नहीं बेचा जा सकता है। स्‍थानीय प्रशासन को इस संबंध में सख्‍त आदेश दिए गए हैं। प्रयागराज का पहले इलाहाबाद नाम था। योगी सरकार ने नाम बदलकर प्रयागराज कर दिया है। इस शहर में भी सैकड़ों धार्मिक स्‍थल हैं। चित्रकूट मंदाकिनी नदी के किनारे बसा हुआ चित्रकूट देश के सबसे प्राचीन तीर्थस्‍थलों में से एक है। चित्रकूट अपने प्राकृतिक दृश्‍यों के साथ आध्‍यात्मिक महत्‍व के लिए प्रसिद्ध है। कहते हैं कि अपने 14 साल के बनवास के दौरान भगवान राम ने सीता और लक्ष्‍मण के साथ यहां 11 साल 11 महीने और 11 दिन बिताए थे। यहां के धार्मिक स्‍थलों के आसपास भी मीट और शराब बेचने पर प्रतिबंध है। नैमिषारण्‍य लखनऊ से करीब 80 किमी दूर सीतापुर जिले में स्थित नैमिषारण्‍य प्रसिद्ध हिंदू तीर्थ है। वाराह पुराण के अनुसार, यहां भगवान की तरफ से निमिष मात्र में दानवों का संहार करने से यह नैमिषारण्‍य कहलाया है। यहां भी मीट और शराब बेचने पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाया जा चुका है। देवबंद देवबंद यूपी के प्रमुख नगरों में गिना जाता है। यह इस्‍लामी शिक्षा और दर्शन के प्रचार-प्रसार के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। इस्‍लामी शिक्षा एवं संस्‍कृति में जो एकता देश में देखने को मिलती है, उसका पूरा श्रेय देवबंद दारुल उलूम को जाता है। यहां के जितने भी धार्मिक स्‍थल हैं, वहां पर मांस-मदिरा बेचने और खरीदने पर बैन लग चुका है। देवा शरीफ हाजी वारिस अली शाह की जन्‍मस्‍थली देवा शरीफ बाराबंकी जिले में स्थित है। हर साल यहां देवा मेला के नाम से एक बड़ा मेला आयोजित किया जाता है। इसके अलावा सालाना उर्स का आयोजन भी होता है। इनमें हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदायों के लोग बड़ी संख्‍या में शामिल होने आते हैं। 10 दिनों तक चलने वाला देवा मेला पूरे देश में प्रसिद्ध है। देवा शरीफ के आसपास भी शराब और मीट की दुकानों पर पूरी तरह प्रतिबंध है।


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मथुरा में भी लगी पाबंदी, जानें UP के और किन शहरों में मीट और शराब पर है बैन https://ift.tt/3jvzHSa मथुरा में भी लगी पाबंदी, जानें UP के और किन शहरों में मीट और शराब पर है बैन
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बांध से आसमान की ओर उड़ने लगा पानी, थोड़ी देर में वहीं पर गिरा, देखने वाले हैरान https://ift.tt/3zxg563

सीधी तेज आंधी (Strong Storm In Sidhi) के साथ देवरी बांध से पानी आसामान की ओर उड़ने (Water Blown In Sky) लगा। इसे देखकर लोग हैरान रह गए। वहीं, इस दौरान वहां मौजूद लोगों ने वीडियो बनाया है। इस दुर्लभ नजारे को लोगों ने कैमरे में कैद किया है। जन्माष्टमी के दिन सीधी जिले के लोग इस अद्भुत नजारे को देखकर अभिभूत हैं। अब इसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल है। दरअसल, यह वीडियो सीधी जिले के वनांचल कुसमी के दूरस्थ भुईमाड़ का है। सोमवार को जन्माष्टमी के दिन तकरीबन शाम 4 से 4:30 बजे के बीच में तेज आंधी सी आई। इसी दरमियान भुइमाण के पास स्थित देवरी बांध (तालाब) से पानी ऊपर आसमान की ओर जाने लगा, तकरीबन 10 से 15 मिनट तक यह प्रकृति का अदभुत दुर्लभ नाजारा चलता रहा। इसके बाद पानी वापस आकर फिर से बांध में ही गिरा है। ये नजारा देखने के बाद वहां उपस्थित प्रत्यक्षदर्शियों में भय का माहौल कायम हो गया था। साथ ही अनोखे दृश्य को देखने के बाद उत्साहित भी नजर आ रहे थे। यह वीडियो पूरे जिले में चर्चा का विषय बना हुआ है। यह पल ऐसा था, जिसे देखकर लग रहा था कि कोई मोटर से पानी आसमान की ओर उछाल रहा हो। सब कुछ करीब 10 से 15 मिनट तक चलता रहा है। इस दौरान इसे देखने के लिए लोगों की भीड़ काफी जुट गई थी। वहां मौजूद कई लोगों ने वीडियो को कैमरे में कैद किया है। पूरा नजारा किसी फिल्म शूटिंग की तरह था। वहां मौजूद कई लोगों का मानना था कि उन्होंने ऐसा नजारा पहले कभी नहीं देखा है। भोपाल के वरिष्ठ मौसम वैज्ञानिक शैलेंद्र नायक ने नवभारत टाइम्स.कॉम से बात करते हुए कहा कि अमेरिका में इस तरह की घटना को टॉरनेडो कहते हैं। वहां, इस तरह की चीजें हमेशा देखने को मिलती हैं। भारत में छह-सात साल पहले माताशीला बांध में देखने को मिला था। इसके बाद यहां देखने को मिल रहा है। उन्होंने कहा कि इसमें बहुत ज्यादा वैक्यूम क्रिएट हो जाता है। ऊपर से नीचे तक लो प्रेशर एरिया होता है। ऐसे में पानी ऊपर की ओर जाता है। भारत में यह रेयरली देखने को मिलता है। इस वातावरण को समझना बहुत मुश्किल है। स्थानीय परिस्थियों के हिसाब से ऐसी स्थिति बनती है।


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बांध से आसमान की ओर उड़ने लगा पानी, थोड़ी देर में वहीं पर गिरा, देखने वाले हैरान https://ift.tt/3zxg563 बांध से आसमान की ओर उड़ने लगा पानी, थोड़ी देर में वहीं पर गिरा, देखने वाले हैरान
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बीजेपी महासचिव ने AIMIM को बताया कर्नाटक का तालिबान, ओवैसी बोले- अभी बच्‍चे हैं सीटी रवि https://ift.tt/2V5S9aS

बेंगलुरु भारतीय जनता पार्टी के राष्‍ट्रीय महासचिव सीटी रवि ने असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम को तालिबान का दर्जा दिया है। उनका कहना है कि एआईएमआईएम कर्नाटक के तालिबान की तरह है। इस पर ओवैसी ने बीजेपी नेता पर तगड़ा पलटवार किया है। ओवैसी ने सीटी रवि को अभी बच्‍चा बताते हुए कहा कि उनका बयान बचकाना है। वह अंतरराष्‍ट्रीय राजनीति के बारे में कुछ नहीं जानते हैं। मंगलवार को कलबुर्गी नगर निगम चुनावों पर पूछे गए एक सवाल के जवाब में बीजेपी नेता सीटी रवि ने ये टिप्‍पणी की। उन्‍होंने कहा कि तालिबान, एआईएमआईएम (ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुस्लिमीन) और एसडीपीआई (सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया) के मुद्दे समान हैं। कलबुर्गी में तालिबान को स्वीकार नहीं किया जाएगा। 'क्‍या बीजेपी तालिबान पर बैन लगाएगी' बीजेपी नेता के इस बयान पर ओवैसी ने पलटवार किया है। उन्‍होंने कहा- 'सीटी रवि अभी बच्‍चे हैं। उनको इंटरनैशनल पॉलिटिक्‍स के बारे में कोई जानकारी नहीं है।' ओवैसी ने सवाल किया कि क्या बीजेपी गैरकानूनी गतिविधियों (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत तालिबान पर प्रतिबंध लगाएगी? नगर निगम चुनाव बीजेपी सरकार के लिए अग्नि परीक्षा गौरतलब है कि कोरोना महामारी के चलते कलबुर्गी में कई बार नगर निगम चुनाव टाले जा चुके हैं। अब यह चुनाव 3 सितंबर को होगा और 6 सितंबर को इसके नतीजे आएंगे। कलबुर्गी, हुब्बाली-धारवाड और बेलागावी में होने वाले चुनाव कर्नाटक की नई बसवराज बोम्मई सरकार के लिए अग्नि परीक्षा के समान है। बीजेपी पहली बार बोम्मई सरकार के नेतृत्व में इस चुनाव में उतर रही है। माना जा रहा है कि इन तीनों ही जगहों पर बीजेपी और कांग्रेस के बीच सीधी टक्कर होगी।


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बीजेपी महासचिव ने AIMIM को बताया कर्नाटक का तालिबान, ओवैसी बोले- अभी बच्‍चे हैं सीटी रवि https://ift.tt/2V5S9aS बीजेपी महासचिव ने AIMIM को बताया कर्नाटक का तालिबान, ओवैसी बोले- अभी बच्‍चे हैं सीटी रवि
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इंडियन एयरफोर्स की ये तस्वीरें गर्व से चौड़ा कर देंगी सीना, दुश्मन का कांप जाएगा कलेजा https://ift.tt/3BrM481

इंडियन एयरफोर्स ने 'आजादी का अमृत महोत्सव' मनाने के लिए अपने लड़ाकू विमानों का 'एलिफेंट वॉक' आयोजित किया। आजादी के 75वें साल का जश्न मनाने के लिए एयरफोर्स के 75 लड़ाकू विमानों ने इस 'एलिफेंट वॉक' में हिस्सा लिया।

इंडियन एयरफोर्स आजादी के 75वें वर्ष का जश्न अपने ही अंदाज में मना रही है। उसने 'आजादी का अमृत महोत्सव' मनाते हुए कुछ तस्वीरें शेयर की हैं जो हर हिंदुस्तानी का सीना गर्व से चौड़ा कर देंगी।


Azadi Ka Amrit Mahostsava : इंडियन एयरफोर्स की ये तस्वीरें गर्व से चौड़ा कर देंगी सीना, दुश्मन का कांप जाएगा कलेजा

इंडियन एयरफोर्स ने 'आजादी का अमृत महोत्सव' मनाने के लिए अपने लड़ाकू विमानों का 'एलिफेंट वॉक' आयोजित किया। आजादी के 75वें साल का जश्न मनाने के लिए एयरफोर्स के 75 लड़ाकू विमानों ने इस 'एलिफेंट वॉक' में हिस्सा लिया।



रॉफेल का दम, जगुआर की ताकत
रॉफेल का दम, जगुआर की ताकत

इंडियन एयर फोर्स ने 'एलिफेंट वॉक' की तस्वीरें शेयर की हैं। इसमें राफेल लड़ाकू विमानों के साथ-साथ जगुआर एयरक्राफ्ट्स के फ्लीट ने भी हिस्सा लिया। एयर फोर्स ने ट्वीट किया- 'राफेल का दम, जगुआर की ताकत'।



तस्वीरें जो दुश्मन के दिल में खौफ भर दें
तस्वीरें जो दुश्मन के दिल में खौफ भर दें

एयरफोर्स ने जिन तस्वीरों को शेयर किया है, उन्हें देख जहां हर हिंदुस्तानी का सीना गर्व से चौड़ा हो जाएगा, वहीं दुश्मन का कलेजा कांप जाएगा।



आजादी के 75वें साल पर 75 लड़ाकू विमानों का ग्रैंड शो
आजादी के 75वें साल पर 75 लड़ाकू विमानों का ग्रैंड शो

इंडियन एयरफोर्स ने ट्वीट किया, 'राफेल का दम, जगुआर की ताकत। इंडियन एयरफोर्स ने 75 लड़ाकू विमानों के एलिफेंट वॉक के जरिए आजादी का अमृत महोत्सव मनाया। तेज और घातक 75@75'



क्या होता है 'एलिफेंट वॉक'?
क्या होता है 'एलिफेंट वॉक'?

जब कई लड़ाकू विमान एक साथ एक ही जगह से उड़ान भरते हैं तो टेक ऑफ से ठीक पहले का क्लोज फॉर्मेशन 'एलिफेंट वॉक' कहलाता है। इस टर्म का इस्तेमाल अमेरिका की एयर फोर्स करती है। इस टर्म का इस्तेमाल सबसे पहले द्वितीय विश्व युद्ध के वक्त किया गया था जब बड़ी तादाद में मित्र राष्ट्रों के लड़ाकू विमान हमले के लिए एक साथ उड़ान भरते थे। उन्हें देखकर ऐसा लगता था जैसे हाथियों का झुंड प्यास बुझाने के लिए किसी जलस्रोत की तरफ रवाना हो रहा हो। इसीलिए इसे एलिफेंट वॉक नाम दिया गया।





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इंडियन एयरफोर्स की ये तस्वीरें गर्व से चौड़ा कर देंगी सीना, दुश्मन का कांप जाएगा कलेजा https://ift.tt/3BrM481 इंडियन एयरफोर्स की ये तस्वीरें गर्व से चौड़ा कर देंगी सीना, दुश्मन का कांप जाएगा कलेजा
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आसाराम को सुप्रीम कोर्ट से झटका, कहीं जाने की इजाजत नहीं, जेल में मिलेगा आयुर्वेदिक इलाज https://ift.tt/3mK2SDj

नई दिल्ली () ने आसाराम की जमानत याचिका को खारिज कर दिया है। नाबालिग से रेप के मामले में जोधपुर सेंट्रल जेल में उम्रकैद की सजा काट रहे आसाराम () ने आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट को लेकर सर्वोच्च अदालत में याचिका दायर की थी। हालांकि, उसे कोर्ट से झटका ही लगा है। कोर्ट ने जमानत याचिका खारिज करते हुए जेल में ही आयुर्वेदिक इलाज देने की बात कही है। आसाराम ने दो महीने की अंतरिम जमानत मांगी थी। कोर्ट ने पूरे मामले में क्या कहा...जस्टिस इंदिरा बनर्जी, जस्टिस वी रामसुब्रमण्यम और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने मामले की सुनवाई की। याचिका को खारिज करते हुए, जस्टिस इंदिरा बनर्जी ने कहा कि पूरे मामले को देखते हुए ये सामान्य अपराध नहीं है, ऐसे में दी जा सकती है। हालांकि, उन्होंने ये भी कहा कि आसाराम को जेल में ही आयुर्वेदिक इलाज मुहैया कराया जाएगा। इस संबंध में जेल अधिकारियों को जरूरी निर्देश भी दिए गए हैं। आयुर्वेदिक इलाज के लिए आसाराम ने लगाई थी दो महीने की जमानत आसाराम की ओर से उत्तराखंड के एक आयुर्वेद केंद्र में मेडिकल ट्रीटमेंट के लिए सजा को अस्थायी रूप से निलंबित करने और आयुर्वेदिक इलाज के लिए दो महीने की अंतरिम जमानत मांगी गई थी। इस मामले में इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने AIIMS को एक मेडिकल बोर्ड बनाने का आदेश दिया था, जिसका काम आसाराम की सेहत की जानकारी कोर्ट को देना था। वहीं आसाराम की जांच करने वाली मेडिकल टीम ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि आसाराम की हालत स्थिर है। बाद में राजस्थान सरकार ने भी इस मामले में जवाब पेश करते हुए बताया था कि आसाराम का उचित उपचार हो रहा। साथ इलाज की सारी सुविधाएं हैं। 2013 से आसाराम को किया गया था गिरफ्तारआसाराम को साल 2013 में जोधपुर पुलिस ने गिरफ्तार किया था। वह तब से ही जेल में हैं। 80 साल के आसाराम ने निचली अदालत से लेकर शीर्ष अदालत तक कई बार जमानत की याचिका दी है। हालांकि, खास कामयाबी नहीं मिली। उन पर नाबालिग के शारीरिक शोषण करने का आरोप था। जिसकी सुनवाई करते हुए एसटी-एससी कोर्ट के तत्कालीन पीठासीन अधिकारी मधुसूदन शर्मा की कोर्ट ने आसाराम को जीवन की आखिरी सांस तक जेल में रहने की सजा सुनाई थी।


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आसाराम को सुप्रीम कोर्ट से झटका, कहीं जाने की इजाजत नहीं, जेल में मिलेगा आयुर्वेदिक इलाज https://ift.tt/3mK2SDj आसाराम को सुप्रीम कोर्ट से झटका, कहीं जाने की इजाजत नहीं, जेल में मिलेगा आयुर्वेदिक इलाज
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जंतर-मंतर पर भड़काऊ नारेबाजी के आरोपी पिंकी चौधरी का सरेंडर, समर्थकों ने कंधे पर बिठाया https://ift.tt/3yrFw7r

नई दिल्ली जंतर-मंतर पर भड़काऊ नारेबाजी के आरोपी हिंदू रक्षा दल के प्रमुख भूपेंद्र सिंह तोमर उर्फ पिंकी चौधरी ने दिल्ली के मंदिर मार्ग थाने में सरेंडर कर दिया है। चौधरी पूरे लाव-लश्कर के साथ सरेंडर करने थाने पहुंचा था। समर्थकों ने उसे गिरफ्तार से पहले फूल माला और कंधे पर बैठाकर घुमाया भी। जंतर-मंतर पर के मामले में वह पिछले कई दिनों से फरार चल रहा था। गाजियाबाद के रहने वाले पिंकी चौधरी ने एक वीडियो जारी कर कहा था कि वह दिल्ली पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण कर देगा। चौधरी पर जंतर-मंतर पर एक विरोध प्रदर्शन के दौरान मुस्लिम विरोधी नारेबाजी करने का आरोप है। इस नारेबाजी का वीडियो वायरल होने के बाद से लेकर अब तक दिल्ली पुलिस बीजेपी नेता और वरिष्ठ वकील अश्विनी उपाध्याय समेत कम से कम 7 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है। पिंकी चौधरी ने हालांकि इस तरह कि किसी भी नारेबाजी से इनकार किया है। उसने सोमवार को वीडियो में उसने दावा किया था, 'मैं अब भी अपनी बात पर कायम हूं। मैं और मेरे संगठन के किसी भी कार्यकर्ता ने जंतर-मंतर पर कुछ भी गलत नहीं किया। मैं अदालत का सम्मान करता हूं। मैं कल 31 अगस्त को दोपहर करीब 12 बजे कनॉट प्लेस थाने में आत्मसमर्पण करूंगा और पुलिस के साथ सहयोग करूंगा।' दिल्ली हाई कोर्ट ने शुक्रवार को चौधरी को गिरफ्तारी से अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया था। इससे पहले इस महीने की शुरुआत में एक सत्र अदालत ने चौधरी की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी। गौरतलब है कि पिंकी चौधरी ने इससे पहले पिछले साल जेएनयू में छात्रों पर हुए हमले की जिम्मेदारी भी ली थी।


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जंतर-मंतर पर भड़काऊ नारेबाजी के आरोपी पिंकी चौधरी का सरेंडर, समर्थकों ने कंधे पर बिठाया https://ift.tt/3yrFw7r जंतर-मंतर पर भड़काऊ नारेबाजी के आरोपी पिंकी चौधरी का सरेंडर, समर्थकों ने कंधे पर बिठाया
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कहां हैं लापता हुए 60 युवक? तालिबान की वापसी से कश्मीर में बढ़ी सुरक्षाबलों की टेंशन https://ift.tt/2WFX0QD

श्रीनगर पड़ोसी मुल्क अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे और अमेरिकी फौज के लौट जाने के बाद जम्मू-कश्मीर में भी चिंता की लकीरें बढ़ गई हैं। सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार 6 आतंकी संगठनों के 25 से 30 आतंकवादी कश्मीर में घुसपैठ कर आए हैं। एजेंसियां भी पड़ताल में सही लगी हैं। वहीं 60 युवाओं का गायब होना भी चिंता का सबब बन गया है। NDTV से बातचीत में एक सीनियर अधिकारी ने बताया, 'पिछले एक महीने के दौरान लगभग हर रोज ही सुरक्षाबलों या फिर नेताओं पर हमले की घटनाएं दर्ज की गई हैं। इतना ही नहीं, इस साल फरवरी में युद्धविराम के बाद सीमा पार से आतंकी लॉन्च पैड की गतिविधि रुक गई थी, जो कि फिर से बढ़ गई है।' जम्मू कश्मीर पुलिस के आईजी विजय कुमार ने बताया कि घाटी के युवाओं का लापता हो जाना सिरदर्द बना हुआ है। पिछले कुछ महीनों के दौरान करीब 60 युवा अपने घरों से लापता हुए हैं। उन्होंने कहा, 'किसी जरूरी काम से बाहर जाने की बात कहते हुए निकले युवा वापस नहीं लौटे। हम राह से भटके युवाओं को आतंक छोड़कर मुख्यधारा में लौटने की अपील कर रहे हैं।' इंटेलिजेंस एजेंसी के अनुसार करीब 300 आतंकियों ने लाइन ऑफ कंट्रोल के कैम्प्स पर फिर से कब्जा कर लिया है। वहीं अफगानिस्तान की राजधानी काबुल पर तालिबान के कब्जे के बाद से सोशल मीडिया पर भी बधाई देने वाले संदेशों की लाइन लगी हुई है। घाटी में ऐंटी टेरर ऑपरेशन चलाने वाले एक अधिकारी ने बताया कि हम अलर्ट होन के साथ ही पूरी तरह तैयार हैं। सुरक्षा एजेंसियों की नजर सोशल मीडिया पर भी बनी हुई है। अभी हाल ही में एक वीडियो जम्मू कश्मीर में वायरल हो रहा था, जिसमें तालिबान में शामिल रहे कुछ लड़ाकों के पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर लौटने पर हीरो की तरह स्वागत किया जा रहा है। एजेंसियों के मुताबिक ऐसे वीडियो का मकसद कश्मीर के युवाओं को आतंक के रास्ते पर जाने के लिए प्रेरित करना है।


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कहां हैं लापता हुए 60 युवक? तालिबान की वापसी से कश्मीर में बढ़ी सुरक्षाबलों की टेंशन https://ift.tt/2WFX0QD कहां हैं लापता हुए 60 युवक? तालिबान की वापसी से कश्मीर में बढ़ी सुरक्षाबलों की टेंशन
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ऐसा पहली बार होगा... पिता के बाद बेटी और बेटा बनेंगे सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस https://ift.tt/2V2lva7

नई दिल्ली सुप्रीम कोर्ट को आज 9 और जज मिल गए। सुबह सुप्रीम कोर्ट के ऑडिटोरियम में शपथ ग्रहण समारोह संपन्न हुआ। शपथ ग्रहण के साथ ही कई सारी चीजें ऐसी हुईं जो इसके पहले कभी नहीं देखने को मिली। पहली बार एक साथ नौ जज शपथ लिए और शपथ ग्रहण भी कोर्टरूम में न होकर ऑडिटोरियम में हुआ। पहली बार ही शपथ ग्रहण लाइव टेलीकास्ट भी हुआ। आज का दिन सुप्रीम कोर्ट के लिए ऐतिहासिक रहा। सुप्रीम कोर्ट में एक साथ तीन महिला जज शपथ लेती हुई नजर आईं। अब ऐसा पहली बार देखने को मिलेगा जब एक साथ चार महिला जज काम करेंगी। कर्नाटक हाई कोर्ट से सुप्रीम कोर्ट की जज बनते ही जस्टिस बी वी नागरत्ना ने एक साथ कई इतिहास रच दिया है। कुछ साल बाद वो CJI भी बनेंगी और ऐसा पहली बार होगा जब पिता के बाद पुत्री चीफ जस्टिस बनेंगी। इससे पहले इस कड़ी में एक और नाम जुड़ेगा। पिता के बाद अब बेटी बनेंगी चीफ जस्टिस वरिष्ठता क्रम का ध्यान रखते हुए देश में पहली बार 2027 में जस्टिस बी वी नागरत्ना महिला CJI बनेंगी। हालांकि उनका कार्यकाल बहुत कम दिनों का होगा। उनके पिता जस्टिस ईएस वेंकटरमैया भी 1989 में चीफ जस्टिस बने थे। भारतीय न्यायपालिका के इतिहास में यह पहला मौका बनेगा, जब पिता के बाद दूसरी जेनरेशन में बेटी चीफ जस्टिस बनेंगी। अगले साल चीफ जस्टिस बनते ही बनेगा रिकॉर्ड सीनियरिटी के हिसाब से देखा जाए जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ नवंबर 2022 में चीफ जस्टिस बनेंगे। उनके पिता जस्टिस वाई बी चंद्रचूड़ 1978 में चीफ जस्टिस बने थे। जस्टिस वाईबी चंद्रचूड़ 7 साल भारत के चीफ जस्टिस रहे जो कि अब तक का सबसे लंबा कार्यकाल है। पहले चाचा और बाद में भतीजा बने चीफ जस्टिस सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रहे दीपक मिश्रा के चाचा भी सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रह चुके हैं। जस्टिस दीपक मिश्रा 14 महीने देश के चीफ जस्टिस थे। इनके चाचा रंगनाथ मिश्रा भी सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रह चुके हैं। रंगनाथ मिश्रा 25 सितंबर 1990 से 24 नवंबर 1991 तक सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रहे। 2017 अगस्त महीने में दीपक मिश्रा देश के 45 वें चीफ जस्टिस बने। वो 14 महीने तक देश के चीफ जस्टिस रहे।


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ऐसा पहली बार होगा... पिता के बाद बेटी और बेटा बनेंगे सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस https://ift.tt/2V2lva7 ऐसा पहली बार होगा... पिता के बाद बेटी और बेटा बनेंगे सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस
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जानिए, कौन हैं सुप्रीम कोर्ट की जज BV नागरत्ना जो बनेंगी भारत की पहली महिला चीफ जस्टिस https://ift.tt/3gJ2eSr

सुप्रीम कोर्ट में पहली बार ऐसा हुआ है कि एक साथ 9 जजों ने शपथ ली हो। मंगलवार को तीन महिला जजों समेत कुल 9 जजों को चीफ जस्टिस एनवी रमना ने सुप्रीम कोर्ट के जज के तौर पर शपथ दिलाई। आपको बता दें कि ऐसा पहली बार हुआ है, जब एक साथ तीन-तीन महिला जजों की नियुक्ति सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस के तौर पर हुई है। जिन तीन महिला जजों ने आज शपथ ली उनमें जस्टिस बीवी नागरत्ना के अलावा जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और जस्टिस हीमा कोहली का नाम शामिल है।

Justice BV Nagarathna: क्या आप जानते हैं कि सितबंर 2027 में भारत की पहली महिला चीफ जस्टिस बनने वाली बीवी नागरत्ना के पिता ईएस वेंकटरमैया भी सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रह चुके थे।


Justice Nagrathna: जानिए, कौन हैं सुप्रीम कोर्ट की जज बीवी नागरत्ना जो बनेंगी भारत की पहली महिला चीफ जस्टिस

सुप्रीम कोर्ट में पहली बार ऐसा हुआ है कि एक साथ 9 जजों ने शपथ ली हो। मंगलवार को तीन महिला जजों समेत कुल 9 जजों को चीफ जस्टिस एनवी रमना ने सुप्रीम कोर्ट के जज के तौर पर शपथ दिलाई। आपको बता दें कि ऐसा पहली बार हुआ है, जब एक साथ तीन-तीन महिला जजों की नियुक्ति सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस के तौर पर हुई है। जिन तीन महिला जजों ने आज शपथ ली उनमें जस्टिस बीवी नागरत्ना के अलावा जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और जस्टिस हीमा कोहली का नाम शामिल है।



कौन हैं जस्टिस बीवी नागरत्ना जो बनेंगी पहली महिला चीफ जस्टिस?
कौन हैं जस्टिस बीवी नागरत्ना जो बनेंगी पहली महिला चीफ जस्टिस?

सुप्रीम कोर्ट में जज बनने से पहले जस्टिस नागरत्ना कर्नाटक हाई कोर्ट में जज थीं। जस्टिस नागरत्ना ने 1987 में कर्नाटक हाई कोर्ट में वकालत शुरू की। उन्होंने पूरे 23 साल तक वकालत की और उसके बाद बतौर जज भूमिका संभाली। उन्हें 2008 में हाई कोर्ट में अडिशनल जज नियुक्त किया गया। उसके बाद फरवरी 2010 में जस्टिस नागरत्ना को हाई कोर्ट में स्थायी जज के तौर पर नियुक्त किया गया। जस्टिस बीवी नागरत्ना देश की पहली महिला चीफ जस्टिस बनेंगी। वरिष्ठता के हिसाब से सितंबर 2027 में वह भारत की पहली महिला चीफ जस्टिस बनेंगी।



तीसरी चीफ जस्टिस जिनका कार्यकाल रहेगा सबसे कम
तीसरी चीफ जस्टिस जिनका कार्यकाल रहेगा सबसे कम

बतौर चीफ जस्टिस बीवी नागरत्ना का कार्यकाल महज 36 दिनों का रहेगा। यह सुप्रीम कोर्ट के 77 सालों के इतिहास में किसी चीफ जस्टिस का तीसरा सबसे छोटा कार्यकाल होगा। जस्टिस कमल नारायण सिंह ऐसे चीफ जस्टिस रहे जिनका कार्यकाल सबसे छोटा रहा। वह 25 नवंबर 1991 से 13 दिसंबर 1991 तक यानी महज 18 दिनों के लिए चीफ जस्टिस रहे। उनके बाद जस्टिस एस राजेंद्र बाबू का नंबर आता है जिन्होंने 2 मई 2004 से 31 मई 2004 तक सिर्फ 30 दिनों के लिए चीफ जस्टिस के तौर पर अपनी सेवा दी। अब जस्टिस नागरत्ना 36 दिनों के लिए चीफ जस्टिस बनेंगी जो तीसरा सबसे छोटा कार्यकाल होगा।



जस्टिस नागरत्ना के पिता भी थे चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया
जस्टिस नागरत्ना के पिता भी थे चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया

जस्टिस बीवी नागरत्ना के पिता जस्टिस ईएस वेंकटरमैया भी 1989 में चीफ जस्टिस बने थे। भारतीय न्यायपालिका के इतिहास में ये दूसरा मौका होगा, जब पिता के बाद दूसरी जेनरेशन में बेटी चीफ जस्टिस बनेगी। इससे पहले सीनियॉरिटी के हिसाब से जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ नवंबर 2022 में चीफ जस्टिस बनेंगे। उनके पिता जस्टिस वाई बी चंद्रचूड़ 1978 में चीफ जस्टिस बने थे। जस्टिस वाईबी चंद्रचूड़ 7 साल भारत के चीफ जस्टिस रहे जो कि अब तक का सबसे लंबा कार्यकाल है।



जस्टिस नागरत्ना के महत्वपूर्ण फैसले
जस्टिस नागरत्ना के महत्वपूर्ण फैसले

साल 2012 में जस्टिस बीवी नागरत्ना ने इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से जुड़ा एक फैसला सुनाया था। उन्होंने मीडिया को नियंत्रित करने की बात कही थी। हालांकि नियंत्रण की बात उन्होंने सनसनी फैलाने के संदर्भ में कही थी।

जस्टिस बीवी नागरत्ना ने साल 2019 में कर्नाटक के मंदिरों में काम करने वालों को लेकर एक फैसला सुनाया था। तब उन्होंने कहा था कि कर्नाटक के मंदिर कोई व्यावसायिक संस्थान नहीं हैं। ऐसे में यहां काम करने वालों को ग्रेच्युटी पेमेंट ऐक्ट के तहत ग्रेच्युटी का भुगतान नहीं किया जा सकता है, लेकिन कर्नाटक के मंदिरों में काम करने वाले कर्नाटक हिंदू रिलीजियस इंस्टीट्यूशंस ऐंड चैरिटेबल एंडाउमेंट ऐक्ट के तहत ग्रेच्युटी के हकदार होंगे।

एक और सुनवाई के दौरान जस्टिस नागरत्ना और जस्टिस एच संजीव कुमार ने ऑब्जर्व किया था कि अवैध माता-पिता हो सकते हैं, लेकिन कभी भी बच्चा अवैध नहीं हो सकता है।





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शहीदों का अपमान नहीं सहूंगा... जलियांवाला बाग में लेजर शो पर भड़के राहुल गांधी, जानें पूरा मामला https://ift.tt/3t0iCDa

अमृतसर/नई दिल्ली भारत में ब्रिटिश हुकूमत की क्रूरता के प्रतीक पंजाब के जलियांवाला बाग के नवीनीकरण को लेकर सियासत गरमा गई है। 102 साल पहले हुए कांड को काला अध्याय करार देते हुए सोशल मीडिया पर कई लोगों ने शहीदों के स्थल को अत्याधुनिक रंग देने का विरोध किया। वहीं ने इसे शहीदों का अपमान करार देते हुए कहा कि वह इस अभद्र क्रूरता के खिलाफ हैं। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा, 'जलियांवाला बाग के शहीदों का ऐसा अपमान वही कर सकता है, जो शहादत का मतलब नहीं जानता। मैं एक शहीद का बेटा हूं। शहीदों का अपमान किसी कीमत पर सहन नहीं करूंगा। हम इस अभद्र क्रूरता के खिलाफ हैं।' राहुल ने तंज कसते हुए कहा कि जिन्होंने आजादी के लिए संघर्ष ही नहीं किया, वे कभी उन्हें नहीं समझ सकते हैं, जिन्होंने लड़ाई लड़ी। PM मोदी ने शनिवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जलियांवाला बाग के नए स्मारक का उद्घाटन किया। इन घटनाओं को दिखाने के लिए ऑडियो-वीडियो टेक्निक के माध्यम से मैपिंग और थ्री डी चित्रण के साथ ही कला एवं मूर्तिकला अधिष्ठापन भी शामिल हैं। जलियांवाला बाग में 13 अप्रैल, 1919 को घटित विभिन्न घटनाओं को दर्शाने के लिए साउंड ऐंड लाइट शो की व्यवस्था की गई है। दरअसल, सोशल मीडिया पर लोगों ने जलियांवाला का रूप रंग बदले जाने को लेकर निशाना साधा। अधिकतर आलोचना उन गलियारों का स्वरूप बदलकर आधुनिकीकरण कर दिए जाने को लेकर है, जहां जनरल डायर ने बैसाखी के दिन निहत्थे लोगों पर गोली चलाने का आदेश दिया था। लोगों ने नवीनीकरण के नाम पर इतिहास को नष्ट किए जाने का आरोप लगाया। इतिहासकार एस इरफान हबीब ने ट्वीट कर कहा, 'यह स्मारकों का कॉर्पोरेटीकरण है। जहां वे आधुनिक संरचनाओं के रूप में समाप्त हो जाते हैं, विरासत मूल्य खो देते हैं।' वहीं सीपीएम के सीताराम येचुरी ने कहा, 'जलियांवाला की हर ईंट ब्रिटिश हुकूमत की क्रूरता की गवाही देती है। केवल स्वतंत्रता संग्राम से दूर रहे लोग ही इस प्रकार की हरकत कर सकते हैं।'


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शहीदों का अपमान नहीं सहूंगा... जलियांवाला बाग में लेजर शो पर भड़के राहुल गांधी, जानें पूरा मामला https://ift.tt/3t0iCDa शहीदों का अपमान नहीं सहूंगा... जलियांवाला बाग में लेजर शो पर भड़के राहुल गांधी, जानें पूरा मामला
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विशुद्ध राजनीतिः क्या पंजाब में 'हिट विकेट' हो जाएंगे सिद्धू, महाराष्ट्र छोड़ अबु आजमी यूपी क्यों पहुंचे? https://ift.tt/3kGvIBI

जेडीयू की राष्ट्रीय परिषद की बैठक में एक प्रस्ताव पास हुआ कि ‘प्रधानमंत्री पद को लेकर हमारी कोई दावेदारी नहीं है, तो वहीं पंजाब की पॉलिटिक्स में नवजोत सिंह सिद्धू के ‘हिट विकेट’ होने का खतरा बढ़ गया है। क्या सुष्मिता देव के कांग्रेस छोड़कर टीएमसी में शामिल होने के पीछे प्रशांत किशोर हैं? महाराष्ट्र के विधायक और समाजवादी पार्टी की राज्य इकाई के अध्यक्ष अबू आसिम आजमी ने इन दिनों यूपी में डेरा क्यों डाल दिया है? विशुद्ध राजनीति के इस अंक आज बात इसी के बारे में....

Pure Politics: विशुद्ध राजनीति पॉलिटिक के इस अंक में बिहार के साथ-साथ बात होगी पंजाब की, बंगाल की और यूपी के चुनाव की। आखिर महाराष्ट्र छोड़ अबु आजमी यूपी क्यों पहुंचे हैं भाई?


विशुद्ध राजनीतिः क्या पंजाब में 'हिट विकेट' हो जाएंगे सिद्धू, महाराष्ट्र छोड़ अबु आजमी यूपी क्यों पहुंचे?

जेडीयू की राष्ट्रीय परिषद की बैठक में एक प्रस्ताव पास हुआ कि ‘प्रधानमंत्री पद को लेकर हमारी कोई दावेदारी नहीं है, तो वहीं पंजाब की पॉलिटिक्स में नवजोत सिंह सिद्धू के ‘हिट विकेट’ होने का खतरा बढ़ गया है। क्या सुष्मिता देव के कांग्रेस छोड़कर टीएमसी में शामिल होने के पीछे प्रशांत किशोर हैं? महाराष्ट्र के विधायक और समाजवादी पार्टी की राज्य इकाई के अध्यक्ष अबू आसिम आजमी ने इन दिनों यूपी में डेरा क्यों डाल दिया है? विशुद्ध राजनीति के इस अंक आज बात इसी के बारे में....



काबिलियत है, दावेदारी नहीं
काबिलियत है, दावेदारी नहीं

जेडीयू की राष्ट्रीय परिषद की बैठक में एक प्रस्ताव पास हुआ कि ‘प्रधानमंत्री पद को लेकर हमारी कोई दावेदारी नहीं है। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में प्रधानमंत्री पद के लिए नरेंद्र मोदी का नाम ही है, लेकिन नीतीश कुमार अपने अनुभव और काम के प्रति समर्पण के लिहाज से प्रधानमंत्री बनने के सभी गुण रखते हैं।’ अचानक इस तरह की सफाई देने की जरूरत क्यों पड़ गई, यह सवाल उठना स्वाभाविक है। कहा जा रहा है कि पिछले दिनों जातीय जनगणना के मुद्दे पर नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव के बीच जिस तरह का एका दिखा, उसके चलते यह माना जा रहा था कि दोनों पार्टियों के बीच की दूरी घटी है। आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष का बयान भी आ गया कि ‘तेजस्वी के कहने पर नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री से मुलाकात का समय लिया था और बिहार के सभी दलों के नेताओं के साथ प्रधानमंत्री से मिले। अगर नीतीश कुमार राज्य में तेजस्वी यादव के नेतृत्व को स्वीकार कर लेते हैं तो महागठबंधन में उनके लिए दरवाजे खुले हुए हैं।’ इसके बाद से यह कयास शुरू हो गया कि नीतीश कुमार राज्य में तेजस्वी यादव को सीएम बनाने के लिए राजी हो सकते हैं और उसके बदले विपक्ष उन्हें मोदी के मुकाबले प्रधानमंत्री का चेहरा बना सकता है। राज्य बीजेपी को नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव का यह एका पसंद नहीं आ रहा था। नीतीश कुमार को लगा कि प्रेशर पॉलिटिक्स में अगर बीजेपी के साथ कुछ ज्यादा नाइत्तेफाकी बढ़ी तो उनका नुकसान हो सकता है। इसी के मद्देनजर जेडीयू को कहना पड़ा कि उसके पीएम नरेंद्र मोदी ही रहेंगे।



‘हिट विकेट’ न हो जाएं
‘हिट विकेट’ न हो जाएं

पंजाब की पॉलिटिक्स में नवजोत सिंह सिद्धू के ‘हिट विकेट’ होने का खतरा बढ़ गया है। उनके अध्यक्ष बनने के बाद राज्य में पार्टी के अंदर का जो घटनाक्रम रहा, उससे पार्टी नेतृत्व सिद्धू से खुश नहीं है। अभी डेढ़ महीने पहले कैप्टन अमरिंदर सिंह की आपत्तियों को नजरअंदाज करते हुए उन्हें जब प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाया गया था तो संदेश साफ था कि कांग्रेस नेतृत्व ने उन्हें कैप्टन के मुकाबले तरजीह दी है और भविष्य में पार्टी उन्हीं के नेतृत्व में आगे बढ़ना चाहेगी। अध्यक्ष बनने के बाद सिद्धू ‘सेल्फ गोल’ करने के मूड में आ गए। उनके सलाहकारों के बयानों से पूरी पार्टी डिफेंसिव मोड में तो आई ही, लेकिन कैप्टन के खिलाफ विधायकों-मंत्रियों वाला जो प्रकरण रहा, उसने सिद्धू की छवि को खासा नुकसान पहुंचाया। दिल्ली में यह स्थापित होता दिखा कि अध्यक्ष बनने के बाद उनकी प्राथमिकता वहां पार्टी को दोबारा सत्ता में लाने की नहीं है। वह पूरी ताकत कैप्टन के खिलाफ ही लगाए हुए हैं। यही वजह रही कि केंद्रीय नेतृत्व ने इस कथित बगावत को तवज्जो देना जरूरी नहीं समझा। केंद्रीय नेतृत्व का रुख भांप कर बागी विधायकों ने भी तेवर ढीले कर लिए। अब उन्हें कैप्टन को हटाने से ज्यादा अपना टिकट बचाने की फिक्र होने लगी है। वह केंद्रीय नेतृत्व के प्रति अपनी वफादारी दिखा रहे हैं। राज्य प्रभारी हरीश रावत का यह बयान भी आ गया है कि सिद्धू को प्रदेश अध्यक्ष का पद सौंपा गया है, इसका मतलब यह नहीं है कि उन्हें पूरी कांग्रेस ही सौंप दी गई है। लगे हाथ यह भी साफ कर दिया गया है कि चुनाव कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व में ही लड़ा जाएगा। चेहरा बदलने जैसी कोई बात नहीं है। मनीष तिवारी ने भी ट्वीट किया, ‘हम आह भी भरते हैं तो हो जाते हैं बदनाम, वो कत्ल भी करते हैं तो चर्चा नहीं होता।’ इसे भी सिद्धू के खिलाफ ही माना जा रहा है।



पर्दे के पीछे पीके
पर्दे के पीछे पीके

पिछले दिनों महिला कांग्रेस की अध्यक्ष सुष्मिता देव ने कांग्रेस छोड़ टीएमसी में शामिल होने का फैसला किया। इस तरह की खबरें भी मीडिया के जरिए आईं कि टीएमसी उन्हें त्रिपुरा में पार्टी का चेहरा बना सकती है। खैर ये बातें अब पुरानी हो चुकी हैं। ताजा बहस इस बात को लेकर है कि सुष्मिता देव के टीएमसी तक पहुंचने का रास्ता कैसे तैयार हुआ। जो बातें अब छनकर बाहर आ रही हैं, उनके मुताबिक प्रशांत किशोर ने भले ही बंगाल चुनाव के बाद चुनाव प्रबंधन के पेशे से अपने को रिटायर घोषित कर दिया हो, लेकिन पर्दे के पीछे से अभी भी वह ममता बनर्जी के लिए मददगार बने हुए हैं, खासतौर पर टीएमसी के विस्तार और उसकी राष्ट्रीय छवि बनाने के लिहाज से। कहा जा रहा है कि सुष्मिता देव की उन्हीं के जरिए टीएमसी में एंट्री हुई है। नॉर्थ ईस्ट के कई दूसरे राज्यों में कुछ अन्य प्रभावशाली नेताओं से भी इन दिनों ममता बनर्जी की बात चल रही है, उसके सूत्रधार भी प्रशांत किशोर ही बताए जा रहे हैं। असम में सीएए के खिलाफ चलने वाले आंदोलन का चेहरा रहे और जेल से रहकर चुनाव जीतने वाले अखिल गोगोई ने भी पिछले दिनों ममता बनर्जी से मुलाकात की। उनका बयान भी आया कि ‘ममता बनर्जी के नेतृत्व में क्षेत्रीय दलों का गठबंधन 2024 में केंद्र में बीजेपी को सत्ता से बेदखल करने के लिए है’। उसके बाद से यह चर्चा तेज हो गई है कि वह भी टीएमसी में आ सकते हैं और असम में पार्टी का चेहरा बन सकते हैं। हिंदी भाषी राज्यों के कुछ दलों और उनके नेताओं से भी प्रशांत किशोर ममता की बात करा रहे हैं।



यूपी आने की वजह
यूपी आने की वजह

महाराष्ट्र के विधायक और समाजवादी पार्टी की राज्य इकाई के अध्यक्ष अबू आसिम आजमी ने इन दिनों यूपी में डेरा डाल दिया है। कार्यकर्ताओं से मुलाकात कर रहे हैं, अलग-अलग जिलों में दौरा कर रहे हैं। वैसे तो वह रहने वाले यूपी के ही हैं, लेकिन लंबे वक्त से उन्होंने मुंबई को अपनी कर्मभूमि बना लिया है। उनकी पहचान अब यूपी में एक मुंबइया की है। यूपी की पॉलिटिक्स में उनके इतना सक्रिय होने की आखिर वजह क्या है, इसको लेकर इन दिनों काफी चर्चा है। कहा जा रहा है कि अभी तक आजम खां समाजवादी पार्टी का मुस्लिम चेहरा हुआ करते थे। योगी सरकार आने के बाद से वह जेल में हैं, यूपी चुनाव होने में अब सिर्फ छह महीने का वक्त बचा है। मुसलमानों में समाजवादी पार्टी से इस बात को लेकर नाराजगी भी है कि उसने आजम की गिरफ्तारी को राजनीतिक मुद्दा नहीं बनाया। उन्हें उनके हाल पर छोड़ दिया। ऐसे में समाजवादी नेतृत्व को एक ऐसे मुस्लिम चेहरे की तलाश हुई जो राज्य में आजम की कमी को पूरा कर सके, साथ ही मुसलमानों के बीच जो नाराजगी पैदा हुई है, उसे खत्म करने में मददगार साबित हो। ऐसे में अबू आसिम को महाराष्ट्र से बुलाकर यूपी में चुनाव तक ‘डेरा’ डालने को कहा गया है। अब देखने वाली बात यह है कि क्या अबू आसिम यूपी में आजम का स्थान ले सकेंगे? राज्य में समाजवादी पार्टी के लिए इस बार मुस्लिम वोटों को लेकर चुनौती इसलिए भी बढ़ी हुई है कि ओवैसी की पार्टी वहां चुनाव लड़ने जा रही है। उसने कम से कम सौ सीटों पर चुनाव लड़ने की बात कह रखी है। ओमप्रकाश राजभर की पार्टी के साथ वह गठबंधन करने का भी इरादा रखती है। उधर, समाजवादी पार्टी की यूपी इकाई के मुस्लिम नेता इस बात को लेकर सवाल करते दिख रहे हैं कि आखिर उन पर भरोसा क्यों नहीं किया गया।





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इतिहास में पहली बार एक साथ 9 जजों का शपथग्रहण, मिलिए सुप्रीम कोर्ट के इन जजों से https://ift.tt/3mK6oxh

सुप्रीम कोर्ट को आज 9 और जज मिल गए। मंगलवार को सुबह 10.30 बजे सुप्रीम कोर्ट के ऑडिटोरियम में शपथ ग्रहण समारोह संपन्न हुआ। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट में जजों के कुल स्वीकृत 34 पदों में से 33 भर गए। शपथ लेने वालों में तीन महिला जस्टिस हैं, जिनमें जस्टिस बीवी नागरत्ना भी हैं जो वरिष्ठता के हिसाब से सितंबर 2027 में भारत की पहली महिला चीफ जस्टिस बनेंगी। बतौर चीफ जस्टिस उनका कार्यकाल 36 दिन का रहेगा। उनके पिता जस्टिस ईएस वेंकटरमैया भी 1989 में चीफ जस्टिस बने थे। भारतीय न्यायपालिका के इतिहास में ये दूसरा मौका बनेगा, जब पिता के बाद दूसरी जेनरेशन में बेटी चीफ जस्टिस बनेगी। इससे पहले सीनियॉरिटी के हिसाब से जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ नवंबर 2022 में चीफ जस्टिस बनेंगे। उनके पिता जस्टिस वाई बी चंद्रचूड़ 1978 में चीफ जस्टिस बने थे। जस्टिस वाईबी चंद्रचूड़ 7 साल भारत के चीफ जस्टिस रहे जो कि अब तक का सबसे लंबा कार्यकाल है।

Supreme Court Judges Oath: जस्टिस एएस ओका, विक्रम नाथ, जेके माहेश्वरी, हिमा कोहली, बीवी नागरत्ना, सीटी रविकुमार, एमएम सुंदरेश, बेला एम त्रिवेदी और पीएस नरसिम्हा ने सुप्रीम कोर्ट के जजों के रूप में शपथ लिया।


Supreme Court Judges: इतिहास में पहली बार एक साथ 9 जजों का शपथग्रहण, मिलिए सुप्रीम कोर्ट के इन जजों से

सुप्रीम कोर्ट को आज 9 और जज मिल गए। मंगलवार को सुबह 10.30 बजे सुप्रीम कोर्ट के ऑडिटोरियम में शपथ ग्रहण समारोह संपन्न हुआ। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट में जजों के कुल स्वीकृत 34 पदों में से 33 भर गए। शपथ लेने वालों में तीन महिला जस्टिस हैं, जिनमें जस्टिस बीवी नागरत्ना भी हैं जो वरिष्ठता के हिसाब से सितंबर 2027 में भारत की पहली महिला चीफ जस्टिस बनेंगी। बतौर चीफ जस्टिस उनका कार्यकाल 36 दिन का रहेगा। उनके पिता जस्टिस ईएस वेंकटरमैया भी 1989 में चीफ जस्टिस बने थे। भारतीय न्यायपालिका के इतिहास में ये दूसरा मौका बनेगा, जब पिता के बाद दूसरी जेनरेशन में बेटी चीफ जस्टिस बनेगी। इससे पहले सीनियॉरिटी के हिसाब से जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ नवंबर 2022 में चीफ जस्टिस बनेंगे। उनके पिता जस्टिस वाई बी चंद्रचूड़ 1978 में चीफ जस्टिस बने थे। जस्टिस वाईबी चंद्रचूड़ 7 साल भारत के चीफ जस्टिस रहे जो कि अब तक का सबसे लंबा कार्यकाल है।



पहली बार तीन महिला जस्टिस की शपथ
पहली बार तीन महिला जस्टिस की शपथ

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस के तौर पर मंगलवार को कर्नाटक हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस एएस ओका, गुजरात हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस विक्रम नाथ, सिक्किम हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस जेके महेश्वरी, तेलंगाना हाई कोर्ट की चीफ जस्टिस हीमा कोहली, कर्नाटक हाई कोर्ट की जस्टिस बीवी नागरत्ना, केरल हाई कोर्ट के जस्टिस सीटी रवी कुमार, मद्रास हाई कोर्ट के जस्टिस एमएम सुंदरेश, गुजरात हाई कोर्ट के जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और सीनियर ऐडवोकेट पीएस नरसिम्हा को शपथ दिलाया गया। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस के तौर पर जिन तीन महिला जस्टिस ने शपथ लिया, उनमें जस्टिस बीवी नागरत्ना के अलावा जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और जस्टिस हीमा कोहली का नाम शामिल है। ऐसा पहली बार हुआ है, जब एक साथ तीन-तीन महिला जजों की नियुक्ति सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस के तौर पर हुई है।



​जस्टिस एएस ओका
​जस्टिस एएस ओका

1983 में एलएलएम करने के बाद ठाणे की जिला अदालत से प्रैक्टिस शुरू की थी। बॉम्बे हाई कोर्ट के जस्टिस के तौर पर 2003 में नियुक्ति हुई थी। 10 मई 2019 को कर्नाटक हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस बने।



जस्टिस विक्रम नाथ
जस्टिस विक्रम नाथ

1987 में बतौर एडवोकेट प्रैक्टिस शुरू की। बाद में हाई कोर्ट के जस्टिस बने। 10 सितंबर 2019 को गुजरात हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस बने थे।



​जस्टिस जेके माहेश्वरी
​जस्टिस जेके माहेश्वरी

1985 से वकालत शुरू की। 2005 में मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के जस्टिस बने। अक्टूबर 2019 में आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस नियुक्त हुए थे।



​जस्टिस हिमा कोहली
​जस्टिस हिमा कोहली

दिल्ली के सेंट स्टीफंस से ग्रैजुएशन किया, उसके बाद डीयू से लॉ पास करने के बाद 1984 में बतौर वकील प्रैक्टिस शुरू की। 2006 में दिल्ली हाई कोर्ट की जस्टिस बनीं। बाद में जनवरी 2021 में तेलंगाना हाई कोर्ट की चीफ जस्टिस बनाई गईं।



​जस्टिस बीवी नागरत्ना
​जस्टिस बीवी नागरत्ना

1987 में कर्नाटक हाई कोर्ट में वकालत शुरू की। 2008 में हाई कोर्ट में जस्टिस बनीं।



​जस्टिस सीटी रविकुमार
​जस्टिस सीटी रविकुमार

केरल में वकालत शुरू की और 2009 में केरल हाई कोर्ट में जस्टिस बने।



​जस्टिस एमएम सुंदरेश
​जस्टिस एमएम सुंदरेश

बतौर वकील उन्होंने प्रैक्टिस शुरू की और बाद में मद्रास हाई कोर्ट में 2009 में जस्टिस नियुक्त किए गए।



​जस्टिस बेला एम त्रिवेदी
​जस्टिस बेला एम त्रिवेदी

गुजरात में निचली अदालत में बतौर जज काम किया। उन्हें प्रमोट कर गुजरात हाई कोर्ट का जस्टिस 2011 में बनाया गया।



सीनियर ऐडवोकेट पीएस नरसिम्हा
सीनियर ऐडवोकेट पीएस नरसिम्हा

सीनियर ऐडवोकेट नरसिम्हा अडिशनल सॉलिसिटर जनरल रह चुके हैं। वह 9वें वकील हैं जिन्हें सुप्रीम कोर्ट में सीधे जस्टिस नियुक्त किया जा रहा है। सीनियॉरिटी के हिसाब से वह 30 अक्टूबर 2027 में भारत के चीफ जस्टिस बनेंगे।





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इतिहास में पहली बार एक साथ 9 जजों का शपथग्रहण, मिलिए सुप्रीम कोर्ट के इन जजों से https://ift.tt/3mK6oxh इतिहास में पहली बार एक साथ 9 जजों का शपथग्रहण, मिलिए सुप्रीम कोर्ट के इन जजों से
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योगी सरकार का बड़ा ऐलान, कान्हा की नगरी में शराब और मांस की बिक्री पर पाबंदी https://ift.tt/3mO8wnF

मथुरा जन्माष्टमी के मौके पर कृष्ण नगरी मथुरा पहुंचे सीएम योगी ने एक बड़ी घोषणा की है। सीएम योगी ने कहा है कि मथुरा में मांस और मदिरा की बिक्री पर पूरी तरह से रोक लगाई जाएगी। इसका उद्देश्य यहां की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत को बचाना है। सीएम योगी सोमवार को मथुरा में कृष्ण जन्माष्टमी के उत्सव में हिस्सा लेने के लिए गए थे। सीएम योगी ने कहा कि जिला प्रशासन को इस संबंध में निर्देश दिए गए हैं कि वह मांस-मदिरा की बिक्री को बंद कराने के लिए जरूरी कार्ययोजना बनाए। सीएम ने कहा कि जो लोग इस काम में लगे हैं, उनके पुनर्वास का इंतजाम भी किया जाएगा। जन्माष्टमी कार्यक्रम में शामिल हुए सीएम श्री कृष्ण जन्माष्टमी में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मथुरा में आयोजित जन्माष्टमी कार्यक्रम में शामिल हुए। यहां उन्होंने रामलीला ग्राउंड पर आयोजित श्रीकृष्णोत्सव में शिरकत करने के साथ मंच से लोगों को संबोधित करते हुए सभी को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की बधाई और शुभकामनाएं दीं। इसके बाद वह पूजा में शामिल हुए। उन्होंने कहा कि इस पवित्र दिन ही भगवान श्रीकृष्ण करीब 6000 वर्ष पूर्व इस पावन धरा पर अवतरित हुए थे। उन्होंने बताया कि वर्ष 2020 में कोरोना के चलते कार्यक्रम आयोजित नहीं हो सका था। कोरोना पर नियंत्रण है, लेकिन सुरक्षा जरूरी इस वर्ष महामारी पूरी तरह नियंत्रण में है लेकिन सुरक्षा जरूरी है। कोरोना ने पूरे देश के साथ विश्व में कोहराम मचाया है। जैसे बिहारीजी ने अनेक राक्षसों का अंत किया था। वैसे ही कोरोना को भी अंत करने की कृपा करें। उन्होंने कहा कि अभी फिरोजाबाद से आया हूं। वहां कई बच्चे डेंगू से अकाल मृत्यु को प्राप्त हुए हैं। वहीं मथुरा में भी बच्चों की मृत्यु की जानकारी मिली है। उनके परिवारों के साथ मेरी संवेदना है। बीमारी में लापरवाही हमेशा खतरनाक होती हैं। इसलिए सतर्कता और जागरूकता बेहद जरूरी है। 'बीजेपी को छोड़कर अन्य दलों के नेता नहीं आते थे' इस दौरान सीएम योगी ने कहा कि देश और प्रदेश में विकास के साथ सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान के लिए कोशिश की जा रही हैं। अयोध्या में विशाल राम मंदिर निर्माण चल रहा है। आजादी के बाद रामनाथ कोविंद पहले राष्ट्रपति और नरेंद्र मोदी प्रथम प्रधानमंत्री हैं जिन्होंने अयोध्या जाकर पहली बार रामलला के दर्शन किए। जो राजनेता पहले मंदिर जाने में घबराते थे, अब वह भी श्रीराम को अपना बता रहे हैं। उन्होंने कहा कि हिंदू त्योहारों पर बीजेपी को छोड़कर अन्य दलों के नेता नहीं आते थे। अलर्ट जारी होता था कि रात्रि में कार्यक्रम नहीं होंगे। हमारे कान्हा तो रात्रि में 12 बजे ही जन्म लेते हैं। सीएम ने कहा कि हमें अब धार्मिक धरोहरों को संरक्षित करना चाहिए।


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योगी सरकार का बड़ा ऐलान, कान्हा की नगरी में शराब और मांस की बिक्री पर पाबंदी https://ift.tt/3mO8wnF योगी सरकार का बड़ा ऐलान, कान्हा की नगरी में शराब और मांस की बिक्री पर पाबंदी
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न होमवर्क और न एग्जाम... मासूमों के लिए चीन की यह पहल मिसाल है! https://ift.tt/3BlBLlO

नई दिल्ली चीन ने व्यापक शिक्षा सुधारों के तहत अपने यहां कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। इन सुधारों के तहत चीन ने अपने यहां 6 और 7 सालों के बच्चों के लिए लिखित परीक्षा पर प्रतिबंध लगा दिया है। इसका उद्देश्य अति-प्रतिस्पर्धी स्कूल सिस्टम में स्टूटेंड्स और पैरेंट्स पर दबाव कम करना है। चीन के पुराने सिस्टम के मुताबिक, पहले छात्रों को पहली कक्षा से परीक्षा देने की आवश्यकता होती थी, इसके पीछे 18 साल की उम्र में विश्वविद्यालय प्रवेश परीक्षा का डर होता था, जिसे गाओकाओ के रूप में जाना जाता है, जहां एक सिंगल स्कोर बच्चे के जीवन पथ को निर्धारित कर सकता है। 'कम उम्र में ज्यादा दबाव मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाता है' सोमवार को जारी हुई नई शिक्षा नीति के मुताबिक, बार-बार होने वाली परीक्षाएं, जिसके कारण छात्रों पर अधिक बोझ पड़ता है और परीक्षा का भारी दबाव होता है इसे शिक्षा मंत्रालय द्वारा हटा दिया गया है। शिक्षा मंत्रालय का कहना है कि कम उम्र से विद्यार्थियों पर दबाव उनके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाता है। ये नियम जूनियर हाई स्कूल में मध्यावधि और मॉक एग्जाम की अनुमति के साथ-साथ अनिवार्य शिक्षा के अन्य वर्षों में परीक्षा को एक बार में सीमित कर देते हैं। पहली और दूसरी कक्षा के लिए लिखित होमवर्क पर भी प्रतिबंध चीन के शिक्षा मंत्रालय ने इस साल की शुरुआत में पहली और दूसरी कक्षा के छात्रों के लिए लिखित होमवर्क पर भी प्रतिबंध लगा दिया और जूनियर हाई छात्रों के लिए होमवर्क को प्रति रात 1.5 घंटे से अधिक तक सीमित नहीं किया। आपको बता दें कि गाओकाओ उन कुछ तरीकों में से एक है जिससे गरीब, ग्रामीण छात्र शीर्ष विश्वविद्यालयों में बेहतर शैक्षिक अवसरों और नौकरी की संभावनाओं तक पहुंच सकते हैं। क्या भारत में भी ऐसा हो सकता है? जनसंख्या के लिहाज से चीन के बाद भारत दूसरे नंबर पर आता है यानी यहां भी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की तादाद अच्छी खासी है। अक्सर तमाम ऐसी खबरें आती हैं जब हमें यह सुनने को मिलता है कि पढ़ाई के अत्यधिक दबाव को लेकर किसी बच्चे ने कोई गलत कदम उठा लिया। स्कूली पढ़ाई के दौरान बच्चों के दिमाग पर पड़ने वाला दबाव कई बार तो उनकी पूरी जिंदगी उनपर हावी रहता है। ऐसे में चीन के इस कदम के बाद यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या भारत में भी ऐसा कोई प्रयोग हो सकता है? 'स्कोर की रेस में बचपन पीछे छूट जाता है' हमारा जो सामाजिक ताना-बाना है उसके मुताबिक, बच्चों में सबसे ज्यादा स्कोर करने का अलग ही प्रेशर होता है, लेकिन हम यह भूल जाते हैं कि स्कोर की रेस में शामिल बच्चों का बचपन उनसे पीछे छूट जाता है। यही आगे चलकर उनको मानसिक तनाव और डिप्रेशन की ओर धकेल देता है। चीनी शिक्षा मंत्रालय ने भी तो इसी बात पर फोकस किया है कि कम उम्र से विद्यार्थियों पर दबाव उनके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाता है। बच्चों पर दबाव का असर उनके मेंटल हेल्थ पर पड़ता है मानव संसाधन विकास मंत्रालय (HRD) की ओर से जारी एक रिपोर्ट में बताया गया था कि 11 से 17 साल की उम्र के स्कूली बच्चों में हाइपरटेंशन की शिकायत ज्यादा देखी जा रही है जिसका असर उनके मेंटल हेल्थ पर भी पड़ रहा है। विशेषज्ञ भी अक्सर कहते सुने जा सकते है कि बच्चों पर स्कोर का प्रेशर नहीं होना चाहिए क्योंकि बेस्ट होने के प्रेशर को नहीं झेल पाने की वजह से कई बार बच्चे आत्महत्या जैसे गंभीर कदम भी उठा लेते हैं। कोरोना ने भी डाला है बच्चों की सेहत पर असर कोरोना और लॉकडाउन की वजह से बच्‍चों का मासूम बचपन घर की चारदीवारी में कैद होकर रह गया है। इससे बच्‍चों को न केवल बोरियत और फ्रस्‍ट्रेशन हो रही है बल्कि इसका गलत असर उनकी मानसिक और शारीरिक सेहत पर भी पड़ रहा है। विशेषज्ञों के मुताबिक, लंबे लॉकडाउन की वजह से आने वाले समय में बच्‍चों में दीर्घकालिक स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याएं पैदा हो सकती हैं। इस महामारी से बच्‍चों की सेहत पर जो असर पड़ेगा, उस पर तुरंत ध्‍यान देने की जरूरत है वरना बात बहुत बिगड़ सकती है। (एजेंसी से इनपुट के साथ)


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न होमवर्क और न एग्जाम... मासूमों के लिए चीन की यह पहल मिसाल है! https://ift.tt/3BlBLlO न होमवर्क और न एग्जाम... मासूमों के लिए चीन की यह पहल मिसाल है!
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हिंदुस्तानियों को हर हाल में बचाने का जज्बा... बीते 7 सालों में बढ़ता गया विश्वास https://ift.tt/eA8V8J

हिंदुस्तानियों को हर हाल में बचाने का जज्बा... बीते 7 सालों में बढ़ता गया विश्वास

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कई सालों से चल रही है रिसर्च... अब खेतों में भी ‘उगाई’ जा सकेगी वैक्सीन https://ift.tt/eA8V8J

कई सालों से चल रही है रिसर्च... अब खेतों में भी ‘उगाई’ जा सकेगी वैक्सीन

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बेटियां सैनिक स्‍कूल जाने की तैयारी में, जमीयत उलेमा-ए-हिंद चाहता है 'तालिबानी रूल' https://ift.tt/3jvq9qE

नई दिल्लीदेश में जब सैनिक स्‍कूलों में बेटियों के लिए दरवाजे खुल गए हैं तो कुछ मजहबी संगठनों को उनके 'को-एड' स्‍कूलों में भी पढ़ने पर ऐतराज है। वो देश में तालिबानी 'तौर-तरीकों' की पैराकारी करते दिख रहे हैं। सोमवार को (जेयूएच) के अध्यक्ष अरशद मदनी की अपील में भी कुछ इसी तरह की सोच दिखाई दी। मदनी ने सभी गैर-मुसलमानों से अपनी बेटियों को अश्लीलता से बचाने के लिए सह-शिक्षा (को-एजुकेशन) स्कूलों में नहीं भेजने की अपील की है। उन्होंने लड़कियों को उनके लिए बने अलग स्कूलों में ही भेजने पर जोर दिया। अरशद मदनी ने यह अपील ऐसे समय की है जब तालिबान ने अफगानिस्‍तान में सह-शिक्षा पर बंदिश लगा दी है। यह फरमान भी जारी किया है कि वहां पुरुष बेटियों या महिला छात्रों को नहीं पढ़ाएंगे। लड़के और लड़कियों को साथ पढ़ने की इजाजत नहीं होगी। यह कदम प्राइमरी से लेकर यूनिवर्सिटी लेवल तक लागू होगा। मदनी बोले- बनाए जाएं अलग शिक्षण संस्‍थान जेयूएच की कार्यसमिति की बैठक के बाद सोमवार को जारी एक प्रेस बयान में मदनी बोले, 'अनैतिकता और अश्लीलता किसी धर्म की शिक्षा नहीं है। दुनिया के हर धर्म में इसकी निंदा की गई है, क्योंकि यही चीजें हैं जो देश में दुर्व्यवहार फैलाती हैं। इसलिए, हम अपने गैर-मुस्लिम भाइयों से भी कहेंगे कि वे अपनी बेटियों को अनैतिकता और दुर्व्यवहार से दूर रखने के लिए सह-शिक्षा देने से परहेज करें और उनके लिए अलग शिक्षण संस्थान स्थापित करें।' कार्यसमिति की बैठक के दौरान बालक-बालिकाओं के लिए स्कूल-कॉलेजों की स्थापना, विशेष रूप से लड़कियों के लिए धार्मिक वातावरण में अलग-अलग शिक्षण संस्थान और समाज में सुधार के तरीकों पर विस्तार से चर्चा की गई। मदनी ने कहा कि आज की स्थिति में लोगों को अच्छे मदरसों और उच्च धर्मनिरपेक्ष शिक्षण संस्थानों की जरूरत है, जिसमें बच्चों को शिक्षा के समान अवसर प्रदान किए जा सकें। मुसलमानों को अपने बच्चों को किसी भी कीमत पर उच्च शिक्षा से लैस करना चाहिए। उन्होंने कहा, 'हमें ऐसे स्कूलों और कॉलेजों की सख्त जरूरत है, जहां हमारे बच्चे, खासकर लड़कियां बिना किसी बाधा या भेदभाव के उच्च शिक्षा प्राप्त कर सकें।' क्‍या भूल गए मदनी? अफगानिस्‍तान में बेटियों को बेटों से अलग शिक्षा देने के कदम की जानकारों ने तीखी निंदा की थी। कहा गया कि यह कदम लड़कियों को उच्‍च शिक्षा लेने से वंचित करेगा। इस तरह के कदम की भारत में तो कल्‍पना भी नहीं की जा सकती है। पहले ही देश में क्‍वालिटी स्‍कूल और कॉलेजों की कमी है। मदनी अपील करते हुए शायद भूल गए कि यह अफगानिस्‍तान नहीं हिंदुस्‍तान है। मदनी के इस बयान का यह भी मतलब निकलता है कि क्‍या सह-शिक्षण संस्‍थानों में अश्लीलता पढ़ाई जाती है। सैनिक स्‍कूलों के खुल गए हैं दरवाजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 75वें स्‍वतंत्रता दिवस पर देश को संबोधित करते हुए एक बड़ा ऐलान किया था। उन्‍होंने कहा था कि देश की बेटियां अब किसी भी सैनिक स्‍कूल में एडमिशन के लिए आवेदन कर सकेंगी। यानी देश के सभी सैनिक स्कूलों के दरवाजे अब उनके लिए भी खुलेंगे। प्रधानमंत्री बोले थे, 'यह देश के लिए गौरव की बात है कि शिक्षा हो या खेल, बोर्ड्स के नतीजे हों या ओलिंपिक का मेडल, हमारी बेटियां आज अभूतपूर्व प्रदर्शन कर रही हैं। आज भारत की बेटियां अपना स्पेस लेने के लिए आतुर हैं। मुझे लाखों बेटियों के संदेश मिलते थे कि वे भी सैनिक स्कूल में पढ़ना चाहती हैं, उनके लिए भी सैनिक स्कूलों के दरवाजे खोले जाएं।'


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बेटियां सैनिक स्‍कूल जाने की तैयारी में, जमीयत उलेमा-ए-हिंद चाहता है 'तालिबानी रूल' https://ift.tt/3jvq9qE बेटियां सैनिक स्‍कूल जाने की तैयारी में, जमीयत उलेमा-ए-हिंद चाहता है 'तालिबानी रूल'
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न चला ट्रायल न तय हुए आरोप, 11 साल हिरासत में काट दी जेल, SC ने जताई नाराजगी https://ift.tt/3Du6nDM

नई दिल्ली सुप्रीम कोर्ट ने एक आरोपी को आरोप तय किए बिना 11 साल जेल में रखे जाने पर नाराजगी जताई है। शीर्ष न्‍यायालय ने कहा है कि इस शख्‍स को या तो दोषी ठहराया जाए या फिर इसे बरी करें। 1993 में कई राजधानी एक्सप्रेस और अन्य ट्रेनों में हुए सिलसिलेवार धमाकों के मामले में यह व्‍यक्ति आरोपी है। सुप्रीम कोर्ट ने अजमेर की विशेष आतंकी व विध्वंसक गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम अदालत के न्यायाधीश से इस बारे में रिपोर्ट मांगी। उनसे कहा कि आरोपी हमीर उइ उद्दीन (Hameer Ui Uddin) के खिलाफ आरोप तय क्यों नहीं किए गए हैं। त्वरित मुकदमे (speedy trial) के अधिकार का उल्लेख करते हुए कोर्ट ने यह बात कही। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने कहा, 'विशेष न्यायाधीश, निर्दिष्ट अदालत, अजमेर, राजस्थान को निर्देश दिया जाता है कि वह इस आदेश की प्रमाणित प्रति प्राप्त होने की तारीख से दो सप्ताह के भीतर इस कोर्ट में रिपोर्ट प्रस्तुत करें। रिपोर्ट में साफ किया जाए कि आरोप तय क्यों नहीं किए गए हैं।' पीठ ने हाल में दिए गए अपने आदेश में कहा कि रिपोर्ट जल्द प्रस्तुत करने के क्रम में रजिस्‍ट्रार (जूडिशियल) आदेश की एक प्रति संबंधित न्यायाधीश को सीधे और साथ में राजस्थान हाई कोर्ट के रजिस्‍ट्रार (जूडिशियल) के जरिये उपलब्ध कराएंगे। क्‍या है मामला? सुनवाई के दौरान आरोपी के वकील शोएब आलम ने कहा कि याचिकाकर्ता 2010 से हिरासत में है। लेकिन, आरोप तय नहीं किए गए हैं। मुकदमा अब तक शुरू नहीं हुआ है। आरोपी को अनिश्चितकाल तक हिरासत में रखना अनुच्छेद-21 के तहत व्यक्ति के अधिकारों का घोर उल्लंघन है। राज्य की ओर से पेश वकील विशाल मेघवाल ने स्वीकार किया कि आरोपी के खिलाफ अब तक आरोप तय नहीं किए गए हैं। साथ ही यह भी कहा कि वह वर्षों तक फरार रहा। पीठ ने पूछा कि आरोपी जब 2010 से हिरासत में है तो आरोप क्यों तय नहीं किए गए हैं। न्यायालय ने कहा, 'वह (आरोपी) त्वरित मुकदमे का हकदार है। या तो उसे दोषी ठहराइए या फिर बरी कर दीजिए। हमें उससे समस्या नहीं है। लेकिन, कम से कम मुकदमा तो चलाएं।' मेघवाल ने दलील दी कि आरोप तय करने में विलंब का एक कारण यह है कि सह-आरोपी अब्दुल करीम टुंडा गाजियाबाद जेल में बंद है। इस पर पीठ ने कहा, 'तो फिर आप या तो मुकदमे को उससे अलग कीजिए या फिर उसके साथ जोड़ दीजिए, लेकिन कम से कम मुकदमा तो शुरू करें।' आलम ने कहा कि राज्य ने जवाबी हलफनामे में टुंडा के मामले का उल्लेख नहीं किया है। आरोपी ने वकील फारुख रशीद के जरिये दायर याचिका में उसका जमानत आवेदन खारिज करने के टाडा अदालत के 27 मार्च 2019 के आदेश को चुनौती दी है। किस बात को लेकर चल रही कार्रवाई? अभियोजन पक्ष के अनुसार, पांच-छह दिसंबर 1993 को राजधानी एक्सप्रेस ट्रेनों-बंबई-नई दिल्ली, नई दिल्ली-हावड़ा, हावड़ा-नई दिल्ली, सूरत-बड़ौदा फ्लाइंग क्वीन एक्सप्रेस और हैदराबाद-नई दिल्ली एपी एक्सप्रेस में सिलसिलेवार बम विस्फोट हुए थे। इनमें दो यात्रियों की मौत हो गई थी और 22 अन्य घायल हुए थे। इस संबंध में कोटा, वलसाड, कानपुर, इलाहबाद, लखनऊ और हैदराबाद में संबंधित थाना क्षेत्रों में पांच अलग-अलग मामले दर्ज किए गए थे। बाद में इन मामलों की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को सौंप दी गई थी। इसमें पता चला कि ये सभी धमाके एक ही साजिश के तहत किए गए थे। इन सभी मामलों को एक साथ जोड़ दिया गया था। सीबीआई ने मामले में 13 गिरफ्तार और नौ फरार आरोपियों के खिलाफ 25 अगस्त 1994 को आरोपपत्र दायर किया था। हमीर उइ उद्दीन फरार आरोपियों में शामिल था। उसे दो फरवरी 2010 को उत्तर प्रदेश पुलिस और लखनऊ विशेष कार्यबल ने गिरफ्तार किया था। 8 मार्च 2010 को उसे अजमेर स्थित टाडा अदालत में पेश किया गया था। कोर्ट से उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था।


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न चला ट्रायल न तय हुए आरोप, 11 साल हिरासत में काट दी जेल, SC ने जताई नाराजगी https://ift.tt/3Du6nDM न चला ट्रायल न तय हुए आरोप, 11 साल हिरासत में काट दी जेल, SC ने जताई नाराजगी
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टीबी पीड़ित शख्स को ऑपरेशन के बाद मिला जीवनदान,सर्जरी का लाइव प्रसारण https://ift.tt/3zv89lE

नई दिल्ली रीढ़ की हड्डी में क्षय रोग (टीबी) से पीड़ित और साथ ही एचआईवी से संक्रमित 22 वर्षीय व्यक्ति को चार घंटे के ऑपरेशन के बाद एक नया जीवन मिला और इस ऑपरेशन का ऑनलाइन आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम के तहत सीधा प्रसारण किया गया। आयोजकों ने सोमवार को यह जानकारी दी। कोविड-19 महामारी के दौरान रीढ़ से संबंधित समस्याओं के बढ़ते मामलों के बीच 'एसोसिएशन ऑफ स्पाइन सर्जन ऑफ इंडिया' (एएसएसअई) ने तीन दिवसीय कार्यक्रम आयोजित किया था, जिसमें रीढ़ की हड्डी के ऑपरेशन संबंधी निर्देशात्मक पाठ्यक्रम संचालित किए गए। इस कार्यक्रम का आयोजन 27 से 29 अगस्त तक किया गया। एएसएसआई के एक प्रवक्ता ने बताया कि कार्यक्रम के तीसरे दिन सर्जन ने चार घंटे का ऑपरेशन किया, जिसका सीधा प्रसारण किया गया। इस ऑपरेशन के कारण मरीज को एक नया जीवन मिला। कार्यक्रम के आयोजकों ने बताया कि रोग प्रतिरोधी क्षमता कमजोर हो जाने के कारण 22 वर्षीय व्यक्ति लंबोसैकरल (रीढ़ की हड्डी का निचला हिस्सा) क्षय रोग से पीड़ित हो गया था और वह पिछले दो महीने से रीढ़ की हड्डी के निचले हिस्से में संक्रमण से जूझ रहा था। इसके कारण उसकी चलने, बैठने और मूत्र को नियंत्रित करने की क्षमता प्रभावित हुई थी और उसके शरीर में बहुत दर्द था। उन्होंने बताया कि मरीज जब 'इंडियन स्पाइनल इंजरी सेंटर' (आईएसआईसी) गया, तो एनेस्थीसिया देकर बेहोश करने के बाद उसका एमआरआई किया गया। उसके लंबोसैकरल टीबी से पीड़ित होने का पता चला। यह क्षय रोग का एक घातक रूप है जो बच्चों और युवाओं में अधिक पाया जाता है। बयान में कहा गया कि ओ-आर्म और नेविगेशन जैसी आधुनिक तकनीक का उपयोग करते हुए रीढ़ की हड्डी के सर्जन के एक दल ने ऑपरेशन किया और इसे लगभग 200 प्रतिनिधियों के अलावा 25 अंतरराष्ट्रीय और 50 से अधिक भारतीय विशेषज्ञों ने ऑनलाइन देखा। इसमें बताया गया कि मरीज एचआईवी से संक्रमित था, इसलिए सर्जन टीम ने घातक वायरस को फैलने से रोकने के लिए अत्यंत सावधानी बरती। आयोजकों ने दावा किया कि ऑपरेशन के कुछ घंटों बाद रोगी बिना किसी सहारे और बिना दर्द के बैठने और खड़े होने तथा मूत्र रोकने में सक्षम था। एएसएसआई ने स्पाइनल कॉर्ड सोसाइटी और आईएसआईसी के साथ मिलकर इस कार्यक्रम का आयोजन किया।


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टीबी पीड़ित शख्स को ऑपरेशन के बाद मिला जीवनदान,सर्जरी का लाइव प्रसारण https://ift.tt/3zv89lE टीबी पीड़ित शख्स को ऑपरेशन के बाद मिला जीवनदान,सर्जरी का लाइव प्रसारण
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नीतीश कुमार की ऐसी क्या मजबूरी, PM पद की दावेदारी के लिए पर्दे के पीछे से कर रहे खेल https://ift.tt/3zwrwdU

पटना जेडीयू की दो दिवसीय राष्ट्रीय परिषद की बैठक में रविवार को मुख्यमंत्री के सामने कार्यकर्ताओं ने उन्हें बताया। हालांकि, नीतीश कुमार ने स्पष्ट रूप से कहा कि उन्हें इन चीजों में दिलचस्पी नहीं है, ना कोई रूचि है। वह सिर्फ अपना काम कर रहे हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने यह भी कहा कि उनकी ऐसी कोई आकांक्षा नहीं है। जेडीयू को राष्ट्रीय पार्टी बनाने की कोशिश में नीतीश नीतीश कुमार की जनता दल यूनाइटेड अब देश भर में अपने पार्टी का विस्तार करना चाहती है। जेडीयू इस कोशिश में लगी है कि अब बिहार से बाहर निकलकर देशभर में अपनी स्थिति को मजबूत किया जाए। इसी के तहत जेडीयू दिल्ली, हरियाणा, झारखंड, पश्चिम बंगाल और जम्मू कश्मीर के विधानसभा चुनाव में उतरी थी। हालांकि, इन राज्यों के अलावा राजस्थान, छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में भी जेडीयू का प्रदर्शन काफी खराब रहा था। अब 2022 में देश के पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा के चुनाव में जनता दल यूनाइटेड मणिपुर में अकेले और उत्तर प्रदेश में गठबंधन के साथ चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी कर रही है। जेडीयू का फोकस छोटे राज्यों में अपने विधायकों की संख्या बढ़ाने पर है। किसी रजिस्टर्ड राजनीतिक दल को राष्ट्रीय स्तर की मान्यता उसी वक्त दी जाती है जब देश के तीन अलग-अलग राज्यों में लोकसभा की कुल सीटों का कम से कम 2 प्रतिशत सांसद हो। इसके अलावा कोई भी रजिस्टर्ड पार्टी चार अलग-अलग राज्यों में लोकसभा या विधानसभा चुनाव में कम से कम 6 प्रतिशत वोट हासिल कर चुकी हो और लोकसभा में कम से कम 4 सीटें हासिल की हो। या फिर किसी भी दल को कम से कम चार राज्य या उससे अधिक राज्यों में राज्य स्तरीय दल की मान्यता मिली हुई हो। ऐसी पार्टियों को राष्ट्रीय स्तर की मान्यता चुनाव आयोग की ओर से दी जाती है। तीसरे मोर्चे की आहट और पीएम मैटेरियल नीतीशहाल ही में कांग्रेसी नेता सोनिया गांधी की अध्यक्षता में 18 विरोधी दल के नेताओं ने केंद्र के नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ विपक्षी एकता को मजबूत करने के लिए बैठक हुई थी। इस बैठक के पहले राष्ट्रीय जनता दल के प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने भी 2024 लोकसभा चुनाव को लेकर तीसरे मोर्चे की गठन का स्वागत किया था। इधर जेडीयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पीएम मैटेरियल बताकर बिहार के साथ-साथ देश की राजनीति को भी गर्म कर दिया था। ध्यान रहे कि 2024 लोकसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी पार्टियों ने अभी से ही कमर कसनी शुरू कर दी है। ऐसे में क्या किसी योजना के तहत नीतीश कुमार को पीएम मैटेरियल घोषित किया जा रहा है। जानकारों का मानना है कि भविष्य की राजनीति को देखते हुए जेडीयू की ओर से यह कहा जा रहा है कि नीतीश कुमार में प्रधानमंत्री बनने के सारे गुण मौजूद हैं। बिहार में पहली बार बीजेपी के छोटे भाई की भूमिका में आए हैं नीतीश बिहार में 2005 से ही नीतीश कुमार की अगुवाई में बीजेपी जेडीयू गठबंधन की सरकार चल रही है। 2005 विधानसभा चुनाव और 2010 के चुनाव में बीजेपी से अधिक सीटें लाकर जेडीयू बड़े भाई की भूमिका में थी। हालांकि 2015 में नीतीश कुमार ने लालू यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल के साथ मिलकर चुनाव लड़े और बिहार में दूसरे नंबर की पार्टी बन गए। 2015 में आरजेडी को 80 तो जेडीयू को 71 सीटें मिली थी। लेकिन लालू प्रसाद यादव के साथ नीतीश कुमार का यह गठबंधन 2 साल में ही टूट गया और जेडीयू वापस बीजेपी के साथ गठबंधन कर सत्ता पर काबिज हो गई। लेकिन विधानसभा चुनाव 2020 में महज 43 सीट जीतने वाली जेडीयू बिहार में तीसरे नंबर की पार्टी बन कर रह गई। हालांकि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही है लेकिन अब 74 सीट के साथ बड़े भाई की भूमिका में बीजेपी है। तो क्या नीतीश कुमार को पीएम मैटेरियल बताकर जेडीयू बीजेपी को कोई मैसेज देना चाहती है। क्या पर्दे के पीछे से नीतीश कुमार अपने नेता और कार्यकर्ताओं से बीजेपी को यह संदेश दे रहे हैं कि उन्हें हल्के में ना लिया जाए। 70 साल के हो चुके हैं नीतीश कुमार 1 मार्च 1951 को जन्म लेने वाले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 2024 लोकसभा चुनाव पीएम पद के उम्मीदवार होंगे या नहीं यह तो भविष्य के गर्भ में छिपा है। जानकारों का मानना है कि जातीय जनगणना और जनसंख्या कानून को लेकर बीजेपी से अलग मत रखने वाली जेडीयू इन मुद्दों पर अपनी बात मनवाने के लिए बीजेपी पर दबाव बनाने की कोशिश कर रही है। 2017 में महागठबंधन छोड़ फिर से एनडीए में शामिल हुए नीतीश कुमार ने 2019 लोकसभा चुनाव के पहले यह कहा था कि लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी को कोई नहीं हरा सकता। उस वक्त भी जेडीयू के कुछ नेताओं की ओर से नीतीश कुमार को पीएम मैटेरियल बताया गया था। अब 2024 के पहले एक बार फिर नीतीश कुमार को पीएम मैटेरियल बताया जा रहा है। हालांकि इस बार भी नीतीश कुमार का स्पष्ट तौर पर कहना है कि उनकी ऐसी कोई आकांक्षा नहीं है और इसमें ना दिलचस्पी है ना रुचि है। सभी राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता अपने शीर्ष नेता को मानते हैं पीएम मैटेरियल : BJP जेडीयू की राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक और राजनीतिक प्रस्ताव के विषय पर बीजेपी ओबीसी मोर्चा के राष्ट्रीय महामंत्री सह बिहार प्रवक्ता डॉ० निखिल आनंद यह जेडीयू की बैठक थी और कोई भी राजनीतिक प्रस्ताव पास करना किसी भी पार्टी का अंदरूनी मामला होता है। सभी राजनीतिक दल अपने नेताओं को लेकर महत्वकांक्षा का इज़हार करते रहते हैं। किसी भी राजनीतिक दल के लिहाज़ से यह कोई नई बात नहीं है। जनता ने सीएम लायक नहीं छोड़ा, चले हैं पीएम बनने : आरजेडी जेडीयू के राष्ट्रीय परिषद की बैठक में नीतीश कुमार को पीएम मैटेरियल का प्रस्ताव पास होने के बाद राष्ट्रीय जनता दल ने चुटकी ली है। आरजेडी के नेता और प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि जनता ने जेडीयू को तीन नंबर की पार्टी बनाकर नीतीश कुमार को सीएम बनने लायक नहीं छोड़ा था और अब ख्वाब देख रहे हैं पीएम बनने की। मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि दरअसल नीतीश कुमार को अपनी कुर्सी पर खतरा नजर आ रहा है।


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नीतीश कुमार की ऐसी क्या मजबूरी, PM पद की दावेदारी के लिए पर्दे के पीछे से कर रहे खेल https://ift.tt/3zwrwdU नीतीश कुमार की ऐसी क्या मजबूरी, PM पद की दावेदारी के लिए पर्दे के पीछे से कर रहे खेल
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'बंगाल में अराजकता फैला रही भाजपा'... और विधायक तन्मय घोष तृणमूल कांग्रेस में लौटे https://ift.tt/38pXOvq

कोलकाता में बिष्णुपुर के विधायक सोमवार को तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) में शामिल हो गए। उन्होंने आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) प्रतिशोध की राजनीति में लिप्त है। पत्रकारों से बात करते हुए घोष ने दावा किया कि भाजपा पश्चिम बंगाल के लोगों के बीच अराजकता फैलाने का प्रयास कर रही है, जिसके कारण वह टीएमसी में शामिल हो गए। वहीं बीजेपी ने आरोप लगाया कि उसके विधायक को डरा-धमकाकर टीएमसी में शामिल कराया गया है। उन्होंने कहा, 'मैं सभी से पश्चिम बंगाल के कल्याण के लिए टीएमसी में शामिल होने का आग्रह करता हूं। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के हाथों को मजबूत करने की जरूरत है।' घोष ने आरोप लगाया कि भाजपा प्रतिशोध की राजनीति कर रही है और राज्य में अराजकता फैलाने की कोशिश कर रही है। घोष पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव से कुछ दिन पहले मार्च में टीएमसी छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे। इससे पहले, घोष टीएमसी की युवा इकाई के बांकुड़ा जिले के बिष्णुपुर शहर के अध्यक्ष और स्थानीय नगर निकाय के पार्षद भी थे। घोष का पार्टी में स्वागत करते हुए राज्य के शिक्षा मंत्री ब्रात्य बसु ने कहा कि भाजपा चुनाव के बाद टीएमसी से बदला लेने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा, 'हम भाजपा से राजनीतिक रूप से लड़ेंगे। वह पश्चिम बंगाल के लोगों को कमतर दिखाने की कोशिश कर रही है।' बसु ने कहा कि भाजपा के कई नेता टीएमसी के संपर्क में हैं। बसु ने दावा किया कि त्रिपुरा के भाजपा विधायक भी टीएमसी के संपर्क में हैं। उन्होंने कहा कि जब ममता बनर्जी त्रिपुरा में कदम रखेंगी, तो सुनामी आएगी। उस राज्य के भाजपा नेता इस बात से अच्छी तरह वाकिफ हैं। बसु ने आरोप लगाया कि भाजपा के नेतृत्व में त्रिपुरा खौफ की घाटी में तब्दील हो गया है। वहीं पश्चिम बंगाल बीजेपी के अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा कि विधायक तन्मय को काफी लंबे अपने पाले में लगाने की कोशिश टीएमसी कर रही थी। उन्होंने कहा, 'वो लोग काफी समय से उनके (तन्मय घोष) के पीछे पड़े थे, वो टीएमसी छोड़कर हमारे साथ आए थे उन्होंने तन्मय घोष के खिलाफ एफआईआर भी करवा दी थी, उन्हें हर तरह से डराया गया। मजबूर होकर उन्होंने टीएमसी जॉइन कर ली।'


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'बंगाल में अराजकता फैला रही भाजपा'... और विधायक तन्मय घोष तृणमूल कांग्रेस में लौटे https://ift.tt/38pXOvq 'बंगाल में अराजकता फैला रही भाजपा'... और विधायक तन्मय घोष तृणमूल कांग्रेस में लौटे
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अनिल परब को नोटिस भेजने के बाद ED ने शिवसेना सांसद भावना गवली के दफ्तर पर डाली रेड https://ift.tt/3BtCf9P

मुंबई शिवसेना नेता अनिल परब (Anil Parab) को नोटिस भेजने के बाद प्रवर्तन निदेशालय ने एक और शिवसेना नेता पर अपनी कार्रवाई शुरू की है। सूत्रों के मुताबिक यवतमाल से (MP Bhavana Gawali) के पांच ठिकानों पर ईडी ने छापेमारी शुरू की है। बीजेपी (BJP) ने भावना गवली पर सौ करोड़ रुपए के घोटाले का आरोप लगाया था और इस बाबत प्रवर्तन निदेशालय में शिकायत भी की थी। ईडी ने भावना गवली के वाशिम और यवतमाल स्थित दफ्तरों पर रेड डाली है। इस छापेमारी को लेकर ईडी की कई टीम वाशिम में दाखिल हुई हैं। वाशिम जिला में रिसोड के पास यह रेड की कार्रवाई शुरू होने की जानकारी सामने आ रही है। रिसोड में उत्कर्ष प्रतिष्ठान, बालाजी सहकारी पार्टिकल बोर्ड, बीएमएस कॉलेज, भावना एग्रो प्रोडक्ट सर्विस लिमिटेड इन कंपनियों पर ईडी रेड की बात सामने आ रही है। बिना नोटिस के रेड शिवसेना के सांसद भावना गवली ने बीजेपी पर बदले की भावना से काम करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि मुझे प्रवर्तन निदेशालय की तरफ से कोई भी नोटिस नहीं आया था बिना नोटिस के ईडी ने यह रेड की कार्रवाई की है। क्या है मामला श्री बालाजी पार्टिकल बोर्ड नाम का भावना गवली का एक कारखाना है। इस कारखाने के लिए राष्ट्रीय सहकार महामंडल ने 29 करोड़ वहीं राज्य सरकार ने 14 करोड़ का अनुदान दिया था। हालांकि 43 करोड़ रुपए का अनुदान लेने के बाद भी भावना गवली ने यह कारखाना शुरू नहीं किया। इसके उलट 7 करोड़ रुपए मूल्य दिखाकर उन्होंने यह कारखाना एक दूसरी संस्था को बेच दिया। इसी घोटाले के प्रकरण में भावना गवली ने सीए उपेंद्र मुले पर गलत रिपोर्ट बनाने का दबाव भी डालने का आरोप है। कौन हैं भावना गवली भावना गवली विदर्भ में शिवसेना की ताकतवर सांसद मानी जाती हैं। 2019 में वे पांचवी बार सांसद चुनकर आई थीं। यवतमाल- वाशिम लोकसभा चुनाव क्षेत्र से जीत दर्ज करने वाली भावना ने तेजी से अपने पैर जमाये हैं। भावना गवली की राजनितिक जीवन छोटी उम्र से ही राजनीति उतरने वाली भावना गवली ने मात्र 24 साल की उम्र में लोकसभा में प्रवेश किया था। जिसके बाद उन्होंने 2004, 2009, 2014 और 2019 में लगातार पांचवीं बार लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज की है। बीते 20-22 सालों में भावना गवली ने यवतमाल और वाशिम इलाके में पानी समेत अन्य समस्याओं का निदान प्रभावी रूप से किया है। अनिल परब को ईडी का नोटिस महाराष्ट्र सरकार के परिवहन मंत्री अनिल परब को भी प्रवर्तन निदेशालय ने नोटिस भेजकर 31 अगस्त को कार्यालय में हाजिर रहने का आदेश दिया है। अनिल परब से भी अनिल देशमुख के मामले में पूछताछ की जानी है। ईडी के नोटिस के बाद सोमवार को परब संजय राउत से मुलाकात करने जाने वाले हैं।


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अनिल परब को नोटिस भेजने के बाद ED ने शिवसेना सांसद भावना गवली के दफ्तर पर डाली रेड https://ift.tt/3BtCf9P अनिल परब को नोटिस भेजने के बाद ED ने शिवसेना सांसद भावना गवली के दफ्तर पर डाली रेड
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एक अरब की जूलरी से राधा कृष्ण का श्रृंगार, जन्माष्टमी पर देखिए सिंधिया राजघराने के मंदिर की भव्यता https://ift.tt/2Y3M2ot

हिमांश शर्मा ग्वालियर एमपी में पूरे धूमधाम से जन्माष्टमी (Janmashtami News Update) मनाई जा रही है। वहीं, ग्वालियर के ऐतिहासिक गोपाल मंदिर में राधा-कृष्ण का श्रृंगार बेशकीमती जेवरातों से किया जाता है। हीरे, सोने और बेशकीमती पत्थरों से बने इन जेवरातों की कीमत आज की तारीख में एक अरब रुपये से ज्यादा है। जन्माष्टमी के दिन बैंक से कड़ी सुरक्षा के बीच इसे लाया जाता है। मंदिर परिसर में जूलरी के रहने तक यहां ग्वालियर पुलिस के 100 जवान सुरक्षा में तैनात रहते हैं। इस साल भी गोपाल मंदिर को सजाने का काम शुरू हो गया है। रात बारह बजे से भगवना के दिव्य रूप का दर्शन करने श्रद्धालु यहां पर पहुंचने लगे हैं। सुरक्षा के लिहाज से भक्तों को गर्भ गृह तक नहीं जाने दिया जाता है। भगवान के इस रूप को देखने के लिए श्रद्धालु पूरे एक साल इंतजार करते हैं। बेशकीमती गहनों की चमक को देखकर लोगों की नजरें नहीं हटती हैं। नवभारत टाइम्स.कॉम की टीम आपके लिए मंदिर की भव्यता पर ग्राउंड जीरो से रिपोर्ट लेकर आया है। सिंधिया राजवंश ने कराया है मंदिर का निर्माण ग्वालियर के फूलबाग इलाके में स्थित भव्य गोपाल मंदिर का निर्माण सिंधिया राजवंश ने करवाया है। सिंधिया राजघराने के तत्कालीन महाराज माधौराव ने 1921 में इस मंदिर जीर्णोद्धार करवाया था। इसके साथ ही भगवान के श्रृंगार के लिए बेशकीमती जूलरी बनवाए थे। आजादी से पहले देख मंदिर सिंधिया राजघराने के पास ही था। आजादी के बाद सिंधिया परिवार ने मंदिर और इसके गहने को भारत सरकार को सौंप दिया। इसके बाद नगर निगम इन गहनों को बैंक के लॉकर में रखवा दिया है। 2007 से शुरू हुआ श्रृंगार कई सालों तक इन गहनों के बारे में किसी कोई जानकारी नहीं थी। 2007 में नगर निगम के तत्कालीन आयुक्त पवन शर्मा को इस संपत्ति के बारे में जानकारी मिली। इसके बाद उन्होंने इन गहनों के बारे में जानकारी इकट्ठा की। उसके बाद उन्होंने जन्माष्टमी पर श्रृंगार की परंपरा शुरू करवाई। श्रृंगार के दौरान मौजूद रहते हैं अधिकारी बैंक से निकालकर कड़ी सुरक्षा के बीच गोपाल मंदिर के लिए गहने को लाया जाता है। श्रृंगार के दौरान नगर निगम और प्रशासन के अधिकारी के मौजूद रहते हैं। उनकी मौजूदगी में ही भगवान का श्रृंगार किया जाता है। इसके बाद श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए मंदिर का पट खोल दिया जाता है। सोने का मुकुट पहनते हैं भगवान कृष्ण गोपाल मंदिर में भगवान कृष्ण को सोने का मुकुट पहनाया जाता है। इस मुकुट में माणिक, पुखराज और जड़ाऊ के बीच रत्तन लगा होता है। साथ ही बेशकीमती मोती और नग भी होते हैं। सोने के तारों के कड़े भी भगवान के लिए होते हैं। सात लड़ी का सोने का हार भी भगवान को पहनाया जाता है। इसमें हीरा, मोती और पन्ना भी लगा होता है। बांसूरी भी सोने का है, जिसमें पन्ना जड़ी हुई है। मंदिर के पुजारी ने कहा कि राधा-कृष्ण के मुकुट काफी भारी होते हैं। इन गहनों से होता है राधा-रानी का श्रृंगार वहीं, राधा-रानी के लिए भी अलग गहने हैं। उन्हें भी सोने का मुकुट पहनाया जाता है। इसमें बेशकीमती रत्नों के नग लगे हुए हैं। सोने की नथ, पांच लड़ी का हार, जिसमें बेशकीमती रत्न जड़े हुए हैं। साथ ही सोने की चूड़ियां और कंठी भी राधा रानी पहनती हैं। इस दौरान मंदिर में राधा रानी के अलौकिक रूप को देख भक्त मुग्ध हो जाते हैं। सुरक्षा में तैनात रहेंगे 100 जवान नवभारत टाइम्स.कॉम से बात करते ग्वालियर एसपी अमित सांघी ने कहा कि गोपाल मंदिर में बेशकीमती जेवरों से श्रृंगार किया जाता है। उन्होंने कहा कि पहले गहने को ट्रेजरी में रखा जाता था। अब इंदरगंज स्थित सेंट्रल बैंक में इसे रखा जाता है। इन गहनों को वहां से दिन में निकाला जाता है। रात में बैंक इसके लिए स्पेशली खुलती है, उसी दिन रात में इसे डिपॉजिट कर दिया जाता है। उन्होंने कहा कि सुरक्षा में पुलिस जवान लगे रहते हैं। साथ ही सिविल ड्रेस में भी जवान चलते हैं। पूरी सुरक्षा व्यवस्था के साथ बैंक से मंदिर तक इन गहनों को लाया जाता है। इस बार मंदिर परिसर में सुरक्षा के लिए 100 जवान तैनात रहेंगे। सीसीटीवी कैमरे से होती निगरानी गोपाल मंदिर में जन्माष्टमी के अवसर पर हजारों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। ऐसे में पुलिस जवानों की सुरक्षा के साथ-साथ पूरे मंदिर परिसर पर सीसीटीवी कैमरे से भी नजर रखी जाती है। जब तक गोपाल मंदिर में गहने रहते हैं, तब तक सुरक्षा की चाक चौबंद व्यवस्था रहती है। हर आने जाने वाले लोगों पर नजर रखी जाती है।


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एक अरब की जूलरी से राधा कृष्ण का श्रृंगार, जन्माष्टमी पर देखिए सिंधिया राजघराने के मंदिर की भव्यता https://ift.tt/2Y3M2ot एक अरब की जूलरी से राधा कृष्ण का श्रृंगार, जन्माष्टमी पर देखिए सिंधिया राजघराने के मंदिर की भव्यता
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क्या यह तीसरी लहर है? पिछले हफ्ते 32% ज्यादा केस, जानें किस राज्य में अब खतरा https://ift.tt/2XZrz48

नई दिल्ली केरल में ओणम त्योहार के बाद नए कोरोना केस की बाढ़ आ रही है। इसका असर पूरे देश के दैनिक कोरोना केस के आंकड़ों पर पड़ रहा है। बीता सप्ताह (23 से 29 अगस्त) नए कोरोना केस का औसत पिछले आठ हफ्ते के सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गया। बड़ी बात यह है कि इस दौरान 66% केस अकेले केरल से आए। बीते सप्ताह देशभर में 29 लाख से ज्यादा नए कोविड केस मिले जो उसके पिछले सप्ताह (16 से 22 अगस्त) के मुकाबले 32% ज्यादा था। इससे पहले 28 जून से 4 जुलाई वाले सप्ताह में 30.5 लाख नए केस आए थे। 66% केस अकेले केरल से केरल में ओणम त्योहार के बाद नए कोरोना केस की बाढ़ आ रही है। इसका असर पूरे देश के दैनिक कोरोना केस के आंकड़ों पर पड़ रहा है। बीता सप्ताह (23 से 29 अगस्त) नए कोरोना केस का औसत पिछले आठ हफ्ते के सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गया। बड़ी बात यह है कि इस दौरान 66% केस अकेले केरल से आए। बीते सप्ताह देशभर में 29 लाख से ज्यादा नए कोविड केस मिले जो उसके पिछले सप्ताह (16 से 22 अगस्त) के मुकाबले 32% ज्यादा था। इससे पहले 28 जून से 4 जुलाई वाले सप्ताह में 30.5 लाख नए केस आए थे। एक सप्ताह में 19 लाख केस! पिछले सप्ताह केरल में अकेले 19 लाख नए केस आए जो उसके पिछले हफ्ते (16 से 22 अगस्त) के 1.25 लाख के मुकाबले 55% ज्यादा है। यह 14 सप्ताह (16 से 22 मई) के बाद राज्य में नए केस का सर्वोच्च स्तर है। पिछले 13 सप्ताह में किसी भी राज्य में नए कोरोना केस का इतना ज्यादा साप्ताहिक आंकड़ा नहीं आया था। केरल के सीमाई राज्यों का क्या हाल केरल की मौजूदा स्थिति को लेकर चौंकाने वाली बात यह है कि कोविड की शुरुआत से लेकर आज तक साप्ताहिक औसत के मामले में उसके सिवा अन्य किसी भी राज्य से देशभर के दो-दिहाई केस मिले हों। आज जब केरल में कोरोना कोहराम मचा रहा है तो उसके सीमाई राज्य कर्नाटक और तमिलनाडु में भी पिछले हफ्ते नए केस की संख्या में वृद्धि नहीं देखी गई। महाराष्ट्र में भी मामूली वृद्धि केरल के सिवा पिछले सप्ताह जहां नए कोरोना केस के औसत में वृद्धि दर्ज की गई है, वो राज्य है माहाराष्ट्र। हालांकि, वहां 1% की मामूली वृद्धि ही दर्ज की गई है। महाराष्ट्र के बाद केरल ही देश का इकलौता राज्य है जहां अब तक 40 लाख से ज्यादा नए कोरोना केस आ चुके हैं। वहां रविवार को 29,836 नए केस आने के बाद यह आंकड़ा पूरा हो गया। महाराष्ट्र में कोरोना केस की संख्या 64.5 लाख के पार कर चुकी है। टेस्ट पॉजिटिविटी रेट 15% से 19% पहुंचा केंद्र सरकार के एक अधिकारी का कहना है कि केरल में संक्रमण रोकने के लिए लॉकडाउन के अलावा और कोई विकल्प नहीं है। उन्होंने चिंता जाहिर करते हुए कहा तीन दिन पहले केरल में टेस्ट पॉजिटिविटी रेट 15 प्रतिशत था जो अब 19 प्रतिशत हो चुका है। उन्होंने कहा लॉकडाउन लगने से संक्रमण के फैलाव की चेन टूट जाएगी जैसे दिल्ली में हुआ था। उन्होंने आगे कहा कि अगर केरल में लॉकडाउन लगता है तो वहां एक पखवाड़े के अंदर हालात सुधर जाएंगे। केरल में आज से नाइट कर्फ्यू उन्होंने कहा, त्योहार आने वाले हैं। इसके मद्देनजर केरल में एक सोचे-समझे तरीके से कंटेनमेंट जोन बनाने और लॉकडाउन लगाने का काम करना होगा। यह सुझाव राज्य को भी भेज दिया गया है। बता दें कि केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने शनिवार को सोमवार से रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक नाइट कर्फ्यू का ऐलान किया है। देश में कैसी हालत देशभर में पिछले हफ्ते कोरोना से हुई मौतों में भी 10.5% का इजाफा हुआ है। 23 से 29 अगस्त के बीच देश में कोविड ने 3,439 मौतें हुईं जबकि उससे पिछले सप्ताह (16 से 22 अगस्त) 3,111 मौतें हुई थीं। देश में लगातार छठे दिन सोमवार को 40 हजार से ज्यादा नए कोरोना केस आए। सोमवार को देश में कोविड-19 के 45,083 नए मामले सामने आए, 380 लोगों की मृत्यु हुई जबकि कुल 3,76,324 मरीजों का इलाज चल रहा है।
  1. बिहार से अच्छी खबरबिहार में कोरोना के मामले लगातार थमते नजर आ रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी पिछले एक हफ्ते के आंकड़ों पर नजर डालें तो 25 अगस्त को नए केस में उछाल देखने को मिला था। उस दिन कुल 31 नए कोरोना के मामले सामने आए थे। वहीं एक दिन पहले यानी 24 अगस्त को 9 नए केस मिले थे। 26 अगस्त को 15 मामले सामने आए। फिर 27 अगस्त नए केस बढ़कर 21 पर पहुंच गए। 28 अगस्त को सूबे में 11 नए केस मिले। 29 अगस्त को भी सूबे में 11 ही मामले सामने आए हैं। अभी प्रदेश में कोरोना कुल एक्टिव केस 112 हैं।
  2. एमपी में नियंत्रित है कोरोनामध्य प्रदेश के 36 जिलों में 15 दिन से कोविड का कोई मामला सामने नहीं आया है। प्रदेश में 15 से 29 अगस्त के बीच 133 नए कोविड केस आए हैं। ये सभी केस 16 जिलों से आए हैं। इनमें जबलपुर में 35 केस मिले हैं, इंदौर में 30 केस मिले, भोपाल में 29 केस मिले, राजगढ़ में 8 केस मिले, धार में सात केस मिले, पन्ना में 5 केस मिले, अलीराजपुर में तीन केस मिले, हरदा में 3, रायसेन में 3, होशंगाबाद में 2, रीवा में 2 और ग्वालियर, रतलाम, सागर और सिंगरौली में 1-1 केस मिले हैं। वहीं, रविवार को पूरे प्रदेश में 12 नए मरीज मिले हैं।
  3. झारखंड से भी खुशखबरीझारखंड में भी कोरोना महामारी के मामलों में लगातार कमी देखने को मिल रही है। झारखंड स्वास्थ्य विभाग के रविवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक, इस समय 142 कोविड के एक्टिव मरीज हैं। पिछले 24 घंटे के दौरान 14 नए केस मिले है। हालांकि, अच्छी बात ये रही कि सूबे के 19 जिलों में कोई भी नया कोरोना का केस नहीं आया।
  4. यहां अगस्त में महामारी से एक भी मौत नहींराजस्थान में कोरोना की रफ्तार अगस्त माह धीमी रही। सबसे अच्छी बात यह है कि प्रदेश में इस महीने एक भी मौत नहीं हुई है। केस की बात करें, तो 542 दिन बाद 26 अगस्त को ऐसा मौका आया, जब सूबे में कोरोना संक्रमितों की संख्या 3 ही रही। ये दिन इसलिए भी ऐतिहासिक रहा, क्योंकि इसी दिन प्रदेश में वैक्सीन की दोनों डोज लगवाने के लोगों की संख्या 1 करोड़ के पार हो गई। स्वास्थ्य़ विभाग की मानें, तो प्रदेश के अब लगभग 24 जिले ऐसे हैं, जो लगभग कोरोना मुक्त हो चुके हैं। ताजा जानकारी के अनुसार, प्रदेश में फिलहाल 123 एक्टिव केस हैं। 29 जनवरी को कुल 7 मामले सामने आए हैं। इनमें 3 अजमेर, 2 उदयपुर, 1 श्रीगंगानगर, और 1 राजधानी जयपुर से है। इससे एक दिन पहले यानी 28 अगस्त को 11 नए केसेज सामने आए थे। 27 अगस्त को 17, 25 अगस्त को 8 और 24 अगस्त को 10 और 23 अगस्त को सात केस सामने आए थे। आंकड़ों के मुताबिक सप्ताहभर में राजधानी जयपुर में ही सबसे ज्यादा औसत 5 से 7 केस ही रहे हैं।
  5. यूपी में भी दम तोड़ता दिख रहा है कोरोनाउत्तर प्रदेश में भी कोरोना लगातार दम तोड़ता दिख रहा है। प्रदेश में शुक्रवार, 27 अगस्त को 22 नए मरीज सामने आए, दो मरीजों की मौत हो गई और वहां 327 मरीजों का इलाज चल रहा था। अगले दिन शनिवार 26 नए मरीज सामने आए जबकि दो और मरीजों की मौत हो गई, लेकिन इलाजरत मरीजों की संख्या घटकर 299 रह गई। रविवार को नए मरीजों की संख्या महज 14 रही जबकि दो मरीजों की मौत हुई और इलाजरत मरीज घटकर 265 रह गए।
टीकाकरण के मोर्चे पर अभी हम कहां पहली बार शुक्रवार को देशभर में कोविड-19 रोधी वैक्सीन की 1 करोड़ डोज लगाई गई। हालांकि, यह सिलसिला कायम नहीं रह सका जबकि साल के अंत तक देश की पूरी व्यस्क आबादी के टीकाकरण का लक्ष्य तभी संभव हो पाएगा जब जल्द से जल्द 1 करोड़ डोज प्रति दिन की रफ्तार पकड़ लेंगे। टीकाकरण की दृष्टि से अगस्त महीना सबसे अच्छा गुजरा है जब कुल 57 लाख, 40 हजार डोज लगाई गई। अगर टीकाकरण का यही मासिक औसत रहा तो संपूर्ण व्यस्क आबादी को कोविड से सुरक्षित करने में सात महीने लग जाएंगे।


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कोरोना vs वैक्सीन: टीकाकरण की आंधी में उड़ सकेगी कोरोनी की तीसरी लहर? https://ift.tt/3ju61os

नई दिल्ली केरल में दैनिक नए कोरोना केस में कमी नहीं आ रही है जिससे दिन-ब-दिन चिंता बढ़ती जा रही है। उधर, देशभर में पिछले हफ्ते कोरोना से हुई मौतों में भी 10.5% का इजाफा हो गया है। इस बीच कोरोना से लड़ने का सबसे बड़ा हथियार यानी टीकाकरण के मोर्चे पर भी हम लक्ष्य के अनुकूल आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं। हालांकि, अगस्त का महीने औसत टीकाकरण के लिहाज से सबसे अच्छा रहा है। टीकाकरण की रफ्तार बढ़ाने की दरकार पहली बार शुक्रवार को देशभर में कोविड-19 रोधी वैक्सीन की 1 करोड़ डोज लगाई गई। हालांकि, यह सिलसिला कायम नहीं रह सका जबकि साल के अंत तक देश की पूरी व्यस्क आबादी के टीकाकरण का लक्ष्य तभी संभव हो पाएगा जब जल्द से जल्द 1 करोड़ डोज प्रति दिन की रफ्तार पकड़ लेंगे। टीकाकरण की दृष्टि से अगस्त महीना सबसे अच्छा गुजरा है जब कुल 57 लाख, 40 हजार डोज लगाई गई। अगर टीकाकरण का यही मासिक औसत रहा तो संपूर्ण व्यस्क आबादी को कोविड से सुरक्षित करने में सात महीने लग जाएंगे। लगातार छठे दिन 40 हजार से ज्यादा नए केस बहरहाल, चिंता की बात यह है कि 23 से 29 अगस्त के बीच देश में कोविड ने 3,439 मौतें हुईं जबकि उससे पिछले सप्ताह (16 से 22 अगस्त) 3,111 मौतें हुई थीं। देश में लगातार छठे दिन सोमवार को 40 हजार से ज्यादा नए कोरोना केस आए। सोमवार को देश में कोविड-19 के 45,083 नए मामले सामने आए, 380 लोगों की मृत्यु हुई जबकि कुल 3,76,324 मरीजों का इलाज चल रहा है। टेंशन दे रहा है केरल पिछले सप्ताह केरल में अकेले 19 लाख नए केस आए जो उसके पिछले हफ्ते (16 से 22 अगस्त) के 1.25 लाख के मुकाबले 55% ज्यादा है। यह 14 सप्ताह (16 से 22 मई) के बाद राज्य में नए केस का सर्वोच्च स्तर है। पिछले 13 सप्ताह में किसी भी राज्य में नए कोरोना केस का इतना ज्यादा साप्ताहिक आंकड़ा नहीं आया था।


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कोरोना vs वैक्सीन: टीकाकरण की आंधी में उड़ सकेगी कोरोनी की तीसरी लहर? https://ift.tt/3ju61os कोरोना vs वैक्सीन: टीकाकरण की आंधी में उड़ सकेगी कोरोनी की तीसरी लहर?
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