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राजस्थान के निकाय चुनावों में कांग्रेस का जलवा, जानिए कितना पीछे रह गई बीजेपी https://ift.tt/3r88KVP

January 31, 2021
जयपुर राजस्थान में 20 जिलों के 90 निकायों के चुनाव की मतगणना में सत्ताधारी पार्टी बढ़त बनाए हुए है। राज्य में 90 स्थानीय निकायों के 3035 वार्डों में से 994 वार्डों के घोषित परिणामों में कांग्रेस ने 398 वार्डों में जीत दर्ज की है। वहीं ने 333 वार्डों में कमल खिलाया है। अभी तक देखा जाएं, तो कांग्रेस मजबूती के साथ बढ़त बनाती दिख रही है। वहीं बीजेपी अजमेर में अपना बोर्ड बनाने में सफल हुई है। सांचौर नगर पालिका में किसी को नहीं मिला स्पष्ट बहुमत जालौर के सांचौर नगर पालिका के निकाय चुनाव में दोनों पार्टियों को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला है। यहां 35 वार्डों में से कांग्रेस को 16, बीजेपी को 16 तथा निर्दलीय को तीन सीट मिली है। सांचौर शहर भाजपा का गढ़ माना जाता है, लेकिन यहां से विधायक व वर्तमान राज्य सरकार में मंत्री सुखराम विश्नोई की बेहतर रणनीति के कारण कांग्रेस मजबूत टक्कर देने में सफल रही है। कोटा संभाग की नगर परिषदों में कांग्रेस का जलवा कोटा संभाग की नगर परिषदों में भी नगर निगम की तरह ही कांग्रेस का जलवा देखने को मिला है। यहां बूंदी नगर परिषद के कुल वार्ड 60 में कांग्रेस को 28, बीजेपी 24 और निर्दलीय को 8 सीटों पर जीत मिली है। वहीं कापरेन नगर पालिका के 25 वार्डों में कांग्रेस 9, बीजेपी 9 और निर्दलीय 7 सीटों पर जीत हासिल की है। इसी तरह केशवरायपाटन नगरपालिका के 25 वार्डों में कांग्रेस 9, बीजेपी 12 ,निर्दलीय 4 तथा नैनवा नगर पालिका में कांग्रेस 15 बीजेपी 10 सीटों पर विजयी हुई है। इंदरगढ़ नगर पालिका कुल वार्ड 20 में कांग्रेस 8, बीजेपी 7 और निर्दलीय 5 और लाखेरी नगर पालिका के 35 वार्डों में कांग्रेस ने 17, बीजेपी ने 10 और निर्दलीय ने 8 सीटों पर कब्जा जमाया है। बीते गुरुवार को संपन्न हुआ है मतदान राज्य के 20 जिलों अजमेर, बांसवाड़ा, बीकानेर, भीलवाड़ा, बूंदी, प्रतापगढ़, चित्तौड़गढ़, चूरू, डूंगरपुर, हनुमानगढ़, जैसलमेर, जालौर, झालावाड़, झुंझुनूं, नागौर, पाली, राजसमंद, सीकर, टोंक और उदयपुर के 90 निकायों में गुरुवार 28 जनवरी को मतदान हुआ था।


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राजस्थान के निकाय चुनावों में कांग्रेस का जलवा, जानिए कितना पीछे रह गई बीजेपी https://ift.tt/3r88KVP राजस्थान के निकाय चुनावों में कांग्रेस का जलवा, जानिए कितना पीछे रह गई बीजेपी
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7 फरवरी को बंगाल आ रहे PM नरेंद्र मोदी, 5 हजार करोड़ की परियोजनाओं की देंगे सौगात https://ift.tt/3re1CY9

January 31, 2021
कोलकाता 15 दिनों के भीतर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दूसरी बार पश्चिम बंगाल के दौरे पर आ रहे हैं। सात फरवरी को पीएम मोदी हल्दिया में कई परियोजनाओं का उद्धाटन करेंगे। आगामी विधानसभा चुनावों को देखते हुए पीएम का यह दौरा बेहद अहम माना जा रहा है। प्रधानमंत्री जिन परियोजनाओं का उद्घाटन करेंगे, उनकी लागत करीब 5 हजार करोड़ रुपये बताई जा रही है। इससे पहले नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती 23 जनवरी को पीएम बंगाल आए थे। केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने बताया कि प्रधानमंत्री उज्‍ज्‍वला योजना के तहत पश्चिम बंगाल में 88.5 लाख नए एलपीजी कनेक्‍शन दिए गए हैं। लगातार एलपीजी आपूर्ति के लिए भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड ने 1100 करोड़ की लागत से हल्दिया में एलपीजी टर्मिनल का निर्माण किया है। सात फरवरी को प्रधानमंत्री इसे देश को समर्पित करेंगे। इसके अलावा वह हल्दिया रिफाइनरी के लुब्रिकेंट बेस्‍ट ऑयल कारखाने का भी शिलान्‍यास करेंगे। गैस पाइपलाइन का भी होगा उद्धाटन धर्मेंद्र प्रधान ने बताया कि पीएम ऊर्जा गंगा योजना के तहत यूपी के फूलपुर से पश्चिम बंगाल के दुर्गापुर तक प्राकृतिक गैस की पाइपलाइन बिछाई जा चुकी है। प्रधानमंत्री मोदी इसका भी इसी दिन लोकार्पण करेंगे। इस गैस पाइपलाइन को बिछाने में करीब 2400 करोड़ रुपये की लागत आई है। इनके अलावा पीएम एक सड़क का भी उद्धाटन करेंगे। पिछले दौरे में 'जय श्रीराम' को लेकर हुआ था बवाल आपको बता दें कि प्रधानमंत्री के पिछले बंगाल दौरे में कार्यक्रम के दौरान जय श्रीराम का नारा लगने से विवाद हो गया था। मुख्‍यमंत्री ममता बनर्जी ने इसके विरोध में भाषण देने से इनकार कर दिया था। इस मुद्दे पर बीजेपी और टीएमसी नेताओं में जमकर शब्‍दबाण चले थे। ममता बनर्जी ने कहा था कि बीजेपी ने सरकारी कार्यक्रम को पूरी तरह राजनीतिक कार्यक्रम बना दिया है।


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7 फरवरी को बंगाल आ रहे PM नरेंद्र मोदी, 5 हजार करोड़ की परियोजनाओं की देंगे सौगात https://ift.tt/3re1CY9 7 फरवरी को बंगाल आ रहे PM नरेंद्र मोदी, 5 हजार करोड़ की परियोजनाओं की देंगे सौगात
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कृषि कानूनों के फायदे गिना तोमर का पवार पर निशाना, किसानों को सही चीज बताइए https://ift.tt/2NMrwU9

January 31, 2021
नई दिल्लीकेंद्रीय कृषि मंत्री (Narendra Singh Tomar) ने एक बार फिर तीनों कृषि कानूनों () के फायदे गिनाए हैं। एनसीपी चीफ () ने शनिवार को कहा था कि ये कानून न्यूनतम समर्थन मूल्य () पर बुरा असर डालेंगे और मंडी सिस्टम को कमजोर कर देंगे। पवार के आरोपों का जवाब देते हुए कृषि मंत्री ने कई ट्वीट किए और उनसे अपील की कि वह किसानों के सामने सही तथ्य रखें। कृषि मंत्री ने ट्वीट किया, 'शरद पवार जी वरिष्ठ नेता हैं और पूर्व कृषि मंत्री हैं। उन्हें कृषि से जुड़े मामलों और समाधानों का विशेषज्ञ माना जाता है। उन्होंने खुद भी अपने कार्यकाल के दौरान कई कृषि सुधारों की पहल की। वो अपने अनुभव और विशेषज्ञता के आधार पर अपनी बात रखते हैं, हालांकि तीन कृषि कानूनों पर उनके भ्रामक ट्वीट देखकर अचंभा हुआ। मैं उनके आरोपों पर कुछ तथ्य स्पष्ट करना चाहूंगा।' कृषि मंत्री ने गिनाए कृषि कानूनों के फायदे कृषि मंत्री ने लिखा, 'नए कानून किसानों के लिए अपनी फसल बेचने के लिए नई व्यवस्था का विकल्प देने वाले हैं। इसके तहत वे अपनी फसल राज्य के बाहर भी कहीं भी, किसी को भी आसानी से बेच सकेंगे। इससे उन्हें अपनी फसल की बेहतर कीमत मिल सकेगी। इससे मौजूदा एमएसपी व्यवस्था को कोई नुकसान नहीं होगा।' तोमर ने आगे कहा, 'नई व्यवस्था के तहत मंडियों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। इसके विपरीत इनमें प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और सर्विस और इंफ्रास्ट्रक्चर के मामले में इनमें बचत ही होगी। नए कानूनों के अंतर्गत दोनों व्यवस्थाएं किसानों के हित में साथ-साथ चलती रहेंगी।' तोमर ने कहा, अब किसानों को सही चीज बताएं पवार उन्होंने कहा, 'वह (शरद पवार) एक वरिष्ठ नेता हैं। मुझे पूरा विश्वास है कि उन्हें सचमुच इसको लेकर गुमराह किया गया है। अब जबकि उनके पास सही तथ्य हैं, मुझे उम्मीद है कि वह अपना रुख बदलेंगे और इन कानूनों के फायदे किसानों को भी बताएंगे।' दरसअल पवार ने कहा था कि नए कानून एमएसपी पर फसल खरीद करने के ढांचे पर बुरा असर डालेंगे। इससे मंडी प्रणाली कमजोर हो जाएगी। उन्होंने एमएसपी को सुनिश्चित करने और इस व्यवस्था को कहीं अधिक मजबूत करने की जरूरत पर जोर दिया। पवार ने कृषि कानूनों पर क्या कहा था? पवार ने ट्वीट किया , ‘सुधार एक सतत प्रक्रिया है और एपीएमसी या मंडी प्रणाली में सुधारों के खिलाफ कोई भी व्यक्ति दलील नहीं देगा, लेकिन इस पर एक सकारात्मक बहस का यह मतलब नहीं है कि यह प्रणाली को कमजोर या नष्ट करने के लिए है।’ पूर्व कृषि मंत्री ने ट्वीट किया, ‘मेरे कार्यकाल के दौरान, विशेष बाजार स्थापित करने के लिए मसौदा एपीएमसी नियमावली-2007 तैयार की गई थी, ताकि किसानों को अपनी उपज बेचेने के लिए वैकल्पिक मंच उपलब्ध कराया जा सके और मौजूदा मंडी प्रणली को मजबूत करने के लिए भी अत्यधिक सावधानी बरती गई थी।’


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कृषि कानूनों के फायदे गिना तोमर का पवार पर निशाना, किसानों को सही चीज बताइए https://ift.tt/2NMrwU9 कृषि कानूनों के फायदे गिना तोमर का पवार पर निशाना, किसानों को सही चीज बताइए
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मुसलमान डरे हुए हैं... हामिद अंसारी पर भड़की BJP, 'ध्रुवीकरण की कर रहे हैं कोशिश' https://ift.tt/3csOOsr

January 31, 2021
नई दिल्ली 'मुस्लिमों में असुरक्षा की भावना' और 'सरकार की डिक्शनरी में सेक्युलरिज्म नहीं' वाले बयानों को लेकर बीजेपी ने पूर्व उपराष्ट्रपति पर निशाना साधा है। बीजेपी के राज्यसभा सांसद राकेश सिन्हा ने रविवार को अंसारी पर निशाना साधते हुए कहा कि वह सांप्रदायिकता के नए एम्बैसडर बन गए हैं। उन्होंने पूर्व उपराष्ट्रपति पर ध्रुवीकरण के प्रयास का आरोप भी लगाया। दरअसल अंसारी ने आरोप लगाया कि आज सरकार की डिक्शनरी में सेक्युलरिज्म शब्द है ही नहीं। हाल ही में 'मुस्लिमों में असुरक्षा' वाले अपने चर्चित बयान को लेकर सवाल पूछे जाने पर अंसारी एक इंटरव्यू छोड़कर चले गए थे। 'ध्रुवीकरण की कोशिश कर रहे हामिद अंसारी' बीजेपी सांसद ने राकेश सिन्हा ने ट्वीट किया, 'पूर्व उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी साम्प्रदायिकता के नए एम्बैसडर बन गए हैं । वे ध्रुवीकरण कराने का प्रयास कर रहे हैं।' बीजेपी के साथ-साथ हिंदू संगठनों ने भी अंसारी के बयान को लेकर उनपर निशाना साधा है। विहिप के राष्ट्रीय प्रवक्ता विजय शंकर तिवारी ने उनपर पूर्व उपराष्ट्रपति पर निशाना साधते हुए कहा, 'जब हामिद अंसारी से पूछा गया कि भारत का मुसलमान क्यों डरा हुआ है,अंसारी नहीं बता पाए और भागते नजर आए।' हाल ही में एक इंटरव्यू बीच में छोड़ चले गए थे अंसारी 'जी न्यूज' पर शनिवार रात प्रसारित इंटरव्यू में अंसारी ने अपनी किताब में लिखी बात को दोहराते हुए कहा था कि आज सरकार की डिक्शनरी में सेक्युलरिज्म शब्द है ही नहीं। यह पूछने पर कि क्या 2014 से पहले सरकार की डिक्शनरी में यह शब्द था, तब उनका जवाब था- हां, लेकिन पर्याप्त नहीं। इसके बाद एंकर ने एक के बाद एक काउंटर सवाल पूछना शुरू किया। इस क्रम में उनके सवालों में हिंदू आतंकवाद से लेकर तुष्टीकरण और 'मुस्लिमों में असुरक्षा', मॉब लिंचिंग जुड़ते गए और आखिरकार अंसारी अचानक इंटरव्यू छोड़कर चले गए थे। 'मुसलमानों में असुरक्षा की भावना' वाला दिया था बयान दरअसल उपराष्ट्रपति रहते हुए हामिद अंसारी ने यह बयान दिया था कि देश के मुसलमानों में असुरक्षा की भावना है। बेंगलुरु में नैशनल लॉ स्कूल ऑफ यूनिवर्सिटी के 25वें दीक्षांत समारोह में उन्होंने कहा था कि देश के अल्पसंख्यकों में असुरक्षा की आशंका बढ़ी है। बाद में कार्यकाल खत्म होने से एक दिन पहले राज्यसभा टीवी को दिए इंटरव्यू में भी उन्होंने ये बातें दोहराई थीं। हामिद अंसारी ने अपनी नई किताब 'बाय मेनी अ हैप्पी एक्सीडेंट: रीकलेक्शन ऑफ अ लाइफ' में लिखा है कि इन दोनों ही घटनाओं ने कुछ तबकों में नाराजगी पैदा की।


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मुसलमान डरे हुए हैं... हामिद अंसारी पर भड़की BJP, 'ध्रुवीकरण की कर रहे हैं कोशिश' https://ift.tt/3csOOsr मुसलमान डरे हुए हैं... हामिद अंसारी पर भड़की BJP, 'ध्रुवीकरण की कर रहे हैं कोशिश'
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'कुचलकर शांत नहीं कर सकते आंदोलन' क्या केंद्र की मुश्किल बढ़ा रहे गवर्नर मलिक? https://ift.tt/2Ywmldi

January 31, 2021
शिलॉन्ग/नई दिल्ली मेघालय के राज्यपाल () ने किसान आंदोलन () को लेकर सरकार और किसानों से मिलकर समाधान निकालने की अपील की है। इसके साथ ही उन्होंने सरकार से अपील करते हुए कहा कि दुनिया के किसी भी आंदोलन को दबाकर या कुचलकर शांत नहीं किया जा सकता है। दिल्ली बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन को 2 महीने से ज्यादा वक्त बीत चुका है। गवर्नर मलिक के इस बयान से बीजेपी और केंद्र सरकार असहज हो सकती है। मलिक ने कहा, 'मैं खुद किसानों के आंदोलन से निकला हुआ नेता हूं। इसलिए मैं उनकी समस्याओं को समझ सकता हूं। इस मसले का जल्द से जल्द समाधान निकालना ही देश के हित में है। मैं सरकार से अपील करता हूं कि किसानों की समस्या को सुनें। दोनों पक्षों को जिम्मेदारी के साथ बातचीत में शामिल होना चाहिए।' उन्होंने कहा, 'अधिकतर किसान शांतिपूर्वक ही रहे। मैं उनसे सरकार के साथ बातचीत करने और समाधान निकालने की अपील करता हूं। इसके साथ ही मैं सावधान करते हुए यह बताना चाहता हूं कि दुनिया के किसी भी आंदोलन को दबाकर और कुचलकर शांत नहीं किया जा सकता है।' मूलरूप से उत्तर प्रदेश के बागपत के निवासी सत्यपाल मलिक अभी मेघालय के राज्यपाल हैं। इससे पहले वह जम्मू-कश्मीर, गोवा, बिहार, ओडिशा के भी राज्यपाल का पदभार संभाल चुके हैं। विधायक के तौर पर राजनीतिक जीवन शुरू करे वाले मलिक लोकसभा और राज्यसभा के सांसद भी रहे हैं। वह जनता दल और बीजेपी के साथ राजनीति में सक्रिय रहे।


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'कुचलकर शांत नहीं कर सकते आंदोलन' क्या केंद्र की मुश्किल बढ़ा रहे गवर्नर मलिक? https://ift.tt/2Ywmldi 'कुचलकर शांत नहीं कर सकते आंदोलन' क्या केंद्र की मुश्किल बढ़ा रहे गवर्नर मलिक?
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1 फरवरी से पूरी क्षमता से सिनेमा हॉल खोलने की मिली मंजूरी, पढ़िए नई गाइडलाइंस https://ift.tt/3crD0GY

January 31, 2021
नई दिल्ली कोरोना वायरस के कारण लगी पाबंदियां अब धीरे-धीरे खत्म हो रही हैं। लॉकडाउन के बाद से ही बंद हुए सिनेमा घरों को फिर से खोलने का फैसला किया गया है। इससे पहले सरकार ने जिम और स्विमिंग पुल को खोलने की इजाजत दी थी। सिनेमा हॉल खोलने के लिए काफी पहले से मांग भी हो रही थी। केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने कहा कि कल से यानी एक फरवरी से सभी कोरोना प्रोटोकॉल को फॉलो करते हुए सिनेमा हॉल 100 प्रतिशत क्षमता के साथ खुल सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि हम ज्यादा से ज्यादा ऑनलाइन बुकिंग को प्रोत्साहित करेंगे। दो शो के बीच में थोड़ा समय रहेगा ताकि एकदम भीड़ ना हो। पहले सोशल डिस्टेंसिंग के साथ दी थी इजाजतइससे पहले गृह मंत्रालय ने सोशल डिस्टेंसिंग के साथ सिनेमा हॉल को खोलने की इजाजत दी थी। फिर भी सिनेमा हॉल खाली पड़े थे। दरअसल, इसमें दो दर्शकों के बीच एक कुर्सी खाली रखने की अनियवार्यता की गई थी। सिनेमा हॉल के पूरी क्षमता से नहीं खुलने के कारण फिल्म निर्माता फिल्मों को रीलीज करने में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं। दिल्ली में ओपीडी भी शुरूकुछ दिनों पहले ही दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने बड़ा ऐलान किया था। अब जिसमे दिल्ली सरकार के अधीन सभी अस्पतालों में सर्जरी के साथ-साथ ओपीडी सेवाएं दोबारा से शुरू हो जाएंगी। बुधवार को स्वास्थ्य विभाग ने इस बाबत एक नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया। लोगों को मिली बड़ी राहतइस आदेश के बाद अब दिल्ली सरकार के सबसे बड़े कोविड अस्पताल लोक नायक अस्पताल में भी ओपीडी सेवाएं पूरी तरह से बहाल हो जाएंगी। यह आदेश दिल्ली सरकार द्वारा संचालित सभी अस्पतालों के साथ-साथ सोसायटी और ट्रस्ट के अस्पतालों पर भी लागू होगा। इन सभी अस्पतालों में भी अब सर्जरी, ओपीडी और अन्य मेडिकल सुविधाएं पहले की तरह शुरू हो जाएंगी। इससे दिल्लीवालों को बड़ी राहत मिलेगी।


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1 फरवरी से पूरी क्षमता से सिनेमा हॉल खोलने की मिली मंजूरी, पढ़िए नई गाइडलाइंस https://ift.tt/3crD0GY 1 फरवरी से पूरी क्षमता से सिनेमा हॉल खोलने की मिली मंजूरी, पढ़िए नई गाइडलाइंस
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पीएम मोदी ने कहा था तिरंगे के अपमान से देश दुखी, अब टिकैत बोले- जो हुआ उसके पीछे साजिश थी https://ift.tt/3anM0dy

January 31, 2021
नई दिल्‍ली गणतंत्र दिवस के मौके पर लाल किले में हुए उपद्रव को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को प्रतिक्रिया दी। उन्‍होंने 'मन की बात' में कहा कि "दिल्‍ली में 26 जनवरी को तिरंगा का अपमान देख, देश बहुत दुखी भी हुआ।" लाल किले की प्राचीर पर प्रदर्शनकारी किसानों ने अपने झंडे फहरा दिए थे। वह भी ठीक उस जगह पर, जहां हर साल 15 अगस्त पर प्रधानमंत्री तिरंगा फहराते हैं। इसके अलावा ऐतिहासिक इमारत में जमकर तोड़फोड़ भी की गई थी। इस घटना पर अब किसान नेता नरेश टिकैत ने कहा है कि "26 जनवरी को जो कुछ भी हुआ, वह एक साजिश का नतीजा था।" टिकैत ने कहा कि इसकी व्‍यापक जांच होनी चाहिए। किसान नेता ने न्‍यूज एजेंसी पीटीआई से बातचीत में कहा कि "तिरंगा सबसे ऊपर है। हम कभी तिरंगे का अपमान नहीं होने देंगे। सदैव उसे ऊंचा रखेंगे। यह बर्दाश्‍त नहीं किया जाएगा।" 'नहीं चाहते कि सरकार या संसद झुके'प्रधानमंत्री मोदी ने शनिवार को सर्वदलीय बैठक में कहा था कि उनकी सरकार किसानों से केवल 'एक फोन कॉल दूर' है। इसपरटिकैत ने कहा क‍ि "सरकार को हमारे लोगों को रिहा करना चाहिए और वार्ता के लिए मंच तैयार करना चाहिए। हमें उम्मीद है कि बीच का कोई रास्ता निकलेगा।" उन्‍होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जो कहा, हम उसका सम्मान करते हैं, उनकी गरिमा की रक्षा की जाएगी। टिकैत ने आगे कहा, "हम नहीं चाहते कि सरकार या संसद हमारे आगे झुके, लेकिन वह किसानों के आत्म-सम्मान की भी रक्षा करे।" वहीं, न्‍यूज एजेंसी ANI के मुताबिक राकेश टिकैत ने कहा, "हमारे जो लोग जेल में बंद हैं वो रिहा हो जाएं फिर बातचीत होगी। प्रधानमंत्री ने पहल की है और सरकार और हमारे बीच की एक कड़ी बने हैं। किसान की पगड़ी का भी सम्मान रहेगा और देश के प्रधानमंत्री का भी।" देखें, सर्वदलीय बैठक में क्‍या बोले थे पीएम "तिरंगे का अपमान देख देश दुखी हुआ"प्रधानमंत्री मोदी ने रविवार को कहा कि भारत आज दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान चला रहा है, लेकिन इस सबके बीच 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के दिन लालकिले पर हुई घटना से देश बहुत दुखी हुआ। प्रधानमंत्री ने अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ की 73वीं कड़ी में यह बात कही। उन्होंने नए साल में जनवरी के महीने के दौरान मनाए गए पर्व व त्योहारों के साथ अन्य घटनाओं व कायर्क्रमों का उल्लेख करते हुए कहा, "इन सबके बीच, दिल्ली में 26 जनवरी को तिरंगे का अपमान देख देश बहुत दुखी भी हुआ।" देखिए, 26 जनवरी की वो घटना जिसका पीएम मोदी ने किया जिक्र आंदोलनकारियों ने लाल किले पर कर लिया था कब्‍जाआंदोलनकारियों ने लाल किले में घुसकर प्राचीर तक पहुंचने वाले सभी गलियारों पर कब्जे कर लिया था। कई प्रदर्शनकारी गुंबदों पर भी चढ़ गए थे और वहां भी झंडे लगा दिए थे। प्रदर्शनकारियों ने किले के अंदर भी काफी तोड़फोड़ मचाई। साइन बोर्ड, मेटल डिटेक्टर गेट्स, टिकट के काउंटर और कुर्सियां...उपद्रवियों ने सबकुछ तहस नहस कर दिया। टिकट काउंटर और प्रवेश गेट पर लगे शीशों के टुकड़े यहां बिखरे नजर आए।


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पीएम मोदी ने कहा था तिरंगे के अपमान से देश दुखी, अब टिकैत बोले- जो हुआ उसके पीछे साजिश थी https://ift.tt/3anM0dy पीएम मोदी ने कहा था तिरंगे के अपमान से देश दुखी, अब टिकैत बोले- जो हुआ उसके पीछे साजिश थी
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'9 घंटे का फुटेज, राकेश टिकैत को बढ़ावा... कुछ यूं हुई किसान आंदोलन खत्म करने की साजिश' https://ift.tt/3r8bYZn

January 31, 2021
लखनऊ नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन का अहम हिस्सा रहे के अध्यक्ष ने सरकार पर आंदोलन को खत्म करने की कोशिश का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि ऐसा इसलिए किया गया, ताकि वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में ‘किसानों की सरकार’ नहीं बन पाए। वीएम सिंह ने बताया कि वह अपने मकसद से पीछे नहीं हटे हैं और जल्द ही उनकी मुहिम एक नए स्वरूप में सामने आएगी। उन्होंने सरकार पर किसान आंदोलन को खत्म करने की कोशिश का आरोप लगाया। 'सरकार ने को हवा दी' वीएम सिंह ने भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत पर कटाक्ष करते हुए कहा, 'सरकार ने टिकैत को हवा दी। एक आदमी जिसके पास सिर्फ 300-400 लोग थे। बाकी हमारे लोग थे। जब आंदोलन वापस लेने की बात हुई तो सरकार को लगा कि अगर आंदोलन वापस हो जाएगा तो पूरा श्रेय वीएम सिंह को जाएगा, यह कि सिंह के आदमियों की वजह से यह आंदोलन खड़ा था।' 'नौ घंटे फुटेज मिलेगी तो वह नेता बन ही जाएगा' वीएम सिंह ने आरोप लगाया, 'एक आदमी को नौ घंटे की फुटेज मिलेगी तो वह नेता तो बन ही जाएगा। यह पूरा खेल इसलिए हुआ है, ताकि 2022 में उत्तर प्रदेश में किसानों की सरकार न बनने पाए।' दिल्ली हिंसा के बाद अलग हो गया था संगठन बता दें कि वीएम सिंह का किसान संगठन 26 जनवरी को दिल्ली में ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा के बाद किसान आंदोलन से अलग हो गया था। अपने फैसले पर उन्होंने कहा कि नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे किसानों के आंदोलन से वह भले ही अलग हो गए हों, लेकिन वह अपने मकसद से पीछे नहीं हटे हैं। उन्होंने कहा, 'मैं अपने संगठन के साथियों से चर्चा कर रहा हूं। आंदोलन तो रहेगा बस इसका स्वरूप बदल जाएगा। हम जल्द ही एक नए स्वरूप के साथ आंदोलन शुरू करेंगे। न्यूनतम समर्थन मूल्य गारंटी की उनकी मांग कोई नई नहीं। यह मांग अक्टूबर 2000 से चली आ रही है। यही आंदोलन आगे बढ़कर यहां तक पहुंचा है।' 'मैंने तो आंदोलन का बीज बोया था' किसान आंदोलन से अलग होने के कारण के बारे में पूछे जाने पर सिंह ने कहा, 'मेरा मकसद आंदोलन को खराब करने का नहीं था, बल्कि मैंने तो आंदोलन का बीज बोया था। मैंने जो भी निर्णय लिया, वह नैतिकता के आधार पर और देशहित में था। अब दिल्ली की सीमा पर जो भी शेष आंदोलन रह गया है, वह राजनीतिक हो चुका है।' 'अब सब कुछ राजनीतिक हो रहा है'किसान नेताओं पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा, 'अब तो वहां कांग्रेस, राष्ट्रीय लोक दल और आम आदमी पार्टी समेत कई दलों के नेता खुलकर बोलने लगे हैं। जब मैं वहां था तब मंच से कोई भी राजनीतिक व्यक्ति नहीं बोल सकता था। अब सब मंच पर हैं और सब कुछ राजनीतिक हो रहा है। समर्थन करना अलग बात है और खुलकर सामने आना अलग बात।'


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'9 घंटे का फुटेज, राकेश टिकैत को बढ़ावा... कुछ यूं हुई किसान आंदोलन खत्म करने की साजिश' https://ift.tt/3r8bYZn '9 घंटे का फुटेज, राकेश टिकैत को बढ़ावा... कुछ यूं हुई किसान आंदोलन खत्म करने की साजिश'
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केंद्र की कौन सी बात सुनकर अन्‍ना हजारे ने रद्द कर दिया अनशन, पढ़ें इनसाइड स्‍टोरी https://ift.tt/3anLYCs

January 31, 2021
विश्‍व मोहन, नई दिल्‍ली किसान आंदोलन के बीच, केंद्र सरकार ने एक उच्‍चस्‍तरीय समिति बनाने का फैसला किया है। यह समिति सामाजिक कार्यकर्ता अन्‍ना हजारे की तरफ से उठाए गए न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य (MSP) समेत खेती से जुड़े कई मुद्दों पर विचार करेगी। इस समिति को बनाने का फैसला जल्‍दबाजी में इसीलिए हुआ ताकि अन्‍ना को अनशन पर बैठने से रोका जा सके। आंदोलनरत किसानों के समर्थन में अन्‍ना शनिवार से अनशन पर बैठने वाले थे। हालांकि, केंद्र ने फौरन कृषि राज्‍य मंत्री कैलाश चौधरी और महाराष्‍ट्र के पूर्व मुख्‍यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को उनके गांव रालेगण सिद्धि भेजा। दोनों ने अन्‍ना को आश्‍वासन दिया कि वे उनकी मांगों पर विचार के लिए एक पैनल बनाएंगे। इसके बाद, शुक्रवार देर रात अन्‍ना ने अनशन रद्द करने की घोषणा कर दी। समिति में कौन-कौन होगा?
  • कृषि मंत्रालय में सूत्रों के मुताबिक, इस उच्‍चस्‍तरीय समिति में निम्‍न सदस्‍य होंगे:
  • रमेश चंद, नीति आयोग के सदस्‍य
  • पुरुषोत्तम रूपाला, पंचायती राज, कृषि और किसान कल्‍याण राज्‍य मंत्री
  • विजय सरदाना, कृषि-व्‍यापार कानून और नीति विशेषज्ञ
  • कंवल सिंह चौहान, हरियाणा के एक प्रगतिशील किसान और पद्मश्री से सम्‍मानित
  • किसान प्रतिनिधि
एक अधिकारी के मुताबिक, "पैनल में कौन-कौन से किसान प्रतिनिधि‍ शामिल होंगे, यह अन्‍ना के साथ बातचीत कर तय किया जाएगा।" उन्‍होंने यह भी कहा कि पैनल में कृषि, वाण‍िज्‍य, खाद्य एवं उपभोक्‍ता मामलों के मंत्रालयों से संयुक्‍त सचिव स्‍तर के एक-एक अधिकारी भी होंगे। यह समिति सुप्रीम कोर्ट की ओर से नियुक्ति पैनल से अलग काम करेगी। केंद्र तो पहले ही दे चुका 18 महीने तक कानून टालने का प्रस्‍तावइस समिति की अध्‍यक्षता केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर करेंगे। समिति अपनी सिफारिश छह महीनों में देगी। जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को सर्वदलीय बैठक में कृषि मंत्रालय के उस प्रस्‍ताव का संदर्भ दिया जिसमें नए कानूनों को 18 महीने तक न लागू करने की बात कही गई है और इस दौरान एक संयुक्‍त समिति बनाकर सभी मांगों पर चर्चा के जरिए आगे बढ़ने का प्रस्‍ताव है। किसान यूनियनों ने इस प्रस्‍ताव को खारिज कर दिया था। उनका कहना था कि वे तबतक आंदोलन खत्‍म नहीं करेंगे जबतक नए कानून वापस नहीं ले लिए जाते। अपनी मांगें केंद्र को भेज चुके हैं अन्‍नाअन्‍ना हजारे ने पहले कृषि मंत्रालय को लेकर लंबित मांगों का ब्‍योरा दिया था। इसमें कृषि लागत और मूल्य आयोग (CACP) को स्वायत्तता और व्यापक लागत के आधार पर एमएसपी (C2) शामिल हैं। एमएस स्‍वामीनाथन समिति ने भी इनकी सिफारिश की थी। अन्‍ना ने इन्‍हीं मांगों को उनके अनशन करने की वजह बताया था। चौधरी ने कहा कि केंद्र ने अन्‍ना के कई सुझावों को पहले ही लागू कर दिया है। उन्‍होंने कहा कि उच्‍चस्‍तरीय समिति किसान प्रतिनिधियों संग चर्चा कर लंबित मामलों पर विचार करेगी।


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केंद्र की कौन सी बात सुनकर अन्‍ना हजारे ने रद्द कर दिया अनशन, पढ़ें इनसाइड स्‍टोरी https://ift.tt/3anLYCs केंद्र की कौन सी बात सुनकर अन्‍ना हजारे ने रद्द कर दिया अनशन, पढ़ें इनसाइड स्‍टोरी
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ATM से लेकर LPG तक 1 फरवरी से हो सकते हैं ये 6 बड़े बदलाव, आपकी जिंदगी और जेब पर होगा सीधा असर! https://ift.tt/36uTpa1

January 31, 2021
Changes from 1st February: एक फरवरी यानी कल से भारत में 6 बड़े बदलाव (6 changes from 1st feb) होने जा रहे हैं। इन बदलावों का लोगों की जिंदगी पर सीधा असर पड़ेगा। नई शुरुआत से एक ओर जहां राहत मिलेगी, वहीं कुछ बातों का ध्यान नहीं रखा गया तो आर्थिक नुकसान भी हो सकता है। इनमें कुछ ऐसे भी बदलाव हैं जो सीधे आपकी जेब पर असर डालेंगे। तो आइए जानते हैं कि 1 फरवरी से क्या-क्या बदल रहा है और क्या नया हो रहा है।

Changes from 1st February: कल यानी 1 फरवरी का दिन भारत के लिए बहुत ही अहम होने वाला है, क्योंकि कल से 6 बड़े बदलाव होने वाले हैं। 1 फरवरी को ही देश का बजट भी पेश होना है, जिसका भी आपकी जिंदगी पर सीधा असर पड़ेगा। आइए जानते हैं कल से होने वाले इन 6 बदलावों (6 changes from 1st feb) के बारे में।


Changes from 1st February: ATM से लेकर LPG तक 1 फरवरी से हो सकते हैं ये 6 बड़े बदलाव, आपकी जिंदगी और जेब पर होगा सीधा असर!

Changes from 1st February: एक फरवरी यानी कल से भारत में 6 बड़े बदलाव (6 changes from 1st feb) होने जा रहे हैं। इन बदलावों का लोगों की जिंदगी पर सीधा असर पड़ेगा। नई शुरुआत से एक ओर जहां राहत मिलेगी, वहीं कुछ बातों का ध्यान नहीं रखा गया तो आर्थिक नुकसान भी हो सकता है। इनमें कुछ ऐसे भी बदलाव हैं जो सीधे आपकी जेब पर असर डालेंगे। तो आइए जानते हैं कि 1 फरवरी से क्या-क्या बदल रहा है और क्या नया हो रहा है।



पेश होगा देश का बजट
पेश होगा देश का बजट

1 फरवरी सबसे अहम इसलिए है क्योंकि इस दिन वित्त मंत्री निर्मली सीतारमण वित्त वर्ष 2021-22 का आम बजट पेश करेंगी। इस साल पहली बार यह बजट पेपरलेस होगा। माना जा रहा है कि कोरोना की मार झेल रहे लोगों को बजट में राहत मिल सकती है। नौकरीपेशा लोगों के लिए टैक्स में कटौती हो सकती है। कारोबारियों के लिए भी राहतों का ऐलान हो सकता है। कुछ चीजें महंगी भी हो सकती हैं और कुछ सामानों पर कर घटाया जा सकता है। सरकार कई वस्तुओं पर सीमा शुल्क में कटौती कर सकती है।



पीएनबी खाताधारक इन एटीएम से नहीं निकाल पाएंगे पैसे
पीएनबी खाताधारक इन एटीएम से नहीं निकाल पाएंगे पैसे

पंजाब नेशनल बैंक ने खाताधारकों को धोखाधड़ी से बचाने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। एक फरवरी से पीएनबी ग्राहक नॉन-ईएमवी एटीएम मशीनों से लेन-देन नहीं कर पाएंगे। यानी आप नॉन-ईएमवी मशीनों से पैसों की निकासी नहीं कर पाएंगे। हाल ही में बैंक ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर इसकी जानकारी दी थी। पंजाब नेशनल बैंक का ये कदम कितना प्रभावी साबित होता है ये देखना दिलचस्प रहेगा।



बदल सकते हैं एलपीजी के दाम
बदल सकते हैं एलपीजी के दाम

तेल कंपनियां हर महीने एलपीजी सिलेंडर के दामों की समीक्षा करती हैं। हर राज्य में टैकक्स अलग-अलग होता है और इसके हिसाब से एलपीजी के दामों में अंतर होता है। एक तारीख को अगले महीने के दामों का ऐलान होगा। बता दें कि गैस सिलेंडर की कीमत हर महीने बदलती है। इसकी कीमत में अंतरराष्ट्रीय आधार पर बदलाव किया जाता है। मौजूदा समय में दिल्ली में सब्सिडी वाले 14.2 किलो के गैस सिलेंडर की कीमत 694 रुपये है।



शुरू होगी रेलवे की ई-कैटरिंग सर्विस
शुरू होगी रेलवे की ई-कैटरिंग सर्विस

कोरोना वायरस की वजह से पिछले करीब 10 महीनों से भारतीय रेलवे ने अपनी ई-कैटरिंग सेवा को बंद किया हुआ था, जिसे 1 फरवरी से फिर से शुरू किया जा रहा है। भारतीय रेलवे ने अपने ट्विटर हैंडल पर इसकी जानकारी देते हुए लिखा था- एक फरवरी से भारतीय रेलवे ई-कैटरिंग सेवा को फिर से शुरू कर रहा है। हालांकि, शुरुआत में ये सुविधा चुनिंदा स्टेशनों पर ही मिलेगी।



नई उड़ानें शुरू करेगी एयर इंडिया एक्सप्रेस
नई उड़ानें शुरू करेगी एयर इंडिया एक्सप्रेस

एयर इंडिया और इयर इंडिया एक्सप्रेस ने नई घरेलू और अंतरराष्ट्रीय उड़ानों की घोषणा की है। एयर इंडिया एक्सप्रेस फरवरी से 27 मार्च के दौरान त्रिची और सिंगापुर के बीच रोजाना उड़ान भरेगी। इसके रूट में और भी कनेक्शन होंगे, जैसे कुवैत से लेकर विजयवाड़ा, हैदराबाद, मंगलोर, कोझिकोड, कुन्नूर और कोच्चि। इन नई उड़ानों से बहुत सारे लोगों को फायदा मिलेगा।



ओटीपी और आइरिस ऑथेन्टिकेशन से मिलेगा राशन!
ओटीपी और आइरिस ऑथेन्टिकेशन से मिलेगा राशन!

अभी तक राशन कार्डधारकों को अन्नपूर्णा और अन्त्योदय का राशन बायोमीट्रिक पहचान के जरिए मिल रहा था। अब इसकी जगह नई व्यवस्था होगी, जिसमें मोबाइल ओटीपी और आईरीस ऑथेन्टिकेशन की जरूरत हगी। 'द हिंदु' में छपी एक खबर के मुताबिक यह नया नियम 1 फरवरी 2021 से तेलंगाना में लागू हो जाएगा। कोरोना महामारी को देखते हुए सरकार ने बायोमीट्रिक ऑथेंटिकेशन को बंद किया है। राशन पाने के लिए सभी राशनकार्ड धारकों को अपना आधार नंबर मोबाइल नंबर के साथ लिंक करना होगा।





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ATM से लेकर LPG तक 1 फरवरी से हो सकते हैं ये 6 बड़े बदलाव, आपकी जिंदगी और जेब पर होगा सीधा असर! https://ift.tt/36uTpa1 ATM से लेकर LPG तक 1 फरवरी से हो सकते हैं ये 6 बड़े बदलाव, आपकी जिंदगी और जेब पर होगा सीधा असर!
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UAE में काम कर रहे लाखों भारतीयों के लिए खुशखबरी, मिलेगी नागरिकता https://ift.tt/2YIvkZ7

January 31, 2021
दुबई में काम करने वाले लाखों भारतीयों के लिए एक अच्छी खबर है। ने शनिवार को घोषणा की कि वह पेशेवर विदेशी नागरिकों को अपनी नागरिकता प्रदान करेगा। कोविड-19 महामारी के बीच अर्थव्यवस्था को उबारने के मद्देनजर यह कदम उठाया गया है। खास बात यह है कि नागरिकता न सिर्फ यहां काम करने वालों, बल्कि उनके परिवारों को भी दी जाएगी। दुबई के शासक, देश के प्रधानमंत्री और उपराष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन अल मख्तूम ने यह घोषणा करते हुए कहा कि कलाकारों, लेखकों, डॉक्टरों, इंजिनियरों और वैज्ञानिकों के साथ-साथ उनके परिवार भी नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं। यूएई का नागरिक बनने के बाद भी वे अपनी पुरानी नागरिकता बरकरार रख सकते हैं। नियमों में ढील हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं हुआ है कि क्या नागरिकता पाने वाले विदेशी नागरिकों को भी वही अधिकार प्रदान किए जाएंगे जो यहां के मूल नागरिकों को प्राप्त हैं। अभी तक यहां काम कर रहे विदेशियों को सिर्फ नौकरी या काम के दौरान वीजा मिलता है जो रिन्यू हो जाता है। हालांकि, हाल के सालों में वीजा नियमों में ढिलाई बरती गई है जिससे खास निवेशक, छात्र और प्रफेशनल्स ज्यादा वक्त के लिए देश में रुक सकते हैं।


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UAE में काम कर रहे लाखों भारतीयों के लिए खुशखबरी, मिलेगी नागरिकता https://ift.tt/2YIvkZ7 UAE में काम कर रहे लाखों भारतीयों के लिए खुशखबरी, मिलेगी नागरिकता
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मन की बात: लाल किले में हिंसा पर पीएम मोदी- 26 जनवरी को तिरंगे का अपमान देख पूरा देश दुखी https://ift.tt/2MIuNDn

January 31, 2021
नई दिल्‍ली गणतंत्र दिवस के मौके पर लाल किले में हुई हिंसा पर पहली बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रतिक्रिया आई है। अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' में पीएम मोदी ने उपद्रवियों की हरकत का जिक्र किया। मोदी पद्म पुरस्‍कारों और ऑस्‍ट्रेलिया में भारतीय क्रिकेट टीम की जीत पर बात करने के बाद बोले, "दिल्‍ली में 26 जनवरी को तिरंगा का अपमान देख, देश बहुत दुखी भी हुआ।" 26 जनवरी को सैकड़ों किसान किले की प्राचीर तक पहुंच गए। उन्‍होंने वहां ठीक उस जगह पर दो झंडे लगा दिए, जहां हर साल 15 अगस्त पर प्रधानमंत्री तिरंगा फहराते हैं। पीएम मोदी ने क्‍या कहा? देखिए, 26 जनवरी की वो घटना जिसका पीएम मोदी ने किया जिक्र राष्‍ट्रपति ने भी घटना को बताया था 'दुर्भाग्‍यपूर्ण' राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस पर प्रदर्शनकारियों की ओर से लाल किले पर हुई घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताया था। शुक्रवार को संसद के बजट सत्र के अभिभाषण के दौरान इस मुद्दे पर बोलते हुए उन्‍होंने लोगों से संविधान के नियम-कायदों का पालन करने की अपील की। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा, पिछले दिनों तिरंगे और गणतंत्र दिवस जैसे पवित्र दिन का अपमान बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। जो संविधान हमें अभिव्यक्ति की आजादी का अधिकार देता है, वही संविधान हमें सिखाता है कि कानून और नियम का भी उतनी ही गंभीरता से पालन करना चाहिए। लाल किले पर आंदोलनकारियों ने किया था कब्‍जा ट्रैक्‍टर परेड में शामिल आंदोलनकारियों ने भीतर घुसकर लाल किले की प्राचीर तक पहुंचने वाले सभी गलियारों पर कब्जे कर लिया था। उनकी संख्या सैकड़ों में थी। कई प्रदर्शनकारी गुंबदों पर भी चढ़ गए थे और वहां भी झंडे लगा दिए थे। बाद में सुरक्षा बलों ने इन झंडों को नीचे उतारा। प्रदर्शनकारियों ने किले के अंदर भी काफी तोड़फोड़ मचाई। साइन बोर्ड, मेटल डिटेक्टर गेट्स, टिकट के काउंटर और कुर्सियां...उपद्रवियों ने सबकुछ तहस नहस कर दिया। टिकट काउंटर और प्रवेश गेट पर लगे शीशों के टुकड़े यहां बिखरे नजर आए। स्टील की रेलिंग्स को भी प्रदर्शनकारियों ने नुकसान पहुंचाया।


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मन की बात: लाल किले में हिंसा पर पीएम मोदी- 26 जनवरी को तिरंगे का अपमान देख पूरा देश दुखी https://ift.tt/2MIuNDn मन की बात: लाल किले में हिंसा पर पीएम मोदी- 26 जनवरी को तिरंगे का अपमान देख पूरा देश दुखी
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'जैश उल हिंद' ने लिया दिल्ली ब्‍लास्‍ट का जिम्‍मा, जानें जाधव की किडनैपिंग से कैसा कनेक्‍शन https://ift.tt/3pzCvhV

January 31, 2021
नई दिल्‍ली इजरायली दूतावास के बाहर हुए धमाके की जांच में जुटी सुरक्षा एजेंसियां ‘जैश-उल-हिंद’ के बारे में जानकारी जुटा रही हैं। कथित तौर पर इसी संगठन ने हमले की जिम्‍मेदारी ली है। जांच से जुड़े सूत्रों ने कहा कि अब से पहले ‘जैश-उल-हिंद’ नाम का कोई संगठन नहीं देखा गया। खुफिया एजेंसियों संगठन का पता टेलिग्राम के जरिए लगा। मेसेज में सबसे ऊपर ‘A STRIKE IN THE HEART OF DELHI’ लिखा है। अंग्रेजी में लिखे मेसेज के आखिर में धमकी दी है कि यह तो अभी सिर्फ शुरुआत है...आगे हम भारत के बड़े शहरों को टारगेट करेंगे। धमाके वाली जगह पर जांच का फोटो भी संगठन ने मेसेज के साथ पोस्ट किया है। सूत्रों की मानें, ‘जैश उल हिंद’ नाम का संगठन ‘जैश-उल-अद्ल’ की आइडियोलॉजी से जुड़ा हो सकता है। ईरान में ऐक्टिव है ‘जैश-उल-अद्ल’‘जैश-उल-अद्ल’ को ईरानी आतंकी संगठन माना जाता है। ‘जैश-उल-अद्ल’ संगठन ने ही कुलभूषण जाधव को ईरान के चाबहार पोर्ट से अगवा करके पाकिस्तानी सेना को सौंप दिया था। खुफिया एजेंसी के एक पूर्व अधिकारी की मानें तो ‘जैश-उल-अद्ल’ और ‘जैश-अल-अद्ल’ नाम के दोनों आतंकी संगठन दक्षिणपूर्वी ईरान बेस्ड है। इनका इलाका पाकिस्तान बॉर्डर से सटा है। अगर यह संगठन वाकई अस्तित्व में आया है, तो खतरे की घंटी है। इस समूह का दावा है कि यह सिस्‍तान और बलोचिस्‍तान की आजादी के लिए लड़ रहा है। ईरान का मानना है कि इस समूह का अल कायदा से भी जुड़ाव है। इसकी स्‍थापना साल 2012 में जुंदाल्‍लाह नाम के एक सुन्‍नी कट्टरपंथी समूह के लोगों ने की थी। इस समूह को ईरान के अलावा जापान, न्‍यूजीलैंड और अमेरिका तक में आतंकी संगठन करार दिया जा चुका है। जाधव को कैसे किया था अगवा?‘जैश-उल-अद्ल’ के पाकिस्‍तानी सेना और वहां की खुफिया एजेंसी आईएसआई से बेहद करीबी रिश्‍ते हैं। साल 2018 में यह बात सामने आई थी कि कुलभूषण जाधव को ईरान के चाबहार पोर्ट से मुल्‍ला उमर बलोच ईरानी नाम के आतंकी ने अगवा किया था। मुल्‍ला उमर इसी ‘जैश-उल-अद्ल’ से जुड़ा हुआ था। जाधव के हाथ बांध दिए गए, उसकी आंखों पर पट्टी डाली गई और फिर उसे एक कार में धकेल दिया गया। उसे ईरान-बलोचिस्‍तान बॉर्डर पर स्थित मश्‍केल नाम के कस्‍बे में लाया गया। यहां से उसे क्‍वेटा और फिर इस्‍लामाबाद ले जाया गया। बलोच ऐक्टिविस्‍ट मामा कदीर बलोच ने 2018 में एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्‍यू में पूरे अपहरण कांड की पोल खोली थी। 'ISI ने जैश-उल-अद्ल को दिए थे करोड़ों रुपये'कदीर बलोच ने दावा किया था कि जाधव को जैश-उल-अद्ल ग्रुप ने ईरान के सरबाज की गोल्डश्मिट सीमा के पास से किडनैप किया था। ये चाबहार से 52 किमी दूर है। जाधव को सरबाज एक व्यापार समूह ने बुलाया था। ये व्यापार समूह जैश-उल-अद्ल के लिए काम करता है। इस किडनैपिंग के लिए आईएसआई ने मुल्‍ला उमर को जाधव की किडनैपिंग के लिए करोड़ों रुपये दिए थे। बलोच के मुताबिक, पाकिस्‍तान को पता था कि जाधव ईरान में एक बिजनेसमैन है। वह कभी बलोचिस्‍तान आया ही नहीं। उसे ईरान से ही अगवा किया गया। बाद में आईएसआई ने दावा किया कि उन्‍होंने जाधव को बलोचिस्‍तान से पकड़ा।


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'जैश उल हिंद' ने लिया दिल्ली ब्‍लास्‍ट का जिम्‍मा, जानें जाधव की किडनैपिंग से कैसा कनेक्‍शन https://ift.tt/3pzCvhV 'जैश उल हिंद' ने लिया दिल्ली ब्‍लास्‍ट का जिम्‍मा, जानें जाधव की किडनैपिंग से कैसा कनेक्‍शन
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राज्‍यसभा में 15 नहीं, 13 फरवरी तक चलेगा बजट सत्र का पहला चरण https://ift.tt/3oBmDdg

January 31, 2021
नई दिल्‍ली संसद के ऊपरी सदन में बजट सत्र का पहला चरण 13 फरवरी को खत्‍म हो जाएगा। पहले यह 15 फरवरी को खत्‍म हो रहा था। राज्‍यसभा की बिजनस एडवाइजरी कमिटी ने रविवार को यह फैसला किया। इसके पहले यह तय हुआ था कि 15 फरवरी को सत्र का पहला चरण स्थगित कर दिया जाएगा और आठ मार्च से दूसरे चरण की बैठक शुरू होगी। सत्र को दो भाग में आयोजित करने के पीछे उद्देश्‍य था कि संसद की स्थायी समिति के लिए विभिन्न मंत्रालयों/विभागों की अनुदान की मांगों पर विचार करना आसान हो जाए। दो दिन पहले ही क्‍यों खत्‍म होगा पहला चरण?निर्धारित कार्यक्रम के मुताबिक, बजट सत्र का पहला चरण 29 जनवरी से आरंभ होकर 15 फरवरी (सोमवार) को पूरा होना था। 14-15 फरवरी को शनिवार-रविवार पड़ रहा है। आमतौर पर शनिवार और रविवार को सदन की बैठकें नहीं होती हैं और दोनों दिन अवकाश रहता है। ऐसा करने पर भी कामकाज के कुल दिनों की संख्या समान रहेगी। कोविड के चलते पिछले साल संसद के मॉनसून सत्र में शनिवार और रविवार को भी बैठकें हुई थीं। हंगामेदार रह सकता है बजट सत्रकिसान आंदोलन के बीच होने जा रहे बजट सत्र के खासा हंगामेदार होने की संभावना है। विपक्षी दलों ने एकजुट होकर नए कृषि कानूनों को लेकर केंद्र को घेरने की योजना बनाई है। 29 जनवरी को राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविंद के अभिभाषण का भी दर्जन भर से ज्‍यादा दलों ने बहिष्‍कार किया था। इनमें कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, नेशनल कांफ्रेंस, द्रमुक, तृणमूल कांग्रेस, शिवसेना, सपा, राजद, माकपा, भाकपा, आईयूएमएल, आरएसपी, पीडीपी, एमडीएमके, केरल कांग्रेस(एम) व अन्‍य शामिल थे।


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राज्‍यसभा में 15 नहीं, 13 फरवरी तक चलेगा बजट सत्र का पहला चरण https://ift.tt/3oBmDdg राज्‍यसभा में 15 नहीं, 13 फरवरी तक चलेगा बजट सत्र का पहला चरण
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किसान आंदोलन के बीच बोले पीएम मोदी, खेती को आधुनिक बनाने के लिए सरकार प्रतिबद्ध https://ift.tt/2YBLoLP

January 31, 2021
नयी दिल्ली तीन कृषि कानूनों को लेकर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर चल रहे किसानों के आंदोलन के बीच प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को कहा कि केंद्र सरकार खेती को आधुनिक बनाने को लेकर प्रतिबद्ध है और इस दिशा में उसके प्रयास आगे भी जारी रहेंगे। मोदी ने आकाशवाणी के अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ की ताजा कड़ी में यह बात कही। देश के विभिन्न इलाकों में नयी प्रौद्योगिकी की मदद से हिसालू यानी स्ट्रॉबेरी की खेती को लेकर बढ़ रहे उत्साह का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, ‘जो स्ट्रॉबेरी कभी, पहाड़ों की पहचान थी, वो अब कच्छ की रेतीली जमीन पर भी होने लगी है। किसानों की आय बढ़ रही है।’’ इस कड़ी में प्रधानमंत्री ने बुंदेलखंड के झांसी में पिछले दिनों हुए ‘‘स्ट्रॉबेरी महोत्सव’’ का उल्लेख किया और इसके लिए इसकी शुरुआत करने वाली वहां की कानून की छात्रा गुरलीन चावला की सराहना भी की। उन्होंने कहा कि बुंदेलखंड और स्ट्रॉबेरी की बात सुनकर हर किसी को आश्चर्य होता है लेकिन यह सच्चाई है। मोदी ने कहा कि अब बुंदेलखंड में स्ट्रॉबेरी की खेती को लेकर उत्साह बढ़ रहा है। उन्होंने कहा, ‘गुरलीन ने पहले अपने घर पर और फिर अपने खेत में स्ट्रॉबेरी की खेती का सफल प्रयोग कर ये विश्वास जगाया है कि झांसी में भी ये हो सकता है। झांसी का स्ट्रॉबेरी महोत्सव ‘स्टे एट होम’ की अवधारणा पर जोर देता है।’’ मोदी ने कहा कि इस महोत्सव के माध्यम से किसानों और युवाओं को अपने घर के पीछे खाली जगह पर, या छत पर बागवानी करने और स्ट्रॉबेरी उगाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है तथा नयी प्रौद्योगिकी की मदद से ऐसे ही प्रयास देश के अन्य हिस्सों में भी हो रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि स्ट्रॉबेरी महोत्सव का प्रयोग नवाचार की भावना को तो प्रदर्शित करता ही है, साथ ही यह भी दिखाता है कि देश का कृषि क्षेत्र कैसे नयी प्रौद्योगिकी को अपना रहा है। उन्होंने कहा, ‘खेती को आधुनिक बनाने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है और अनेक कदम उठा भी रही है। सरकार के प्रयास आगे भी जारी रहेंगे।’ केंद्र के तीन कृषि कानूनों को लेकर चल रहे किसानों के आंदोलन के बीच प्रधानमंत्री का यह बयान बहुत मायने रखता है और वह भी तब जब वह खेती के क्षेत्र में हो रहे बदलावों का उदाहरण देते हुए उन्होंने बुंदेलखंड का उल्लेख किया। उल्लेखनीय है कि सूखा और भुखमरी की समस्या को लेकर बुंदेलखंड प्राय: चर्चाओं में रहता है।


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किसान आंदोलन के बीच बोले पीएम मोदी, खेती को आधुनिक बनाने के लिए सरकार प्रतिबद्ध https://ift.tt/2YBLoLP किसान आंदोलन के बीच बोले पीएम मोदी, खेती को आधुनिक बनाने के लिए सरकार प्रतिबद्ध
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NSUI का आरोप- रोजगार देने में सरकार का रिकॉर्ड खराब, शुरू किया अभियान https://ift.tt/2Mj4jJ0

January 31, 2021
नई दिल्ली कांग्रेस से संबद्ध ने शनिवार को देश के युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराने में केंद्र सरकार के "खराब रिकॉर्ड" को उजागर करने के लिए एक अभियान शुरू किया। एनएसयूआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीरज कुंदन ने यहां कांग्रेस मुख्यालय में "नौकरी दो या डिग्री वापस लो" नामक अभियान शुरू किया। कुंदन ने एक कार्यक्रम में कहा, "हम बेरोजगार युवाओं से पांच लाख डिग्री एकत्र करेंगे। इस तरह से सरकार को बड़ी मात्रा में सबूत उपलब्ध कराए जाएंगे। यह मोदी सरकार की वास्तविकता को भी सामने लाएगा, जो देश में बेरोजगार युवाओं पर वास्तविक डेटा छिपा रही है।" एनएसयूआई प्रमुख ने दावा किया कि देश की मौजूदा बेरोजगारी दर 45 वर्षों में सबसे अधिक है और सरकार जो कुछ भी जनता को दिखा रही है वह सच्चाई नहीं है। उन्होंने कहा, "2019 में, बेरोजगारी की औसत दर 6.4 प्रतिशत थी, जो कि उसके पिछले तीन वर्षों की तुलना में बहुत अधिक है।" एनएसयूआई ने एक विज्ञप्ति में आरोप लगाया, "सरकार रोजगार देने में विफल रही है। इसने राष्ट्र के युवाओं के साथ विश्वासघात किया है।"


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NSUI का आरोप- रोजगार देने में सरकार का रिकॉर्ड खराब, शुरू किया अभियान https://ift.tt/2Mj4jJ0 NSUI का आरोप- रोजगार देने में सरकार का रिकॉर्ड खराब, शुरू किया अभियान
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'मुस्लिमों में डर' बयान पर बार-बार सवाल से बिदके हामिद अंसारी, अचानक छोड़ा इंटरव्यू https://ift.tt/3pzmkBe

January 31, 2021
नई दिल्ली पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने अपनी नई किताब को लेकर एक न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा कि सेक्युलरिजम सरकार की डिक्शनरी से गायब हो चुका है। हालांकि, 'मुस्लिमों में असुरक्षा' के अपने बहुचर्चित बयान से जुड़े सवालों के इंटरव्यू में बार-बार पूछे जाने पर उन्होंने न सिर्फ एंकर की मानसिकता पर सवाल उठाया बल्कि अचानक इंटरव्यू से भी उठ गए। 'जी न्यूज' पर शनिवार रात प्रसारित इंटरव्यू में अंसारी ने अपनी किताब में लिखी बात को दोहराते हुए कहा कि आज सरकार की डिक्शनरी में सेक्युलरिज्म शब्द है ही नहीं। यह पूछने पर कि क्या 2014 से पहले सरकार की डिक्शनरी में यह शब्द था, तब उनका जवाब था- हां, लेकिन पर्याप्त नहीं। इसके बाद एंकर ने एक के बाद एक काउंटर सवाल पूछना शुरू किया। इस क्रम में उनके सवालों में हिंदू आतंकवाद से लेकर तुष्टीकरण और 'मुस्लिमों में असुरक्षा', मॉब लिंचिंग जुड़ते गए और आखिरकार अंसारी अचानक इंटरव्यू छोड़कर चले गए। जब हिंदू आतंकवाद कहा जाता था, तब क्या सरकार की डिक्शनरी में सेक्युलरिज्म था, इस सवाल ने अंसारी का जायका बिगाड़ दिया। उन्होंने कहा कि इस तरह की बात उन्होंने तो नहीं कही है। किसी ए, बी, सी की कही बातों को मुझसे मत जोड़िए। जिन्होंने यह बात कही, उनसे ही पूछिए। 'आप 10 साल तक उपराष्ट्रपति रहे, एमएमयू के वीसी रहे, अल्पसंख्यक आयोग के प्रमुख रहे, राजनयिक रहे, देश ने आपको इतना कुछ दिया लेकिन आपने कार्यकाल के आखिरी दिन आपने कह दिया कि मुस्लिम असुरक्षित हैं, इसकी क्या वजह है?' एंकर के इस सवाल पर अंसारी ने कहा कि उन्होंने यह बात पब्लिक पर्सेप्शन के आधार पर कही है। इसी सिलसिले में उन्होंने लिंचिंग का भी जिक्र किया। काउंटर सवाल में जब एंकर ने पूछा कि लिंचिंग तो हिंदुओं की भी होती है, तब अंसारी ने कहा कि होती होगी। एंकर ने कई बार यह सवाल पूछा कि आपको आखिर क्यों लगा कि मुस्लिम असुरक्षित है, लेकिन अंसारी इसका कोई सीधा जवाब न देकर टालने की कोशिश कर रहे थे। वह बार-बार अपनी किताब के फुटनोट को ध्यान से पढ़ने की बात कह रहे थे। इसी दौरान एंकर ने कहा कि इंटरव्यू का मकसद उनकी किताब का प्रचार करना नहीं बल्कि उसमें उठाई गईं बातों पर सवाल करना है। बार-बार 'मुस्लिमों में असुरक्षा' वाले बयान पर ही सवाल पूछे जाने पर वह बिदक गए। उन्होंने एंकर से कहा कि आपकी मानसिकता ठीक नहीं है। क्या मैंने आपको इनवाइट किया था? आप किताब का रिव्यू कीजिए...आपकी मानसिकता ठीक नहीं है। ये कहते हुए वह अचानक थैंक्स कहकर इंटरव्यू से उठ गए। दरअसल उपराष्ट्रपति रहते हुए हामिद अंसारी ने यह बयान दिया था कि देश के मुसलमानों में असुरक्षा की भावना है। बेंगलुरु में नैशनल लॉ स्कूल ऑफ यूनिवर्सिटी के 25वें दीक्षांत समारोह में उन्होंने कहा था कि देश के अल्पसंख्यकों में असुरक्षा की आशंका बढ़ी है। बाद में कार्यकाल खत्म होने से एक दिन पहले राज्यसभा टीवी को दिए इंटरव्यू में भी उन्होंने ये बातें दोहराई थीं। हामिद अंसारी ने अपनी नई किताब 'बाय मेनी अ हैप्पी एक्सीडेंट: रीकलेक्शन ऑफ अ लाइफ' में लिखा है कि इन दोनों ही घटनाओं ने कुछ तबकों में नाराजगी पैदा की।


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'मुस्लिमों में डर' बयान पर बार-बार सवाल से बिदके हामिद अंसारी, अचानक छोड़ा इंटरव्यू https://ift.tt/3pzmkBe 'मुस्लिमों में डर' बयान पर बार-बार सवाल से बिदके हामिद अंसारी, अचानक छोड़ा इंटरव्यू
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सरकार अपनी मजबूरी तो बताए, वादा करते हैं उसका सिर नहीं झुकने देंगे: टिकैत https://ift.tt/39yp2kV

January 31, 2021
गाजियाबाद भारतीय किसान यूनियन के नेता ने शनिवार को केन्द्र सरकार से कहा कि वह खुद किसानों को बताए कि वह कृषि कानूनों को वापस क्यों नहीं लेना चाहती। हम वादा करते हैं कि सरकार का सिर दुनिया के सामने झुकने नहीं देंगे। ट्रैक्टर परेड में हिंसा के कारण किसान आंदोलन के कमजोर पड़ने के बाद एक बार फिर जोर पकड़ने के बीच टिकैत ने सरकार से कहा, ‘सरकार की ऐसी क्या मजबूरी है कि वह नए कृषि कानूनों को निरस्त नहीं करने पर अड़ी हुई है?’ टिकैत ने कहा कहा, ‘सरकार किसानों को अपनी बात बता सकती है। हम (किसान) ऐसे लोग हैं जो पंचायती राज में विश्वास करते हैं। हम कभी भी दुनिया के सामने सरकार का सिर शर्म से नहीं झुकने देंगे।’ किसान नेता ने कहा, ‘सरकार के साथ हमारी विचारधारा की लड़ाई है और यह लड़ाई लाठी/डंडों, बंदूक से नहीं लड़ी जा सकती और ना ही उसके जरिए इसे दबाया जा सकता है। किसान तभी घर लौटेंगे जब नए कानून वापस ले लिए जाएंगे।’ दरअसल 26 जनवरी को ट्रैक्टर परेड के दौरान लाल किले पर हुई हिंसा के बाद किसान आंदोलन कमजोर पड़ गया था। दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर प्रदर्शनस्थलों से ज्यादातर किसान बोरिया-बिस्तर समेटकर अपने-अपने घर जा चुके थे। कुछ किसान संगठनों ने आंदोलन से दूरी भी बना ली। किसान नेताओं के खिलाफ केस भी दर्ज किए गए। लेकिन गुरुवार को गाजीपुर बॉर्डर पर राकेश टिकैत के आंसू छलकने के बाद एक बार फिर आंदोलन ने जोर पकड़ लिया है। बड़ी तादाद में प्रदर्शनकारी विरोध-प्रदर्शन की जगहों पर पहुंच रहे हैं। गाजीपुर बॉर्डर पर तो पश्चिमी यूपी से ग्रामीण राकेश टिकैत के लिए घड़ों में पानी लेकर पहुंच रहे हैं क्योंकि उन्होंने कहा था कि वह सिर्फ यूपी का पानी पिएंगे। गाजीपुर प्रदर्शनकारियों को गुरुवार रात तक स्थान खाली करने का ‘अल्टीमेटम’ देने से दो दिन पहले ही स्थानीय प्रशासन ने प्रदर्शन स्थल पर बिजली-पानी की सप्लाई बंद कर दी थी। इसके चलते, टिकैत ने यह कहा था कि वह तभी पानी पिएंगे जब किसान अपने गांवों से यह लेकर आएंगे, लेकिन आंदोलन जारी रखेंगे। भावुक होने के बाद टिकैत की आंखे भर आई, जिन्होंने यह घोषणा की थी कि वह किसानों के लिए प्रदर्शन खत्म करने के बजाय आत्महत्या करना पसंद करेंगे। इसके बाद तो न सिर्फ गाजीपुर बॉर्डर बल्कि दूसरे प्रदर्शनस्थलों पर भी माहौल बदल गया।


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सरकार अपनी मजबूरी तो बताए, वादा करते हैं उसका सिर नहीं झुकने देंगे: टिकैत https://ift.tt/39yp2kV सरकार अपनी मजबूरी तो बताए, वादा करते हैं उसका सिर नहीं झुकने देंगे: टिकैत
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Mann Ki Baat: किसान आंदोलन के बीच आज पीएम मोदी करेंगे 'मन की बात' https://ift.tt/2NRB8NC

January 31, 2021
नई दिल्ली नए कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलन के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज रेडियो पर 'मन की बात' करेंगे। इसका प्रसारण सुबह 11 बजे आकाशवाणी के सभी केंद्रों से किया जाएगा। प्रधानमंत्री मोदी की 'मन की बात' का यह 73वां संस्करण है। दो महीने से ज्यादा वक्त से चल रहे किसान आंदोलन, गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में हुई हिंसा के बीच पीएम का यह कार्यक्रम काफी अहम है। एक दिन बाद बजट भी पेश होने वाला है। 'मन की बात' में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किसान आंदोलन को लेकर भी बात कर सकते हैं। इससे पहले शनिवार को सर्वदलीय बैठक में उन्होंने कहा कि किसानों को दिया गया सरकार का प्रस्ताव अब भी कायम है और किसान कृषि मंत्री से सिर्फ एक फोन कॉल की दूरी पर हैं। पीएम मोदी के इस बयान का सकारात्मक असर भी पड़ा क्योंकि संयुक्त किसान मोर्चा ने ऐलान किया कि सरकार के साथ बातचीत के दरवाजे को बंद रखने का कोई सवाल ही नहीं उठता। मन की बात का प्रसारण आकाशवाणी के साथ-साथ दूरदर्शन पर सुबह 11 बजे से होगा। इसके अलावा यह नरेंद्र मोदी ऐप पर भी उपलब्ध होगा। पीएम मोदी के ट्विटर हैंडल और फेसबुक पेज के जरिए भी इसे सुना जा सकता है। यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का इस साल का पहला 'मन की बात' भी है।


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Mann Ki Baat: किसान आंदोलन के बीच आज पीएम मोदी करेंगे 'मन की बात' https://ift.tt/2NRB8NC Mann Ki Baat: किसान आंदोलन के बीच आज पीएम मोदी करेंगे 'मन की बात'
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23 राज्यों में बर्ड फ्लू की पुष्टि, 10 में पोल्ट्री फार्म्स तक पहुंचा संक्रमण, जानें अपने राज्य का हाल https://ift.tt/3oxvDjJ

January 31, 2021
नई दिल्ली केंद्र सरकार ने शनिवार को बताया कि 10 राज्यों में पोल्ट्री बर्ड्स में बर्ड फ्लू फैलने की पुष्टि हुई है, जबकि 13 राज्यों में कौवे, प्रवासी और जंगली पक्षियों में इस बीमारी की जानकारी मिली है। प्रभावित क्षेत्रों में रोकथाम के लिए अभियान चलाए जा रहे हैं। केरल, हरियाणा, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड, गुजरात, उत्तर प्रदेश, पंजाब और जम्मू-कश्मीर ने पोल्ट्री पक्षियों में एवियन इंफ्लूएंजा फैलने की पुष्टि की है। वहीं मध्य प्रदेश, हरियाणा, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश, गुजरात, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली, राजस्थान, जम्मू-कश्मीर, पंजाब और बिहार में कौवे, प्रवासी और जंगली पक्षियों में बर्ड फ्लू की सूचना मिली है। जम्मू-कश्मीर के ऊधमपुर में घरेलू मुर्गी में एवियन इंफ्लूएंजा फैलने की पुष्टि हुई है। पशुपालन और डेयरी विभाग ने एक बयान में कहा, इसके अलावा हिमाचल के हमीरपुर जिले में कौवे में बर्ड फ्लू की पुष्टि हुई और बिहार के पश्चिमी चंपारण जिले में यह बीमारी एक मोर में पाई गई। बयान में कहा गया है कि हरियाणा, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, पंजाब और उत्तर प्रदेश के प्रभावित केंद्रों में नियंत्रण और रोकथाम अभियान (सफाई और कीटाणुशोधन) चल रहे हैं। उन स्थानों पर निगरानी कार्य चल रहा है, जहां मुर्गी पालन को छोड़कर बाकी पक्षियों की प्रजातियों में संक्रमण की पुष्टि हुई है। जिन किसानों के मुर्गी पक्षियों, अंडे और मुर्गी पालन आहार को राज्य सरकार के निर्देश पर मारा या निस्तारित किया जाता है, उन्हें मुआवजा दिया जा रहा है। सभी राज्य हर रोज बर्ड फ्लू की रोकथाम, नियंत्रण और रोकथाम के लिए संशोधित कार्य योजना पर अपनाए गए नियंत्रण उपायों के बारे में सूचित किया जा रहा है।


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23 राज्यों में बर्ड फ्लू की पुष्टि, 10 में पोल्ट्री फार्म्स तक पहुंचा संक्रमण, जानें अपने राज्य का हाल https://ift.tt/3oxvDjJ 23 राज्यों में बर्ड फ्लू की पुष्टि, 10 में पोल्ट्री फार्म्स तक पहुंचा संक्रमण, जानें अपने राज्य का हाल
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बातचीत पर नरम हुए दोनों पक्षों के सुर, किसान नेता बोले- खुला है दरवाजा https://ift.tt/36reAK4

January 31, 2021
नई दिल्ली केन्द्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन का नेतृत्व कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा ने शनिवार को कहा कि सरकार के साथ बातचीत का रास्ता बंद करने का सवाल ही पैदा नहीं होता। इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सर्वदलीय बैठक में कहा था कि किसान यूनियनों के साथ बातचीत के दौरान सरकार की तरफ से गई पेशकश अभी भी बरकरार है और कृषि मंत्री किसानों से बस एक फोन कॉल की दूरी पर हैं। फिर जगी बातचीत की उम्मीद सर्वदलीय बैठक में प्रधानमंत्री मोदी के इस बयान के बाद शाम को संयुक्त किसान मोर्चा की तरफ से बातचीत का रास्ता बंद नहीं होने का बयान महत्वपूर्ण है। आंदोलन में शामिल किसान नेताओं ने महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर ‘सद्भावना दिवस’ मनाया और पूरे दिन का उपवास रखा। सरकार और किसानों के बीच पिछले हफ्ते हुई बातचीत में सरकार ने साफ कर दिया था कि कानूनों को डेढ़-दो साल तक टालने के प्रस्ताव से आगे वह नहीं झुकेगी। उसके बाद से ही इसे लेकर संदेह के बादल मंडरा रहे हैं कि क्या फिर से सरकार और किसान बातचीत की मेज पर आएंगे। अपनी चुनी हुई सरकार से बात के लिए दिल्ली की चौखट तक आए हैं: किसान नेता मोर्चा के नेता दर्शन पाल की तरफ से जारी बयान के अनुसार, 'किसान अपनी चुनी हुई सरकार से बातचीत करने के लिए दिल्ली के दरवाजे तक चल कर आए हैं, इसलिए किसान संगठनों की तरफ से सरकार से बातचीत का दरवाजा बंद किए जाने का सवाल ही पैदा नहीं होता।’ किसान संगठनों और केन्द्र सरकार के बीच अंतिम बातचीत 22 जनवरी को हुई थी। कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग पर कायम हैं किसान नेता मोर्चा ने अपने बयान में कहा है कि यूनियनें तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने और फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानूनी गारंटी देने की अपनी मांग जारी रखेंगी। मोर्चा ने को ‘कमजोर और बर्बाद करने’ के पुलिस के कथित प्रयासों की भी आलोचना की। आंदोलनकारी किसानों ने एक दिन का उपवास रखा पाल ने एक बयान में कहा, ‘यह स्पष्ट है कि पुलिस शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों पर हमलों को बढ़ावा दे रही है। पुलिस और बीजेपी के गुंड़ों की तरफ से लगातार की जा रही हिंसा सरकार के भीतर के डर को दिखाती है।’ बयान में कहा गया है कि दिल्ली की सभी सीमाओं सहित पूरे देश में आज एक दिन का उपवास रखा गया। किसानों ने अपना आंदोलन शांतिपूर्ण तरीके से जारी रखने की शपथ ली। बयान के अनुसार, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, कर्नाटक, गुजरात और अन्य राज्यों में भी किसानों के उपवास करने की सूचना है। वहीं बिहार में मुजफ्फरपुर और नालंदा जिलों सहित अन्य जिलों में सद्भावना दिवस पर मानव श्रृंखला बनाई गई।


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बातचीत पर नरम हुए दोनों पक्षों के सुर, किसान नेता बोले- खुला है दरवाजा https://ift.tt/36reAK4 बातचीत पर नरम हुए दोनों पक्षों के सुर, किसान नेता बोले- खुला है दरवाजा
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चुनाव आते ही ममता को झटके पे झटका, TMC के 5 दिग्गज नेता बीजेपी में शामिल https://ift.tt/3r3rcPm

January 31, 2021
कोलकाता/नई दिल्लीकेंद्रीय गृहमंत्री का पश्चिम बंगाल का दौरा भले ही रद्द हो गया हो, मगर दिल्ली में बैठकर ही चले गए उनके दांव से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को एक बार फिर बड़ा झटका लगा है। कोलकाता से विशेष फ्लाइट से दिल्ली पहुंचे तृणमूल कांग्रेस के तीन बागी विधायकों सहित पांच नेता गृहमंत्री अमित शाह की मौजूदगी में बीजेपी में शामिल हो गए हैं। इन नेताओं में ममता सरकार में मंत्री पद से इस्तीफा देने वाले विधायक , प्रबीर घोषाल और प्रमुख हैं। वहीं, हावड़ा के पूर्व मेयर रथीन चक्रवर्ती और पार्थसारथी भी बीजेपी में शामिल हुए हैं। बताया जा रहा है कि रविवार को हावड़ा में होने वाली स्मृति ईरानी की रैली में सभी पांचों नेता बीजेपी का मंच शेयर करेंगे। दरअसल, गृहमंत्री अमित शाह का 30 और 31 जनवरी को पश्चिम बंगाल का दौरा करना था। इस दौरान तृणमूल कांग्रेस सरकार में मंत्री पद से इस्तीफा देने वाले राजीव बनर्जी सहित पांच नेताओं के बीजेपी में शामिल होने का कार्यक्रम तय था। मगर, दिल्ली में बम ब्लास्ट और किसानों के आंदोलन को देखते हुए गृहमंत्री अमित शाह का ऐन वक्त पर दौरा स्थगित हो गया था। बावजूद इसके तृणमूल कांग्रेस के बागी नेताओं की जॉइनिंग पर कोई असर नहीं पड़ा। विशेष प्‍लेन से दिल्‍ली पहुंचे थे बागी पश्चिम बंगाल के प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मुकुल रॉय तृणमूल कांग्रेस के पांचों नेताओं को कोलकाता से शाम चार बजे की विशेष फ्लाइट से लेकर दिल्ली पहुंचे। इसके बाद सभी नेता गृहमंत्री अमित शाह के आवास पर पहुंचे और बीजेपी में शामिल हो गए। अमित शाह ने मुझे दिल्‍ली बुलाया: राजीव बनर्जी गौरतलब है कि प्रबीर घोषाल और वैशाली डालमिया को हाल ही में तृणमूल कांग्रेस से निष्कासित किया गया है। बीजेपी में शामिल होने से पहले राजीव बनर्जी ने कहा कि उनकी केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से बातचीत हुई है जिन्होंने उन्हें राष्ट्रीय राजधानी बुलाया है। उन्होंने एक बांग्ला समाचार चैनल से कहा, ‘तृणमूल कांग्रेस से मेरे इस्तीफे के बाद मुझे बीजेपी नेतृत्व से फोन आया। अमित शाह ने मुझे दिल्ली आने को कहा। ’ बीजेपी में उनकी संभावित भूमिका के संबंध में पूछे जाने पर बनर्जी ने कहा कि यह पार्टी को तय करना है। हम असंतुष्टों को सेना की तैनाती कर नहीं रोक सकते: TMC वहीं, इस पर तृणमूल कांग्रेस की प्रतिक्रिया सामने आई है। वरिष्ठ सांसद और पार्टी प्रवक्ता सौगत रॉय ने कहा, ‘जो लोग छोड़कर गए हैं, उनका कोई लंबा राजनीतिक इतिहास नहीं है और उनमें से अधिकतर को पार्टी में ममता बनर्जी ने शामिल किया था। भविष्य में तृणमूल कांग्रेस सतर्क रहेगी।’ तृणमूल कांग्रेस के अन्य वरिष्ठ नेता और मंत्री सुब्रत मुखर्जी ने कहा, ‘यदि कोई जाना चाहता है तो क्या किया जा सकता है? हम एक बड़ी पार्टी हैं। हम असंतुष्टों को सेना की तैनाती कर नहीं रोक सकते।’


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चुनाव आते ही ममता को झटके पे झटका, TMC के 5 दिग्गज नेता बीजेपी में शामिल https://ift.tt/3r3rcPm चुनाव आते ही ममता को झटके पे झटका, TMC के 5 दिग्गज नेता बीजेपी में शामिल
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दिल्ली हिंसा: अब थरूर के खिलाफ दिल्ली में भी FIR, पायलट बोले- आजादी का घोंटा जा रहा गला https://ift.tt/3t4JpOe

January 31, 2021
नई दिल्ली दिल्ली पुलिस ने गणतंत्र दिवस के दिन हुई हिंसा के दौरान आईटीओ पर एक प्रदर्शनकारी की मौत के बारे में लोगों को कथित रूप से गुमराह करने को लेकर कांग्रेस सांसद शशि थरूर, पत्रकार राजदीप सरदेसाई, द कारवां और अन्य के खिलाफ एक मामला दर्ज किया है। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि आईपी एस्टेट थाने में आईपीसी की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है। इससे पहले यूपी और मध्य प्रदेश में भी थरूर और 6 पत्रकारों के खिलाफ केस दर्ज हो चुके हैं। कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। उन्होंने ट्वीट किया, 'कांग्रेस नेता शशि थरूर और पत्रकारों के खिलाफ राजद्रोह के आरोप में एफआईआर दर्ज होना दुर्भाग्यपूर्ण है। यह अभिव्यक्ति की आजादी का गला घोंटने की कोशिश है।' इससे पहले थरूर और 6 पत्रकारों पर नोएडा पुलिस ने दिल्ली में किसानों की ट्रैक्टर रैली के दौरान हिंसा को लेकर राजद्रोह समेत अन्य आरोपों को लेकर मामला दर्ज किया था। अधिकारियों ने यह जानकारी थी। मध्यप्रदेश पुलिस ने भी दिल्ली में किसानों की ट्रैक्टर रैली के दौरान हिंसा के बारे में ‘गुमराह करने वाले ट्वीट’ को लेकर थरूर और 6 पत्रकारों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। 26 जनवरी को हजारों प्रदर्शनकारी किसान ट्रैक्टर परेड के दौरान पुलिसकर्मियों से भिड़ गए थे। किसान यूनियनों ने केंद्र के तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर यह ट्रैक्टर परेड निकाली थी। कई प्रदर्शनकारी ट्रैक्टर चलाते हुए लालकिला पहुंच गए थे। कुछ ने तो ऐतिहासिक लाल किले पर एक धार्मिक झंडा भी फहरा दिया था।


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दिल्ली हिंसा: अब थरूर के खिलाफ दिल्ली में भी FIR, पायलट बोले- आजादी का घोंटा जा रहा गला https://ift.tt/3t4JpOe दिल्ली हिंसा: अब थरूर के खिलाफ दिल्ली में भी FIR, पायलट बोले- आजादी का घोंटा जा रहा गला
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कोरोना को हराने की कवायद तेज, अब तक देश में 35 लाख से अधिक लोगों को लगा टीका https://ift.tt/2YqGdOS

January 30, 2021
नई दिल्ली देश भर में अब तक 35 लाख से अधिक लाभार्थियों को कोविड-19 का टीका लगाया जा चुका है, जिनमें से पिछले 24 घंटे में 5,70,000 लोगों को टीका लगाया गया। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने शनिवार को बताया कि कुल 35,00,027 लाभार्थियों में से उत्तर प्रदेश में सर्वाधिक 4,63,793 लोगों को टीका लगाया गया। इसके बाद राजस्थान में 3,24,973, कर्नाटक में 3,07,891 और महाराष्ट्र में 2,61,320 लोगों को टीका लगाया गया। मंत्रालय ने एक बयान में बताया कि पिछले 24 घंटे में 10,809 सत्रों में कुल 5,71,974 लोगों को टीका लगाया गया। अब तक कुल 63,687 सत्र आयोजित किए जा चुके हैं। बयान में कहा गया, ‘‘भारत में उपचाराधीन लोगों की संख्या 1.7 लाख से कम (1,69,824) हो गई है। अब उपचाराधीन मरीजों की संख्या देश में संक्रमित पाए गए लोगों की कुल संख्या का 1.6 प्रतिशत से भी कम (1.58 प्रतिशत) है।’’ मंत्रालय ने बताया कि लोगों के संक्रमित पाए जाने की साप्ताहिक दर नौ राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों में राष्ट्रीय औसत से अधिक है। केरल में लोगों के संक्रमित पाए जाने की सर्वाधिक साप्ताहिक दर (12.20 प्रतिशत) है और इसके बाद चंडीगढ़ का नंबर (7.30 प्रतिशत) आता है।


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कोरोना को हराने की कवायद तेज, अब तक देश में 35 लाख से अधिक लोगों को लगा टीका https://ift.tt/2YqGdOS कोरोना को हराने की कवायद तेज, अब तक देश में 35 लाख से अधिक लोगों को लगा टीका
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देश की कई अदालतों में जजों के पद खाली, जानें भर्ती के लिए सुप्रीम कोर्ट को किसका इंतजार https://ift.tt/3j1tfjY

January 30, 2021
नई दिल्ली देश के विभिन्न हाई कोर्ट की ओर से नए जजों की नियुक्ति के लिए महीनों पहले जो सिफारिशें भेजी गईं थीं उन पर उच्चतम न्यायालय के कॉलेजियम ने अब तक कोई अंतिम फैसला नहीं लिया है। वहीं देश के उच्चतम न्यायालय में भी न्यायाधीशों के चार पद रिक्त हैं। सरकार के सूत्रों ने यह बताया। उन्होंने बताया कि विधि एवं न्याय मंत्रालय को इस संबंध में न्यायालय के कॉलेजियम से कोई सिफारिशें प्राप्त नहीं हुई है। उच्चतम न्यायालय में पहला पद नवंबर 2019 में भारत के तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति रंजन गोगोई के सेवानिवृत्त होने से रिक्त हुआ था। इसके बाद, न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता, न्यायमूर्ति आर. भानुमति और न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा भी सेवानिवृत्त हो गए। शीर्ष न्यायालय में न्यायाधीशों के 34 पद हैं जिनमें से 30 ही भरे हैं। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि उच्चतम न्यायालय में इन रिक्त पदों को भरने के लिए सरकार को कॉलेजियम की ओर से कोई अनुशंसा प्राप्त नहीं हुई है। वहीं, न्यायाधीशों के सेवानिवृत्त होने, इस्तीफे देने तथा पदोन्नति होने के कारण अदालतों में रिक्त पदों की संख्या बढ़ती जा रही है। उच्चतम न्यायालय तथा 25 उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति की प्रक्रिया के तहत शीर्ष अदालत का कॉलेजियम उम्मीदवारों के नामों की सिफारिश सरकार को भेजता है जो या तो इन प्रस्तावों को स्वीकार कर लेती है या फिर प्रस्ताव को पुन: विचार के लिए लौटा देती है। कॉलेजियम में प्रधान न्यायाधीश तथा शीर्ष अदालत के चार वरिष्ठतम न्यायाधीश होते हैं। अधिकारी ने बताया कि उच्च न्यायालयों में 23 न्यायाधीशों को नियुक्त करने के लिए विभिन्न उच्च न्यायालयों के कॉलेजियम ने जो प्रस्ताव भेजे हैं उन पर शीर्ष अदालत के कॉलेजियम ने अब तक कोई निर्णय नहीं लिए हैं तथा ये प्रस्ताव कई महीनों से लंबित हैं। कुछ प्रस्ताव तो दो से तीन वर्ष से लंबित हैं।


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देश की कई अदालतों में जजों के पद खाली, जानें भर्ती के लिए सुप्रीम कोर्ट को किसका इंतजार https://ift.tt/3j1tfjY देश की कई अदालतों में जजों के पद खाली, जानें भर्ती के लिए सुप्रीम कोर्ट को किसका इंतजार
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केंद्र ने राज्यों से कहा, कोरोना वैक्सीन लेने वालों की संख्या बढ़ाएं https://ift.tt/2YuZQFC

January 30, 2021
नई दिल्ली केंद्र ने शनिवार को राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से कोरोना का टीका लगवाने वाले लाभार्थियों की संख्या और प्रतिदिन टीकाकरण सत्रों को बढ़ाने के लिए कहा है। केंद्रीय ने एक बयान में कहा है कि राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को अग्रिम पंक्ति के कर्मचारियों का फरवरी के पहले सप्ताह से टीकाकरण शुरू करने के लिए कहा गया है। केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण की अध्यक्षता में एक समीक्षा बैठक के दौरान यह बात कही गई है। बयान में कहा गया है, 'हालांकि कुछ राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 50 प्रतिशत से अधिक टीकाकरण कवरेज है, उन्हें टीकाकरण लाभार्थियों के प्रतिशत कवरेज में सुधार करने की सलाह दी गई है क्योंकि कई राज्य और केंद्र शासित प्रदेश हैं जिन्हें इस मापंदड पर अपने प्रदर्शन में सुधार करने की आवश्यकता है।' स्वास्थ्य सचिव ने बताया कि कोविड-19 टीका पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है और कोविन पर तकनीकी गड़बड़ियां अब हल हो गई हैं। बयान में कहा गया है, 'राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को यह सुनिश्चित करने की सलाह दी गई कि उभरती चुनौतियों का आकलन करने, जमीनी मुद्दों को समझने और उचित स्तरों पर तुरंत उनका समाधान करने के वास्ते राज्य, जिला और ब्लॉक कार्य बल की नियमित समीक्षा बैठकों का आयोजन किया जाये।' राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को जहां भी संभव हो, स्वास्थ्य केंद्र में प्रतिदिन एक साथ कई टीकाकरण सत्र आयोजित करने के लिए कहा गया। बयान में कहा गया है, 'राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों को यह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम उठाने को कहा गया है कि टीका लगवाने वाले लाभार्थियों को केंद्र से जाने से पहले टीकाकरण प्रमाण पत्र जारी किए जाएं।' राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के स्वास्थ्य अधिकारियों को इस चरण के सुचारू कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक योजना बनाने की सलाह दी गई।


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केंद्र ने राज्यों से कहा, कोरोना वैक्सीन लेने वालों की संख्या बढ़ाएं https://ift.tt/2YuZQFC केंद्र ने राज्यों से कहा, कोरोना वैक्सीन लेने वालों की संख्या बढ़ाएं
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राकेश टिकैत की आंखों में आंसू देखकर फिर जुटे किसान, आंदोलन में आया नया जोश https://ift.tt/39vkPyc

January 30, 2021
नई दिल्ली भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के नेता के आंसुओं से वह भावनात्मक खिंचाव उत्पन्न हुआ जिसकी कल्पना उन्होंने भी नहीं की थी। इससे उस में फिर से गति आ गई जो गणतंत्र दिवस समारोह में हिंसा होने के बाद खो गई थी। राकेश टिकैत किसी समय में दिल्ली पुलिस में कान्स्टेबल थे। उन्होंने चुनावों में भी हाथ आजमाया और वर्षों तक किसान नेता रहे। हालांकि भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) नेता टिकैत ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश से बाहर निकलकर राष्ट्रीय सुर्खियों में जगह बनायी और उन्होंने वर्तमान समय में सबसे शक्तिशाली किसान नेता के रूप में खुद को स्थापित किया है। केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ गत दो महीने से बड़ी संख्या में किसान दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाले हुए हैं जिसमें सिंघू, गाजीपुर और टिकरी बार्डर शामिल हैं। इन किसानों में अधिकतर पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं। अब, ध्यान दिल्ली-उत्तर प्रदेश सीमा पर गाजीपुर स्थानांतरित हो गया है जहां किसान हजारों की संख्या में अपनी लड़ाई को आगे बढ़ाने के लिए इकट्ठा हो रहे हैं। यह आंदोलन दो दिन पहले कमजोर पड़ता दिखायी दे रहा था। दिल्ली में गणतंत्र दिवस के दिन किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा के एक दिन बाद ऐसा प्रतीत हो रहा था कि किसान आंदोलन खत्म हो रहा है, उनका मनोबल टूट गया है और कई किसान घर लौट गए। बुधवार रात में गाजीपुर में माहौल तनावपूर्ण था। गाजियाबाद प्रशासन ने प्रदर्शनकारियों को अल्टीमेटम जारी किया और उन्हें दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे के एक हिस्से से हटने को कहा। जब वहां सुरक्षा कड़ी की गई और बड़ी संख्या में सुरक्षा कर्मियों की तैनाती की गई तो ऐसा लगा कि उन्हें वहां से जबर्दस्ती हटाया जाएगा लेकिन संवाददाताओं बात करते हुए टिकैत रो पड़े। उन्होंने कहा, 'प्रदर्शन समाप्त नहीं किया जाएगा। किसानों के साथ अन्याय हो रहा है।' यहां तक कि उन्होंने अपना जीवन समाप्त करने की भी धमकी दे दी। जल्द ही यह पता चल गया कि 51 वर्षीय टिकैत जो 28 नवंबर से गाजीपुर सीमा पर बीकेयू समर्थकों का नेतृत्व कर रहे हैं वह कोई साधारण व्यक्ति नहीं हैं। सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन जारी रखने के उनके आह्वान ने एक गहरा भावनात्मक माहौल उत्पन्न किया। उनका वीडियो कई सोशल मीडिया मंचों पर प्रसारित हुआ। इसके बाद उनके भाई नरेश टिकैत ने शुक्रवार को अपने गृह नगर मुजफ्फरनगर में एक 'महापंचायत' का आयोजन किया, जहां हज़ारों किसान आंदोलन का समर्थन करने के लिए एकत्रित हुए। गाजीपुर बॉर्डर पर भीड़ बृहस्पतिवार की रात घटकर अगले 12 घंटे में कई गुना बढ़ गई और अगले 24 घंटों में 5,000 से अधिक हो गई। किसान आंदोलन न केवल पुनर्जीवित हुआ बल्कि उसमें नयी ऊर्जा आ गई। टिकैत जारी विरोध प्रदर्शन को लेकर केंद्र के साथ बात कर रहे प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा रहे हैं। वह दिल्ली में 26 जनवरी की हिंसा के आरोपियों में से एक हैं जिसमें एक किसान की मौत भी हो गई थी जब उसका ट्रैक्टर पलट गया था। साथ ही उक्त हिंसा में बड़ी संख्या में पुलिस कर्मियों भी घायल हुए थे। टिकैत ने साजिश के आरोपों से इनकार किया है और हिंसा की न्यायिक जांच की मांग की है। उन्होंने हिंसा के लिए ट्रैक्टर परेड में घुस आये घुसपैठियों को दोषी ठहराया है। दिल्ली पुलिस द्वारा उन्हें आरोपी बनाया जाना उनके लिए शायद अजीब है, जिन्होंने बल में एक हेड कांस्टेबल के रूप में काम किया है। लेकिन उन्होंने 1992-93 में तब बल छोड़ दिया था जब उन्हें अपने पिता महेंद्र सिंह टिकैत के नेतृत्व वाले किसान आंदोलन से निपटना पड़ा था। चार जून, 1969 को पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मुज़फ़्फ़रनगर जिले के सिसौली गाँव में जन्मे राकेश टिकैत दिल्ली पुलिस छोड़ने के बाद बीकेयू में शामिल हो गए थे और मई 2011 में अपने पिता की कैंसर से मृत्यु के बाद एक किसान नेता के रूप में प्रसिद्धि प्राप्त की। महेंद्र सिंह टिकैत किसानों के एक बड़े नेता था जिन्हें किसानों का मसीहा कहा जाता था। उन्हें क्षेत्रीय बालियान खाप (उत्तर भारत के कुछ हिस्सों में एक सामाजिक और प्रशासनिक व्यवस्था) के 'चौधरी' का पद का मिला था। खाप की परंपरा के अनुसार, यह उपाधि उनके बड़े बेटे और राकेश टिकैत के बड़े भाई नरेश टिकैत को मिली। मेरठ विश्वविद्यालय से बीए स्नातक राकेश टिकैत को बीकेयू का राष्ट्रीय प्रवक्ता बनाया गया। उनके दो छोटे भाई हैं - सुरेंद्र, जो एक चीनी मिल में प्रबंधक के रूप में काम करते हैं और नरेंद्र जो कृषि में लगे हुए हैं। दो बेटियों और एक बेटे के पिता राकेश टिकैत के, किसानों के मुद्दों पर कई सरकारों के साथ मतभेद रहे हैं। उन्होंने चुनावों में भी हाथ आजमाया लेकिन दोनों बार हार गए। उन्होंने 2007 में, एक निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में मुजफ्फरनगर में खतौली निर्वाचन क्षेत्र से उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव लड़ा। 2014 में, उन्होंने राष्ट्रीय जनता दल (रालोद) के टिकट पर अमरोहा जिले से लोकसभा चुनाव लड़ा। 2014 के चुनावों से पहले, टिकैत ने 4.25 करोड़ रुपये की संपत्ति घोषित की थी, जिसमें 10 लाख रुपये नकद और 3 करोड़ रुपये से अधिक की भूमि के साथ 10.95 लाख रुपये की देनदारियां शामिल थीं। उन्होंने अपने चुनावी हलफनामे में अपने खिलाफ तीन आपराधिक मामले लंबित रहने की भी घोषणा की थी। ये मामले उत्तर प्रदेश के मेरठ और मुजफ्फरनगर और मध्य प्रदेश के अनूपपुर में दर्ज किए गए थे। नए कृषि कानूनों को लेकर केंद्र के साथ गतिरोध के बीच गाजीपुर सीमा पर जब टिकैत की आंखों में आंसू आये तो इससे उनके समर्थक भी भावुक हो गए। ग्रामीण भावनाओं से अभिभूत होकर, बच्चों सहित पानी, घर का बना भोजन और छाछ लेकर प्रदर्शन स्थल पर पहुंचे। टिकैत ने घोषणा की थी कि वह तभी पानी पीएंगे जब किसान इसे लाएंगे क्योंकि स्थानीय प्रशासन ने विरोध स्थल पर पानी के टैंकरों को रोक दिया था।


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राकेश टिकैत की आंखों में आंसू देखकर फिर जुटे किसान, आंदोलन में आया नया जोश https://ift.tt/39vkPyc राकेश टिकैत की आंखों में आंसू देखकर फिर जुटे किसान, आंदोलन में आया नया जोश
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अमेरिका में रह रहे भारतीयों के लिए वीजा सिस्टम को सरल करने की मांग, इमर्जेंसी में भी वतन वापसी हो रही है मुश्किल https://ift.tt/3ovqj0d

January 30, 2021
नई दिल्लीकोविड महामारी ने पूरे विश्व में लोगों के आने-जाने की प्रक्रिया को जटिल बना दिया है। खासकर एक देश से दूसरे देश जाने की प्रक्रिया और कठिन हो गई है। कुछ ऐसी ही जटिलता का सामना कर रहे हैं अमेरिका में रह रहे भारतीय जिन्हें वहां की नागरिकता मिल चुकी है और अब मूल देश आने के लिए वीजा की जरूरत है। अमेरिका में रहने वाले ऐसे मूल भारतीयों का कहना है कि वहां 90 फीसदी से अधिक वीजा बतौर पर्यटक दी जाती है। ऐसे में अमेरिका की नागरिकता हासिल कर चुके लोंगों को परिवार वालों से मिलने से लेकर स्वास्थ्य और दूसरी जरूरतों के लिए यही दी जाती है। कोविड काल में ऐसी वीजा को सस्पेंड कर देने से कई जरूरी काम प्रभावित हो गए। लोग जरूरी काम के लिए भी नहीं आ पा रहे हैं। इन लोगों ने ऐसे वीजा को कम से कम सीमित स्तर पर ही सही, शुरू करने का आग्रह किया है ताकि जरूरी कामों के लिए वे भारत आ सके। टूरिस्ट वीजा पर रोक लगाने के बाद अगर किसी को भारत आना है तो उसके लिए आपात वीजा का विकल्प रखा गया, लेकिन इसकी प्रक्रिया काफी जटिल कर दी गई है। मिलने में 7 दिन से 30 तक लग जा रहे हैं जो जरूरत के हिसाब से देर है। वे इस आपात वीजा प्रक्रिया को भी सुलभ बनाने की मांग कर रहे हैं। इसके अलावा कोविड महामारी के बाद 24 घंटे हेल्पलाइन के अभाव के कारण हो रही दिक्कतों को भी उठाया गया है। उनकी शिकायत है कि हेल्पलाइन कभी सबसे मजबूत कड़ी थी मसले को सुलझाने के लिए लेकिन कोविड काल के बाद अब यहां प्रभावी मदद नहीं मिल रही है। अमेरिकी-भारतीय की इस समस्या को सुलझाने के लिए पिछले कुछ महीनों से आवाज उठाने वाले प्रेम भंडारी ने कहा कि जिस तरह की दिक्कतें हो रहीं, उन्हें तत्काल प्राथमिकता के स्तर पर ठीक करने की जरूरत है। इस बारे में इन तमाम जरूरतमंद लोगों की ओर से विदेश मंत्रालय को चिट्ठी भी लिखी गई है।


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अमेरिका में रह रहे भारतीयों के लिए वीजा सिस्टम को सरल करने की मांग, इमर्जेंसी में भी वतन वापसी हो रही है मुश्किल https://ift.tt/3ovqj0d अमेरिका में रह रहे भारतीयों के लिए वीजा सिस्टम को सरल करने की मांग, इमर्जेंसी में भी वतन वापसी हो रही है मुश्किल
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किसानों का उपद्रव: सबूत जुटाने लालकिला गई फॉरेंसिक विशेषज्ञों की टीम https://ift.tt/3pChO4T

January 30, 2021
नई दिल्ली फॉरेंसिक विशेषज्ञों की एक टीम गणतंत्र दिवस पर किसानों की ‘ट्रैक्टर परेड’ के दौरान भड़की हिंसा के सिलसिले में साक्ष्य एकत्र करने के लिए शनिवार को लालकिला पहुंची। 26 जनवरी को किसान संगठनों की ‘ट्रैक्टर परेड’ के दौरान हजारों की संख्या में प्रदर्शनकारी निर्धारित मार्ग से अलग हो गए थे और पुलिस के साथ उनकी झड़प हुई थी। अनेक प्रदर्शनकारी लालकिले में प्रवेश कर गए थे। दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा इस मामले की जांच कर रही है और दोषियों की पहचान करने के लिए कई टीमें गठित की गई हैं। पुलिस ने लालकिला परिसर में तोड़फोड़ किए जाने की घटना को ‘‘राष्ट्र विरोधी गतिविधि’’ बताया है। इस संबंध में एक अधिकारी ने कहा, ‘‘फॉरेंसिक विशेषज्ञों की एक टीम ने लालकिले का दौरा किया और यह साक्ष्य एकत्र कर रही है।’’ केंद्र के नए कृषि कानूनों को रद्द करने की अपनी मांग के समर्थन में किसान संगठनों की ‘ट्रैक्टर परेड’ के दौरान प्रदर्शनकारी किसानों की पुलिस के साथ झड़प हुई थी। अनेक प्रदर्शनकारी ट्रैक्टर चलाते हुए लालकिला परिसर पहुंच गए थे, जबकि उनमें से कुछ ने इस ऐतिहासिक स्मारक के गुंबदों और उस प्राचीर पर धार्मिक झंडा लगा दिया था, जहां देश के प्रधानमंत्री स्वतंत्रता दिवस पर ध्वाजारोहण करते हैं।


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किसानों का उपद्रव: सबूत जुटाने लालकिला गई फॉरेंसिक विशेषज्ञों की टीम https://ift.tt/3pChO4T किसानों का उपद्रव: सबूत जुटाने लालकिला गई फॉरेंसिक विशेषज्ञों की टीम
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नैशनल हेरल्ड मामले में अदालत ने मोतीलाल वोरा के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही रद्द की https://ift.tt/3owew1J

January 30, 2021
नई दिल्ली दिल्ली की एक अदालत ने कांग्रेस नेता के निधन के कारण नैशनल हेरल्ड मामले में उनके खिलाफ आपराधिक कार्यवाही रद्द कर दी है। अदालत भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी द्वारा वोरा, कांग्रेस नेताओं सोनिया गांधी और राहुल गांधी और अन्य के खिलाफ दायर एक निजी आपराधिक शिकायत पर सुनवाई कर रही थी। आरोपी की ओर से पेश वकील तरन्नुम चीमा ने वोरा के मृत्यु प्रमाण पत्र को रिकॉर्ड करने के लिए आवेदन की मूल प्रति दाखिल की और उनके खिलाफ कार्यवाही निरस्त करने का अनुरोध किया। इसके बाद अदालत ने यह आदेश पारित किया। अदालत ने वोरा की मौत की सत्यापन रिपोर्ट दाखिल करने के लिए संबंधित एसएचओ को नोटिस जारी किया, जिन्होंने बताया कि 21 दिसंबर, 2020 को कांग्रेस नेता की मृत्यु हो गई थी। अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट सचिन गुप्ता ने 28 जनवरी को दिए एक आदेश में कहा, 'दाखिल रिपोर्ट के मद्देनजर मौजूदा मामले में मोतीलाल वोरा के खिलाफ कार्यवाही रोकी जाती है।' अन्य आरोपी लोगों के खिलाफ मामला चलता रहेगा। अदालत मामले में 11 फरवरी को सुनवाई करेगी। मामले में सभी सात आरोपियों सोनिया, राहुल गांधी, कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ऑस्कर फर्नांडीस, सुमन दुबे, सैम पित्रोदा, वोरा और यंग इंडियन (वाईआई) प्राइवेट लिमिटेड ने उनके खिलाफ लगाये गये आरोपों से इनकार किया है।


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नैशनल हेरल्ड मामले में अदालत ने मोतीलाल वोरा के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही रद्द की https://ift.tt/3owew1J नैशनल हेरल्ड मामले में अदालत ने मोतीलाल वोरा के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही रद्द की
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इजरायली दूतावास के पास ब्लास्ट की जांच के लिए पहुंची NSG टीम, मिला संदिग्ध कपड़ा https://ift.tt/3cqw2Sv

January 30, 2021
दिल्ली में इजरायली दूतावास के बाहर ब्लास्ट के बाद भारतीय सुरक्षा एजेंसियां लगातार इसकी जांच कर रही हैं। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल धमाके के बाद से ही मामले की जांच कर रही है। अब एनएसजी को भी ब्लास्ट की जांच के लिए उतारा गया है। इजरायली दूतावास के बाहर नैशनल सिक्यॉरिटी गार्ड्स की एक टीम शनिवार दोपहर जांच करने पहुंची है।

इजरायली दूतावास के बाहर ब्लास्ट की जांच में दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल के बाद अब एनएसजी भी उतर गई है। एनएसजी की एक टीम शनिवार को धमाके की जांच करने घटनास्थल पर पहुंची।


Israel Embassy Blast: इजरायली दूतावास के पास ब्लास्ट की जांच के लिए पहुंची NSG टीम, मिला संदिग्ध कपड़ा

दिल्ली में इजरायली दूतावास के बाहर ब्लास्ट के बाद भारतीय सुरक्षा एजेंसियां लगातार इसकी जांच कर रही हैं। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल धमाके के बाद से ही मामले की जांच कर रही है। अब एनएसजी को भी ब्लास्ट की जांच के लिए उतारा गया है। इजरायली दूतावास के बाहर नैशनल सिक्यॉरिटी गार्ड्स की एक टीम शनिवार दोपहर जांच करने पहुंची है।



सुराग ढूंढ़ती NSG की टीम
सुराग ढूंढ़ती NSG की टीम

NSG की टीम इजरायली दूतावास के पास सुराग ढूंढती नजर आई। टीम ने ब्लास्ट की जगह का मुआयना किया और आसपास की जगहों पर भी सबूतों की तलाश की। टीम को दूतावास के बाहर झाड़ियों में भी कुछ तलाशते देखा गया।



ब्लास्ट की जगह पर मिला अधजला कपड़ा
ब्लास्ट की जगह पर मिला अधजला कपड़ा

बताया जा रहा है कि जांच करने पहुंची एनएसजी टीम को घटनास्थल से अधजला कपड़ा और पॉलिथीन मिला है। इससे पहले दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल को मौके से कुछ बॉल-बेयरिंग भी मिले थे, जिनका इस्तेमाल बम बनाने में किया गया था। घटनास्थल के पास से पुलिस को एक लिफाफा भी बरामद हुआ है।



ईरानी नागरिकों से हो रही पूछताछ
ईरानी नागरिकों से हो रही पूछताछ

दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल दिल्ली में रहने वाले कुछ ईरानी नागरिकों से भी इजरायली दूतावास ब्लास्ट को लेकर पूछताछ कर रही है। बताया जा रहे है कि जिन संदिग्धों से पूछताछ की जा रही है, उनका वीजा खत्म हो चुका था, लेकिन उसके बाद भी वे दिल्ली में रुके हुए थे।



विदेश मंत्रालय की भी मामले पर है नजर
विदेश मंत्रालय की भी मामले पर है नजर

आपको बता दें कि धमाके के बाद से ही देश में सुरक्षा एजेंसियां हाई अलर्ट पर हैं। गृह मंत्री अमित शाह खुद जांच पर नजर बनाए हुए हैं। वहीं विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इजरायली विदेश मंत्री गाबी अशकेनाजी से बात कर भारत में इजरायली नागरिकों की सुरक्षा का भरोसा दिया था।





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इजरायली दूतावास के पास ब्लास्ट की जांच के लिए पहुंची NSG टीम, मिला संदिग्ध कपड़ा https://ift.tt/3cqw2Sv इजरायली दूतावास के पास ब्लास्ट की जांच के लिए पहुंची NSG टीम, मिला संदिग्ध कपड़ा
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देश में एक और कोरोना वैक्सीन Covavax जल्द, नए स्ट्रेन के खिलाफ भी होगा असरदार! https://ift.tt/2Ma4aYs

January 30, 2021
पुणे कोरोना वायरस के नए स्ट्रेन के खिलाफ 89 प्रतिशत तक प्रभावी वैक्सीन के भारत में जून 2021 तक लॉन्च होने की संभावना है। (SII) के सीईओ अदार पूनावाला () ने शनिवार को कहा कि उनकी कंपनी ने भारत में (Novavax Inc) के साथ साझेदारी में एक और Covid-19 वैक्सीन के ट्रायल को शुरू करने के लिए आवेदन किया है। उन्होंने उम्मीद जताई कि जून 2021 तक कंपनी कोरोना वायरस के लिए एक और वैक्सीन कोवोवैक्स () लॉन्च कर सकती है। दरअसल दवा कंपनी नोवावैक्स इंक ने एक दिन पहले ही कहा था कि Covid-19 का उसका टीका ब्रिटेन में चल रहे एक स्टडी के शुरुआती निष्कर्षों के आधार पर वायरस के नए स्ट्रेन के खिलाफ 89 प्रतिशत प्रभावी पाया गया है। कंपनी ने यह भी दावा किया कि उसका टीका ब्रिटेन और दक्षिण अफ्रीका में फैल रहे वायरस के नए स्ट्रेन के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता विकसित करने के मामले में भी कारगर पाया जा रहा है। जून 2021 तक आ सकती है ‘कोवोवैक्स’ पूनावाला ने शनिवार को ट्विटर पर कहा कि 'नोवावैक्स के साथ कोविड-19 टीके के लिए हमारी साझेदारी ने बहुत ही प्रभावी नतीजे दिए हैं। हमने भारत में परीक्षण शुरू करने के लिए आवेदन किया है। जून 2021 तक ‘कोवोवैक्स’ का उत्पादन शुरू करने की उम्मीद है।' सीरम ने पहले ही बना लिया है ‘कोविडशील्ड’ वैक्सीन सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) इससे पहले ही ‘कोविडशील्ड’ वैक्सीन का उत्पादन कर रहा है, जिसे ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय और ब्रिटिश-स्वीडिश कंपनी एस्ट्राजेनका ने विकसित किया है। देश में अभी चल रहे टीकाकरण अभियान के लिए केंद्र ने ‘कोविडशील्ड’ टीके की एक करोड़ 10 लाख खुराक खरीदी हैं। 16 जनवरी से देश में शुरू है टीकाकरण देश भर में कोविड-19 के खिलाफ 16 जनवरी को टीकाकरण अभियान शुरू हुआ था और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा था कि इसमें करीब तीन करोड़ स्वास्थ्यकर्मियों और कोविड-19 के खिलाफ अग्रिम मोर्चे पर काम करने वालों को प्राथमिकता दी जाएगी।


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देश में एक और कोरोना वैक्सीन Covavax जल्द, नए स्ट्रेन के खिलाफ भी होगा असरदार! https://ift.tt/2Ma4aYs देश में एक और कोरोना वैक्सीन Covavax जल्द, नए स्ट्रेन के खिलाफ भी होगा असरदार!
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राकेश टिकैत बोले - आंसू का असर आपने देख लिया, अब और मजबूत होगा आंदोलन https://ift.tt/3csoSNI

January 30, 2021
नई दिल्ली केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों का जुटना फिर से शुरू हो गया है। एक बार खत्म सा माना जा रहा आंदोलन फिर से उठ खड़ा हुआ है। धरना स्थल पर किसानों के साथ ही राजनीतिक दलों के नेता भी शुक्रवार से पहुंचना शुरू हो गए हैं। धरने में किसानों के लौटने और राजनीतिक दलों के नेताओं के पहुंचने पर भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने स्पष्ट रूप से अपनी राय रखी है। प्रेस कॉन्फ्रेंस में भावुक होने के बाद आंदोलन के मजबूत होने के लेकर राकेश टिकैत ने कहा कि आंसू बहने का असर आपने देख लिया। उन्होंने कहा कि अब यह आंदोलन और मजबूत होगा। ...क्या वोट देने की अपील कर रहे हैं धरने में आम आदमी पार्टी के मनीष सिसोदिया, जयंत चौधरी व अन्य राजनीतिक दलों के नेताओं के लगातार पहुंचने पर टिकैत ने कहा कि किसी को भी मंच पर कोई जगह नहीं दी जा रही है। आंदोलन के राजनीतिक रूप लेने के सवाल पर टिकैत ने कहा कि यहां से क्या किसी को वोट देने की अपील की जा रही है। जेल भी चलेगा, आंदोलन भी चलेगा दिल्ली में ट्रैक्टर परेड में हिंसा और फिर केस दर्ज होने के बाद गिरफ्तारी के सवाल पर राकेश टिकैत ने कहा कि यदि आंदोलन मैं चलाउंगा तो केस किसी और के खिलाफ दर्ज होगा। उन्होंने कहा कि जेल भी चलेगा और आंदोलन भी चलेगा...कानून का भी पालन होगा। धरने के बीच में गिरफ्तारी के बाद आंदोलन के भविष्य को लेकर सवाल के बारे में टिकैत ने कहा कि यह आंदोलन मैं नहीं बल्कि किसान चला रहे हैं। यह आंदोलन चलता रहेगा। नाराजगी अपनों से ही होती है भाजपा को वोट देने और अब पार्टी से नाराजगी के सवाल पर टिकैत ने कहा कि नाराजगी तो अपनों से ही होती है, किसी और से थोड़े होती है। जब हम बराबर-बराबर चलेंगे तो वहीं टांग मारता है जो बराबर में हो।


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राकेश टिकैत बोले - आंसू का असर आपने देख लिया, अब और मजबूत होगा आंदोलन https://ift.tt/3csoSNI राकेश टिकैत बोले - आंसू का असर आपने देख लिया, अब और मजबूत होगा आंदोलन
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...तो क्‍या जुड़े हैं इजरायली दूतावास के बाहर ब्‍लास्‍ट और 2012 में हुए हमले के तार? https://ift.tt/2Yq7Ac1

January 30, 2021
नई दिल्‍ली इजरायली दूतावास के पास शुक्रवार शाम हुआ धमाका किसी गहरी साजिश की एक कड़ी हो सकता है। हो सकता है कि इसके तार 2012 में इजरायली डिप्‍लोमेट्स पर हुए हमलों से जुड़े हों। यह आशंका भारत में इजरायल के राजदूत रॉन मलका ने जताई है। उन्‍होंने एएनआई से बातचीत में कहा कि "साल 2012 में, दिल्‍ली में इजरायली डिप्‍लोमेट्स पर एक आतंकी हमला हुआ था जो कि दूतावास से ज्‍यादा दूर नहीं था। हो सकता है ये जुड़े हों, कोई पैटर्न हो। हम इसकी जांच कर रहे हैं और यह विकल्‍पों में से एक है।" मलका ने शक जताया है कि शुक्रवार को हुआ धमाका एक 'आतंकी हमला' हो सकता है। 2012 में क्‍या हुआ था?13 फरवरी, 2012 को भारत में तैनात एक इजरायली डिप्‍लोमेट की कार को निशाना बनाया गया था। कार में डिप्‍लोमेट की पत्‍नी, ताल येहोशुआ कोरेन मौजूद थीं जो अपने बच्चों को स्‍कूल से लेने जा रही थीं। कार में पीछे से आए मोटरसाइकिल सवार ने मैग्‍नेटिक एक्‍सप्‍लोजिव डिवाइस (स्टिकी बम) लगा दिया था। जब कार औरंगजेब रोड की ट्रैफिक लाइट पर रुकी थी तो अचानक उससे आग की लपटें निकलने लगीं। कोरेन बाल-बाल बच गई थीं। ठीक उसी दिन जॉर्जिया में भी एक इजरायली डिप्‍लोमेट की कार में बम प्‍लांट किया गया था। थाइलैंड और मलेशिया से भी संदिग्‍धों को पकड़ा गया था। 2012 में जहां हुआ था हमला, उसी रोड पर है दूतावास2012 में जिस औरंगजेब रोड पर कार में बम प्‍लांट किया गया था, शुक्रवार को उसी रोड पर स्थित इजराइली दूतावास के पास मामूली IED ब्‍लास्‍ट हुआ। दिल्ली पुलिस ने बताया कि IED में शाम पांच बजकर पांच मिनट पर विस्फोट हुआ। गनीमत ये रही कि इसमें कोई हताहत नहीं हुआ। मोसाद, दिल्‍ली पुलिस की स्‍पेशल सेल के अलावा नैशनल इनवेस्टिगेशन एजेंसी भी इस धमाके की जांच कर रही है। नैशनल सिक्‍योरिटी गार्ड (NSG) की एक टीम को भी ब्‍लास्‍ट में यूज विस्‍फोटकों की जांच करने को लगाया गया है। ईरान पर उठी थीं उंगलियां, इसबार भी उसी पर शकइजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्‍याहू ने तब ईरान पर ये हमले कराने का आरोप लगाया था। हालांकि तेहरान ने इन आरोपों से साफ इनकार किया था। दूतावास के बाहर शुकवार को हुए धमाके के पीछे भी ईरान का हाथ होने की बात कही जा रही है। खुफिया एजेंसी मोसाद को ईरानी रेवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) और कुद्स फोर्स पर शक है। 2012 धमाकों की जांच में क्‍या निकला था?मलेशिया में पकड़े गए शख्‍स ने ईरान में भारतीय दूतावास के जरिए भारतीय वीजा के लिए अप्‍लाई किया था। उसने अपने वीजा फॉर्म पर कॉन्‍टैक्‍ट नंबर लिखा था और वो नंबर एक भारतीय नंबर के संपर्क में पाया गया था। वह नंबर होशांग अफशार ईरानी का था जिसने दिल्‍ली में बम प्‍लांट किया था। ईरानी करोल बाग के होटल हाई 5 लैंड के कमरा नंबर 305 में रुका था। कमरे की छत से विस्‍फोटक बनाने के सबूत मिले थे। पुलिस ने पत्रकार सैयद मोहम्‍मद अहमद काजमी को ईरानी के संपर्क में रहने के आरोप में गिरफ्तार किया था। उसे मार्च 2012 में गिरफ्तार किया गया था मगर बाद में जमानत पर छोड़ दिया गया था। उसके खिलाफ दर्ज मुकदमे का ट्रायल होना बाकी है।


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और आज कांग्रेस भी... गाजीपुर बॉर्डर पर राकेश टिकैत के धरने में नेताओं का मेला https://ift.tt/3r8CpxU

January 30, 2021
दिल्‍ली-गाजियाबाद बॉर्डर (गाजीपुर बॉर्डर) पर जारी किसानों के आंदोलन में कई राजनीतिक दलों के नेता पहुंच रहे हैं। शनिवार को दिल्‍ली कांग्रेस के अध्‍यक्ष अनिल चौधरी यहां पहुंचे। उनसे पहले, आम आदमी पार्टी के कई नेता गाजीपुर बॉर्डर पहुंच भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के नेता राकेश टिकैत से मुलाकात कर चुके थे। उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू, आरएलडी नेता जयंत चौधरी एवं भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद ने भी टिकैत से मुलाकात की। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव एवं बसपा प्रमुख मायावती ने भी किसान आंदोलन को अपनी पार्टी का समर्थन दिया है।

Kisan Andolan At Ghazipur Border: BKU के बुलावे पर मेरठ, बागपत, बिजनौर, मुजफ्फरनगर, मुराबादाबाद और बुलंदशहर जैसे पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जिलों से भारी संख्‍या में किसान यहां पहुंचे हैं।


Kisan Andolan: कांग्रेस, अकाली दल, RLD, AAP, आप... गाजीपुर बॉर्डर पर राकेश टिकैत से मिलने की लगी है होड़

दिल्‍ली-गाजियाबाद बॉर्डर (गाजीपुर बॉर्डर) पर जारी किसानों के आंदोलन में कई राजनीतिक दलों के नेता पहुंच रहे हैं। शनिवार को दिल्‍ली कांग्रेस के अध्‍यक्ष अनिल चौधरी यहां पहुंचे। उनसे पहले, आम आदमी पार्टी के कई नेता गाजीपुर बॉर्डर पहुंच भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के नेता राकेश टिकैत से मुलाकात कर चुके थे। उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू, आरएलडी नेता जयंत चौधरी एवं भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद ने भी टिकैत से मुलाकात की। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव एवं बसपा प्रमुख मायावती ने भी किसान आंदोलन को अपनी पार्टी का समर्थन दिया है।



प्रदर्शनकारी किसानों के समर्थन में पहुंचे दिल्‍ली कांग्रेस के अध्‍यक्ष
प्रदर्शनकारी किसानों के समर्थन में पहुंचे दिल्‍ली कांग्रेस के अध्‍यक्ष

किसानों के समर्थन में दिल्ली कांग्रेस के अध्यक्ष अनिल चौधरी शनिवार दोपहर गाजीपुर बॉर्डर पहुंचे। उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने शुक्रवार को राकेश टिकैत से मुलाकात की थी।



अकाली दल के सीनियर नेता भी टिकैत से मिले
अकाली दल के सीनियर नेता भी टिकैत से मिले

शिरोमणि अकाली दल के वरिष्‍ठ नेताओं ने भी गाजीपुर बॉर्डर पहुंचकर राकेश टिकैत से मुलाकात की।



टिकैत को म‍िला RLD का साथ
टिकैत को म‍िला RLD का साथ

आरएलडी नेता जयंत चौधरी शुक्रवार को गाजीपुर बॉर्डर पहुंचे थे। टिकैत ने अजित चौधरी से बात कर उनसे समर्थन मांगा था।



सिसोदिया ने गाजीपुर बॉर्डर जाकर की टिकैत से मुलाकात
सिसोदिया ने गाजीपुर बॉर्डर जाकर की टिकैत से मुलाकात

दिल्‍ली के उप-मुख्‍यमंत्री मनीष सिसोदिया शुक्रवार को गाजीपुर बॉर्डर पहुंचे थे। यहां उन्‍होंने राकेश टिकैत से बातचीत की और पूरे सहयोग का भरोसा दिया। साथ ही पानी, टॉयलेट आदि की व्‍यवस्‍था भी जांची।



पानी के टैंकर लेकर पहुंचे थे दिल्‍ली सरकार के मंत्री
पानी के टैंकर लेकर पहुंचे थे दिल्‍ली सरकार के मंत्री

दिल्‍ली के स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री सत्‍येंद्र जैन और AAP विधायक राजव चड्ढा 29 जनवरी को सिंघु बॉर्डर पहुंचे थे। दिल्‍ली सरकार ने प्रदर्शनकारी किसानों के लिए पानी और टॉयलेट की व्‍यवस्‍था की है।



​स्‍वराज पार्टी के योगेंद्र यादव भी हुए प्रदर्शन में शामिल​
​स्‍वराज पार्टी के योगेंद्र यादव भी हुए प्रदर्शन में शामिल​

दिल्‍ली-यूपी बॉर्डर पर किसानों के धरने में स्‍वराज पार्टी के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष योगेंद्र यादव भी शामिल हुए। उन्‍होंने मंच से कहा, "किसान इस आंदोलन से अपमानित और सम्‍मान गंवा कर नहीं जाएंगे।"





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Gad

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