बाबरी पर फैसले से नाखुश हैं जिलानी, बोले- जाएंगे हाईकोर्ट https://ift.tt/3jugLkF
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6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद गिरने के बाद फैजाबाद में दो FIR दर्ज कराई गई थी। FIR नंबर 198 लाखों कार सेवकों के खिलाफ थी जबकि FIR नंबर 198 संघ परिवार के कार्यकर्ताओं समेत आडवाणी, जोशी, तत्कालीन शिवसेना नेता बाल ठाकरे, उमा भारती आदि के खिलाफ थी।
बाबरी मस्जिद केस में फैसला सुनने के लिए साध्वी ऋतम्भरा, पवन पांडेय, रामजी गुप्ता, सहित कई आरोपी कोर्ट पहुंचे, विनय कटियार भी पहुंचे सीबीआई कोर्ट। राम विलास वेदांती और कैसरगंज भाजपा सांसद बृज भूषण सिंह भी सीबीआई कोर्ट पहुंचे।
फैजाबाद लोकसभा सीट से बीजेपी के सांसद लल्लू सिंह भी मीडिया के सामने हाथ हिलाते हुए कोर्ट पहुंचे।
मामले में ये 32 आरोपी हैं-लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, महंत नृत्य गोपाल दास, कल्याण सिंह, उमा भारती, विनय कटियार, साध्वी ऋतंभरा, रामविलास वेदांती, धरम दास, सतीश प्रधान, चंपत राय, पवन कुमार पांडेय, ब्रज भूषण सिंह, जय भगवान गोयल, महाराज स्वामी साक्षी, रामचंद्र खत्री, अमन नाथ गोयल, संतोष दुबे, प्रकाश शर्मा, जयभान सिंह पवेया, विनय कुमार राय, लल्लू सिंह, ओमप्रकाश पांडेय, कमलेश त्रिपाठी उर्फ सती दुबे, गांधी यादव, धर्मेंद्र सिंह गुर्जर, रामजी गुप्ता, विजय बहादुर सिंह, नवीन भाई शुक्ला, आचार्य धर्मेंद्र देव, सुधीर कक्कड़और रविंद्र नाथ श्रीवास्तव।
ट्रायल के दौरान इन 17 आरोपियों का निधन हो गया- अशोक सिंहल, गिरिराज किशोर, बालासाहेब ठाकरे, विष्णु हरि डालमिया, मोरेश्वर सावे, महंत अवैद्यनाथ, विनोद कुमार वत्स, राम नारायण दास, लक्ष्मी नारायण दास महात्यागी, हरगोविंद सिंह, रमेश प्रताप सिंह, देवेंद्र बहादुर राय, महामंडलेश्वर जगदीश मुनि महाराज, बैकुंठ लाल शर्मा, विजयराजे सिंधिया, परमहंस रामचंद्र दास और डॉक्टर सतीश कुमार नागर
जज कोर्ट में मौजूद हैं। इसके अलावा चंपत राय, जय भगवान, साध्वी ऋतंभरा, विनय कटियार समेत कई आरोपी अदालत पहुंचे।
एक-एक कर सभी आरोपी कोर्ट पहुंच चुके हैं। अभी जज कोर्ट रूम में नहीं हैं। यहां 26 लोग मौजूद हैं और जज का इंतजार कर रहे हैं।
बाबरी विध्वंस केस में कुल 49 आरोपी थे लेकिन 17 आरोपियों की सुनवाई के दौरान निधन हो गया। 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद गिरने के बाद फैजाबाद में दो FIR दर्ज कराई गई थी। FIR नंबर 198 लाखों कार सेवकों के खिलाफ थी जबकि FIR नंबर 198 संघ परिवार के कार्यकर्ताओं समेत आडवाणी, जोशी, तत्कालीन शिवसेना नेता बाल ठाकरे, उमा भारती आदि के खिलाफ थी।
बाबरी विध्वंस केस की सुनवाई कर रहे अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश एस के यादव अगर इस मामले में बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, विनय कटियार और साध्वी रितंभरा को दोषी ठहराते हैं तो उनको अधिकतम 5 साल की सजा हो सकती है।
अगर कोर्ट यूपी के पूर्व सीएम कल्याण सिंह, साक्षी महाराज और फिरोजाबाद के तत्कालीन डीएम आरएम श्रीवास्तव को दोषी ठहराएगी तो उन्हें अधिकतम 3 साल की सजा हो सकती है।
बाबरी विध्वंस मामले में आरोपी महंत नृत्य गोपाल दास, राम विलास वेदांती, राम मंदिर ट्रस्ट के चंपत राय, सतीश प्रधान, धरम दास अगर विध्वंस में मामले में दोषी पाए जाएंगे तो उन्हें अधिकतम 5 साल की सजा हो सकती है।
बीजेपी सांसद ब्रजभूषण सिंह, पूर्व विधायक पवन कुमार पांडेय, जय भगवान गोयल और ओम प्रकाश पांडेय को अगर अदालत दोषी ठहराती है तो उन्हें अधिकतम उम्रकैद की सजा हो सकती है।
बाबरी विध्वंस केस के आरोपी फिरोजाबाद के सांसद लल्लू सिंह, मध्य प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री जयभान सिंह पवैया, आचार्य धर्मेंद्र देव, रामजी गुप्ता, प्रकाश शर्मा, धर्मेंद्र सिंह गुर्जर और कारसेवकों रामचंद्र खत्री, सुखबीर कक्कर, अमन नाथ गोयल, संतोष दुबे, विनय कुमार राय, कमलेश त्रिपाठी, गांधी यादव, विजय बहादुर सिंह, नवीन भाई शुक्ला को अधिकतम उम्रकैद की सजा हो सकती है।
पटना
बिहार में चुनावी शंखनाद हो चुका है, 28 अक्टूबर को पहले चरण का चुनाव भी है। बावजूद इसके अभी तक सूबे के दोनों प्रमुख गठबंधनों में शामिल सियासी दलों के बीच सीट बंटवारे पर फैसला नहीं हो सका है। चाहे सत्ताधारी एनडीए गठबंधन हो या फिर विपक्षी दलों का महागठबंधन, किसी की तरफ से अब तक सीट शेयरिंग फॉर्म्यूला जारी नहीं किया गया है। हालांकि, दोनों ही ओर से बैठकों और चर्चा का दौर जारी है। सियासी दलों की ओर से कहा जा रहा कि जल्द ही सीटों पर सहमति बनते ही इसका ऐलान कर दिया जाएगा। लेकिन सवाल यही उठ रहा कि आखिर दोनों ही धड़े में सीट बंटवारे का पेंच कहां फंस रहा है, बताते हैं आगे...
बात करें अगर सत्ताधारी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन यानी एनडीए की तो इसमें बीजेपी के साथ जेडीयू और एलजेपी भी प्रमुख सहयोगी हैं। तीनों ही पार्टियां लगातार इस बात पर माथापच्ची में जुटी हुई हैं कि सीटों पर तालमेल कायम किया जा सके। लेकिन एनडीए में एलजेपी के पिछले कुछ समय से बदले तेवर की वजह से हालात बदले हुए हैं। एलजेपी मुखिया चिराग पासवान गठबंधन की सहयोगी जेडीयू पर लगातार निशाना साध रहे हैं। विधानसभा की 243 सीटों के लिए एजेपी 143 सीटों पर उम्मीदवार की भी तैयारी में लगी हुई है। जेडीयू की ओर से भी चिराग पासवान पर पलटवार किया गया। हालांकि, बीजेपी की ओर से बीचबचाव के बाद हालात थोड़े बदल गए हैं। सूत्र बता रहे हैं कि बीजेपी की ओर से एलजेपी को करीब 27 सीटों का ऑफर दिया गया है।
जानकारी के मुताबिक, एलजेपी के अध्यक्ष चिराग पासवान ने सोमवार को बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की है। इस दौरान सीट शेयरिंग पर बातचीत हुई है। सूत्रों के मुताबिक, बीजेपी की ओर से 27 विधानसभा सीटों के साथ कुछ विधान परिषद की सीटों का ऑफर एलजेपी को दिया गया है। फिलहाल दोनों ही पार्टियों की ओर से अभी तक आधिकारिक तौर पर इसको लेकर कुछ नहीं कहा गया है। लेकिन जानकारी के मुताबिक, एलजेपी मुखिया चिराग पासवान की कोशिश 30 से ज्यादा सीटें हासिल करने की हैं। इसी वजह से उन्होंने जेपी नड्डा से मुलाकात भी की।
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बिहार विधानसभा चुनाव में जेडीयू की कोशिश सबसे बड़े दल के तौर पर सबसे ज्यादा सीटें हासिल करने की है। हालांकि, अभी तक ये साफ नहीं हुआ है कि आखिर जेडीयू कितनी सीटें चाहती है। जानकारी मिल रही कि जेडीयू को सबसे ज्यादा 103 सीटें मिलने की संभावना है। दूसरी ओर जेडीयू ने ज्यादा सीटों की मांग जरूर की है, लेकिन सीट बंटवारे का फॉर्मूला 2010 की तरह ही करने की बात भी कही गई है। 2010 विधानसभा चुनाव के दौरान जेडीयू और बीजेपी ने साथ में चुनाव लड़ा था, उस समय जेडीयू 141 और बीजेपी ने 102 सीटों पर उम्मीदवारी की थी। इस चुनाव में जेडीयू ने 115 तो बीजेपी ने 91 सीटों पर जीत हासिल की थी। इस बार गठबंधन में एलजेपी के होने से दोनों दलों के सीटों की संख्या कम हो गई है। पिछले विधानसभा चुनाव में जेडीयू ने आरजेडी के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था, उस समय जेडीयू ने 101 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे।
बिहार चुनाव को लेकर बीजेपी की ओर से खास डिमांड सामने नहीं आई है। पार्टी की ओर से लगातार कहा जा रहा कि एनडीए गठबंधन में सब ठीक चल रहा है। सूत्रों के मुताबिक, बिहार चुनाव में बीजेपी 101 सीटों पर उम्मीदवार उतार सकती है। जेडीयू को 103 सीटें ऑफर की गई हैं। वहीं एलजेपी को 27 सीटों देने की चर्चा है। फिलहाल सीट बंटवारे के फाइनल फॉर्म्यूले का इंतजार सभी को है। पिछले चुनाव की बात करें बीजेपी ने एलजेपी और आरएलएसपी के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था। बाद में जेडीयू ने महागठबंधन से नाता तोड़कर बीजेपी के साथ गठबंधन कर लिया।
बात करें विपक्ष दलों के महागठबंधन की तो इसमें आरजेडी, कांग्रेस के साथ सीपीआई-एमएल भी है। इसके अलावा वीआईपी, जेएमएम समेत कई दल शामिल हैं। कुशवाहा की पार्टी आरएलएसपी भी गठबंधन में शामिल थी, लेकिन अब उसको लेकर सस्पेंस है। ऐसा इसलिए क्योंकि चर्चा है कि उपेंद्र कुशवाहा एनडीए में जा सकते हैं। फिलहाल महागठबंधन के सियासी दलों में सीट बंटवारे को लेकर कहां पेंच फंसा है, जानिए।
आरजेडी की ओर से महागठबंधन में कांग्रेस को करीब 58 सीटों का ऑफर दिया गया है। इसके अलावा आरजेडी वाल्मीकिनगर लोकसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव की सीट भी कांग्रेस को देने की बात कही है। आरजेडी किसी भी सूरत में कांग्रेस को महागठबंधन से अलग होने नहीं देना चाहती है। सीट के मसले पर कांग्रेस को मनाने के लिए आरजेडी हर संभव कोशिश कर रही है। वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सदानंद सिंह ने कांग्रेस की केंद्रीय नेतृत्व से अपील की है कि पार्टी को बिहार में कम से कम 80 सीटों पर प्रत्याशी उतारने चाहिए। जिसको लेकर पेंच फंसा हुआ है।
बिहार चुनाव में आरजेडी की कोशिश 150 से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ने की है। हालांकि, महागठबंधन के सबसे बड़े दल के नाते पार्टी सबको साथ लेकर चलना चाहती है। दूसरी ओर कांग्रेस और सीपीआई-एमएल भी गठबंधन में हैं और उनकी ओर से ज्यादा से ज्यादा सीट की डिमांड हो रही है। यही वजह है अभी तक सीट शेयरिंग का फॉर्म्यूला फाइनल नहीं हुआ है। फिलहाल आरजेडी के सूत्र बता रहे हैं कि जल्द ही सीट बंटवारे पर फैसला हो जाएगा।
ध्यान रहे कि केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों से कहा है कि वो कंटेनमेंट जोन से बाहर केंद्र सरकार की अनुमति के बिना लॉकडाउन नहीं लगाएं। फिर भी कुछ राज्यों ने कोविड-19 महामारी की गंभीर परिस्थितियों के मद्देनजर लोगों की आवाजाही पर कुछ पाबंदियां लागू की हैं। वैसे ज्यादातर राज्यों ने ई-पास, ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन और कोविड नेगेटिव रिपोर्ट की अनिवार्यता खत्म कर दी है। हां, हवाई अड्डों पर थर्मल स्क्रीनिंग की दरकार अब भी है। अगर स्क्रीनिंग में कोरोना पॉजिटिव पाए गए तो स्थानीय नियमों के तहत क्वारेंटीन होना पडे़गा। ऐसे में होटलों की बुकिंग भी कड़ी शर्तों के साथ हो रही है। इसलिए, अगर आपने भी छुट्टियां मनाने का प्लान किया है तो जिस राज्य में जा रहे हैं, उसके नियमों का पता जरूर कर लें।
यहां घूमने आएंगे तो आपको पता होना चाहिए कि इस केंद्रशासित प्रदेश में कोविड-19 ऐंटीजन टेस्ट अनिवार्य है।
फ्लाइट या ट्रेन से जम्मू-कश्मीर जाने वालों को 14 दिन का होम क्वारेंटाइन रूल फॉलो करना होगा। वहीं, सड़क मार्ग से पहुंचने वालों को सरकारी क्वारंटाइन सेंटर में 14 दिन बिताना होगा।
राज्य की आधिकारिक वेबसाइट पर रजिस्टर करने या राज्य में प्रवेश से पहले कोविड नेगेटिव रिपोर्ट जमा कराने का दरकार नहीं।
राज्यों के बीच बसों का परिचालन अब भी प्रतिबंधित।
किनौर और स्पीति घाटी अक्टूबर के आखिर तक पर्यटन के लिए बंद रहेंगे।
पर्यटकों के फोन में आरोग्य सेतु ऐप होना अनिवार्य।
हाइवेज पर आपको खास जगहों पर ही रुकना होगा।
उत्तराखंड -
राज्य से बाहर के पर्यटकों को
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पर रजिस्ट्रेशन करवाना जरूरी।
कोविड-19 नेगेटिव रिपोर्ट और दो दिनों के अनिवार्य ठहराव की दरकार नहीं।
कोरोना हॉटस्पॉट से आए पर्यटकों को 14 दिनों का क्वारेंटीन जिनमें पहला सात दिन सरकारी क्वारेंटीन केंद्र में और आखिरी सात दिन घर पर बिताने का प्रावधान है। बजुर्गों और गर्भवती महिलाओं को पूरे 14 दिन होम क्वारेंटीन में रहने की अनुमति।
सभी बॉर्डर चेकपॉइंट्स, एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशनों और जिला बस स्टैंडों पर थर्मल स्क्रीनिंग अनिवार्य। अगर कोविड-19 के लक्षण मिले तो ऐंटीजन टेस्ट होगा। कोरोना पॉजिटिव पाए जाने पर उचित SOP लागू होगी।
आरोग्य सेतु ऐप, मास्क और भीड़-भाड़ वाले इलाकों में सोशल डिस्टैंसिंग का पालन जरूरी।
उत्तर प्रदेश -
दूसरे राज्यों के पर्यटकों का हवाई अड्डे पर थर्मल स्क्रीनिंग की व्यवस्था और फिर 14 दिन का क्वारेंटीन। अगर सात दिन के अंदर राज्य से बाहर होंगे तो क्वारेंटीन नहीं होना होगा।
राजस्थान -
राज्य में किसी के भी प्रवेश की अनुमति।
11 जिलों में धारा 144 लागू है। इसके तहत, जयपुर, जोधपुर, कोटा, अजमेर, अलवर, भिलवाड़ा, बिकानेर, उदयपुर, सीकर, पाली और नागौर जिलों में एक साथ पांच से ज्यादा लोगों के जमा होने पर पाबंदी।
कैब, बस, ऑटोरिक्शा आदि सभी वाणिज्यिक वाहनों को प्रवेश की अनुमति, लेकिन यात्रियों की संख्या निर्धारित।
गुजरात -
अहमदाबाद, भावनगर, पोरबंदर एयरपोर्ट्स पर थर्मल स्क्रीनिंग होगी। क्वारेंटीन में नहीं रखा जाएगा।
अहमदाबाद और सूरत में 50% जबकि दूसरे इलाकों में 60% कपैसिटी के साथ बसें आ-जा सकती हैं।
ई-पास, कोविड-19 निगेटिवर रिपोर्ट, क्वारेंटीन और जांच की जरूरत नहीं।
बार खुले हैं जहां नियमों का पालन कर शराब परोसे जा रहे हैं।
बीच पर बने आरामगाह और कसीनो अब भी बंद हैं।
केरल -
कोविड-19 जाग्रता पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करवाकर एंट्री पास लेने की व्यवस्था। रजिस्ट्री नहीं हो पाए तो बॉर्डर क्रॉसिंग पर नाम और अन्य जानकारियां पोर्टल में फीड की जाएंगी।
विदेश से आने वालों और राज्य में सात दिनों से ज्यादा रहने वालों को 14 दिनों की होम क्वारेंटीन।
कर्नाटक -
बाहरी राज्यों के पर्यटकों के लिए क्वारेंटीन की अनीवार्यता नहीं।
सेवा सिंधु पोर्टल पर रजिस्ट्री की दरकार भी नहीं।
झारखंड -
दूसरे राज्यों से बसों के प्रवेश की अनुमति नहीं।
होटल, लॉज, रेस्त्रां खुल गए।
https://ift.tt/2CN5pYw पर रजिस्ट्रेशन करना होगा।
14 दिनों का होम क्वारेंटीन जरूरी।
प. बंगाल -
फ्लाइट को राज्य में आने की अनुमति नहीं। सिर्फ स्पेशल ट्रेनों से ही जा सकते हैं।
अरुणाचल प्रदेश -
रैपिड ऐंटीजन टेस्ट होगा और कोरोना पॉजिटिव मिलने पर 14 दिनों का होम या इंस्टिट्यूशनल क्वारेंटीन होगा।
राज्य के अंदर घूमने-फिरने पर कोई रोक नहीं।
असम -
राज्य के अंदर घूमने-फिरने या दूसरे राज्य से प्रवेश पर पाबंदी नहीं।
दूसरे राज्य जाकर 96 घंटे के अंदर लौटे तो ऐंटीजन टेस्ट होगा। कोविड पॉजिटिव पाए गए तो 10 दिनों की क्वारेंटीन होगा। नेगेटिव पाए जाने पर स्वाब टेस्ट होगा और फिर आखिरी टेस्ट रिजल्ट आने तक आइसोलेशन में रहना होगा।
सिक्किम -
होटल, होमस्टे और पर्यटन संबंधी दूसरी सेवाएं 10 अक्टूबर से शुरू होंगी।
होटल और होमस्टे के लिए बुकिंग 27 सितंबर से शुरू।
प. बंगाल से लगी सीमा 1 अक्टूबर से खुल जाएगी।
मेघालय -
सभी सीमा बंद हैं, दूसरे राज्य के पर्यटकों को आने की अनुमति नहीं। नवंबर तक पाबंदियां रह सकती हैं।
राज्य का कोई व्यक्ति दूसरे राज्य से लौट रहा है तो उसका ऐंटीजन टेस्ट होगा। नेगेटिव मिले तो 10 दिन होम क्वारेंटीन और पॉजिटिव पाए गए तो कोविड फसिलिटी में भेजे जाएंगे।
दूसरे राज्य से जाने की अनुमति नहीं।
होटल और लॉज 100% कपैसिटी से ऑपरेट हो रहे हैं।
राज्य के अंदर एक जिले से दूसरे जिले में आवाजाही पर पाबंदी नहीं।
ई-पास की दर दरकार नहीं।
दूसरे राज्य के लोगों के लिए 14 दिनों का क्वारेंटीन अनिवार्य।
रायपुर समेत अन्य शहरी क्षेत्रों और कुछ जिले कंटेनमेंट जोन हैं।
दूसरे राज्य के लोग वैरेंग्ते, बैराबी और कान्हमुन के जरिए ही प्रवेश कर सकते हैं।
सोमवार, गुरुवार और शनिवार को ही पैसेंजर फ्लाइट्स को अनुमति।
हर दिन रात 8.30 से सुबह 4.30 बजे तक कर्फ्यू लागू।
तेलंगाना और कर्नाटक से जाने वालों के लिए 14 दिनों का होम क्वारेंटीन। और कोई पाबंदी नहीं।
ट्रेन, फ्लाइट या सड़क, किसी भी रास्ते से जाने पर ई-पास जरूरी।
कोडेइकेनाल, नीलगीरी और येरकौद जाने चाहते हैं तो डीएम से ई-पास लेना होगा।
नियमों के साथ क्लब, होटल, रेजॉर्ट खुले हैं।
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